आदेश
परिवादों के निर्णय की तिथि:-13.06.2024
आज पत्रावली आदेश/निर्णय हेतु पेश हुई। पूर्व में उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।
विगत छह माह पूर्व सहारा इण्डिया के विद्वान अधिवक्ताओं द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आयोग में दाखिल करते हुए यह कहा गया कि वर्तमान में सहारा क्रेडिट से संबंधित प्रकरणों का निस्तारण का क्षेत्राधिकार अब वर्तमान में इस आयोग को नहीं रह गया है। इसके लिये भुगतान हेतु अतिरिक्त व्यवस्था माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गयी है। अत: उक्त आदेश के सापेक्ष में विगत छह माह में सहारा क्रेडिट से संबंधित समस्त पत्रावलियों को सुनने हेतु एक तिथि आयोग द्वारा नियत की गयी थी। उस तिथि को सुनकर नियमानुसार इन प्रकरणों का निस्तारण किया जायेगा। तदनुसार लिये गये निर्णय के सापेक्ष में पत्रावलियॉं दिनॉंक 10.05.2024 को नियत की गयी थी। उसी दिन पक्षों को सुना गया था, उनके अधिवक्ता 18 के आस-पास थे।
सहारा की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राहुल सिंह, श्री दीपक कुमार तिवारी एवं श्री उपेन्द्र दुबे उपस्थित आये। परिवादी की ओर से श्री संदीप कुमार पाण्डेय, श्री राजेश कुमार गुप्ता एवं श्री एल0पी0यादव, श्री इस्तिखार हसन, श्री एल0पी0यादव, उपस्थित आये।
उपरोक्त समस्त पत्रावलियॉं सहारा क्रेडिट से संबंधित हैं। परिवाद संख्या-656/2022 मो0 युसुफ बनाम सहारा क्रेडिट। लीडिंग पत्रावली रहेगी। समस्त पत्रावलियों का निस्तारण एक साथ किया जा रहा है।
सहारा क्रेडिट से संबंधित पत्रावलियों के संबंध में विपक्षी अधिवक्ता द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनॉंकित 29 मार्च 2023 का सन्दर्भ दाखिल किया गया। मैंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश Pinak Pani Mohanty Versus Union of India and Ors. जरिए मिनिस्ट्री ऑफ कारपोरेशन में पारित आदेश आई.ए.नम्बर 56308/2023 रिट पिटीशन (सी) 191/2022 दिनॉंकित 29.03.2023 का अवलोकन किया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उक्त आदेश में यह कथन किया गया कि सहारा ग्रुप कोआपरेटिव सोसाइटी के तहत जिन लोगों ने पैसा जमा किया था वह पब्लिक के इन्ट्रेस्ट के लिये उसे प्राप्त करने के अधिकारी हैं। इस सापेक्ष में यह कहा गया कि-(i) Out of the total amount of Rs. 24,979.67.00 Crores lying in the “Sahara-SEBI Refund Account”, Rs. 5000.00 Crores be transferred to the Central Registrar of Cooperative Societies, Who, in turn, shall disburse the same against the legitimate dues of the depositors of the Sahara Group of Cooperative Societies, which shall be paid to the genuine depositors in the most transparent manner and on proper identification and on submitting proof of their deposits and proof of their claims and to be deposited in their respective bank accounts directly.
(ii) The disbursement shall be supervised and monitored by justice R. Subhash Reddy, Former Judge of this Court with the able assistance of Shri Gaurav Agarwal, learned advocate, who is appointed as Amicus Curiae to assist Justice R. Subhash Reddy as well as the Central Registrar of Cooperative Societies in disbursing the amount to the genuine depositors of the Sahara Group of Cooperative Societies. The manner and modalities for making the payment is to be worked out by the Central Registrar of Cooperative Societies in consultation with Justice R. Subhash Reddy, Former Judge of this Court and Sri Gaurav Agarwal, learned Advocate. और इसके अवलोकन से विदित है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सेबी को निर्देश दिया गया कि 5,000.00 करोड़ रूपये स्थानान्तरित करते हुए राष्ट्रीय कोआपरेटिव सोसाइटी को अदा करे जो कि वास्तव में जिनका पैसा सहारा क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी का बकाया है उसे एक पारदर्शिता के तहत उनके द्वारा जमा की गयी धनराशि को सत्यापन करके उनके बैंक के खाते में पैसा सीधे दिया जाये और इस प्रकार अब वर्तमान में माननीय सर्वोच्च न्यायाल के आदेश के सापेक्ष में उपभोक्ता फोरम को निर्णय करने का कोई औचित्य नहीं रह गया है। प्रकरण मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निस्तारित किया जा चुका है।
परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि इस न्यायालय को सुनवाई का क्षेत्राधिकार है और कुछ लोगों ने यह कहा कि उस निर्णय के तहत मात्र 10,000.00 रूपये का भुगतान हो रहा है, जो कि मेरी धनराशि से कम है और मेरा पैसा ज्यादा है।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश Pinak Pani Mohanty Versus Union of India and Ors. सूप्रा के तह माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सहारा क्रेडिट ऑफ सोसाइटी में जिन व्यक्तियों ने पैसा लगाया था उनको भुगतान किये जाने हेतु सीधे व्यवस्था बैंक में किये जाने के लिये कहा गया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि सेन्ट्रल रजिस्ट्रार ऑफ को-आपरेटिव सोसाइटी को निर्देश दिया गया कि वह इन पैसों का भुगतान करेगा। जो कि जसप्रीत आर रेड्डी माननीय सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व जज एवं गौरव अग्रवाल के विचार-विमर्श करके भुगतान किया जाए। अर्थात सेन्ट्रल रजिस्ट्रार ऑफ को-आपरेटिव सोसाइटी को भुगतान किये जाने के लिये 5,000.00 करोड़ रूपये सेवी से देने का आदेश किया गया है और उक्त पैसों का भुगतान सीधे योजना धारक के बैंक खाते में जाना है।
विपक्षी द्वारा भारत का गजट 20 जून 2023 पर यह कहा गया कि सहारा ग्रुप समिति, सहारा क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड लखनऊ, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड, भोपाल, हमार इंडिया क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, कोलकत्ता और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, हैदराबाद के जमाकर्ताओं के वैध बकाए के संवितरण के लिये आवेदनों पर कार्य करने के दौरान उनके स्वैच्छिक आधार पर स्टॉकहोल्डिंग डाक्यूमेंट मैनेजमेंट सर्विसेज लि0 द्वारा विकसित की जा रही ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से हॉ/नहीं या/ और e-kyc अधिप्रमाणन सुविधा का उपयोग कर आधार अधिप्रमाणन करने के लिये अधिसूचित किया जाता है। इसके बारे में शासनादेश निर्गत हुआ। इसके परिशीलन से विदित है कि सहारा समूह क्रेडिट समिति में सहारा ग्रुप कोआपरेटिस सोसाइटी लिमिटेड, लखनऊ हमारा इंडिया कोआपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के प्रकरण को जो कि वर्तमान में लम्बित है को जोड़ते हुए जमा कर दिया, के वैध बकाये के वितरण के लिये आवेदनों का कार्य करने के दौरान उनका स्वैच्छिक आधार पर स्टाकहोल्डिंग द्वारा एक ऑन लाइन पोर्टल विकसित की जा रही है, के माध्यम से हॉं/नहीं या इलेक्ट्रानिक kyc के अधिप्रमाणन सुविधा भी उन्होनें मुहैया की है। अर्थात इस गजट के माध्यम से पैसे का भुगतान जिस प्रकार से किया जायेगा का उल्लेख भारत सरकार द्वारा किया गया है।
विपक्षी द्वारा Ms. Anjana Abraham Chembethil, Mutholapura P.O. Versus The Managing Director, The Koothattukulam Farmers Service Co. Revision Petition No. 4871/2012 निर्णय दिनॉंकित 02 सितम्बर 2013 का संदर्भ दाखिल किया गया है जिसमें यह कहा गया कि कोआपरेटिव सोसाइटी उपभोक्ता फोरम में कौन-कौन से वाद आयेगें जिसमें यह कहा गया कि मानेटरी डिस्प्ूयट और आरबीट्रेशन कोर्ट या रजिस्ट्रार वैसे में डिस्प्यूट का निस्तारण कर सकते हैं। अन्य कोई अधिकारी नहीं है। अर्थात कोई भी आर्थिक या धन से संबंधित विवाद होगा वह रजिस्ट्रार सोसाइटी को अधिकृत किया गया है और माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में भी सेन्ट्रल कोआपरेटिव सोसाइटी को अधिकार दिया गया है। अत: धन से संबंधित जितने भी विवाद होगें वह इस कोआपरेटिव सोसाइटी द्वारा निस्तारित किये जायेगें।
उपरोक्त समस्त पत्रावलियों में धनराशि से संबंधित विवाद होना पाया गया अत: ये सभी सोसाइटी के तहत आयेगें।
विपक्षी अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि उच्च न्यायालय द्वारा Umesh Kumar Vishwakarma Vs. State Of U.P. and 3 others writ c no. 3827/2023 का सन्दर्भ दाखिल किया गया है जो दिनॉंक 10.04.2023 को निर्णीत हुआ है जिसमें माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा यह कहा गया कि-Since in paragraph no. 11 of the Counter Affidavit filed by respondent No. 4, it has been stated that Saharayan Universal Multipupose Society Ltd. belongs to sahara Group and under direction of Hon’ble Supreme Court a sum of Rs. 5000.00 crores have been transferred to the Central Registrar Cooperative Society for disbursement of legitimate dues of Sahara Group of Cooperative Societies, therefore, it would be appropriate that the petitioner may approach the Central Registrar of Cooperative Society or to Amicus Curiae recommended by the Hon’ble Supreme Court for the payment of his maturity amount. अर्थात सेन्ट्रल रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसाइटी के मार्फत से पैसा प्राप्त किया जा सकता है अन्य कोई विकल्प नहीं है।
विपक्षी द्वारा माननीय राज्य आयोग द्वारा पारित आदेश श्रीमती सोनी सिन्हा बनाम मै0 सहारा क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी लिमि0 व अन्य परिवाद संख्या 81/2022 निर्णय दिनॉंकित- 29 मार्च 2023 का संदर्भ दाखिल किया गया है जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा यह आदेश पारित किया गया है कि सेन्ट्रल रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसाइटी के समक्ष 04 सप्ताह की अवधि के अन्दर माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का समुचित अनुपालन करते हुए परिवादी धनराशि व ब्याज प्राप्त कर सकता है।
श्रीमती किरन सिंह एवं अन्य बनाम सहारा क्रेडिट कोआपेटिव सोसाइटी लिमि0 निर्णय दिनॉंकित 27 अप्रैल 2023 का सन्दर्भ दाखिल किया गया। माननीय राज्य आयोग द्वारा पारित निर्णय का ससम्मानपूर्वक अवलोकन किया जिसमें परिवादी का परिवाद अन्तिम रूप से निस्तारित किया जाता है। विपक्षी द्वारा मा0 उच्चतम न्यायालय के आदेश का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित न किये जाने पर विपक्षी के विरूद्ध हर्जाना हेतु परिवादी विधि के अनुसार प्रार्थना पत्र सक्षम न्यायालय/अधिकारी के सम्मुख प्रस्तुत कर सकता है। सेन्ट्रल सोसाइटी का तस्करा किया गया है।
श्रीमती मंगरा देवी अपील संख्या 901/2019 में पारित आदेश जिसमें सहारा अपीलार्थी थे को माननीय राज्य आयोग द्वारा उक्त चारों अपीलों को स्वीकार किया गया है क्योंकि इसमें सहारा द्वारा अपील की गयी थी और यह निर्णय दिया गया कि कोआपरेटिव सोसाइटी एक्ट के अन्तर्गत नियुक्त रजिस्ट्रार के समक्ष विवाद के निस्तारण के लिये कार्यवाही कर सकते हैं। और उनके द्वारा जो 25,000-25,000/-रूपये अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थीगण को एक माह में विधि के अनुसार वापस कर दी गयी है।
अपील संख्या 900/2019 सहारा क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी लि0 व अन्य बनाम श्री अनिल कुमार सिंह व अन्य माननीय राज्य आयोग लखनऊ का भी आदेश विपक्षी द्वारा दाखिल किया गया है जिसमें यह लिखा गया है कि परिवादी विधि के अनुसार प्रार्थना पत्र सक्षम अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है।
उपरोक्त विधि व्यवस्थाओं के सापेक्ष में यह स्पष्ट हो गया है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुप्रा में पारित आदेश के सापेक्ष के तहत पॉंच हजार करोड़ रूपये की धनराशि निर्गत की गयी है वह परिवादीगण नियमानुसार शासनादेश के अनुसार अपनायी गयी प्रक्रिया के तहत ही पैसा प्राप्त कर सकते है।
उपरोक्त प्रकरणों में कुछ इजराए वाद भी सम्मिलित हैं। इजराए वाद का अभिप्राय यह है कि इसमें राज्य आयोग द्वारा कोई आदेश पारित किया गया । उन प्रकरणों में यह लागू है या नहीं। अपील संख्या 901/2019 सहारा क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी बनाम गंगा देवी जिसमें सहारायान अपील राज्य आयोग में की गयी थी। अर्थात इसके अतिरिक्त विपक्षी के पक्ष में इस न्यायालय द्वारा कुछ न कुछ पैसे के भुगतान के संबंध में आदेश पारित किया गया है और इजराए वाद में वह आदेश का क्रियान्वयन किया जा रहा है। उनकी अपील को भी माननीय राज्य आयोग ने स्वीकार कर लिया है। यह निर्देशित किया गया कि कोआपरेटिव सोसाइटी के सम्मुख जो भी हो वह धनराशि प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार मा0 राज्य आयोग के उपरोक्त निर्देश के तहत किसी भी धनराशि का भुगतान मा0 सर्वोच्च न्यायालय से आदेश के बाद उपरोक्त दिशानिर्देश के अपनायी गयी प्रक्रिया के माध्यम से सेन्ट्रल रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसाइटी लिमि0 से प्राप्त किया जा सकता है।
इस प्रकार यह इजराए वाद में भी लम्बित है अत: विपक्षीगण के तर्कों से मैं सहमत हॅूं कि इन सभी प्रकरणों का निस्तारण का क्षेत्राधिकार वर्तमान में इस न्यायालय को नहीं रह गया है। अत: समस्त पत्रावलियॉ मा0 सर्वोच्च न्यालय के क्षेत्राधिकार के आदेश के तहत संधारणीय नहीं हैं और निरस्त किये जाने योग्य है और यह समस्त पत्रावलियॉं तदनुसार निरस्त की जाती हैं। तदनुसार उपरोक्त पत्रावलियॉं दाखिल दफ्तर हों।
कार्यालय को निर्देशित किया जाता है कि लीडिंग पत्रावली परिवाद संख्या-656/2022 मो0 युसूफ बनाम सहारा क्रेडिट के अलावा उक्त से संबंधित समस्त पत्रावलियों में एक-एक निर्णय की प्रतिलिपि रखी जाए और पक्षकारों को निशुल्क उपलब्ध करायी जाए। परिवादीगण द्वारा दाखिल इस आयोग में व्यतीत समय की गणना अग्रेतर कार्यवाही के लिये नहीं की जायेगी।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।