न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम - द्वितीय, बरेली ।
परिवाद सं0 21/2004
उपस्थित:- 1- श्री बालेन्दु सिहं अध्यक्ष
2- श्रीमती सीमा शर्मा सदस्या
प्रेम पाल सिहं पुत्र श्री सरदार सिहं, निवासी ग्राम जुन्हाई, डाकखाना जुन्हाई, तहसील मीरगंज, जिला बरेली ।
.................. परिवादी
बनाम
1. मैसर्स एस0पी0जी0 आॅटो डीलर महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा, सिविल लाइन, थाना कोतवाली, बरेली ।
2. मैसर्स महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा लि0, ट्रैक्टर डिवीजन, आकुडी रोड, मुम्बई द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर ।
3. बैंक आॅफ बडौदा, शाखा ग्राम बल्लिया, पोस्ट चनेटा, तहसील मीरगंज, जिला बरेली द्वारा शाखा प्रबन्धक ।
4. यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0, शाखा कार्यालय 148 सिविल लाइंस, थाना कोतवाली, बरेली द्वारा शाखा प्रबन्धक ।
.................... विपक्षीगण
द्वारा- श्री बालेन्दु सिहं, अध्यक्ष । दिनांकः 20.07.2015
निर्णय
1. परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी नं0 1 के विरूद्व ट्रैक्टर को ठीक करके सुचारू हालत में समस्त इम्पलीमेन्टस के साथ दिलाये जाने अथवा ट्रैक्टर की कीमत 3,50,000/-रूपये दिनांक 05.10.02 से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ दिलाये जाने, आर्थिक क्षतिपूर्ति में 1,50,000/-रूपये तथा विपक्षी नं0 3 से ट्रैक्टर के समस्त प्रपत्र व आर.सी. आदि दिलाये जाने हेतु दायर किया है ।
2. परिवादी के परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनांक 27.02.2002 को विपक्षी नं0 1 से कृर्षि कार्य हेतु एक महेन्द्रा ट्रैक्टर विपक्षी नं0 3 बैंक से वित्तीय सहायता प्राप्त करके 3,30,000/-रूपये में क्रय किया था । उक्त ट्रैक्टर क्रय करने के बाद से सही प्रकार से कार्य नहीं कर रहा था, जिसकी शिकायत परिवादी ने विपक्षी नं0 1 व 3 से की थी । विपक्षी नं0 1 ने उक्त ट्रैक्टर का पंजीकरण आर.टी.ओ., बरेली में करवाकर उसकी आर.सी. न तो परिवादी को दी और न ही विपक्षी नं0 3 बैंक को दी थी ।
3. परिवादी का प्रश्नगत ट्रैक्टर दिनांक 07.04.2002 को दुर्घटनाग्रस्त होकर क्षतिग्रस्त हो गया, जिसकी सूचना परिवादी ने विपक्षी नं0 4 बीमा कम्पनी को दी तथा समस्त औपचारिकताओं को पूर्ण करके क्षतिपूर्ति की प्राप्ति हेतु बीमा दावा प्रस्तुत किया । विपक्षी नं0 4 बीमा कम्पनी ने बीमा क्लेम के निस्तारण हेतु परिवादी से बार-बार ट्रैक्टर के कागजात व आर0सी0 की माॅग की, जिनको परिवादी ने विपक्षी नं0 1 से कई बार माॅगे, परन्तु विपक्षी नं0 1 ने ट्रैक्टर के कागजात व आर.सी. परिवादी व विपक्षी नं0 3 बैंक को उपलब्ध नहीं कराये, जिसके कारण परिवादी का बीमा क्लेम विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा निस्तारित नहीं किया जा सका ।
4. विपक्षी नं0 1 परिवादी का उक्त ट्रैक्टर दिनांक 05.10.2002 को ठीक करने की बात कहकर गैर कानूनी रूप से खींच कर ले गये, जिसकी सूचना परिवादी ने संबंधित् पुलिस थाना व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, बरेली तथा विपक्षी नं0 3 बैंक को दी थी । विपक्षी नं0 1 ने परिवादी का उक्त ट्रैक्टर ठीक करके परिवादी को वापस नहीं किया और अभी भी अपने पास अवैध रूप से रोके हुए हैं । परिवादी ट्रैक्टर न होने की वजह से अपनी गन्ने की खेती नहीं कर पा रहा है, जिसके कारण परिवादी को 1,50,000/-रूपये की आर्थिक क्षति पहुॅंची है । परिवादी ने विपक्षीगण 1 लगायत 3 को पंजीकृत डाक से कानूनी नोटिस भेजे, परन्तु विपक्षीगण ने कोई कार्यवाही नहीं की । इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादी का प्रश्नगत ट्रैक्टर ठीक न करके, अपने पास अवैध रूप से रोककर तथा ट्रैक्टर के कागजात व आर0सी0 परिवादी को उपलब्ध न कराकर ग्राहक सेवाओं में त्रुटि की है । अतः परिवादी ने पैरा नम्बर 01 में वर्णित अनुतोष दिलाये जाने की याचना की है ।
5. विपक्षी नं0 1 ने अपना लिखित कथन का0सं0 24 दाखिल करके परिवादी के परिवाद में वर्णित अधिकांश अभिकथनों को नकारते हुए यह प्रतिकथन किया है कि उसका किसी प्रकार का उत्तरदायित्व वाहन का पंजीकरण आर.टी.ओ., बरेली में कराये जाने का नहीं है । प्रश्नगत ट्रैक्टर का पंजीकरण प्रमाण पत्र परिवादी के कब्जे में है तथा उसी के द्वारा पंजीकरण प्रमाण पत्र की फोटो प्रति विपक्षी नं0 3 बैंक में दाखिल की गयी है । विपक्षी उत्तरदाता ने परिवादी को प्रश्नगत ट्रैक्टर दिनांक 27.02.2002 को विक्रय किया था एवं उसके बाद बिना पंजीकरण प्रमाण पत्र के परिवादी उसको दिनांक 05.10.2002 तक चलाता रहा है ।
6. परिवादी ने उक्त ट्रैक्टर विपक्षी नं0 3 बैंक से ऋण लेकर क्रय किया था, जिसका भुगतान परिवादी द्वारा न करने पर विपक्षी नं0 3 बैंक ने अपने ऋण की वसूली हेतु वसूली प्रमाण पत्र कलेक्टर, बरेली को भेजा था । परिवादी ने सिविल प्रकीर्ण याचिका संॅ0 31402 प्रेमपाल सिहं बनाम कलेक्टर बरेली आदि माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में दायर की, जिसको माननीय न्यायालय ने दिनांक 09.08.2004 को निस्तारित करते हुए परिवादी को वसूली प्रमाण पत्र में अंकित धनराशि 12 किस्तों में अदा करने की अनुमति प्रदान की थी। उक्त ट्रैक्टर परिवादी के कब्जे व दखल में है । विपक्षी उत्तरदाता की सेवाओं में कोई त्रुटि नहीं है । प्रश्नगत ट्रैक्टर से संबंधित् समस्त आवश्यक कम्पलीमेंट विपक्षी नं0 2 निर्माता कम्पनी द्वारा जो उपलब्ध कराये जाते हैं, वह परिवादी को ट्रैक्टर के साथ दिये गये । विपक्षी उत्तरदाता की सेवाओं में कोई त्रुटि नहीं है, इसलिए परिवादी का परिवाद निरस्त होने योग्य है ।
7. विपक्षी नं0 2 ने अपना लिखित कथन का0सं0 15 दाखिल करके परिवादी के परिवाद में वर्णित अधिकांश अभिकथनों को नकारते हुए यह प्रतिकथन किया है कि विपक्षी उत्तरदाता महेन्द्रा ट्रैक्टर का केवल निर्माता है और विपक्षी नं0 1 उसका डीलर है । विपक्षी नं0 1 विपक्षी नं0 2 उत्तरदाता द्वारा निर्मित ट्रैक्टरों को खरीदकर उसका विक्रय अपने ग्राहकों को करता है । विपक्षी उत्तरदाता निर्माता कम्पनी को ग्राहकों को बेचे गये ट्रैक्टरों के संबंध में कोई जानकारी नहीं रहती है । परिवादी ने विपक्षी उत्तरदाता को गलत रूप से पक्षकार बनाया है । परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षी उत्तरदाता के विरूद्व विलम्ब से प्रस्तुत किया है । विपक्षी उत्तरदाता की सेवाओं में कोई त्रुटि नहीं है, इसलिए परिवादी का परिवाद विपक्षी उत्तरदाता के विरूद्व निरस्त होने योग्य है ।
8. विपक्षी नं0 3 बैंक आॅफ बडौदा ने अपना लिखित कथन का0सं0 03 दाखिल करके परिवादी के परिवाद में वर्णित अधिकांश अभिकथनों को नकारते हुए यह प्रतिकथन किया है कि परिवादी ने विपक्षी उत्तरदाता बैंक में महेन्द्रा ट्रैक्टर 3,58,000/-रूपये में खरीदने हेतु दिनांक 18.03.2002 को कोटेशन जमा किया था, जिसके लिए परिवादी ने एडवांस में 50,000/-रूपये जमा किये थे । विपक्षी उत्तरदाता बैंक ने परिवादी के अनुरोध पर उक्त कोटेशन के आधार पर महेन्द्रा ट्रैक्टर खरीदने हेतु विभिन्न औपचारिकताओं को पूर्ण करने के उपरांत 2,50,000/-रूपये का ऋण दिनांक 22.03.2002 को स्वीकृत किया था । उक्त ऋण की अदायगी परिवादी को 13,890/- रूपये की 18 छमाही किस्तों में मय ब्याज के करनी थी । परिवादी को प्रथम किस्त की अदायगी माह अक्टूबर, 2002 में करनी थी ।
9. विपक्षी उत्तरदाता ने बार-बार परिवादी को पंजीकरण प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के लिए पंजीकृत डाक से पत्र भेजे और मौखिक रूप से औपचारिकतायें पूर्ण करने को कहा, जिसमें बीमा भी शामिल था, परन्तु परिवादी तथा विपक्षीगण 1 व 2 ने औपचारिकतायें पूर्ण नहीं की । विपक्षी बैंक की सेवाओं में कोई त्रुटि नहीं है । बीमे के संबंध में परिवादी तथा विपक्षी उत्तरदाता बैंक के मध्य कोई संविदा संबंध नहीं है । विपक्षी बैंक ने किस्तें नियमित रूप से अदा न होने पर 2,96,115/-रूपये का वसूली प्रमाण पत्र कलेक्टर, बरेली को भेजा था, जो अभी तक परिवादी के ऊपर देय है। उस वसूली कोें कलेक्टर, बरेली के माध्यम से धारा 287-ए,330 यू.पी.जेडए.एल.आर. एक्ट व धारा 38 एंड 41 विर्निष्टि अनुतोष अधिनियम के अंतर्गत रोकी नहीं जा सकती है । उक्त ट्रैक्टर की दुर्घटना के संबंध में परिवादी ने ट्रैक्टर की मरम्मत का कोई बिल, प्रथम सूचना रिपोर्ट, चार्जशीट, पंजीकरण प्रमाण पत्र, पुलिस रिपोर्ट, साल्वेज व चालक का लाईसेंस भी नहीं दिखाये, जिसके लिए परिवादी स्वयॅं उत्तरदायी है । परिवादी ने एक याचिका संॅ0 31402 सन् 2004 प्रेमपाल सिहं बनाम कलेक्टर, बरेली व अन्य माननीय उच्च न्यायालय में दिनांक 13.04.04 के वसूली प्रमाण पत्र के विरूद्व दायर की है, जिसमें माननीय उच्च न्यायालय ने आदेश दिनांक 09.08.04 द्वारा परिवादी को राशि जमा करने के लिए निर्देश दिये थे, जो कि 12 समान किस्तों में जमा होनी थी। परिवादी को 30,000/-रूपये आदेश दिनांक 09.08.04 से एक माह के अंदर जमा करने के लिए निर्देशित किया था । विपक्षी उत्तरदाता बैंक की सेवाओं में कोई त्रुटि नहीं है, इसलिए परिवादी का परिवाद विपक्षी उत्तरदाता बैंक के विरूद्व निरस्त होने योग्य है ।
10. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के इस फोरम से निस्तारित होने के बाद माननीय राज्य आयोग, लखनऊ में अपील दायर की गयी । उक्त अपील में माननीय राज्य आयोग द्वारा पारित आदेश के अनुपालन में प्रस्तुत परिवाद पुनः सुनवाई हेतु इस फोरम को प्राप्त हुआ । विपक्षी नं0 4 बीमा कम्पनी को नोटिस भेजा गया, नोटिस की पर्याप्त तामील के बाद विपक्षी नं0 4 यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं0 ने अपना लिखित कथन कागज सं0 85 दाखिल करके परिवाद में वर्णित अधिकांश अभिकथनों को नकारते हुए यह प्रतिकथन किया है कि परिवादी ने वाद पत्र में बीमा पाॅलिसी के नम्बर का उल्लेख नहीं किया है, अभिलेख का अवलोकन करने पर विपक्षी उत्तरदाता ने यह पाया कि कवर नोट नं0 48132 दिनांक 22.03.02 से 21.03.2003 तक की अवधि के लिए निर्गत किया गया था । परिवादी ने विपक्षी उत्तरदाता बीमा कं0 को अनावश्यक रूप से पक्षकार बनाया है । परिवादी ने वाद पत्र में कहा है कि प्रश्नगत ट्रैक्टर दोषपूर्ण था, जिसकी सूचना परिवादी ने विपक्षी नं0 1 व 3 को दी थी तथा विपक्षी नं0 1 ने परिवादी को आर.सी. उपलब्ध नहीं करायी ।
11. विपक्षी उत्तरदाता ने परिवादी से प्रश्नगत ट्रैक्टर से संबंधित् प्रपत्रों की माॅग की थी, परन्तु परिवादी ने विपक्षी उत्तरदाता बीमा कं0 4 को उक्त प्रपत्र उपलब्ध नहीं कराये । परिवादी ने उसका प्रश्नगत ट्रैक्टर दुर्घटनाग्रस्त होकर क्षतिग्रस्त हुआ था, के संबंध में कोई साक्ष्य, प्रथम सूचना रिपोर्ट तथा चालक के लाईसेंस की प्रति आदि विपक्षी उत्तरदाता बीमा कं0 को उपलब्ध नहीं कराये हंै । परिवादी ने प्रश्नगत ट्रैक्टर में निर्माण संबंधी दोष होना अभिकथित किया है, जिसका विपक्षी नं0 4 बीमा कं0 से कोई संबंध नहीं है । परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद झूठे व गलत तथ्यों के आधार पर दायर किया । विपक्षी उत्तरदाता बीमा कं0 की सेवाओं में कोई त्रुटि नहीं है, इसलिए परिवादी का परिवाद निरस्त होने योग्य है ।
12. परिवादी व विपक्षीगण ने अपनी-अपनी मौखिक व लिखित साक्ष्य दाखिल की । परिवादी व विपक्षीगण 3 व 4 के अधिवक्तागण के तर्क सुने गये तथा पत्रावली का परिशीलन किया । विपक्षीगण नं0 1 व 2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुए ।
निष्कर्ष
13. प्रस्तुत केस में परिवादी ने विपक्षी नं0 4 यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0 के विरूद्व कोई अनुतोष नहीं माॅगा है । विपक्षी नं. 4 मात्र औपचारिक पक्षकार है । यह तथ्य निर्विवादित है कि परिवादी ने विपक्षी नं0 1 से एक महेन्द्रा टैªक्टर माॅडल मेक संॅ0 585, इंजन संॅ0 सीसी0बी0 348 ई0-चेसिस संॅ0 सी0सी0-13-348 ई0-1 दिनांक 27.03.2002 को क्रय किया था । विपक्षी नं0 2 इस टैªक्टर की निर्माता कम्पनी है । विपक्षी नं0 3 ने इस टैªक्टर को क्रय करने में परिवादी को 2,50,000/-रूपये की वित्तीय सहायता प्राप्त करायी थी, शेष धनराशि परिवादी ने स्वयॅं विके्रता को भुगतान की थी । परिवादी ने परिवाद पत्र में टैªक्टर का कुल मूल्य 3,30,000/-रूपये बतायी है।
14. पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य से यह प्रकट है कि विपक्षी नं0 3 बैंक आॅफ बडौदा द्वारा परिवादी को जो ऋण दिया गया था, उसका भुगतान विपक्षी बैंक को परिवादी द्वारा कर दिया गया है । इस ऋण के भुगतान का कोई प्रकरण शेष नहीं है । परिवादी का कथन है कि टैªक्टर के विके्रता विपक्षी नं0 1 मै0 एस0पी0जी0 आॅटो ने टैªक्टर का पंजीकरण आर0टी0ओ0, बरेली में कराने का आश्वासन दिया था, परन्तु उसने टैªक्टर का कोई पंजीकरण प्रमाण पत्र परिवादी को उपलब्ध नहीं कराया । परिवादी का उक्त टैªक्टरअ दिनांक 07.04.2002 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया था । टैªक्टर का बीमा विपक्षी नं0 4 के यहाॅं से किया गया था । परिवादी ने बीमा क्लेम विपक्षी नं0 4 बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किया, किन्तु पंजीकरण प्रमाण पत्र के अभाव में बीमा क्लेम का निस्तारण नहीं हो सका । विपक्षी नं0 4 ने यह स्वीकार किया है कि प्रश्नगत टैªक्टर उनके यहाॅं दिनांक 27.02.2002 को एक वर्ष की अवधि के लिए बीमित था । इस प्रकार कथित दुर्घटना की तिथि को प्रश्नगत टैªक्टर विपक्षी नं0 4 से बीमित था । कागज सं0 4/13 विपक्षी नं0 4 यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0 द्वारा शाखा प्रबन्धक, बैंक आॅफ बडौदा, शाखा बल्लिया, बरेली को लिखे गये अंतिम पत्र दिनांक 10.03.03 की प्रतिलिपि है, जिसमें इस बात का उल्लेख है कि प्रेमपाल सिहं परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी के समक्ष टैªक्टर का एक दावा संॅ0 080501/47/95/7/001/02 दुर्घटना के संबंध में प्रस्तुत किया है । इस पत्र में निम्नलिखित उल्लेख किया गया है:-
‘‘आपसे आर0सी0 तथा डी0एल0 की छाया प्रति, ओरिजनल पुलिस रिपोर्ट, टैªक्टर की खरीद के संबंध में प्रपत्र की छायापति, कैश मोमो बिल/लेबर बिल तथा साल्वेज के संबंध में हमने पत्र लिखा था, जिसका पत्र संॅ0 ।ज्ध्।ज्ञैध्082ध्02 दिनांक 12.11.2002 था । आपके द्वारा उपर्युक्त सूचनायें अभी तक उपलब्ध नहीं हुई । पत्र प्राप्ति के 07 दिन के अंदर हमें सूचना उपलब्ध करायें, अन्यथा आपका दावा, नो क्लेम कर दिया जायेगा ।’’
15. इन तथ्यों से प्रकट है कि परिवादी का प्रश्नगत टैªक्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसका विवरण उसने बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किया । बीमा कम्पनी ने बैंक से अभिलेखों की प्रतिलिपियां मॅगायीं तथा इस पत्र की एक प्रति परिवादी को भेजी थी । इस पत्र के माध्यम से जो अभिलेख बीमा क0 द्वारा बैंक से मॅगाये गये, उनमें डी0एल0 व मूल पुलिस रिपोर्ट भी सम्मिलित है । इस पत्र से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने बीमा कम्पनी के समक्ष टैªक्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के संबंध में एक बीमा दावा प्रस्तुत किया था, जिसमें बीमा कं0 द्वारा बैंक व परिवादी से अभिलेख माॅगे गये, किन्तु उक्त अभिलेख बीमा कम्पनी को प्राप्त नहीं हुए, जिसके कारण परिवादी के बीमा क्लेम का कोई निस्तारण नहीं हो सका । इन अभिलेखों में अधिकांश अभिलेख परिवादी द्वारा प्रस्तुत किये जाने थे । परिवादी का कथन यह है कि टैªक्टर का पंजीकरण प्रमाण पत्र उसके पास नहीं था । टैªक्टर का पंजीकरण कराने का दायित्व विपक्षी नं0 1 ने अपने पास रखा था, किन्तु उसने टैªक्टर का कोई पंजीकरण प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया, जिसके कारण परिवादी अभिलेख विपक्षी बीमा कम्पनी को नहीं भेज सका ।
16. विपक्षी नं0 1 ने अपने उत्तर पत्र में यह कहा है कि टैªक्टर का पंजीकरण कराने का उसका कोई दायित्व नहीं था । यह दायित्व वाहन के के्रता परिवादी का स्वयॅं का था । मोटर वाहन अधिनियम के प्राविधानों के अनुसार कोई भी वाहन बिना अस्थायी अथवा स्थायी पंजीकरण के बिना के्रता को नहीं सौंपा जा सकता । प्रस्तुत केस में प्रश्नगत टैªक्टर का कोई अस्थायी पंजीकरण नहीं कराया गया था और न ही कोई स्थायी पंजीकरण टैªक्टर की डिलीवरी के्रता को देने से पूर्व कराया गया था । इस प्रकार प्रस्तुत केस में विके्रता विपक्षी नं0 1 ने प्रश्नगत टैªक्टर की डिलीवरी के्रता को मोटर वाहन अधिनियम के प्राविधानों को दरकिनार करके की है । पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखीय साक्ष्य का0सं0 4/4 के परिशीलन से यह प्रकट है कि वित्त पोषक बैंक ने दिनांक 10.07.2002 को विपक्षी नं0 1 विके्रता को एक पत्र लिखकर परिवादी प्रेमपाल तथा एक अन्य टैªक्टर के के्रता अंतराम पुत्र लोकीराम निवासी मकडी खुर्द के टैªक्टरों के पंजीकरण प्रमाण पत्र तत्काल उपलब्ध कराये जाने की माॅग की थी, जिसका विवरण निम्न प्रकार है:-
‘‘अवगत कराना है कि हमारी शाखा द्वारा महिन्द्रा एंड महिन्द्रा के कई टैªक्टर फाईनेंस किये जा चुके हैं, लेकिन गत महीनों में वित्त पोषित दो टैªक्टर, जिनके नाम निम्न हैं, उनके पंजीकरण हमारा शाखा को प्राप्त नहीं हुए हैं -
1. श्री अन्तराम पुत्र लोकीराम व अन्य ग्राम मकडी खो
2. श्री प्रेमपाल सिहं पुत्र सरदार सिहं, ग्राम जुन्हाई
जबकि इससे पूर्व भी हमने एक पत्र इस संबंध में लिखा था । उसके बाद मैनें स्वयॅं आपके शोरूम पर इसके संबंध में बात की थी और आपने 31 मार्च, तक पंजीकरण प्रमाण पत्र पहुॅंचाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभीतक रजिस्टेªशन प्रमाण पत्र न तो ऋणी को दिये गये हैं और न ही उसकी प्रति बैंक को भेजी गयी है । अतः आपसे अनुरोध है कि अपने टैªक्टर की ख्याति एवं भविष्य में बैंकों के सहयोग को ध्यान में रखते हुए अविलम्ब पंजीकरण प्रमाण पत्र की प्रति बैंक को उपलब्ध कराने की कृपा करें ।’’
17. इस पत्र के तथ्यों से यह प्रकट है कि टैªक्टर का पंजीकरण कराने का दायित्व टैªक्टर के विके्रता ने स्वयॅं अपने ऊपर लिया था, किन्तु उसने टैªक्टर का कोई पंजीकरण नहीं कराया । बैंक द्वारा टैªक्टर संॅ0 यू0पी0 25 एल/9688 के पंजीकरण प्रमाण पत्र की छाया प्रति पत्रावली पर दाखिल की, किन्तु उक्त टैªक्टर किसी रामचन्द्र के नाम से पंजीकृत है और उसका इंजन व चेसिस नम्बर भिन्न है । इस प्रकार यह भी प्रकट है कि विपक्षी नं0 1 ने बैंक द्वारा टैªक्टर का पंजीकरण प्रमाण पत्र मॅगाये जाने पर एक फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया, जो कि प्रश्नगत टैªक्टर से संबंधित् नहीं है । इस प्रकार पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यह सिद्व है कि विपक्षी नं0 1 ने प्रश्नगत टैªक्टर को पंजीकरण कराने का दायित्व अपने ऊपर लिया था, परन्तु उसका विवरण नहीं दिया । विपक्षी नं0 1 का यह दायित्व उसके व के्रता के बीच हुए करार पर आधारित है । निसंदेह वाहन स्वामी यदि अपने टैªक्टर को पंजीकृत कराये बिना उसका संचालन करता है तो यह मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत दण्डनीय अपराध हो सकता है, किन्तु उसके साथ ही विपक्षी नं0 1 विके्रता का यह दायित्व है कि वह उसके व के्रता के बीच हुए करार का पूर्ण रूप से निर्वाहन करे । विके्रता का यह भी दायित्वि है कि वह टैªक्टर का पंजीकरण कराये बिना उसे के्रता को सुपुर्द न करे ।
18. उपरोक्त विश्लेषण व पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर हमारी यह राय है कि विपक्षी नं0 1 ने टैªक्टर का पंजीकरण न कराकर ग्राहक सेवा में त्रुटि की है और उसके साथ ही साथ बैंक द्वारा पंजीकरण प्रमाण पत्र माॅगे जाने पर बैंक को फर्जी अभिलेख उपलब्ध कराकर अनुचित व्यापार प्रथा अपनायी है । विपक्षी नं0 1 की इस त्रुटि के कारण परिवादी को दुर्घटनाग्रस्त टैªक्टर का बीमा क्लेम नहीं मिल सका, जिसके कारण उसको आर्थिक क्षति उठानी पडी है ।
19. परिवादी का कथन है कि विपक्षी नं0 1 दिनांक 05.10.02 को उसका प्रश्नगत टैªक्टर ठीक करने के लिए परिवादी के घर से ले गये, किन्तु उन्होंने टैªक्टर वापस नहीं किया । विपक्षी नं0 1 द्वारा टैªक्टर ले जाने के संबंध में परिवादी ने बैंक आॅफ बडौदा के मैनेजर तथा पुलिस और प्रशासन के उच्च अधिकारियों को सूचना भेजी, लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई । परिवादी के साक्षी ओम पाल सिहं एवं वीरपाल के शपथपत्र से भी यह सिद्व होता है कि विपक्षी नं0 1 प्रश्नगत टैªक्टर परिवादी के घर से ठीक करने के लिए ले गये, परन्तु उन्होंने उक्त टैªक्टर वापस नहीं किया । इन तथ्यों से ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षी नं0 1 ने मोटर वाहन अधिनियम के प्राविधानों के विरूद्व अपंजीकृत टैªक्टर परिवादी को दिया था तथा अपनी इस त्रुटि से बचने के उद्देश्य से वह टैªक्टर परिवादी के कब्जे में मरम्मत करने के बहाने ले गये और फिर कभी वापस नहीं किया ।
20. प्रस्तुत केस में परिवादी को दोहरी क्षति उठानी पडी है । विपक्षी नं0 1 इस अनुचित आचरण व व्यापार प्रथा के कारण परिवादी को दोहरी क्षति उठानी पडी है । एक ओर उसे बैंक को ब्याज सहित ऋण की धनराशि अदा करनी पडी तथा दूसरी ओर वह टैªक्टर से लाभ कमाने से वंचित रह गया । परिवादी की ओर से यह कहा गया है कि विपक्षी नं0 1 ने प्रश्नगत टैªक्टर के साथ कोई सामान नहीं दिया था, किन्तु इस तथ्य को परिवादी साबित नहीं कर सका है । परिवादी ने टैªक्टर में निर्माणसंबंधी त्रुटि की भी बात की है, परन्तु वह अपने इस कथन को भी साबित नहीं कर सका है । विपक्षी नं0 2 प्रश्नगत टैªक्टर की निर्माता कम्पनी है । परिवादी के निर्माण संबंधी त्रुटि साबित न कर पाने के कारण निर्माता कम्पनी के विरूद्व परिवादी कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर यह सिद्व है कि विपक्षी नं0 1 ने अनुचित व्यापार प्रथा अपनाते हुए परिवादी को बेचा गये टैªक्टर का पंजीकरण नहीं कराया, जबकि उसका यह उत्तरदायित्व था कि टैªक्टर पंजीकृत कराने के बाद ही वह टैªक्टर को के्रता को सुपुर्द करता । परिवादी प्रेमपाल सिहं एक कृषक एवं कम पढा व्यक्ति है । संभवतः इसी कारण उसने विके्रता पर विश्वास किया और बिना पंजीकरण के टैªक्टर को ले गया और उसका संचालन करता है । साक्ष्य से यह भी सिद्व है कि विपक्षी नं0 1 प्रश्नगत टैªक्टर परिवादी के घर से ठीक करने के लिए ले गये और उसको वापस नहीं किया । टैªक्टर को खरीदे हुए 13 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं । इस समय टैªक्टर की क्या दशा है, यह स्पष्ट नहीं है । अतः इतने लम्बे अंतराल के बाद प्रश्नत टैªक्टर को पंजीकृत कराने और उसका कब्जा परिवादी को देना संभव प्रतीत नहीं होता है । अतः हमारी राय में टैªक्टर के के्रता परिवादी प्रेमपाल को विपक्षी नं0 1 टैªक्टर का मूल्य अंकन 330000/-रूपये दिलाया जाना उचित होगा तथा साथ ही साथ परिवादी को टैªक्टर वापस न करने के कारण उसको जो आर्थिक क्षति हुई है, उसकी क्षतिपूर्ति के रूप में विपक्षी नं0 1 से परिवादी कोे 30,000/-रूपये, शारीरिक व मानसिक कष्ट के रूप में 20,000/-रूपये दिलाया जाना उचित होगा । अतः परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्व उपरोक्तानुसार स्वीकार होने योग्य है ।
आदेश
परिवादी प्रेमपाल सिहं का परिवाद विपक्षी नं0 1 मैसर्स एस0पी0जी0 आॅटो के विरूद्व आज्ञप्त किया जाता है । विपक्षी नं0 1 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी के टैªक्टर का मूल्य 3,30,000/-रूपये परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित एक माह के अंदर अदा करे ।
इसके अतिरिक्त विपक्षी नं0 1 परिवादी को आर्थिक क्षति में 30,000/-रूपये, शारीरिक व मानसिक क्षति के लिए 20,000/-रूपये तथा वाद व्यय में 10,000/-रूपये निर्णय की तिथि से एक माह के अंदर अदा करें ।
( श्रीमती सीमा शर्मा ) ( बालेन्दु सिहं )
सदस्या अध्यक्ष
आदेश व निर्णय आज दिनांक 20.07.2015 को खुली अदालत में घोषित किया गया ।
( श्रीमती सीमा शर्मा ) ( बालेन्दु सिहं )
सदस्या अध्यक्ष