Uttar Pradesh

Faizabad

CC/296/2013

Shaur Pathak - Complainant(s)

Versus

Sagar Telicom - Opp.Party(s)

08 Feb 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/296/2013
 
1. Shaur Pathak
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Sagar Telicom
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद । 
        
        
    

़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़                     ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल अध्यक्ष

                            (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
                            (3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य


               परिवाद सं0-296/2013

    शौर्य पाठक नाबालिग संरक्षक लाल जी पाठक पिता स्वयं मकान नं0-7/7/46/2     लालबाग परगना हवेली अवध तहसील सदर जिला फैजाबाद    .................... परिवादी

                    बनाम

1-    प्रो0 सागर टेलीकाम फतेहगंज चैराहा (सागर होटल के बगल) परगना हवेली अवध तहसील सदर जिला फैजाबाद।    
2-    प्रबन्धक लावा इण्टर नेशनल लिमिटेड ए-56 सेक्टर-64 नोयडा 201301 यू0पी0 (इण्डिया)                              ................. विपक्षीगण

    निर्णय दि0 08.02.2016
                                                             

                  निर्णय

उद्घोषित द्वाराः-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष


    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध मूलधन व क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु योजित किया है।

    

 


                    (  2  )

    संक्षेप में परिवादी का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी ने एक मोबाइल सेट लाावा-ए.आर.सी.-8सी विपक्षी सं0-1 की दूकान से खरीदा था। परिवादी ने उक्त मोबाइल अपने नाबालिग लड़के शौर्य के नाम खरीदा था। मोबाइल खरीदते समय परिवादी ने मोबाइल की रसीद विपक्षी सं0-1 के दुकान से प्राप्त किया। रसीद सं0-5342 दि0 05.10.2013 पर विपक्षी ने मु0 2,150=00 में उक्त मोबाइल बेचा और हस्ताक्षरित मूल रसीद दिया। उक्त मोबाइल मु0 1,999=00 का पूरे भारत में है। सभी टैक्सों सहित उसकी कीमत कम्पनी द्वारा निर्धारित कर दी गयी है। उक्त मोबाइल मोनोग्राफ सहित विपक्षी सं0-1 की दुकान पर लाया और विपक्षी सं0-1 से कहा कि आपने ज्यादा रूपया क्यों लिया तब वे अमादा फौजदारी हुआ और परिवादी को दुकान के नीचे ढकेल दिया और कहा कि दुनिया लूट रही है तो नहीं बोलोगे और मैंने डेढ़ दो सौ रूपये ले लिया तो बहुत हल्ला मचा रहे हो। जाओ जो करना हो कर लो।

    विपक्षी सं0-1 को रजिस्टर्ड नोटिस जारी की गयी है, परन्तु उसकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही अपना जवाब प्रेषित किया है। 

    विपक्षी सं0-2 ने अपने जवाब में कहा कि विपक्षी सं0-1 द्वारा मोबाइल की निर्धारित कीमत से अधिक कीमत ली गयी है इसलिए विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध परिवाद पोषणीय नहीं है। यदि विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी से मोबाइल की अधिक कीमत ली गयी है तो इससे विपक्षी सं0-2 का कोई लेना देना नहीं है न ही विपक्षी सं0-2 की इसमें कोई कमी या गलती है विपक्षी सं0-2 द्वारा परिवादी को दी जाने वाली सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवाद दाखिल करने से पूर्व कोई शिकायत विपक्षीगण से नहीं की। न ही कोई नोटिस आदि भेजी गयी बल्कि झूठी व मनगढ़न्त कहानी के आधार पर परिवादी ने विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध तुच्छ परिवाद प्रस्तुत करके अनावश्यक मुकदमेंबाजी में फंसाकर विपक्षी सं0-2 से अवैधानिक तरीके से धन ऐंठने का प्रयास किया है। 

    मैं परिवाद में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। परिवादी ने विपक्षी से एक सेट मोबाइल लावा-ए.आर.सी.-8सी मु0 2,150=00 में क्रय किया। रसीद की छायाप्रति  दाखिल  है।  जबकि  मोबाइल  सेट की कीमत मोनोग्राम के अनुसार मु0 

 

 

                    (  3  )

1,999=00 सम्पूर्ण टैक्स सहित अंकित है। बिक्रेता अपने ग्राहक को उतने ही रूपये में किसी सामान को बेच सकता है जितना उसका मूल्य टैक्स सहित हो उससे अधिक पैसा नहीं ले सकता। इस परिवाद में मु0 1,999=00 के स्थान पर परिवादी से विपक्षी ने मु0 151=00 ज्यादा लिया है। यह सेवा में कमी के श्रेणी में आता है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध अंशतः स्वीकार तथा अंशतः खारिज किये जाने योग्य है। 

                             आदेश    


            परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध अंशतः स्वीकार तथा अंशतः खारिज किया जाता है। परिवादी का परिवाद विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध खारिज किया जाता है। परिवादी विपक्षी सं0-1 से मु0 151=00 अतिरिक्त धनराशि मोबाइल की तथा मु0 500=00 वाद व्यय तथा मु0 500=00 मानसिक क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है। विपक्षी सं0-1 परिवादी को उपरोक्त समस्त धनराशि निर्णय एवं आदेश की तिथि से एक माह के अन्दर अदा करे। यदि उक्त दिये गये समय के अन्दर विपक्षी उक्त धनराशि परिवादी को अदा नहीं करता है तो मु0 151=00 की धनराशि पर 12 प्रतिशत सालाना साधारण ब्याज परिवाद योजित करने की तिथि से तारोज वसूली देय होगा।

 

   (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)              
            सदस्य                  सदस्या                     अध्यक्ष     
     
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 08.02.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया  गया।
    

        (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)           
      सदस्य                   सदस्या                     अध्यक्ष    

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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