Uttar Pradesh

Mahoba

43/14

KRIN CHANDRA KHARE - Complainant(s)

Versus

SACHIV MAHAPRABANDHAK CO-OPRETIV BANK - Opp.Party(s)

G.L.PANDEY

23 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 43/14
 
1. KRIN CHANDRA KHARE
MAHOBA
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Mr. BABULAL YADAV PRESIDENT
 HON'BLE MR. SIDDHESHWAR AWASTHI MEMBER
 HON'BLE MRS. NEELA MISHRA MEMBER
 
For the Complainant:G.L.PANDEY, Advocate
For the Opp. Party: NONE, Advocate
ORDER

        समक्ष न्‍यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा

परिवाद सं0-43/2014                             उपस्थित- श्री बाबूलाल यादव अध्‍यक्ष

                                                     डा0 सिद्धेश्‍वर अवस्‍थी सदस्‍य

                                                        श्रीमती नीला मिश्रा सदस्‍य

क़ष्‍ण चंद्र खरे पुत्र स्‍व0श्री बासुदेव खरे निवासी-शेषनपुरा कस्‍बा तहसील व जिला-महोबा  परिवादी

                                       बनाम

1.सचिव/महाप्रबंधक,हमीरपुर डिस्ट्रिक कोआपरेटिव बैंक लि0शाखा महोबा तहसील व जिला महोबा।

2.संयुक्‍त निदेशक,सहकारी समितियां चित्रकूटधाम मण्‍डल बांदा जनपद बांदा         विपक्षीगण

निर्णय

श्री बाबूलाल यादव,अध्‍यक्ष द्वारा उदधोषित

      परिवादी क़ष्‍ण चंद खरे ने यह परिवाद खिलाफ विपक्षीगण सचिव/महाप्रबंधक,हमीरपुर डिस्ट्रिक कोआपरेटिव बैंक लि0शाखा-महोबा व संयुक्‍त निदेशक,सहकारी समितियां चित्रकूट धाम मण्‍डल-बांदा तहसील व जनपद-बांदा बाबत दिलाये जाने ग्रेज्‍युटी की धनराशि 3,50,000/-रू0,जमानत धनराशि 4,000/-रू0 एवं एक्‍सग्रेसिया की धनराशि 17,000/-रू0 व अन्‍य अनुतोष प्रस्‍तुत किया हैा

      संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार है कि परिवादी की नियुक्ति कैशियर के पद पर दिनांक-02.09.1968 को विपक्षी सं01 महाप्रबंधक,जिला सहकारी बैंक लि0के यहां हुई थी । परिवादी अपनी सेवा काल में अपने पदीय कर्तव्‍यों का भली-भांति निर्वाहन करता रहा है । परिवादी दिनांक:31.12.2008 को अपनी अधिवर्षता आयु 60 वर्ष पूर्ण कर ली थी तो उसे उ0प्र0सहकारी समिति कर्मचारी सेवा नियमावली 24ग के अनुसार इसी दिनांक:31.12.2008 को बैंक से सेवानिव़त्‍त कर दिया गया था । परिवादी की सेवाकाल की ग्रेज्‍युटी 3,50,000/- रू0 बनी है । यह धनराशि विपक्षीगण को परिवादी को सेवानिव़त्‍त के तुरंत बाद प्रदान कर देनी चाहिये थी लेकिन विपक्षीगण द्वारा परिवादी को ग्रेज्‍युटी की धनराशि प्रदान नहीं की गई तो परिवादी विपक्षीगण से मिला और इस संबंध में जानकारी की तो विपक्षीगण द्वारा यह बताया गया कि परिवादी के खिलाफ उ0प्र0सहकारी समिति अधिनियम-1965 की धारा-68 2 की कार्यवाही जब तक पूर्ण नहीं हो जाती उसे ग्रेज्‍युटी प्रदान नहीं की जा सकती । परिवादी ने इस संबंध में विपक्षीगण को पत्र के माध्‍यम से यह जानकारी दी कि उपरोक्‍त अधिनियम की धारा-68 2 के विरूद्ध किसी कर्मचारी के विरूद्ध कार्यवाही नहीं की जा सकती है । जिन मामलों में विपक्षीगण द्वारा परिवादी के विरूद्ध उक्‍त कार्यवाही की जा रही है उन ऋणियों को ऋण माह-अप्रैल,1989 में स्‍वीकृत किया गया है,जिनसे परिवादी का कोई वास्‍ता सरोकार नहीं है । इस प्रकार परिवादी को विपक्षीगण द्वारा जान-बूझकर परेशान किया जा रहा है । इस संबंध में कई बार सुनवाई की जा चुकी है लेकिन विपक्षीगण जान-बूझकर कोई अंतिम आदेश पारित नहीं कर रहा है । विपक्षीगण को को धारा-95 क के अंतर्गत ऋणियों के विरूद्ध कार्यवाही कर ऋण वसूल करना चाहिये । विपक्षीगण द्वारा की गई सेवा में त्रुटि एवं उत्‍पीडनात्‍मक कार्यवाही से परिवादी अत्‍यधिक तनाव में है,जिससे उसे फालिश मार गया और वह धन के आभाव में अपना इलाज नहीं करा पा रहा है । इसके अलावा परिवादी की जमानत की धनराशि 4,000/-रू0 व एक्‍सग्रेसिया की धनराशि 17,000/-रू0 प्रदान नहीं की गई । इसके अलावा परिवादी ने यह भी कहा है कि उसे पी0पी0एफ0 की की धनराशि का भुगतान 10,मई,2011 को किया गया है । इस प्रकार परिवादी 01,अप्रैल,2011से 09,मई,2011 तक का ब्‍याज नियमानुसार प्रदान कराया जाये। 

      विपक्षीगण की ओर से जबाबदावा प्रस्‍तुत किया गया है,जिसमें उन्‍होनें यह तथ्‍य स्‍वीकार किया है कि परिवादी की नियुक्ति कैशियर/असिस्‍टेंट के पद पर 02.09.1968 को की गई थी। उन्‍होंने यह भी स्‍वीकार किया है कि परिवादी दिनांक:31.12.2008 की 60 वर्ष की आयु पूरा कर के सेवानिवृत्‍त हो चुका है तथा उसकी सेवाकाल में ग्रेज्‍युटी 3,50,000/-रू0 बनती है तथा शेष अभिकथनों से इनकार करते हुये उन्‍होंने अतिरिक्‍त कथन में यह कहा है कि परिवादी को परिवाद दायर करने का अधिकार नहीं है और उसने विपक्षीगण को परेशान करने के लिये यह परिवाद दायर किया है । परिवादी के विरूद्ध धारा-68 क उ0प्र0सहकारी समिति अधिनियम-1965 के अंतर्गत कार्यवाही वर्ष 2007 में प्रारम्‍भ की गई थी जो कि अभी भी विचाराधीन है और जिसमें अंतिम निर्णय आना शेष है । परिवादी जान बूझकर धारा-68 क की कार्यवाही में सहयोग नहीं कर रहा है । परिवादी ने अपनी सेवाकाल में जो अनियमिततायें कीं हैं उसके कारण उसके विरूद्ध यह कार्यवाही चल रही है और इसी कारण उसकी ग्रेज्‍युटी का भुगतान नहीं किया जा रहा है तथा इसी आधार पर उसकी जमानत धनराशि 4,000/-रू0 व एक्‍सग्रेसिया की धनराशि 17,000/-रू0 रोक ली गई है जबकि पी0पी0एफ0 के अवशेष भुगतान 3,18,000/-रू0 व उस पर 09,मई,2011 तक का ब्‍याज मिलाकर कुल 3,18,289/-रू0 प्रदान किया जा चुका है । इस प्रकार परिवादी के विरूद्ध विपक्षीगण द्वारा कोई सेवा में त्रुटि नहीं की गई और उन्‍होंने परिवादी का परिवाद निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना की है ।

      परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्‍वयं का शपथ पत्र कागज सं04ग व 22ग/1 एवं 22ग/2 प्रस्‍तुत किया है तथा अभिलेखीय साक्ष्‍य में छायाप्रति आदेश सेवानिव़त्ति कागज सं07ग,नियुक्ति आदेश की छायाप्रति कागज सं08ग,भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी पहचान पत्र की छायाप्रति कागज सं09ग,मध्‍यम आय वर्गीय वेतनभोगी सदस्‍यों को दिये जाने वाले ऋण के संबंध में जारी परिपत्र की छायाप्रति कागज सं024ग/1 व 24ग/2,हमीरपुर जिला कोआपरेटिव बैंक द्वारा जारी विवरण पत्र की छायाप्रति कागज सं026ग व 27ग,संयुक्‍त निबंधक,सहकारी समितियां उ0प्र0 चित्रकूटधाम मण्‍डल बांदा द्वारा जारी परिपत्र की छायाप्रति कागज सं028ग/1 व 28ग/2,परिवादी के चिकित्‍सा संबंधी व्‍यय की छायाप्रतियां कागज सं0 29ग लगायत 31ग पेमेंट आफ ग्रेज्‍युटी एक्‍ट की धारा-7 की छायाप्रति कागज सं032ग तथा परिवादी के पक्ष में जारी प्रसंशा पत्र की छायाप्रति कागज सं033ग/1 लगायत 33ग/4,उपआयुक्‍त/उप निबंधक,सहकारिता द्वारा जारी पत्र की छायाप्रति कागज सं035ग/1 दाखिल की गई है ।  विपक्षीगण की ओर से अपने जबाबदावा के समर्थन में शपथ-पत्र द्वारा श्री अखिलेश कुमार कुशवाहा,उपमहाप्रबंधक 14ग/1 लगायत 14ग/3 दाखिल किया गया है । इसके अलावा अभिलेखीय साक्ष्‍य में संयुक्‍त निबंधक,सहकारी समितियां,उ0प्र0 चित्रकूटधाम मण्‍डल बांदा द्वारा जारी पत्र की छायाप्रति 18ग,अभिलेखीय पर्ची की छायाप्रति कागज सं017ग,संयुक्‍त निबंधक द्वारा परिवादी को जारी नोटिस की छायाप्रति कागज सं019ग व 20ग/1 व 20ग/2,परिवादी द्वारा सचिव/महाप्रबंधक को दिये गये पत्र की छायाप्रति 21ग,जांच आख्‍या कागज सं036ग/1 लगायत 36ग तथा इस संबंध में पारित आदेशकी छायाप्रति कागज सं037ग/2 दाखिल कीगई है।

      उभय पक्ष द्वारा लिखित बहस दाखिल की गई है,जो कि शामिल पत्रावली हैं ।

      उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को विस्‍त़त रूप से सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया ।

उभय पक्ष को यह तथ्‍य स्‍वीकार है कि परिवादी विपक्षीगण के कार्यालय से दिनांक:31;12.2008 को सेवानिवृत्‍त हुआ है और उसकी ग्रेज्‍युटी की धनराशि 3,50,000/-रू0 बनती है । इसके अलावा उसकी जमानत धनराशि 4,000/-रू0 व जमानत धनराशि 17,000/-रू0 एक्‍सग्रेसिया की धनराशि भी दी जानी है । विपक्षीगण इस धनराशि को धारा-68 2 उ0प्र0सहकारी समितियां अधिनियम-1965 के तहत कार्यवाही लंबित होने के आधार पर रूकी हुई है । दैारान बहस यह तथ्‍य भी परिवादी को स्‍वीकार है कि उसको देय पी0पी0एफ0 की धनराशि पर दिनांक:01.अप्रैल,2011 से 09,मई,2011 तक का ब्‍याज भी दिलाया जा चुका है जैसा कि कागज सं017ग से भी स्‍पष्‍ट है । परिवादी ने यह तथ्‍य भी स्‍वीकार किया है कि उसके विरूद्ध धारा-68 2 की कार्यवाही विचाराधीन है । यह तथ्‍य विपक्षीगण द्वारा दाखिल अभिलेख कागज सं021ग से साबित है । परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता की ओर से यह कहा गया है कि धारा-68 की कार्यवाही 12 वर्ष पश्‍चात नहीं चलाई जा सकती । जबकि आज 17 वर्ष के पश्‍चात उसके खिलाफ यह कार्यवाही की जा रही है । इस संबंध में विपक्षीगण द्वारा दाखिल अभिलेख कागज सं018ग से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी के विरूद्ध धारा-68 2 के अंतर्गत कार्यवाही वर्ष 2007 में प्रारम्‍भ की गई है । इतना अवश्‍य है कि यह कार्यवाही बहुत दिनों से लंबित चल रही है और इस संबंध में विपक्षीगण से त्‍वरित कार्यवाही चाही है जैसा कि मा0उच्‍चतम न्‍यायालय के तमाम निर्णयों में मत व्‍यक्‍त किया है कि किसी कर्मचारी के विरूद्ध लंबित कार्यवाही के कारण उसके देयों से उसको वंचित नहीं रखा जा सकता । इसी समस्‍त आधार पर फोरम इस मत का है कि विपक्षीगण परिवादी के विरूद्ध लंबित धारा-68 2 की कार्यवाही शीघ्रातिशीघ्र समाप्‍त करेंगे और परिवादी के संबंध में उचित निर्णय लेगें । जहां तक जिस संबंध में विधिक प्राविधान मौजूद है कि यदि किसी कर्मचारी के विरूद्ध 68 2 के अंतर्गत कार्यवाही लंबित होने के कारण ग्रेज्‍युटी की धनराशि रोकी गई है तो उसके संबंध में फोरम द्वारा पृथक से आदेश पारित किया जाना न्‍यायोचित प्रतीत नहीं होता है । 

ऐसी परिस्थितियों में यह फोरम पाता है कि परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है ।                  

आदेश

      परिवादी का परिवाद निरस्‍त किया जाता है।पक्षकार अपना-अपना परिवाद स्‍वयं वहन करेगें।

(डा0सिद्धेश्‍वर अवस्‍थी)         (श्रीमती नीला मिश्रा)               (बाबूलाल यादव)

    सदस्‍य                       सदस्‍या                        अध्‍यक्ष

जिला फोरम महोबा।            जिला फोरम महोबा।             जिला फोरम महोबा।

    28.02.2015               28.02.2015                     28.02.2015

 
 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Mr. BABULAL YADAV]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. SIDDHESHWAR AWASTHI]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. NEELA MISHRA]
MEMBER

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