जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-108/2011
गंगाराम आयु लगभग 50 वर्श पुत्र श्री ओरौनी निवासी ग्राम सराय रघुनाथ परगना पष्चिमराठ तहसील बीकापुर जिला फैजाबाद। .............. परिवादी
बनाम
सचिव साधन सहकारी समिति लि0 यादवपुर परगना पष्चिमराठ तहसील बीकापुर जिला फैजाबाद। .............. प्रतिवादी/विपक्षी
निर्णय दिनाॅंक 16.06.2015
उद्घोषित द्वारा: श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य।
निर्णय
परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी विपक्षी समिति का सदस्य है। विपक्षी समिति अपने सदस्यों को खाद उपलब्ध कराती है और रुपया न रहने पर उधार भी खाद दी जाती है और विपक्षी द्वारा दी गयी पास बुक में धनराषि अंकित की जाती है। परिवादी ने जो भी खाद ली थी उसका पूरा बकाया दिनांक 17.01.2009 को जमा कर दिया था उसके बाद परिवादी ने कोई खाद उधार नहीं ली। विपक्षी ने परिवादी से चेक बुक मांगी और कहा कि एक अन्य सुविधा दी जायेगी तो परिवादी ने विष्वास कर के विपक्षी को चेक बुक दे दी जिस पर विपक्षी ने धोखा धड़ी से परिवादी के हस्ताक्षर बनवा लिये। परिवादी कानून कायदे से अनभिज्ञ है जिसका लाभ विपक्षी ने उठाया। विपक्षी ने उक्त चेक पर दिनांक 11.11.2009 की तारीख डाल कर 13 बोरी यूरिया तथा 2 बोरी डी0ए0पी0 जिसका मूल्य रुपये 3,978/- था लिख कर अवैध उगाही करने की नीयत से बकाया दिखा कर दिनांक 05-07-2010 को ब्याज लगा कर रुपये 4,098/- का वसूली नोटिस भेज दिया जिसमें हिदायत दी गयी कि परिवादी को प्रथम नोटिस दिनांक 01.10.2009 को देने के बावजूद समिति का ऋण अदा नहीं किया है। नोटिस देने के पूर्व परिवादी को न तो कोई जानकारी दी गयी और न ही कोई बकाया बताया गया। विपक्षी ने परिवादी को गलत नोटिस भेज कर परिवादी को गुमराह किया तो परिवदी ने जनसूचना मंे प्रार्थना पत्र दिया जिसका कोई उत्तर विपक्षी ने नहीं दिया। परिवादी ने विपक्षी को एक विधिक नोटिस भी दिया जिसका कोई उत्तर न मिलन पर परिवादी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादी को विपक्षी से क्षतिपूर्ति रुपये 60,000/- तथा 18 प्रतिषत ब्याज दिलाया जाय।
विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा एक प्रार्थना पत्र परिवादी के परिवाद को ग्राह्यता के बिन्दु पर भी दिया है। विपक्षी ने परिवादी को अपना सदस्य होना स्वीकार किया है तथा यह भी स्वीकार किया है कि परिवादी ने दिनांक 17.01.2009 को अपना बकाया जमा कर दिया था। किन्तु उसके बाद दिनांक 11.11.2009 को 13 बोरी यूरिया व 2 बोरी डी0ए0पी0 खाद लिया था जिसके बदले परिवादी ने अपना हस्ताक्षर युक्त एक चेक विपक्षी को दिया था। परिवादी ने जिस अन्य सुविधा का जिक्र अपने परिवाद में किया है उसने स्पश्ट नहीं किया है कि वह किस प्रकार की सुविधा थी। उत्तरदाता ने परिवादी से किसी चेक पर कोई हस्ताक्षर नहीं कराया है। यदि परिवादी को इस बात की जानकारी थी तो परिवादी को उत्तरदाता के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखानी चाहिए थी। परिवादी का लड़का पवन कुमार पेषे से वकील है अतः परिवादी का यह कहना कि वह कानून से अनभिज्ञ है गलत है। परिवादी ने रुपये 3,978/- जमा नहीं किये हैं इस पर ब्याज जोड़ कर रुपये 4,098/- की वसूली नोटिस परिवादी को जारी की गयी थी लेकिन नोटिस प्राप्त होने के बाद भी परिवादी ने ऋण की अदायगी नहीं की। परिवादी का यह कथन कि उसने समिति से कोई खाद नहीं ली पूर्णतया गलत व निराधार है। परिवादी ने दिनांक 11.11.2009 का चेक दे कर खाद ली है। परिवादी ने जन सूचना में जो सूचना मंागी वह उसे, उसके पुत्र व उसके अधिवक्ता को तीन बार स्पश्ट ब्यौरे के साथ उत्तर दिया जा चुका है, जिसका उल्लेख परिवादी ने अपने परिवाद में नहीं किया है। परिवादी ने उत्तरदाता को कोई नोटिस नहीं भेजी है। परिवादी ने अपना परिवाद अनावष्यक रुप से दाखिल किया है। परिवादी का परिवाद सहकारी समिति अधिनियम की धारा 111 ग व धारा 70 से बाधित है। फोरम को परिवादी के परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। इसलिये परिवादी का परिवाद मय हर्जे खर्चे विषेश के खारिज किये जाने योग्य है।
परिवादी एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्तागणों की बहस को सुना एवं पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन मंे अपना षपथ पत्र, सूची पर वसूली प्रपत्र व लेन देन के प्रारुप की छाया प्रति तथा मूल पास बुक, परिवादी के मांग पत्र दिनांक 11.11.2009 की छाया प्रति जिसमें परिवादी के हस्ताक्षर हैं, परिवादी के जनसूचना प्रार्थना पत्र दिनांक 25-04-2011 की छाया प्रति, परिवादी द्वारा सूची पर दाखिल विपक्षी के जनसूचना के पत्र दिनांक 01.01.2011 की कार्बन प्रति, परिवादी के मांग पत्र दिनांक 11-11-2009 की छाया प्रति, परिवादी के पत्र दिनांक 22.01.2011 के उत्तर में विपक्षी के पत्र दिनांक 22.02.2011 की छाया प्रति, विपक्षी के पत्र दिनांक 30.05.2011 की छाया प्रति, परिवादी के लेजर दिनांक 11.11.2009 की प्रमाणित छाया प्रति द्वारा विपक्षी, परिवादी की जमा प्राप्ति की रसीद दिनंाक 17-01-2009 की मूल प्रति, वसूली प्रपत्र की मूल प्रति दिनांक 05.02.2010, परिवादी का साक्ष्य मंे षपथ पत्र, परिवादी के पक्ष के समर्थन में पवन कुमार पुत्र गंगाराम का षपथ पत्र, परिवादी के पक्ष के समर्थन मंे नन्द लाल पुत्र स्व0 राम प्रसाद निवासी ग्राम वासी का षपथ पत्र तथा परिवादी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की है जो षामिल पत्रावली है। विपक्षी ने अपने पक्ष के समर्थन मंे अपना लिखित कथन, परिवादी के परिवाद के ग्राह्यता के बिन्दु पर दिया गया प्रार्थना पत्र तथा विपक्षी के सचिव साधन सहकारी समिति सूर्यलाल सोनी पुत्र अयोध्या प्रसाद सोनी का षपथ पत्र दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। परिवादी एवं विपक्षी द्वारा दाखिल प्रपत्रों से प्रमाणित है कि परिवादी ने विपक्षी से खाद ली थी जिसका बकाया था और विपक्षी ने परिवादी को दो नोटिस भेजे थे फिर भी परिवादी ने अपना बकाया जमा नहीं किया था। परिवादी का यह कथन कि वह कानून की जानकारी नहीं रखता है उसे ऋण के बकाये से बरी नहीं कर सकता और न ही उसको कानून की जानकारी न होने का कोई लाभ ही मिल सकता है। परिवादी के परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार भी फोरम को नहीं है। क्यों कि सहकारी समिति अधिनियम की धारा 111 व 70 से परिवादी का परिवाद बाधित है। परिवादी का परिवाद ऋण का भुगतान न करने एवं सहकारी समिति अधिनियम की धाराओं से बाधित होने के आधार पर खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 16.06.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष