Uttar Pradesh

Chanduali

CC/32/2015

Pankaj Kumar Gupta - Complainant(s)

Versus

S.S Electronic - Opp.Party(s)

Ajay

21 May 2018

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum, Chanduali
Final Order
 
Complaint Case No. CC/32/2015
( Date of Filing : 24 Jun 2015 )
 
1. Pankaj Kumar Gupta
ward No-2Nehru Nagar Panchayat Chandauli
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. S.S Electronic
Nagar Panchayat Chandauli
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 21 May 2018
Final Order / Judgement
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 32                               सन् 2015ई0
पंकज कुमार गुप्ता पुत्र जगत प्रसाद गुप्ता निवासी वार्ड नं0 3 नेहरू नगर,नगर पंचायत चन्दौली,जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                  बनाम
1-एस0एस0 इलेक्ट्रिक चन्दौली जरिये अमित कुमार सिंह पुत्र स्व0 बब्बन सिंह निवासी नगर पंचायत चन्दौली,जिला चन्दौली।
2-अतुल पम्प प्रा0लि0 यूनिट-2आगरा नून हाई जरिये संजीव मित्तल। 
                                            .............................विपक्षी
उपस्थितिः-
 रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
 लक्ष्मण स्वरूप सदस्य
                           निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1- परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण से सबमर्सिवल पम्प लगवाने में हुए खर्च की भरपाई,मानसिक एवं शारीरिक क्षति की क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय के रूप में कुल रू0 2,11000/- दिलाये जाने हेतु दाखिल किया है। 
2- संक्षेप में परिवादी का अभिकथन है कि परिवादी दिनांक 19-10-2013 को विपक्षी संख्या 1 के प्रतिष्ठान पर सबमर्सिवल पम्प लगवाने हेतु आवश्यक सामान खरीदने गया तो विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादी को यह विश्वास दिलाया गया कि अतुल गोल्ड पी.वी.सी.वोरवेल पाइप की गुणवत्ता काफी अच्छी है और यदि यह पाइप फट जाती है या टूट जाती है तो उसके बदले नई पाइप दी जायेगी। विपक्षी संख्या 1 के बात पर विश्वास करके विपक्षी संख्या 1 की दूकान से परिवादी ने रू0 99/-प्रतिकिग्रा. की दर से 308किग्रा0 पाइप का मूल्य रू0 30492/-,सैल्यूसन 550एम0एल0रू0 160/-,पेंच 100पीस रू0100/-,कैप 4.5इंच रू0 100/-,ग्रेविल 100फिट रू0 11000/-,टैक्समो 1 एच0पी0 सबमर्सिबल पम्प रू0 9500/-,र्स्टाटर रू0 3200/-,35मीटर केविल वायर रू0 1610/-,लोहे की जी.आई.पाइप 80फिट रू05440/-,साकेट 7 पीस रू0 315/-,जी0आई0बैण्ड 1 पीस रू0 80/-,अतिरिक्त खर्च रू03 कुल रू0 62000/- का सामान नगद भुगतान करके खरीदा जिसका कैशमेमो भी विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादी को दिया गया। इसके अतिरिक्त बोरिंग कराने में मजदूरी सहित परिवादी का रू0 25000/- खर्च हुआ तथा वोरवेल व कम्प्रेशर की सफाई का खर्च रू0 4000/- लगा और बोरिग कराने तथा सबमर्सिवल पम्प लगवाने में कुल 7 दिन का समय लगा इसके बाद दिनांक 1-11-2013 को जब मिस्त्री द्वारा पम्प स्टार्ट किया गया तो पम्प 30 मिनट चलने के बाद अचानक 2-4 मिनट गन्दा पानी दिया और बन्द हो गया। मौके पर उपस्थित मिस्त्री इससे काफी परेशान हुआ और उसने पम्प चलाने हेतु काफी परिश्रम किया लेकिन पम्प नहीं चला तब मिस्त्री ने हेड खोलकर लोहे की पाइप में लगी मोटर को पाइप सहित जैक लगाया लेकिन काफी प्रयास के बाद भी वह पाइप उपर नहीं निकली इसके बाद मिस्त्री द्वारा वोरवेल पाइप में लोहे की छड डालने का प्रयास किया जो 30-32 फिट अन्दर जाने के बाद आगे नहीं गयी तब
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 मिस्त्री ने बताया कि पी.वी.सी.वोरवेल पाइप फट गयी है जिसके अगल-बगल से मिट्टी पाइप में जाकर जाम हो गयी है जिसके कारण बोरिग असफल हो गयी है तथा पाइप व मोटर निकालने के लिए ड्रील मशीन लगानी पडेगी जिसमे काफी खर्च आयेगा फिर भी पूरी पाइप व मोटर सुरक्षित निकालना सम्भव नहीं है। इसके बाद दिनांक 2-11-2013 को परिवादी विपक्षी संख्या 1 से मिलकर सारी बाते बतायी तो विपक्षी संख्या 1 ने कहा कि उसने ब्राडेड कम्पनी की अतुल गोल्ड की पाइप दी है जिसके फटने का कोई चांस नहीं है जिसके बाद परिवादी ने तत्काल अपने मिस्त्री को बुलाया जिसने विपक्षी संख्या 1 को सारे तथ्य बताया जिसे सुनकर विपक्षी संख्या 1 स्वयं वोरवेल के स्थान पर गया और सबमर्सिबल पम्प व वोरवेल को देखा तथा तस्दीक किया और कहा कि ऐसा पी.वी.सी.वोरवेल पाइप के फटने के कारण हुआ है। जिसके लिए कम्पनी से बात की जायेगी और परिवादी को कम्पनी से क्षतिपूर्ति दिलायी जायेगी। परिवादी विपक्षी संख्या 1 के बातों पर विश्वास करके क्षतिपूर्ति पाने का इन्तजार करता रहा लेकिन विपक्षी संख्या 1 बराबर टाल-मटोल करते रहे और अन्त में दिनांक 9-6-2015 को उसने स्पष्ट रूप से कहा कि अतुल गोल्ड पी.वी.सी.वोरवेल पाइप कम्पनी कत्तई कोई क्षतिपूर्ति देने के लिए तैयार नहीं है अतः विपक्षी संख्या 1 किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति देने में असमर्थ है। चूंकि परिवादी ने उचित मूल्य अदा करके विपक्षी संख्या 1 से उपरोक्त सामान खरीदा है अतः वे उसके बदले उचित सेवा देने के लिए उत्तरदायी है। विपक्षी संख्या 1 व 2 ने आपस में मिलीभगत से बिल्कुल घटिया किस्म की पी.वी.सी. वोरवेल पाइप परिवादी को बेचा है जिसके कारण परिवादी को घोर आर्थिक,शारीरिक,मानसिक क्षति पहुंची है जिसकी क्षतिपूर्ति के लिए विपक्षीगण उत्तरदायी है।
3- विपक्षी संख्या 1 ने प्रतिवाद पत्र दाखिल किया है जिसमे उसने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि दिनांक 19-10-2013 को उसने परिवादी को परिवाद पत्र में वर्णित सामग्री कीमती 62000/- बेचा है उसने इस तथ्य को भी स्वीकार किया है कि परिवादी द्वारा पाइप फट जाने व बोरिग असफल हो जाने की बात बताये जाने पर वे स्वयं वोरवेल वाले स्थान पर जाकर सबमर्सिबल पम्प व वोरवेल को देखा था तथा तस्दीक किया था और कहा था कि पी.वी.सी. वोरवेल पाइप के फटने से ही ऐसा हुआ है जिसके लिए वे कम्पनी से बात करेगे और याची को कम्पनी से क्षतिपूर्ति दिलायेगे। परिवादी के शेष अभिकथनों से विपक्षी संख्या 1 ने इन्कार किया है उन्होंने यह भी कहा कि वोरवेल में पाइप फटने की सूचना व क्षतिपूर्ति की बात उसी समय उन्होंने विपक्षी संख्या 2 को बता दी थी और वोरवेल से निकली कुछ फटी पाइपें भी विपक्षी संख्या 2 के अधिनस्थ कर्मचारियों को दिखाया था और आज भी कुछ फटी पाइपें विपक्षी संख्या 1 की दूकान पर पडी हैं, उनका यह भी अभिकथन है कि उन्होनें अतुल पी.वी.सी. पाइप के मालिक से क्षतिपूर्ति के सम्बन्ध में बात भी किया था लेकिन वे आज कल कहकर टाल-मटोल करते रहे। विपक्षी संख्या 1 का कथन है कि वह 8 प्रतिशत कमीशन पर कारोबार करता है जबकि विपक्षी संख्या 2 अतुल पी.वी.सी. पाइप के निर्माता है और इनकी पाइप की कम्पनी है और जो पाइप कम्पनी विपक्षी संख्या 1 को देती है उसे वह बेचता है अतः 
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क्षतिपूर्ति देने की मूल जिम्मेदारी विपक्षी संख्या 2 की है और यदि विपक्षी संख्या 1 की इस सम्बन्ध में संलिप्तता पायी जाती है तो वह केवल 8 प्रतिशत तक ही क्षतिपूर्ति देने के लिए उत्तरदायी है शेष 92 प्रतिशत क्षतिपूर्ति देने की जिम्मेदारी विपक्षी संख्या 2 की है।
4- विपक्षी संख्या 2 की ओर से आपत्ति/जबाबदावा दाखिल किया गया है और संक्षेप में विपक्षी संख्या 2 का अभिकथन है कि उसने किसी प्रकार की गारण्टी या वारण्टी विपक्षी संख्या 1 के मालिक अमित कुमार सिंह को नहीं दिया था। परिवाद पत्र से ऐसा प्रतीत होता है कि अप्रशिक्षित हाथों द्वारा पाइप का क्षतिग्रस्त होना बताया गया है। परिवाद पत्र में किसी मैकेनिकल विशेषज्ञ की रिर्पोट नहीं है उपयोग के दौरान अप्रशिक्षित मैकेनिक द्वारा की गयी तोड-फोड की जिम्मेदारी कम्पनी की नहीं होती है। विपक्षी संख्या 2 का अभिकथन है कि परिवादी तथा विपक्षी संख्या 1 अमित कुमार सिंह आपस में मिलकर दूरभिसन्धि करके यह परिवाद प्रस्तुत किये है। अमित कुमार सिंह ने विपक्षी संख्या 2 की कम्पनी से पाइप की खरीदारी दिनांक 14-7-2013 को किया था जिसका बिल रू0 629808/- था जिसमे से अमित कुमार सिंह ने रू0 229808/- का पेमेन्ट नहीं दिया है तब विपक्षी संख्या 2 ने आयुक्त एवं उद्योग निदेशक/चेयरमैन उत्तर प्रदेश राज्य माइक्रो एवं स्माल इण्टर प्राइजेज फैसिलिटेशन कानपुर में वाद दाखिल किया है जिसमे अमित कुमार सिंह को अपर सांख्यिकी अधिकारी द्वारा समन एवं नोटिस जारी की गयी है और नोटिस मिलने के बाद अमित कुमार सिंह ने अपने पडोसी एवं मित्र परिवादी पंकज कुमार को साजिश में लेकर नोटिस मिलने के एक माह बाद दिनांक 23-6-2015 को यह परिवाद दाखिल किया गया है। विपक्षी संख्या 1 अमित कुमार सिंह की मंशा यह है कि वे झूठा परिवाद दाखिल कराकर विपक्षी संख्या 2 का रू0 229808/- हडप ले, और उनके इस मुकदमें के दबाव में विपक्षी संख्या 2 कानपुर में दाखिल अपना मुकदमा वापस ले,ले। उनका यह भी अभिकथन है कि पाइप के सम्बन्ध में तोड-फोड के लिए कोई वारण्टी या गारण्टी नहीं दी गयी थी और इस सम्बन्ध में परिवादी द्वारा या डीलर द्वारा कोई लिखित शिकायत भी आजतक नहीं भेजी गयी है। अतः परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।  
5- अपने अभिकथनों के समर्थन में परिवादी पंकज कुमार गुप्ता ने अपना शपथ पत्र दाखिल किया है इसके अतिरिक्त परिवादी की ओर से बोरिग करने वाले मिस्त्री शम्भू पुत्र बद्री निवासी ग्राम रेवसां का भी शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में एस0एस0 इलेक्ट्रीक (विपक्षी संख्या 1) का कैशमेमो/चालान दिनांकित 19-10-2013 की प्रति दाखिल किया गया है।  इसी प्रकार विपक्षी संख्या 1 की ओर से अमित कुमार सिंह का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में फटी पाइपों की छायाप्रति दाखिल की गयी है। इसी प्रकार विपक्षी संख्या 2 की ओर से संजीव मित्तल का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में विपक्षी संख्या 2 द्वारा विपक्षी संख्या 1 के विरूद्ध आयुक्त एवं उद्योग निदेशक उत्तर प्रदेश राज्य सूक्ष्म एवं लघु उद्यम 
 
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सुकरता परिषद कानपुर में दाखिल क्लेम पेटीशन तथा उक्त द्वारा पारित एवार्ड की छायाप्रति दाखिल की गयी है। 
6- पक्षकारों के अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी है उनकी ओर से दाखिल लिखित तर्क एवं पत्रावली का पूर्ण रूपेण परिशीलन किया गया।
7- परिवादी की ओर से मुख्य रूप से यह तर्क दिया गया है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 की दूकान से सबमर्सिबल पम्प लगवाने हेतु  परिवाद पत्र में वर्णित रू0 62000/- का सामान खरीदा था तथा सबमर्सिबल पम्प लगाने हेतु बोरिंग कराने में उसका रू0 25000/- बतौर मजदूरी खर्च हुआ था तथा उसकी सफाई में रू0 4000/- खर्च हुआ था। इस प्रकार परिवादी का कुल रू0 91000/- खर्च हुआ था लेकिन बोरिग के बाद जब बोरिग मिस्त्री ने पाइप,पम्प आदि डालने के बाद उसे स्टार्ट किया तो लगभग 2-4 मिनट गन्दा पानी देने के बाद मोटर पम्प बन्द हो गया। जब बोरिग मिस्त्री ने हेड खोलकर लोहे की पाइप में लगी मोटर को पाइप सहित जैक लगाकर निकालने का प्रयास किया तो वह पाइप नहीं निकली तब मिस्त्री ने वोरवेल पाइप में लोहे की छड डालने का प्रयास किया लेकिन वह 30-32 फिट अन्दर जाने के बाद आगे नहीं बढी तब मिस्त्री ने बताया कि पी.वी.सी. पाइप बोरिग के अन्दर फट गयी है जिसमे अगल-बगल की मिट्टी आकर जाम हो गयी है जिसके कारण बोरिग असफल हो गयी है अब पाइप और मोटर निकालने के लिए ड्रील मशीन लानी पडेगी जिसमे काफी खर्च आयेगा और फिर तब भी पूरी पाइप व मोटर सुरक्षित निकालना सम्भव नहीं है इसके बाद परिवादी विपक्षी संख्या 1 से मिलकर सारी बात बतायी और बोरिग मिस्त्री ने भी विपक्षी संख्या 1 से सारी बात बतायी तब विपक्षी संख्या 1 ने स्वयं बोरिग वाले स्थान पर जाकर वोरवेल देखा और तस्दीक किया और कहा कि ऐसा पी.वी.सी. पाइप फटने से ही हुआ है। विपक्षी संख्या 1 ने कहा कि वह इस सम्बन्ध में पाइप बनाने वाली कम्पनी अर्थात विपक्षी संख्या 2 से बात करेगा और परिवादी को क्षतिपूर्ति दिलायेगा। परिवादी विपक्षी संख्या 1 की बात पर विश्वास करके क्षतिपूर्ति पाने का इन्तजार करता रहा लेकिन काफी दिनों तक टाल-मटोल करने के बाद अन्ततः दिनांक 9-6-2015 को विपक्षी संख्या 1 ने परिवादी से स्पष्ट रूप से कह दिया कि पाइप कम्पनी अर्थात विपक्षी संख्या 2 कोई क्षतिपूर्ति देने के लिए तैयार नहीं है अतः वे क्षतिपूर्ति देने में असमर्थ है। परिवादी के अधिवक्ता का कथन है कि चूंकि परिवादी ने नगद पैसा देकर विपक्षी से सामान खरीदा और पाइप की क्वालिटी खराब होने के कारण बोरिग के तत्काल बाद पाइप फट गयी और बोरिग असफल हो गयी जिसके कारण परिवादी का रू0 91000/- का नुकसान हुआ। इसके अतिरिक्त परिवादी को शारीरिक एवं मानसिक क्षति भी हुई है तथा मुकदमा दाखिल करने में भी उसे खर्च करना पडा है अतः परिवादी विपक्षी से कुल रू0 211000/- जैसा कि परिवाद पत्र में वर्णित है क्षतिपूर्ति  पाने का अधिकारी है।
8- विपक्षी संख्या 1 ने यह स्वीकार किया है कि उन्होंने परिवादी को परिवाद पत्र में वर्णित सामान कीमती रू0 62000/- का विक्रय किया है जिसकी कैशमेमो उनके हस्ताक्षर से जारी किया गया है उन्होंने यह भी कहा है कि विपक्षी संख्या 2 
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का यह अभिकथन बिल्कुल गलत है कि विपक्षी संख्या 1 द्वारा विपक्षी संख्या 2 को देय रू0 229808/- के भुगतान से बचने के लिए विपक्षी संख्या 1 ने परिवादी से मिलकर यह परिवाद दाखिल कराया है उनका कथन है कि विपक्षी संख्या 2 केवल क्षतिपूर्ति से बचने के लिए परिवादी एवं विपक्षी संख्या 1 पर गलत आरोप लगा रहे है। उत्तर प्रदेश राज्य सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुकरता परिषद कानपुर के समक्ष विपक्षी संख्या 1 हाजिर होकर विपक्षी संख्या 2 द्वारा दाखिल मुकदमा में अपना जबाब दाखिल कर चुका है और उस मुकदमें का प्रस्तुत मुकदमें से कोई सम्बन्ध नहीं है। विपक्षी संख्या 1 का तर्क है कि उन्होंने स्वयं सेवा में कोई कमी नहीं की है बल्कि वे विपक्षी संख्या 2 द्वारा निर्मित पाइप को ही कमीशन पर बेचने का कार्य करते है और वे 4 प्रतिशत के कमीशन एजेण्ट है तथा इतना ही लाभ लेकर उन्होंने परिवादी को पाइप बेचा था। अतः वे यदि उनकी संलिप्तता पायी जाय तो परिवादी को देय क्षतिपूर्ति का मात्र 4 प्रतिशत ही अदा करने के उत्तरदायी है शेष क्षतिपूर्ति की अदायगी का उत्तरदायित्व विपक्षी संख्या 2 का है।
9- विपक्षी संख्या 2 की ओर से मुख्य रूप से यह तर्क दिया गया है कि परिवादी तथा विपक्षी संख्या 1 ने दुरभिसंधि करके साजिश पूर्वक यह परिवाद दाखिल किया है जिसमे रंच मात्र सत्यता नहीं है। विपक्षी संख्या 1 अमित कुमार सिंह ने विपक्षी संख्या 2 की कम्पनी से दिनांक 14-7-2013 को रू0 629808/- का सामान खरीदा था जिसमे से उन्होंने  229808/-रूपये का पेमेन्ट नहीं किया था जिसके सम्बन्ध में विपक्षी संख्या 2 ने आयुक्त एवं उद्योग निदेशक/चेयरमैन उत्तर प्रदेश राज्य माइक्रो एवं स्माल इण्टर प्राइजेज फैसिलीटेशन कानपुर में वाद दाखिल किया था और उसी के बाद अमित कुमार सिंह ने परिवादी जो कि उनका पडोसी और मित्र है को साजिश में लेकर झूठा परिवाद दाखिल करा दिया ताकि विपक्षी संख्या 1 विपक्षी संख्या 2 का पैसा हडप सके और इस मुकदमें के दबाब में विपक्षी संख्या 2 कानुपर में दाखिल अपना मुकदमा वापस ले,ले। विपक्षी संख्या 2 का यह भी तर्क है कि उन्होंने विपक्षी संख्या 1 को जो पाइप बेचा था उस पर बोरिग के दौरान हुई तोड-फोड के सम्बन्ध में कोई वारण्टी या गारण्टी नहीं दी गयी थी और न ही परिवाद या विपक्षी द्वारा इस सम्बन्ध में उन्हें कोई शिकायत भेजी गयी है। विपक्षी संख्या 2 का यह भी तर्क है कि उन्होंने विपक्षी संख्या 1 के विरूद्ध कानपुर में जो मुकदमा दाखिल किया था उसमे दिनांक 18-9-2017 को आदेश पारित कर दिया गया है और इसमे विपक्षी संख्या 1 अमित कुमार सिंह को कुल रू0 569849/- विपक्षी संख्या 2 को देने हेतु आदेशित किया गया है इससे यह स्पष्ट है कि परिवादी तथा विपक्षी संख्या 1 आपस में मिलकर विपक्षी संख्या 2 को तंग एवं परेशान करने के लिए यह मुकदमा दाखिल किये हैं जो निरस्त किये जाने योग्य है।
10- पक्षकारों के तर्को को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रस्तुत मुकदमें में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी ने सबमर्सिबल पम्प लगवाने हेतु दिनांक 19-10-2013 को विपक्षी संख्या 1 की दूकान से पाइप सहित कुल रू0 62000/- का सामान खरीदा था यह भी स्वीकृत तथ्य है कि जब 
 
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बोरिग के बाद पाइप आदि सभी सामान डालकर बोरिग मिस्त्री ने पम्प चालू करने का प्रयास किया तो यह पता चला कि पाइप फट जाने के कारण उसमे मिट्टी भर गयी है जिससे बोरिग फेल हो गयी है और बोरिग में डाला गया पाइप व अन्य सामान निकाला जाना सम्भव नहीं है। स्वय विपक्षी संख्या 1 जिन्होंने परिवादी को उपरोक्त सामान बेचा है ने अपने जबाबदावा एवं शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से यह स्वीकार किया है कि उन्होंने परिवादी को रू0 62000/-का सामान बेचा था जिसका कैशमेमो भी परिवादी को जारी किया था उन्होंने परिवाद पत्र के पैरा 8 में किये गये इस अभिकथन को भी स्वीकार किया है कि जब परिवादी ने उन्हें बताया कि पाइप फट जाने के कारण बोरिग फेल हो गयी है और सारा सामान उसी में फंस गया है जिसे निकाला जाना सम्भव नहीं है तब विपक्षी संख्या 1 ने वोरवेल के स्थान पर जाकर पम्प तथा वोरवेल को देखा था और तस्दीक किया था और परिवादी से यह कहा था कि ऐसा पी.वी.सी. वोरवेल पाइप के फटने से हुआ है जिसके लिए विपक्षी संख्या 1 विपक्षी संख्या 2 से बात करके परिवादी को क्षतिपूर्ति दिलायेगा। विपक्षी संख्या 2 ने अपने जबाबदावा में इस बात से इन्कार नहीं किया है कि विपक्षी संख्या 1 उनका कमीशन एजेण्ट है बल्कि उन्होनें अपने जबाबदावा में यह कहा है कि विपक्षी संख्या 1 उनके यहॉं से रू0 629808/- का सामान खरीदा था जिसमे से रू0 229808/- का पेमेन्ट नहीं किया था उनके इस अभिकथन से यह स्पष्ट है कि विपक्षी संख्या 1 विपक्षी संख्या 2 का कमीशन एजेण्ट है और इसीलिये विपक्षी संख्या 2 उन्हें उधार सामान देते रहे है। प्रस्तुत मामले में विपक्षी संख्या 2 का मुख्य रूप से यह अभिकथन है कि विपक्षी संख्या 1 के विरूद्ध कानपुर में बकाया रू0 229808/- के सम्बन्ध में मुकदमा दाखिल किया है और उसके बाद विपक्षी संख्या 1 उस मुकदमें में विपक्षी संख्या 2 पर दबाव बनाने के लिए परिवादी जो कि उनका मित्र व पडोसी है को अपनी साजिश में करके यह झूठा मुकदमा दाखिल करवा दिया है ताकि विपक्षी संख्या 2 इस मुकदमें के दबाव में कानपुर में दाखिल किया गया अपना मुकदमा वापस ले,ले। अतः इस तथ्य को सिद्ध करने का भार विपक्षी संख्या 2 पर ही है लेकिन इस तथ्य को सिद्ध करने के लिए विपक्षी संख्या 2 संजीव मित्तल ने अपने शपथ पत्र के अतिरिक्त अन्य कोई साक्ष्य नहीं दिया है जिससे यह सिद्ध हो सके कि परिवादी तथा विपक्षी संख्या 1 पडोसी व मित्र है या उन्होंने आपस में कोई साजिश करके विपक्षी संख्या2 का पैसा हडपने के उद्देश्य से यह झूठा मुकदमा दाखिल किया है। यद्यपि विपक्षी संख्या 2 की ओर से आयुक्त एवं उद्योग निदेशक उत्तर प्रदेश राज्य सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुकरता परिषद कानपुर में दाखिल क्लेम तथा उसमे पारित एवार्ड की छायाप्रति दाखिल की गयी है जिससे यह स्पष्ट होता है कि विपक्षी संख्या 2 ने विपक्षी संख्या 1 के विरूद्ध बकाया पैसा के लिए कानपुर में जो मुकदमा दाखिल किया था उसमे विपक्षी संख्या 1 के विरूद्ध एवार्ड पारित हो गया है किन्तु उसका कोई प्रभाव परिवादी के मुकदमें पर नहीं हो सकता है क्योंकि परिवादी न तो उस मुकदमें में पक्षकार है और न ही उस मुकदमें से परिवादी का कोई सम्बन्ध है। विपक्षी संख्या1 व 2 के बीच पैसो के लेन-देन का जो विवाद है वह उनका आपसी विवाद है और इससे परिवादी के इस 
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मुकदमें पर कोई असर नहीं होगा। इस प्रकार विपक्षी संख्या 2 ने ऐसा कोई विश्वसनीय साक्ष्य नहीं दिया है जिससे यह सिद्ध हो सके कि परिवादी तथा विपक्षी संख्या 1 ने आपस में साजिश करके यह मुकदमा दाखिल किये है।
11- विपक्षी संख्या2 का यह भी तर्क है कि परिवादी ने अप्रशिक्षित व्यक्ति से बोरिग करवाया था इसलिए पाइप क्षतिग्रस्त हो गयी और इस सम्बन्ध में परिवादी ने किसी मैकेनिकल विशेषज्ञ की रिर्पोट दाखिल नहीं किया है अतः अप्रशिक्षित मैकेनिक द्वारा की गयी तोड-फोड की जिम्मेदारी कम्पनी की नहीं होगी किन्तु विपक्षी संख्या 2 के उपरोक्त तर्क में कोई बल नहीं पाया जाता है क्योंकि उनकी ओर से पत्रावली में ऐसा कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया है जिससे यह सिद्ध हो सके कि परिवादी ने जिस मिस्त्री से बोरिग करवाया था वह अप्रशिक्षित था या उसकी गलती से पाइप क्षतिग्रस्त हुई थी यहॉं तक कि विपक्षी संख्या 2 संजीव मित्तल ने अपने शपथ पत्र में भी यह नहीं कहा है कि परिवादी ने किसी अप्रशिक्षित व्यक्ति  से बोरिग करवाया था और उसकी गलती के कारण पाइप क्षतिग्रस्त हुई है इसके विपरीत परिवादी की ओर से बोरिग मिस्त्री शम्भू का  शपथ पत्र दाखिल किया गया है जिन्होंने अपने शपथ पत्र में कहा है कि उन्होंने ही परिवादी की बोरिग किया था और जब बोरिग के बाद पाइप,इंजन आदि वोरवेल में डाला गया तथा उसकी सफाई आदि भी कर दी गयी तब पम्प स्टार्ट किया गया लेकिन 2-4- मिनट गन्दा पानी देने के बाद पम्प बन्द हो गया काफी प्रयास के बाद भी उसे ठीक नहीं किया जा सका क्योंकि वोरवेल में पाइप फट जाने के कारण मिट्टी आ गयी थी और बोरिग असफल हो गयी थी उनकी ओर से यह भी कहा गया है कि उन्होंने बोरिग की मजदूरी के रूप में परिवादी से रू0 25000/- लिया था। इस प्रकार पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे यह सिद्ध हो सके कि परिवादी ने अप्रशिक्षित व्यक्ति से बोरिग करवाया था जिसके कारण पाइप क्षतिग्रस्त हो गयी और बोरिग असफल हो गयी।
12- विपक्षी संख्या 2 की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि उन्होंने विपक्षी संख्या 1 को पाइप के सम्बन्ध में कोई गारण्टी या वारण्टी नहीं दिया है अतः वे किसी क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी नहीं है किन्तु उनके इस तर्क में भी कोई बल नहीं पाया जाता क्योंकि जिस समय बोरिग की गयी उसके तत्काल बाद पम्प चालू करने पर ही यह पता चला कि पाइप फट चुकी है जिसके कारण मिट्टी भर गयी है और बोरिग असफल हो गयी है। यदि कोई व्यक्ति उचित मूल्य देकर कोई वस्तु खरीदा है और वह वस्तु तत्काल खराब हो जाती है तो ऐसी स्थिति में उक्त वस्तु के विक्रेता या निर्माता से क्षतिपूर्ति प्राप्त करने से क्रेता को मात्र इस आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता कि इस सम्बन्ध में कोई गारण्टी/वारण्टी नहीं है क्योंकि किसी विक्रेता को यह छूट नहीं दी जा सकती कि वह उचित मूल्य लेकर भी किसी व्यक्ति को कोई ऐसी सामग्री बेचे जो तुरन्त टूट जाय और तब भी विक्रेता इसके लिए उत्तरदायी न हो।
13- उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट है कि चूंकि बोरिग कराने के तत्काल बाद पाइप फटने के कारण परिवादी की बोरिग असफल हो गयी जिसके कारण बोरिग में 
 
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लगी हुई सारी सामान उसी में दब कर रह गयी। इस प्रकार परिवादी का सबमर्सिबल पम्प लगवाने में जो खर्च हुआ है वह खर्च परिवादी विपक्षीगण से प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी के शपथ पत्र तथा उसके द्वारा दाखिल कैशमेमो/चालान के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने रू0 62000/- का कुल सामान विपक्षी संख्या 1 से खरीदा था बोरिग मिस्त्री शम्भू के शपथ पत्र से यह स्पष्ट है कि बोरिग में मजदूरी आदि के सम्बन्ध में परिवादी ने रू0 25000/- खर्च किया था। परिवादी ने शपथ पत्र में कहा है कि वोरवेल की सफाई में उनका रू0 4000/- खर्च हुआ था इस प्रकार परिवादी का कुल रू0 91000/- खर्च हुआ है लेकिन पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि पम्प का जो सामान परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 से खरीदा था उसमे से र्स्टाटर कीमती रू0 3200/- वोरवेल के बाहर लगाया जाता है वह वोरवेल के भीतर नहीं होता है अतः र्स्टाटर का क्षतिग्रस्त होना सम्भव नहीं है ऐसी स्थिति में परिवादी को र्स्टाटर का मूल्य रू0 3200/- प्राप्त नहीं हो सकता है। अतः सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए परिवादी को सबमर्सिबल पम्प लगवाने में जो क्षति हुई है उसकी क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 91000 - रू0 3200 अर्थात रू0 87800/- दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। इसी प्रकार शारीरिक एवं मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु परिवादी को रू0 3000/- तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1000/- दिलाया जाना भी न्यायोचित प्रतीत होता है। चूंकि विपक्षी संख्या 2 उक्त पाइप का निर्माता है जिसके फटने के कारण बोरिग असफल हो गयी और सारा सामान बोरिग में दबकर रह गया। अतः क्षतिपूर्ति अदा करने का मुख्य दायित्व विपक्षी संख्या 2 पर है विपक्षी संख्या 1 ने अपने जबाबदावा में यह कहा है कि वह विपक्षी संख्या 2 से 8 प्रतिशत कमीशन पर कार्य करता है अतः उसकी जिम्मेदारी 8 प्रतिशत क्षतिपूर्ति देने की ही होती है उसके इस कथन का कोई स्पष्ट खण्डन विपक्षी संख्या 2 की ओर से नहीं किया गया है। अतः सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए क्षतिपूर्ति का 92 प्रतिशत भाग देने की जिम्मेदारी विपक्षी संख्या 2 की तथा 8 प्रतिशत भाग देने की जिम्मेदारी विपक्षी संख्या1 की पायी जाती है और तद्नुसार परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है।
                                 आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे आज से 2 माह के अन्दर परिवादी को सबमर्सिबल पम्प के लगवाने में हुई क्षति की क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 87800/-(सत्तासी हजार आठ सौ) तथा शारीरिक एवं मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 3000/-(तीन हजार) एवं वाद व्यय के रूप में रू0 1000/-(एक हजार) अर्थात कुल रू0 91800/-(इक्यानवे हजार आठ सौ)अदा करें। उक्त क्षतिपूर्ति का 92 प्रतिशत भाग अदा करने का दायित्व विपक्षी संख्या 2 तथा 8 प्रतिशत भाग अदा करने का दायित्व विपक्षी संख्या 1 का होगा। यदि उपरोक्त अवधि में विपक्षीगण द्वारा उक्त क्षतिपूर्ति अदा नहीं की जाती है तो परिवादी क्षतिपूर्ति की उपरोक्त धनराशि पर निर्णय की तिथि से पैसा प्राप्त होने की तिथि तक 8 प्रतिशत साधारण व्याज भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
 
(लक्ष्मण स्वरूप)                                      (रामजीत सिंह यादव)
 सदस्य                                                अध्यक्ष
                                                  दिनांकः21-5-2018
 
 
 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop]
MEMBER

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