Usha Sharma filed a consumer case on 08 Jan 2016 against Sachiv, Nagar Vikas Nyas in the Kota Consumer Court. The case no is CC/146/2010 and the judgment uploaded on 12 Jan 2016.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
01. प्रकरण संख्या- 146/10
श्रीमति ऊषा शर्मा पत्नी खेमचंद शर्मा आयु 48 साल, जाति ब्राहमण निवासी बी.सी.सी. लाइन, क्वार्टर नम्बर 32/2, एम.ई.एस. कोटा हाल निवासी हाल क्वाटर नं. 5/4, उम्मेद पेलेस के पास एम.ई.एस. काॅलोनी, कोटा, राजस्थान। -परिवादिया।
बनाम
01. सचिव, नगर विकास न्यास, कोटा सी.ए.डी. सर्किल, कोटा, राजस्थान।
02. राज्य सरकार जर्ये जिलाधीश, कोटा, राजस्थान।
03. मोहम्मद आरिफ पुत्र मोजम अली, जाति मुसलमान, निवासी ग्राम चेचट तहसील
रामगंजमंडी, जिला कोटा, राजस्थान। -विपक्षीगण
02. प्रकरण संख्या 148/10
खेम चंद शर्मा पुत्र रामचरण शर्मा जाति ब्राहमण निवासी बी.सी.सी. लाइन, क्वार्टर नम्बर 32/2, एम.ई.एस. कोटा हाल निवासी हाल क्वाटर नं. 5/4, उम्मेद पेलेस के पास एम.ईएस. काॅलोनी, कोटा, राजस्थान। - परिवादी
बनाम
01. सचिव, नगर विकास न्यास, कोटा सी.ए.डी. सर्किल, कोटा, राजस्थान।
02. राज्य सरकार जर्ये जिलाधीश, कोटा, राजस्थान।
03. मोहम्मद आरिफ पुत्र मोजम अली, जाति मुसलमान, निवासी ग्राम चेचट तहसील
रामगंजमंडी, जिला कोटा, राजस्थान। -विपक्षीगण
समक्ष
भगवान दास - अध्यक्ष
हेमलता भार्गव - सदस्य
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1 श्री राकेश कुमार शर्मा, अधिवक्ता, दोनो परिवादों में परिवादी की ओर से।
2 श्री गुलाब सिंह, अधिवक्ता, दोनो परिवादो में विपक्षी सं. 1 व 2 की ओर से।
3. श्री अतुल वशिष्ठ, अधिवक्ता, दोनो परिवादों में विपक्षी स. 3 की ओर से ।
निर्णय दिनांक 08.01.16
उक्त दोनों परिवाद में पक्षकार समान है एवं विवादित बिन्दु भी समान है, इसलिये इनका एक साथ इस आदेश से निस्तारण किया जा रहा है।
संक्षेप में परिवाद संख्या 146/10 के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादिया ने प्लाट स. 137-ए वाके ग्राम रामपुरा, खसरा नं. 615 कालोनी केसरबाग ग्रामीण पुलिस लाईन (बोरखेडा) बारां रोड, कोटा जरिये इकरारनामा 25.09.84 को खातेदार नफीसा बाई से खरीदा था उस पर बाउन्ड्रीवाल करा कर गेट लगाया तभी से उसका कब्जा है। विपक्षी स.ं 1 को उक्त भूखंड का रूपान्तरण करने हेतु आवश्यक दस्तावेजात सहित आवेदन-पत्र प्रस्तुत किया व इस पेटे कुल राशि 12,045/- रूपये भी अदा किये । दिनांक 09.03.10 को विपक्षी सं. 1 ने उक्त भूखंड का पट्टा इस आधार पर देने से इंकार कर दिया कि पूर्व में ही उसका पट्टा अन्य व्यक्ति को दिया जा चुका है। इस प्रकार विपक्षी सं. 1 के कर्मचारियों ने अन्य व्यक्ति से मिली भगत करके फर्जी एवं कूट रचित दस्तावेजात के आधार उसके प्लाट का पट्टा जारी कर दिया जो कि उनका सेवादोष है। विपक्षी सं. 1 व 2 को बार-बार आवेदन-पत्र दिये गये, कानूनी नोटिस भेजे गये इसके बावजूद विपक्षी सं. 1 ने परिवादिया के पक्ष में उसके प्लाट का पट्टा जारी नहीं किया, जिससे उसे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ शारीरिक कष्ट व मानसिक संताप हुआ।
परिवाद संख्या 148/10 के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने भूखंड सं. 137-बी व 138 वाके ग्राम रामपुरा, खसरा नं. 615 कालोनी केसरबाग ग्रामीण पुलिस लाईन (बोरखेडा) बारां रोड, कोटा जरिये इकरारनामा दिनांक 09.05.90 एवं 25.09.84 को श्रीमति धनवंती देवी से खरीदे थे, उसने भूखंड खातेदार श्रीमति नफीसा बाई से खरीदे थे। उक्त भूखंडों पर बावन्ड्रीवाल बनाकर गेट लगाये है तभी से उसका कब्जा है। भूमि रूपान्तरण हेतु विपक्षी सं. 1 को आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन-पत्र प्रस्तुत किया था, जिसके पेटे राशि भी जमा कराई थी। दिनांक 09.03.10 को विपक्षी सं. 1 के कर्मचारियों ने उक्त भूखंडों के पट्टे देने से इस आधार पर इंकार कर दिया कि उनके पट्टे अन्य व्यक्ति को जारी किये जा चुके है। विपक्षी सं.1 के कर्मचारियों ने अन्य व्यक्ति से मिली भगत करके फर्जी एवं कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर परिवादी के उक्त भूखंडों के पट्टे अन्य व्यक्ति को जारी करके गंभीर लापरवाही व कर्तव्य में उपेक्षा की है, जिससे परिवादी को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ शारीरिक व मानसिक पीडा भी हुई है। विपक्षी सं. 1 व 2 को बार-बार आवेदन-पत्र दिये गये, कानूनी नोटिस भेजे गये, इसके बावजूद उक्त प्लाटों के पट्टे उसके पक्ष में जारी नहीं किये गये।
दोनों परिवादों में विपक्षी सं. 1 व 2 की ओर से प्रस्तुत जवाब का सार है कि जिन भूखंडों के पट्टे परिवादीगण द्वारा चाहे गये उनके पट्टे सार्वजनिक विज्ञप्ति जारी करके आपत्ति प्राप्त नहीं होने की स्थिति में दिनांक 09.05.08 को ही मोहम्मद आरिफ पुत्र मोजम अली को जारी कर दिये गये थे, जिनकी जानकारी परिवादीगण को दे दी गई। परिवादीगण द्वारा सक्षम न्यायालय में ही कार्यवाही की जानी चाहिये थी तथा मंच में परिवाद चलने योग्य नहीं है। उनके द्वारा सेवामें कोई कमी नहीं की गई है।
दोनों परिवादों में विपक्षी सं. 3 के जवाब का सार है कि विवादित भूखंडों पर खरीद के समय से उसका कब्जा है। उसको पट्टे भी नगर विकास न्यास कोटा ने उसके पक्ष में जारी कर रखे है। उसने परिवादीगण के विरूद्ध सिविल न्यायाधीश, दक्षिण कोटा में दीवानी वाद प्रस्तुत कर रखा है जो विचाराधीन है । उसे अनावश्यक पक्षकार बनाया गया। उसके विरूद्ध परिवाद चलने योग्य नहीं है।
दोनों परिवादों में परिवादीगण ने साक्ष्य में अपने-अपने शपथ-पत्र के अलावा विवादित भूखंडों से संबंधित इकरारनामा, रेवेन्यू दस्तावेेजात विपक्षी सं. 1 को भू रूपान्तरण हेतु अदा की गई राशि की रसीदें, उनको प्रस्तुत किये गये आवेदन-पत्र, प्रेषित कानूनी नोटिस, एफ.आई.आर. सं. 253/10, पुलिस थाना नयापुरा कोटा व उसमें पुलिस के द्वारा अनुसंधान के उपरान्त प्रस्तुत की गई चार्जशीट एवं न्यायालय ए.सी.जे.एम.-6 में प्रकरण संख्या 368/11 की आदेशिकाऐं व न्यायालय ए.सी.जे.एम.-1 कोटा के प्रकरण सं. 305/12 की आदेशिकाऐं व उसमें लेखबद्ध हुये बयानात आदि दस्तावेजों की प्रतिया प्रस्तुत की है।
विपक्षी सं. 1 व 2 ने दोनों प्रकरणों में साक्ष्य में कोई शपथ-पत्र अथवा दस्तावेजात प्रस्तुत नहीं किये है।
विपक्षी सं. 3 की ओर से साक्ष्य में रेशमा का शपथ-पत्र एवं विवादित भूखंडों से संबंधित आवेदन-पत्र, पट्टे आदि के दस्तावेजात प्रस्तुत किये गये।
हमने दोनों पक्षों की बहस सुनी। पत्रावलियों का अवलोकन किया गया।
स्वयं परिवादीगण के अनुसार विवादित भूखंडों के कूट रचित दस्तावेजात के आधार पर विपक्षी सं. 3 के पक्ष में विपक्षी सं. 1 द्वारा जारी किये गये पट्टों के संबंध में उन्होने पुलिस में रिपोर्ट की उसमें अनुसंधान के उपरान्त पुलिस ने सक्षम न्यायालय में आपराधिक कार्यवाही हेतु चार्जशीट प्रस्तुत की जिसके आधार पर सक्षम दांडिक न्यायालय में कार्यवाही चल रही है। विपक्षी सं. 3 के अनुसार इन विवादित भूखंडों के संबंध में सक्षम दीवानी न्यायालय मे भी कार्यवाही चल रही है।
इस प्रकार हम पाते है कि विवादित भूखंडों के संबंध मे पूर्व में विपक्षी सं. 1 द्वारा पट्टे सही जारी किये गये है अथवा नहीं, इस संबंध में सक्षम न्यायालयों में दीवानी एवं दांडिक कार्यवाही लंबित है। विवाद के निस्तारण हेतु जटिल बिन्दु है, जिनका निस्तारण इस मंच के द्वारा नहीं किया जा सकता है क्यांेकि इस मंच की कार्यवाही संक्षिप्त प्रकृति की है। विवाद का निस्तारण सक्षम दीवानी न्यायालय के द्वारा ही पूर्ण विचारण के उपरान्त होना संभव है। ऐसी स्थिति में दोनो परिवादों का निस्तारण इस मंच द्वारा कानूनन किया जाना संभव नहीं होने से परिवाद खारिज होने योग्य है। परिवादीगण सक्षम दीवानी न्यायालय से कानूनी उपचार प्राप्त करने हेतु स्वतंत्र है। परिणामतः परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेष
परिवादीगण के परिवाद सं. 146/10 व 148/10 विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किये जाते है। पक्षकारान परिवाद खर्च अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।
(हेमलता भार्गव) ( भगवान दास)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा। मंच, कोटा।
निर्णय आज दिनंाक 08.01.16 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा। मंच, कोटा।
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