Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/187/2008

DURGAWATI DEVI - Complainant(s)

Versus

SAHARA INDIA - Opp.Party(s)

ASHOK KUMAR RAY

05 Mar 2019

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/187/2008
( Date of Filing : 24 Sep 2008 )
 
1. DURGAWATI DEVI
AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. SAHARA INDIA
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 05 Mar 2019
Final Order / Judgement

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 187 सन् 2008

   प्रस्तुति दिनांक 24.09.2008

                                     निर्णय दिनांक 06.03.2019

दुर्गावती देबी पत्नी राम भरत निवासी ग्राम- सरदारगंज, पोस्ट व तहसील- मेंहनगर, जिला- आजमगढ़।

  •  

 

बनाम

  1. शाखा प्रबन्धक सहारा इण्डिया कार्यालय मेंहनगर आजमगढ़।
  2. रीजनल मैनेजर नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी रीजनल ऑफिस 6साह नजफ रोड लखनऊ उत्तर प्रदेश।

..................................................................................विपक्षीगण।

उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव

 

  •  

अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-

परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसके ससुर देवनाथ पाल ने सहारा रजत योजना के तहत हाउसिंग योजना के तहत मुo 10-10 हजार रुपये का कन्ट्रोल नम्बर 13129202847, 13129202848, 13129202849, 13129202850, 13129202851, 13129202852, 13129202853, 13129202854, 13129202855, 13129202856, दिनांक 15.12.2003 के माध्यम से जमा किया, जिसमें उन्होंने परिवादिनी को अपना नामिनी किया। देवनाथ पाल रजत योजना स्कीम के तहत एक मुश्त 10,000/- रुपया जमा करने पर विकल्प के क्रेडिट वैल्यू पर बीमा क्षतिपूर्ति धनराशि का लाभ मिलेगा। इस नियम व शर्त को ध्यान में रखकर याचिकाकर्ती के ससुर देवनाथ उक्त स्कीम के तहत 10-10 हजार रुपया के 10 यानी मुo 1,00,000/- रुपया दिनांक 15.12.2003 को जमा किया। देवनाथ पाल उक्त स्कीम के तहत विकल्प के नियम व शर्त के तहत यह बताया गया था कि एक वर्ष पश्चात् किन्तु दो वर्ष तक 50,000/- रुपया, दो वर्ष पश्चात् किन्तु तीन वर्ष तक 1,00,000/- रुपया, तीन वर्ष पश्चात् किन्तु चार वर्ष तक 1,50,000/- रुपये, चार वर्ष पश्चात् किन्तु दस

2

वर्ष तक 2,00,000/- रुपये क्षतिपूर्ति धनराशि प्राप्त होनी थी। देवनाथ पाल के दिनांक 15.12.2003 को जमा करने के तीन साल पश्चात् चार साल के अन्दर ट्रेन से धक्का लगने के कारण दिनांक 10.09.2007 को फरिहा रेलवे स्टेशन के पास दुर्घटना में मृत्यु हो गयी। परिवादिनी ने 20वें दिन विपक्षी के यहां आवेदन किया। विपक्षी ने उसे आश्वासन दिया कि उसे धनराशि दी जाएगी। लेकिन बाद में इन्कार कर दिया। वह काफी भाग-दौड़ करती रही, लेकिन उन्होंने कोई भुगतान नहीं किया। अतः 15,00,000/- रुपया विपक्षी से दिलवाया जाए तथा 20,000/- रुपया क्षतिपूर्ति के रूप में दिलवाया जाए।

परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी द्वारा नोटिस की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है। विपक्षी संख्या 02 द्वारा दिनांक 08.08.2013 को जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है जो परिवाद दाखिल होने के पांच वर्ष बाद प्रस्तुत किया गया है। अतः यह जवाबदावा ग्राह्य किये जाने योग्य नहीं है। विपक्षी संख्या 02 द्वारा दिनांक 07.01.2016 को जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है। दिनांक 07.08.2014 को विपक्षी संख्या 02 उपस्थित आए और प्रार्थना पत्र 13ग व 14ग प्रस्तुत किया और उन्हें 15 दिन के अन्दर जवाबदावा प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया, लेकिन विपक्षी संख्या 02 द्वारा जवाबदावा 07.01.2016 को प्रस्तुत किया गया है, जो कि कानूनन ग्रहण किए जाने योग्य नहीं है। अतः यह जवाबदावा ग्रहण नहीं किया जाता है।

सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादिनी द्वारा कोई सन्तोषजनक प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। परिवादिनी अपने परिवाद पत्र में बीमाकर्ता की नामिनी लिखा है। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “Challamma versus Tilaga and others (2010 All. C.J.1487) (Supreme Court)” का यदि अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि नामिनी को इन्श्योरेन्स पॉलिसी में विहित

3

धनराशि प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। उक्त धनराशि को प्राप्त करने हेतु मृतक के विधिक उत्तराधिकारी को ही आदेश है।

उपरोक्त विवेचन से हमारे विचार से परिवाद खारिज किए जाने योग्य है।

आदेश

परिवाद खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                   (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

                        दिनांक 06.03.2019

यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                     (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER

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