राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
पुनरीक्षण संख्या:-77/2019
(जिला फोरम, कानपुर नगर द्धारा परिवाद सं0-203/2016, परिवाद सं0-626/2015, परिवाद सं0-625/2015, परिवाद सं0-451/2015, परिवाद सं0-450/2015 में पारित आदेश दिनांक 24.4.2019 के विरूद्ध)
1- M/s Jaina Properties & Finance Limited, office at Jaina Palace Ratan Lal Nagar Kanpur Head Office at 52-A Cannaught Place New Delhi, through its Director.
2- M/s Rajendra Jaina, Group of Company, Local office Jaina Palace Ratan Lal Nagar Kanpur Head Office at 52-A Cannaught Place New Delhi.
3- Dilawar Singh, Local manager Jaina Palace Ratan Lal Nagar Kanpur.
4- Rajendra Jain, R/o 52 Cannaught Place New Delhi.
........... Revisionist
Versus
Subhash Chandra Sureka, S/o Late Ram Richpal Sureka, R/o ig-42, Ratan Lal Nagar Kanpur Nagar.
…….. Respondent
पुनरीक्षण संख्या:-76/2019
1- M/s Jaina Properties & Finance Limited, office at Jaina Palace Ratan Lal Nagar Kanpur Head Office at 52-A Cannaught Place New Delhi, through its Director.
2- M/s Rajendra Jaina, Group of Company, Local office Jaina Palace Ratan Lal Nagar Kanpur Head Office at 52-A Cannaught Place New Delhi.
3- Dilawar Singh, Local manager Jaina Palace Ratan Lal Nagar Kanpur.
4- Rajendra Jain, R/o 52 Cannaught Place New Delhi.
........... Revisionist
Versus
Jitender Jain, S/o R.C. Jain, through its attorney Santokh Singh, S/o Late Shyam Singh, R/o 122/676 Shastri Nagar Kanpur.
…….. Respondent
-2-
पुनरीक्षण संख्या:-75/2019
1- M/s Jaina Properties & Finance Limited, office at Jaina Palace Ratan Lal Nagar Kanpur Head Office at 52-A Cannaught Place New Delhi, through its Director.
2- M/s Rajendra Jaina, Group of Company, Local office Jaina Palace Ratan Lal Nagar Kanpur Head Office at 52-A Cannaught Place New Delhi.
3- Dilawar Singh, Local manager Jaina Palace Ratan Lal Nagar Kanpur.
4- Rajendra Jain, R/o 52 Cannaught Place New Delhi.
........... Revisionist
Versus
Mahinder Singh Sayan, S/o Late S. Sarwan Singh, R/o 123/171 Gadarianpurwa Kanpur Nagar.
…….. Respondent
पुनरीक्षण संख्या:-74/2019
1- M/s Jaina Properties & Finance Limited, office at Jaina Palace Ratan Lal Nagar Kanpur Head Office at 52-A Cannaught Place New Delhi, through its Director.
2- M/s Rajendra Jaina, Group of Company, Local office Jaina Palace Ratan Lal Nagar Kanpur Head Office at 52-A Cannaught Place New Delhi.
3- Dilawar Singh, Local manager Jaina Palace Ratan Lal Nagar Kanpur.
4- Rajendra Jain, R/o 52 Cannaught Place New Delhi.
........... Revisionist
Versus
Jitendra Jain, S/o R.C. Jain, through its attorney Santokh Singh, S/o Late Shyam Singh, R/o 122/676 Shastri Nagar, Kanpur.
…….. Respondent
पुनरीक्षण संख्या:-73/2019
1- M/s Jaina Properties & Finance Limited, office at Jaina Palace Ratan Lal Nagar Kanpur Head Office at 52-A Cannaught Place New Delhi, through its Director.
-3-
2- M/s Rajendra Jaina, Group of Company, Local office Jaina Palace Ratan Lal Nagar Kanpur Head Office at 52-A Cannaught Place New Delhi.
3- Dilawar Singh, Local manager Jaina Palace Ratan Lal Nagar Kanpur.
4- Rajendra Jain, R/o 52 Cannaught Place New Delhi.
........... Revisionist
Versus
S.K. Srivastava, S/o Late Nanak Saran Srivastava, R/o 148/4, Shastri Nagar Kanpur.
…….. Respondent
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
पुनरीक्षणकर्ता के अधिवक्ता : श्री सर्वेश कुमार शर्मा
विपक्षी के अधिवक्ता : श्री मोहित ढींगरा एवं
श्री आलोक सिन्हा
दिनांक :-20.11.2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
जिला फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-450/2015 महेन्द्र सिंह बनाम जैना प्रापर्टी, परिवाद सं0-451/2015 एस0के0 श्रीवास्तव बनाम जैना प्रापर्टीज, परिवाद सं0-625/2015 जितेन्द्र जैन बनाम जैना प्रापर्टी, परिवाद सं0-626/2015 जितेन्द्र जैन बनाम जैना प्रापर्टी और परिवाद सं0-203/2016 सुभाष बनाम जैना प्रापर्टी में संयुक्त रूप से पारित आदेश दिनांक 24.4.2019 के द्वारा प्रत्येक परिवाद में अलग-अलग प्रस्तुत प्रार्थना पत्र निरस्त करते हुए यह आदेशित किया है कि प्रत्येक परिवाद में मियाद के बिन्दु पर अंतिम निर्णय के समय विचार किया जायेगा। जिससे क्षुब्ध होकर प्रत्येक
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परिवाद के विपक्षीगण ने अलग-अलग उपरोक्त पुनरीक्षण याचिकायें धारा-17 (1) (बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की हैं।
सभी पुनरीक्षण याचिकाओं में विचारणीय बिन्दु सामान है। अत: सभी पुनरीक्षण याचिकाओं का निस्तारण एक संयुक्त आदेश के द्वारा किया जा रहा है।
सभी पुनरीक्षण याचिकाओं में पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा उपस्थित आये हैं। पुनरीक्षण याचिका सं0-77/2019 में विपक्षी सुभाष चन्द्र सुरेखा के विद्वान अधिवक्ता श्री मोहित ढींगरा उपस्थित हुए है। अन्य सभी पुनरीक्षण याचिकाओं में विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा उपस्थित हुए है।
मैंने सभी पुनरीक्षण याचिकाओं में उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
सभी पुनरीक्षण याचिकाओं के निस्तारण हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि उपरोक्त सभी पुनरीक्षण याचिकाओं से सम्बन्धित परिवाद जिला फोरम ने पंजीकरण के स्तर पर ही कालबाधा के आधार पर निरस्त कर दिया था, जिससे क्षुब्ध होकर प्रत्येक परिवाद के परिवादी ने अपील राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की और अपील राज्य आयोग ने स्वीकार करते हुए परिवादी जिला
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फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित किया कि जिला फोरम परिवाद पंजीकृत कर निस्तारण करें। तब राज्य आयोग के आदेश के विरूद्ध पुनरीक्षण याचिका मा0 राष्ट्रीय आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई, जिसमें मा0 राष्ट्रीय आयोग ने राज्य आयोग के आदेश में हस्तक्षेप किये बिना जिला फोरम को निर्देशित किया है कि जिला फोरम उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: मियाद बाधा के बिन्दु पर निर्णय राज्य आयोग के आदेश से प्रभावित हुए बिना देगा। अत: विपक्षीगण की ओर से जिला फोरम के समक्ष प्रत्येक परिवाद में मियाद बाधा के बिन्दु को प्रारम्भिक रूप में निस्तारित करने हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया है, जिस पर जिला फोरम ने यह आदेश पारित किया है कि मियाद बाधा के बिन्दु पर अंतिम निर्णय के समय विचार किया जायेगा।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आदेश धारा-24 ए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्राविधान के विरूद्ध है। धारा-24 ए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत निर्धारित समय सीमा के बाद प्रस्तुत परिवाद को सुनवाई हेतु ग्रहण नहीं किया जायेगा। परिवाद तभी सुनवाई हेतु ग्रहण किया जायेगा जब विलम्ब का कारण दर्शित किया गया हो और दर्शित कारण से जिला फोरम लिपिबिध करणों के आधार पर संतुष्ट है। अत: जिला फोरम ने मियाद के बिन्दु को, जो अंतिम
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निर्णय के समय निर्णीत करने का आदेश पारित किया है वह विधि विरूद्ध है।
पुनरीक्षणकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा कालबाधा के बिन्दु को निस्तारित किये बिना परिवाद की अग्रिम कार्यवाही किया जाना विधि सम्मत नहीं है।
प्रत्येक पुनरीक्षण याचिका में विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि मियाद बाधा के बिन्दु का निर्णय साक्ष्य पर आधारित है। अत: उसे प्रारम्भिक वाद बिन्दु के रूप में निर्णीत न कर जिला फोरम ने जो अंतिम निर्णय के समय इस बिन्दु पर विचार करने का पारित किया है, वह उचित है उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पुनरीक्षण याचिका में पारित आदेश और धारा-24 ए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्राविधान को दृष्टिगत रखते हुए परिवाद में कालबाधा के बिन्दु को निर्णीत किये बिना परिवाद की अग्रिम कार्यवाही किया जाना विधि सम्मत नहीं है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश अपास्त कर जिला फोरम को यह निर्देशित किया जाना उचित है कि वह प्रत्येक परिवाद में कालबाधा के बिन्दु पर उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर आदेश पारित करे और उसके बाद यदि परिवाद
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ग्रहण किया जाता है तो विधि के अनुसार अग्रिम कार्यवाही सुनिश्चित करें।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर उपरोक्त पॉचों पुनरीक्षण याचिकायें स्वीकार की जाता है और प्रत्येक पुनरीक्षण याचिका से सम्बन्धित परिवाद में जिला फोरम को निर्देशित किया जाता है कि वह प्रत्येक परिवाद में कालबाधा के बिन्दु पर उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पुनरीक्षण याचिका में पारित आदेश के अनुसार पुन: आदेश पारित करे और उसके बाद यदि परिवाद ग्रहण किया जाता है तो अग्रिम कार्यवाही विधि के अनुसार सुनिश्चित करें।
प्रत्येक पुनरीक्षण याचिका में उभय पक्ष अपना अपना वाद व्यय स्वयं बहन करेंगे।
इस निर्णय की मूल प्रति पुनरीक्षण सं0-77/2019 में रखी जाये एवं इस निर्णय की एक प्रतिलिपि पुनरीक्षण सं0-76/2019, पुनरीक्षण सं0-75/2019, पुनरीक्षण सं0-74/2019 और पुनरीक्षण सं0-73/2019 में भी रखी जाये।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1