(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-681/2014
(जिला आयोग, मऊ द्वारा परिवाद संख्या-57/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 4.3.2014 विरूद्ध)
प्रतिमा वर्मा पुत्री श्री प्रह्लाद वर्मा, निवासिनी भरहू का पुरा, मुतफरकतपुरा, जिला मऊ, उ0प्र0।
अपीलार्थी/परिवादिनी
बनाम
सहारा इण्डिया परिवार, चर्च कम्पाउण्ड, मोहल्ला सहादतपुरा, ब्रांच मऊ, सेक्टर/जिला मऊ द्वारा ब्रांच मैनेजर।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार मिश्रा।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक कुमार श्रीवास्तव।
दिनांक: 04.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-57/2013, प्रतिमा वर्मा बनाम सहारा इण्डिया परिवार में विद्वान जिला आयोग, मऊ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 4.3.2014 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. प्रश्नगत निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए परिपक्वता धनराशि को अदा करने का आदेश पारित किया है, परन्तु साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि इस परिपक्वता राशि में से उस ऋण की राशि की कटौती कर ली जाए, जो विपक्षी द्वारा परिवादिनी को उपलब्ध कराई गई है।
3. अपीलार्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि उनके द्वारा कभी भी कोई ऋण प्राप्त नहीं किया गया है, इसलिए ऋण राशि की कटौती का निर्देश विधि विरूद्ध है। परिवादिनी के पास मूल एफडीआर है, इसमें कहीं पर भी ऋण राशि का उल्लेख नहीं है। विद्वान जिला आयोग ने विपक्षी को ऋण से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने का आदेश दिया था, परन्तु विपक्षी द्वारा ऋण से संबंधित कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया तथा हर्जे की अदायगी नहीं की गई, इस स्थिति के बावजूद यह निष्कर्ष दे दिया गया कि ऋण राशि की कटौती करने के पश्चात परिपक्वता राशि उपलब्ध कराई जाए।
4. प्रत्यर्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि विद्वान जिला आयोग ने एफडीआर के एवज में ऋण दिए जाने के संबंध में यथार्थ में कोई निष्कर्ष नहीं दिया, केवल इस ऋण राशि की अदायगी नहीं की गई, इसलिए विद्वान जिला आयोग ने अपने आदेश में अंकित कर दिया कि ऋण राशि की कटौती के पश्चात परिपक्वता राशि अदा की जाए, जो पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के विपरीत है, इसलिए इस पीठ द्वारा विद्वान जिला आयोग की मूल पत्रावली को तलब किया गया। मूल पत्रावली के अवलोकन से जाहिर होता है कि अंकन 7500/-रू0 का ऋण प्राप्त करने के लिए एक आवेदन विपक्षी के कार्यालय में दिया गया है। एक दूसरे दस्तावेज पर ऋण वसूली की सलाह दी गई है। दस्तावेज सं0-15ग/3 पर ऋण अदा करने की गारण्टी पत्र लिखा गया है। सभी पर प्रतिमा वर्मा परिवादिनी के हस्ताक्षर हैं। इन हस्ताक्षरों से इंकार परिवाद पत्र या अपील के ज्ञापन में नहीं किया गया है, परन्तु इन दस्तावेजों के आधार पर यह निष्कर्ष देना संभव नहीं है कि यथार्थ में परिवादिनी को ऋण अदा किया गया है, क्योंकि मूल एफडीआर पर ऋण की राशि का उल्लेख नहीं है। मूल एफडीआर पर इस राशि का उल्लेख आवश्यक था, जिस राशि का ऋण अदा किया गया है। ऋण की अदायगी के संबंध में विपक्षी के लिए आवश्यक था कि वह अपने कार्यालय में संचालित खाता विवरण विद्वान जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत करते, इसलिए यद्यपि ऋण आवेदन, अण्डर टेकिंग तथा ऋण वसूली की सलाह के दस्तावेज पत्रावली पर मौजूद हैं, परन्तु ऋण राशि का उल्लेख मौजूद नहीं है, इस तथ्य को साबित करने का भार विपक्षी/प्रत्यर्थी पर था, जिसका अनुपालन नहीं किया गया है। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 4.3.2014 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादिनी को परिपक्वता अवधि पर देय समस्त राशि विपक्षी/प्रत्यर्थी द्वारा दो माह के अन्दर परिवादिनी को उपलब्ध कराई जाए। शेष निर्णय/आदेश यथावत् रहेगा।
कार्यालय को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवाद संख्या-57/2013 की मूल पत्रावली संबंधित विद्वान जिला आयोग को वापस भेजा जाना सुनिश्चित करें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3