Uttar Pradesh

Muradabad-II

cc/45/2014

Smt. Mukhtari Begum - Complainant(s)

Versus

S.S.P Moradabad & Others - Opp.Party(s)

02 Jan 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. cc/45/2014
 
1. Smt. Mukhtari Begum
R/0 Reserve Police Line Ho.No. 183 Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. S.S.P Moradabad & Others
Avas Vikas Pili Kothi Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादिनी ने यह उपशम मांगा है कि उसके पति की दुर्घटना में हुई मृत्‍यु के फलस्‍वरूप बीमा की शेष धनराशि 1,00,000/- रूपया विपक्षीगण से उसे दिलाई जाऐ। अधिवक्‍ता की फीस तथा क्षतिपूर्ति की मद  में 50,000/- रूपया परिवादिनी ने अतिरिक्‍त मांगा है।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति स्‍व0  महमूद बख्‍श विपक्षी सं0-1 के अधीन थाना मुगलपुरा जिला मुरादाबाद में  कान्‍सटेबिल के पद पर कार्यरत थे।  दिनांक 28/8/2009 को डयूटी के दौरान  उन्‍हें किसी व्‍यक्ति ने जहर दे दिया जिस कारण उनकी मृत्‍यु हो गई। मृत्‍यु के समय परिवादिनी के पति विपक्षी सं0-1 के माध्‍यम बीमित थे जिसके तहत साधारण मृत्‍यु होने की दशा में 1,00,000/- रूपये तथा दुर्घटना मृत्‍यु होने पर  2,00,000/- रूपया दिऐ जाने का प्रावधान था। परिवादिनी ने पति की मृत्‍यु  की एफ0आई0आर0 दिनांक 19/10/2009 को थाना मुगलपुरा में दर्ज कराई  उनका पोस्‍टमार्टम हुआ तथा विसरा सुरक्षित रखा गया। विसरा रिपोर्ट में यह  पाया गया कि स्‍व0 महमूद बख्‍श की मृत्‍यु जहर देने के कारण हुई थी। परिवादिनी के अनुसार पति की मृत्‍यु पर उसे 1,00,000।– रूपया का भुगतान किया गया है जबकि उसके पति की मृत्‍यु दुर्घटना में हुई थी। दुर्घटना मृत्‍यु की  वजह से परिवादिनी को 2,00,000/- रूपया का भुगतान होना चाहिए था।  परिवादिनी का आरोप है कि विपक्षी सं0-1 ने विपक्षी सं0-2 व 3 को गलत   रिपोर्ट भेज दी कि महमूद बख्‍श की मृत्‍यु बीमारी की वजह से हुई थी जबकि वास्‍तविकता यह है कि महमूद बख्‍श की दुर्घटना मृत्‍यु हुई थी। परिवादिनी के  अनुसार उसने विपक्षीगण को एक कानूनी नोटिस दिनांक 25/1/2014 को  भिजवाया और 1,00,000/- रूपया की मांग की, किन्‍तु विपक्षी सं0-3 ने जबाव नोटिस दिनांकित 12/2/2014 में परिवादिनी का अनुरोध स्‍वीकार करने से  इन्‍कार कर दिया। परिवादिनी का  कथन है कि उसे परिवाद में अनुरोधि‍त अनुतोष विपक्षीगण से दिलाऐ जाऐं।
  3.   परिवाद के समर्थन में परिवादिनी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0- 3/4 प्रस्‍तुत किया। सूची कागज सं0-3/5 के माध्‍यम से उसने विपक्षीगण को भेजे गऐ नोटिस दिनांकित 24/1/2014 की फोटो प्रति, विपक्षी सं0-3 की ओर से  प्राप्‍त जबाब नोटिस दिनांकित 12/4/2014, विपक्षी सं0-1 की ओर से प्राप्‍त  नोटिस का उत्‍तर, थाना मुगलपुरा की आख्‍या, असल नोटिस दिनांकित  24/1/2014, उत्‍तर  प्रदेश पुलिस कल्‍याण  हस्‍तपुस्तिक 2012, पुलिस  द्वारा परिवादिनी के पति की मृत्‍यु के मामले में न्‍यायालय में प्रेषित फाइनल रिपोर्ट तथा एक अन्‍य पुलिस कर्मी ओमकार सिंह की मृत्‍यु के फलस्‍वरूप बीमा राशि के भुगतान के सिलसिले में आर0टी0आई0 के अधीन हुऐ पत्राचार तथा  स्‍थाई लोक अदालत, मुरादाबाद द्वारा परिवादिनी के आवेदन पत्र सं0- 19/2003 पर पारित आदेश दिनांकित 31/8/2013 की नकलों को दाखिल  किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0- 3/6 लगायत 3/41 हैं।
  4.   विपक्षी सं0-1 पर नोटिस की तामील होने के बावजूद विपक्षी सं0-1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुऐ। उनकी ओर से प्रतिवाद पत्र भी  दाखिल नहीं  हुआ अत: फोरम के आदेश दिनांक 04/9/2014 के अनुपालन में परिवाद की  सुनवाई विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध एकपक्षीय की गई।
  5.   विपक्षी सं0-2 व 3 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-10/1 लगायत  10/3 दाखिल हुआ। प्रतिवाद पत्र में उत्‍तरदाता विपक्षी सं0- 2 व 3 की ओर से कहा गया कि परिवाद कालबाधित है और  फोरम को  परिवाद  की  सुनवाई  का क्षेत्राधिकर नहीं है। अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि विपक्षी सं0-1 के  कार्यालय से उत्‍तरदाता विपक्षीगण को जो प्रपत्र प्राप्‍त हुऐ थे उनमें महमूद बख्‍श की मृत्‍यु बीमारी से होना बताया गया था। उत्‍तरदाता विपक्षीगण ने  नियमानुसार परिवादिनी को 1,00,000/- रूपये का भुगतान कर दिया है।   विपक्षीगण ने यह कहते हुऐ कि परिवादिनी की ओर से प्राप्‍त कानूनी नोटिस का सही उत्‍तर उत्‍तरदाता विपक्षीगण ने परिवादिनी को दे दिया था, विपक्षीगण ने परिवादिनी को सेवाऐं देने में किसी प्रकार की कोई कमी अथवा लापरवाही  नहीं की। उक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने  की प्रार्थना की गई। 
  6.   परिवादिनी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-11/1 लगायत 11/3 दाखिल किया।
  7.   विपक्षी सं0-2 व 3 की ओर से एल0आई0सी0 के सहायक प्रशासनिक अधिकारी श्री अक्षय कुमार गुप्‍ता ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-13/1  लगायत 13/2 दाखिल किया।
  8.   परिवादिनी ने लिखित बहस दाखिल की। विपक्षीगण की ओर से  लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
  9.   हमने परिवादिनी तथा विपक्षी सं0-2 व 3 के विद्वान अधिवक्‍ता के  तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी सं0-1 की ओर से  बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुऐ।   
  10.   पक्षकारों के मध्‍य इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादिनी के  पति स्‍व0 महमूद बख्‍श मुरादाबाद में सिपाही के पद पर कार्यरत थे और कार्यकाल के दौरान दिनांक 28/08/2009 को उनकी मृत्‍यु हुई  थी। विपक्षीगण को यह भी स्‍वीकार है कि मृत्‍यु की तिथि पर मृतक महमूद वख्‍श विभागीय सामूहिक बीमा योजना से आच्‍छादित थे जिसके अनुसार सामान्‍य मृत्‍यु की दशा में मृतक के नोमिनी को 1,00,000/- रूपया और दुर्घटना मृत्‍यु की दशा में 2,00,000/- रूपया का भुगतान विपक्षी सं0-2 व 3 द्वारा किया जाना था।  पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों से प्रकट है कि स्‍व0 महमूद बख्‍श की मृत्‍यु   के फलस्‍वरूप विपक्षी सं0-2 व 3 की ओर से परिवादिनी को बहैसियत नोमिनी 1,00,000/- रूपया बीमा राशि का भुगतान किया गया। परिवादिनी का कथन  है कि उनके पति की मृत्‍यु ‘’ एक्‍सीडेन्‍टल डेथ ‘’ थी और उनके पति को किसी ने जहर दिया था जिससे उनकी मृत्‍यु हुई। जबकि विपक्षी सं0-2 व 3 के अनुसार स्‍व0 महमूद बख्‍श की मृत्‍यु सामान्‍य मृत्‍यु थी, अत: कल्‍याण  हस्‍तपुस्तिका जिसकी प्रति पत्रावली का कागज सं0-3/17 लगायत 3/20 है, के  निर्देश सं0-3 जो पृष्‍ठ सं0-3/20 पर दृष्‍टव्‍य है, के अनुसार परिवादिनी को 1,00,000/- रूपया का भुगतान विपक्षी सं0-2 व 3 की ओर से किया जा  चुका है। विपक्षी सं0-2 व 3 की ओर से परिवाद को खारिज किऐ जाने की  प्रार्थना की गई। 
  11.   अब देखना यह है कि क्‍या स्‍व0 महमूद बख्‍श की साधारण मृत्‍यु थी  अथवा उनकी मृत्‍यु  ‘’ एक्‍सीडेन्‍टल  डेथ ‘’ थी ? विपक्षी सं0-2 व 3 के विद्वान अधिवक्‍ता ने यूनाईटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेडबनाम पी0एम0 नागेश नायक व एक अन्‍य , 2014(1) सी0पी0आर0 पृष्‍ठ-686 (एन0सी0) के मामले में मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा दी गई विधि व्‍यवस्‍था का अबलम्‍व लेते हुऐ तर्क दिया कि स्‍व0 महमूद बख्‍श  की मृत्‍यु एक्‍सीडेन्‍टल डेथ थी इस तथ्‍य को सिद्ध करने का उत्‍तरदायित्‍व  परिवादिनी का है और इससे चिकित्‍सीय साक्ष्‍य द्वारा प्रमाणित किया जाना होगा।
  12.   स्‍व0 महमूद बख्‍श की मृत्‍यु दिनांक 28/08/2009 को हुई थी ऐसा  परिवाद पत्र में अभिकथित किया गया है। परिवादिनी ने अपने पति की मृत्‍यु की प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना मुगलपुरा जिला मुरादाबाद में दर्ज कराई थी जैसा कि पत्रावली में अवस्थित फाइनल रिपोर्ट कागज सं0-3/22 के अवलोकन से स्‍पष्‍ट है। परिवादिनी ने उक्‍त रिपोर्ट धारा-304 आई0पी0सी0 के अधीन एक अज्ञात दरोगा के विरूद्ध दर्ज कराई थी। इस फाइनल रिपोर्ट के अवलोकन से यह भी प्रकट है कि विवेचना के दौरान चॅूंकि विवेचक को अभियुक्‍त का पता नहीं चल पाया अत: इस मामले में उन्‍होंने फाइनल रिपोर्ट प्रेषित कर  पत्रावली बन्‍द कर दी। मृतक का पोस्‍टमार्टम हुआ था और उसका विसरा सुरक्षित रखा गया था। पत्रावली में अवस्थित थानाध्‍यक्ष मुगलपुरा की आख्‍या  दिनांकित 20/2/2014 जो पत्रावली का कागज सं0/3/11 है, में यह स्‍पष्‍ट  उल्‍लेख है कि विसरा परीक्षण के आधार पर यह पाया गया कि स्‍व0 महमूद बख्‍श की मृत्‍यु एल्‍मुनियम फास्‍फाईड विष से हुई थी और विवेचना में यह भी पाया गया कि स्‍व0 महमूद बख्‍श को किसी  अज्ञात  व्‍यक्ति द्वारा विष दिया गया था। इस प्रकार पत्रावली पर जो  साक्ष्‍य  उपलब्‍ध है उससे स्‍पष्‍ट  है कि स्‍व0 महमूद बख्‍श की मृत्‍यु  ‘’ साधारण मृत्‍यु ‘’ नहीं थी, बल्कि उन्‍हें किसी  अज्ञात  व्‍यक्ति  ने जहर देकर मारा था।  प्रकट  है कि उनकी मृत्‍यु  विपक्षी सं0-2 व 3 के विद्वान अधिवक्‍ता ने तर्क दिया कि परिवाद कालबाधित है, किन्‍तु हम उनके इस तर्क से सहमत नहीं हैं। पत्रावली में  अवस्थित स्‍थाई लोक अदालत, मुरादाबाद के अभिनिर्णय दिनांकित 31/08/2013 के पृष्‍ठ सं0-3 (पत्रावली का कागज सं0-3/37) में यह उल्‍लेख  है कि एल0आई0सी0 के मण्‍डलीय प्रबन्‍धक ने परिवादिनी को पत्र दिनांक 27/12/2012 द्वारा दुर्घटना लाभ दिऐ जाने से इन्‍कार किया था। स्‍पष्‍ट  है कि दिनांक 27/12/2012 के पत्र द्वारा की गई इन्‍कारी से परिवादिनी को वाद हेतुक उत्‍पन्‍न हुआ। परिवाद दिनांक 21/03/2014 को योजित कर दिया गया जो वाद हेतुक उत्‍पन्‍न होने के 2 वर्ष की अवधि के भीतर है अत: परिवाद कालबाधित नहीं है।
  13.   पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य सामग्री से यह भली-भांति प्रमाणित है कि  स्‍व0 महमूद बख्‍श की मृत्‍यु किसी अज्ञात व्‍यक्ति द्वारा जहर देने की वजह  से हुई थी। उनकी मृत्‍यु सामान्‍य मृत्‍यु नहीं कही जा सकती बल्कि उनकी मृत्‍यु ‘’ एक्‍सीडेन्‍टल डेथ ‘’ थी। एक्‍सीडेन्‍टल डेथ होने की वजह से कल्‍याण  हस्‍तपुस्तिका, 2012 के निर्देश सं0-3 के अनुसार परिवादिनी को बहैसियत नोमिनी /आश्रित 2,00,000/- रूपये मिलने चाहिए थे किन्‍तु उसे विपक्षी सं0-2 व 3 द्वारा केवल 1,00,000/- (एक लाख रूपये) ही दिऐ गऐा। वह अवशेष 1,00,000/- (एक लाख रूपया)  भी  पाने  की  अधिकारी है। उसे इस अवशेष  धनराशि पर परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की  तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज दिलाया जाना भी हम न्‍यायोचित समझते हैं। तदानुसार परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

 

 

             परिवाद योजित किऐ  जाने  की  तिथि से  वास्‍तविक वसूली की  तिथि तक  की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज  सहित 1,00,000/-(रूपये             एक लाख केवल) की  वसूली हेतु यह परिवाद विपक्षी सं0-2  व 3 के  विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण से  परिवादिनी वाद व्‍यय  के                मद  में  2,500/-  (दो  हजार पाँच सौ  रूपये केवल) अतिरिक्‍त पाने की भी अधिकारी होगी। समस्‍त  धनराशि की अदायगी इस आदेश की  तिथि           से  एक  माह  के  भीतर की  जाये।

     

      

    •    

                सामान्‍य सदस्‍य                  अध्‍यक्ष

    •  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद           जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

                  02.01.2016                     02.01.2016

      हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 02.01.2016 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

     

                     

             सामान्‍य सदस्‍य                     अध्‍यक्ष

    •  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद           जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

               02.01.2016                    02.01.2016 

     

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