जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 196/2019
उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-31.01.2019
परिवाद के निर्णय की तारीख:-27.09.2024
यदुनाथ पुत्र स्व0 कल्लू उम्र 61 वर्ष लगभग, निवासी-17/90, सेक्टर-17, इन्दिरा नगर, लखनऊ-226016 । ............परिवादी।
बनाम
स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, मुंशी पुलिया, इन्दरा नगर, लखनऊ द्वारा शाखा प्रबन्धक। ............विपक्षी।
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-श्री संजय कुमार कुन्तल।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-श्री गोपाल कृष्ण श्रीवास्तव।
आदेश द्वारा-श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
निर्णय
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत इस आशय से योजित किया गया है कि उसके खाते से अवैध रूप से निकला हुआ 20,600.00 रूपये मय 24 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से वास्तविक अदायगी तक, मानसिक, आर्थिक सामाजिक कष्ट के लिये 50,000.00 रूपये, अधिवक्ता शुल्क एवं वाद व्यय के रूप में 10,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया गया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी एक वरिष्ठ नागरिक है। उसका तथा उसकी पत्नी का एक संयुक्त खाता भारतीय स्टेट बैंक, इंदिरा नगर, लखनऊ में संचालित है जिसका खाता संख्या 20115539409 है। परिवादी की बड़ी पुत्री श्रीमती सीता जो मुम्बई में रहती है उन्होंने अपनी छोटी बहन ओमना की शादी के लिये 20,000.00 रूपये दिनॉंक 19.09.2018 को परिवादी के खाते में भेजा था जिसका एस0एम0एस0 भी आया था।
3. परिवादी दिनॉंक 24.09.2018 को भारतीय स्टेट बैंक मुंशी पुलिया इंदिरा नगर पैसा निकालने गया तो उसे पता चला कि दिनॉंक-20.09.2018 को 20,000.00 रूपये खाते से अवैध तरीके से निकल चुका है। परिवादी ने जानकारी करने हेतु पास बुक में इंट्री करवायी तो पता चला कि दिनॉंक 19.09.2018 को 500.00 रूपये तथा 18.09.2018 को 100.00 रूपये भी अवैध रूप से निकल गये हैं। इसकी शिकायत शाखा प्रबंधक एस0बी0आई0 मुशी पुलिया, इंदिरा नगर से की गयी तो उन्होंने बताया कि पैसा आपकी बेटी के खाते में वापस जमा हो गया है। परिवादी ने अपनी बेटी से बात की तथा बेटी ने पासबुक में इंट्री कराकर परिवादी के व्हाटस ऐप पर स्टेटमेंट भेजा जिसे शाखा प्रबंधक को दिखाया गया कि कहीं से भी पैसा रिटर्न होने की जानकारी नहीं है, तो विपक्षी ने बताया कि पैसा दो-तीन दिन में वापस आ जायेगा।
4. परिवादी द्वारा दिनॉंक 24.09.2018 को एस0बी0आई0 द्वारा जारी अपना ए0टी0एम0 कार्ड बंद करा दिया गया तथा एक शिकायत पत्र शाखा प्रबन्धक को दिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि आपका पैसा दो-तीन दिन में वापस आ जाएगा, परन्तु पैसा वापस नहीं आया। परिवादी ने शाखा प्रबन्धक को दिनॉंक 25.09.2018 को एक प्रार्थना पत्र दिया गया तथा बैंक के टोल फ्री नम्बर पर शिकायत दर्ज करायी जिसका शिकायत नम्बर क्रमश: 4805823291,4805827896, एवं 4805827948 है।
5. परिवादी को दिनॉंक 28.09.2018 को उसके पंजीकृत मोबाइल नम्बर 9450658186 पर एस0एम0एस0 आया कि आपकी समस्या का समाधान कर दिया गया है। अत: परिवादी दिनॉंक 01.10.2018 को शाखा प्रबन्धक (विपक्षी) से मिला तो उन्होंने बताया कि दो तीन दिन का समय और लगेगा। परिवादी ने पुन: दिनॉंक 03.10.2018 को एक प्रार्थना पत्र विपक्षी को हस्तगत कराया तथा दिनॉंक 06.10.2018 को शाखा प्रबंधक से मिला तो उन्होंने अवगत कराया कि अभी 20 दिन और लगेंगे। अंत में विपक्षी से कोई समाधान न मिलने के बाद परिवादी ने थकहार कर अंत में दिनॉंक 06.10.2018 को एक लिखित तहरीर थानाध्यक्ष, गाजीपुर लखनऊ को दिया व उसके साथ हुई धोखा-धड़ी से अवगत कराया गया, परन्तु वहॉं भी समाधान नहीं मिला।
6. परिवादी पुन: विपक्षी के यहॉं गया तो विपक्षी ने परिवादी से एक फार्म Card Holder Declaration-Cum-Complaint Form दिनॉंक 17.10.2018 को भरवाया तथा आश्वासन दिया कि आपका पैसा शीघ्र ही आपके खाते में आ जाएगा, परन्तु एक माह बीत जाने के बाद भी पैसा वापस नहीं आया।
7. परिवादी पुन: विपक्षी से मिला तो उसने दुबारा से एक फार्म ए0टी0एम0 लेन-देन विवाद का दिनॉंक 12.11.2018 को भरवाया और फिर परिवादी को यह आश्वस्त किया कि यदि आपका पैसा 10-15 दिन में नही आता है तो आप बैंकिग लोकपाल, कानपुर में शिकायत कर देना तो आपकी शिकायत का निश्चित समाधान हो जाएगा। परिवादी ने अवैध रूप से निकले पैसे की शिकायत दिनॉंक 06.10.2018 को साइबर क्राइम सेल में भी शिकायत संख्या 1392/2018 पर की परन्तु वहॉं से शिकायत की हार्ड कापी नहीं मिली।
8. परिवादी अत्यधिक परेशान होकर दुबारा से थाना-गाजीपुर में एफ0आई0आर0 दर्ज कराने हेतु दिनॉंक 22.10.2018 को गया तो थाने पर एफ0आई0आर0 नम्बर 1086/2018 दर्ज कर उसकी प्रति दे दी गयी तथा विवेचना चौकी इंचार्ज मुंशीपुलिया को दी गयी, परन्तु वहॉं से भी समस्या का निराकरण नहीं हुआ।
9. उसके बाद परिवादी ने विपक्षी के कहने के अनुसार बैंकिंग लोकपाल में दिनॉंक 05.11.2018 को शिकायत कर दी परन्तु दूरभाष पर ही आश्वासन दिया गया। आज तक 20,600.00 रूपये वापस नहीं मिले। परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-2 (डी) के अंतर्गत विपक्षी का उपभोक्ता है। विपक्षी ने जानबूझकर सेवा में कमी व अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनायी है, जिससे परिवादी को अत्यधिक, मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक क्षति पहुँची है।
10. विपक्षी द्वारा उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया गया कि उसके बैंक में परिवादी व उसकी पत्नी का संयुक्त खाता संख्या-201155;39409 संचालित है। विपक्षी का यह भी कथानक है कि दिनॉंक 19.09.2018 को मुम्बई से उसकी बेटी ने 20,000.00 रूपये इनके खाते में ट्रान्सफर किया था। बैंक स्टेटमेंट में यह ट्राजैक्शन अंकित है। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में कुल तीन ट्रान्जैक्शन का उल्लेख किया गया है जो उसके द्वारा नहीं किए गए हैं। विपक्षी बैंक का कथन है कि परिवादी को ए0टी0एम0 भी दिया गया है। परिवादी जब तक अपने पिन व पासवर्ड का उपयोग नहीं करता है तब तक कोई ट्रान्जैक्शन नहीं हो सकता।
11. परिवादी के परिवार अथवा कोई अन्य संबंधी जिसको इनका ए0टी0एम0 पिन/पासवर्ड मालूम रहा होगा उसी द्वारा यह ट्रान्जैक्शन किया गया होगा। पहली निकासी पे0टी0एम0 से दिनॉंक 18.09.2018 को 100.00 रूपये हुई। दूसरी निकासी दिनॉंक 19.09.2018 को 500.00 रूपये की हुई तथा तीसरी निकासी दिनॉंक 20.09.2018 को 20,000.00 रूपये की “एल कम्युनीकेशन ” के पक्ष में ए0टी0एम0 से हुई। विपक्षी का कथन है कि ये तीनों ट्रान्जैक्शन में ए0टी0एम0 पिन/पासवर्ड के प्रयोग के बिना भुगतान होना संभव नहीं है। इसमें परिवादी द्वारा लापरवाही बरते जाने से उसके ए0टी0एम0 पिन का दुरूपयोग हुआ है।
12. विपक्षी का यह भी कथानक है कि द्वारा ही कहने पर परिवादी ने ए0टी0एम0 ब्लाक किया, इसके अलावा बैंक द्वारा इनसे Card Holder Declaration-Cum-Complaint Form तथा ए0टी0एम0 लेन-देन विवाद फार्म भी भरवाया गया तथा यह सलाह दी गयी कि बैंकिंग लोकपाल ओम्बडर्समैन के यहॉं परिवाद दाखिल करे। परिवादी द्वारा विपक्षी के कहने पर बैंकिंग लोकपाल में भी परिवाद दाखिल किया गया, परन्तु बैंकिंग लोकपाल ने समस्त तथ्यों के परिशीलन के बाद इनकी शिकायत की सुनवाई बंद कर दी। इस प्रकार स्पष्ट है कि विपक्षी द्वारा परिवादी की सेवा में कोई कमी नहीं की है और न ही कोई अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनायी गयी है। अत: परिवाद पोषणीय न होने के कारण समाप्त किये जाने का अनुरोध किया गया है।
13. परिवादी ने अपने कथानक के समर्थन में मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में परिवादी द्वारा शाखा प्रबन्धक को लिखा गया पत्र, थानाध्यक्ष को लिखा गया पत्र, शिकायत प्रपत्र, आवेदन पत्र, प्रथम सूचना रिपोर्ट, एवं अन्य अभिलेखों की छायाप्रतियॉं दाखिल की गयी हैं। विपक्षी की ओर से भी शपथ पत्र दाखिल किया गया है।
14. आयोग द्वारा उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।
15. परिवादी का कथानक है कि परिवादी की पत्नी के साथ उसका एक संयुक्त बैंक खाता संख्या-20115539409 स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, इन्दिरा नगर, लखनऊ में संचालित है। परिवादी की बड़ी पुत्री श्रीमती सीता जो मुम्बई में रहती है उसने अपनी छोटी बहन ओमना की शादी के लिये परिवादी के उक्त बैंक खाते में 20,000.00 रूपये दिनांक 19.09.2018 को ट्रान्सफर किया जिसका एस0एम0एस0 भी आया था। परिवादी दिनॉंक 24.09.2018 को एस0बी0आई0 मुंशीपुलिया इंदिरा नगर बेटी द्वारा भेजे गये पैसे को निकालने गया तो उसे पता चला कि दिनॉंक 20.09.2018 को ही 20,000.00 रूपये अवैध तरीके से निकल चुका है। परिवादी ने तत्समय पासबुक में इंट्री करवाई तो पता चला कि उसके खाते से दिनॉंक 18.09.2018 को 100.00 रूपये तथा दिनॉक 19.09.218 19.09.2018 को 500.00 रूपये तथा 20.09.2018 को 20,000.00 रूपये अवैध तरीके से निकल गए हैं। परिवादी ने इसकी शिकायत बैंक के शाखा प्रबन्धक से की गयी तो उन्होंने बताया कि पैसा आपकी बेटी के खाते में वापस चला गया होगा। परिवादी ने अपनी बेटी से इस बात की पुष्टि की तो ज्ञात हुआ कि पैसा वापस नहीं गया है। बेटी ने बैंक स्टेटमेंट परिवादी को भेजा जिसे बैंक प्रबन्धक को दिखाया गया तो उन्होंने आश्वासन दिया कि पैसा दो-तीन दिन में वापस आ जाएगा। परिवादी ने दिनॉंक 24.09.2018 को ही शाखा प्रबंधक के कहने पर अपना ए0टी0एम0 बंद करा दिया। परिवादी ने शाखा प्रबंधक को क्रमश: दिनॉंक 24.09.2018 तथा 25.09.2018 को प्रार्थना पत्र दिया कि आना कानी करते हुए उसको अवैध तरीके से काटा गया पैसा वापस कराने का कष्ट करें।
16. परिवादी ने टोलफ्री नम्बर पर भी क्रमश: शिकायत संख्या 480582391, 4805827896 तथा 4805827948 पर शिकायत दर्ज करायी। परिवादी ने दिनॉंक 01.10.2018 को पुन: शाखा प्रबन्धक से मुलाकात की तो उन्होंने पुन: आश्वासन दिया कि दो-तीन दिन और लग जायेगा पैसा वापस आ जाएगा। परिवादी का पैसा वापस नहीं आया तो फिर उसने दिनॉंक 03.10.2018 तथा 06.10.2018 को शाखा प्रबन्धक को प्रार्थनापत्र दिया गया जिसमें शाखा प्रबन्धक द्वारा बताया गया कि 20 दिन में समस्या का समाधान हो जायेगा। परन्तु जब कोई हल नहीं निकला तो परिवादी द्वारा दिनॉंक 20.10.2018 को थाना गाजीपुर लखनऊ में एफ0आई0आर0 नम्बर 1086/2020 दर्ज करायी गयी परन्तु वहॉं से भी कोई समाधान नहीं मिला।
17. परिवादी पुन: विपक्षी शाखा प्रबन्धक के यहॉं गया तो विपक्षी ने परिवादी से एक फार्म Card Holder Declaration-Cum-Complaint Form दिनॉक 17.10.2018 को तथा दिनॉंक 12.11.2018 को ए0टी0एम0 लेन देन विवाद प्रपत्र भरवाया तथा यह सुझाव दिया कि यदि आपका पैसा10-15 दिन में वापस नहीं आता है तो आप बैंकिग लोकपाल कानपुर में शिकायत दर्ज करायें । परिवादी ने दिनॉंक 05.11.2018 को शिकायत दर्ज करायी परन्तु वहॉं भी इनकी शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। परिवादी ने दिनॉंक 06.10.2018 को ही Cyber Crime Cell में शिकायत संख्या 1392/2018पर दर्ज करायी परन्तु कहीं से उसे सहायता नहीं मिली तब उसने थक हारकर जिला उपभोक्ता आयोग में वाद दायर किया।
18. बैंक स्टेटमेंट देखने से यह स्पष्ट होता है कि दिनॉंक 16.09.2018 को 100.00 रूपये तथा दिनॉंक 19.09.2018 को 500.00 रूपये का ट्रांजैक्शन पेटियम से किया गया है तथा दिनॉंक 20.09.2018 को 20,000.00 रूपये का ट्रांजैक्शन किसी एल0 कम्युनिकेशन को ए0टी0एम0 से किया गया है। बैंक से ट्रांजैक्शन ए0टी0एम0 के जरिए किया गया है, जिसमें पिन नम्बर व पासवर्ड के बिना कोई ट्रांजैक्शन नहीं किया जा सकता। विपक्षी द्वारा अपने अभिकथन में यह बात कही गयी है। ए0टी0एम0 का पिन नम्बर तथा पासवर्ड गोपनीय होते हैं, जिसे केवल खाताधारक ही जानता है, और खाता धारक इसे सावधानी से व गोपनीय ढंग से प्रयोग करता है। यदि पिन नम्बर व पासवर्ड किसी अन्य के संज्ञान में आ जाता है तभी अवैध ट्रांजैक्शन संभव है अन्यथा नहीं।
19 ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादी के बैंक खाते के ए0टी0एम0 का पिन नम्बर व पासवर्ड किसी अन्य के पास था जिसने उसका दुरूपयोग कर धनराशि 20,600.00 रूपये निकाल लिये। एक तथ्य और ध्यान देने योग्य है कि बैंक स्टेटमेंट में क्रमश: दिनॉंक 24.09.2018 को ए0टी0एम0 के द्वारा तीन बार पैसा निकालने की कोशिश की गयी है और खाते में अपेक्षित धनराशि न होने के कारण ए0टी0एम0 डिक्लाइन चार्ज के रूप में तीनों बार क्रमश: 23.60 रूपये काटे गये हैं। इसका अभिप्राय यह हुआ कि कोई तीसरा व्यक्ति ए0टी0एम0 के पिन/पासवर्ड का उपयोग कर खाते से धनराशि आहरित कर रहा था, परन्तु उसे यह नहीं मालूम था कि खाते में वास्तव में कितनी धनराशि है। यदि उसे धनराशि मालूम होती तो वह पैसा निकालने का प्रयास खाते की अवशेष वास्तविक धनराशि के अतर्गत ही करता। परन्तु उसे खाते के वास्तविक बैंलेस की जानकारी नहीं थी।
20. दिनॉंक 24.09.2018 को खाते में महज 3,305.00 रूपये ही थे। इस प्रकार इससे तो यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि परिवादी का ए0टी0एम0 का पिन नम्बर व पासवर्ड किसी तीसरे व्यक्ति के पास था जिसने उसका उपयोग किया। परिवादी व उसकी पत्नी के द्वारा कोई गोपनीय जानकारी के लीक होने की वजह से यह ट्रांजैक्शन हुए हैं, इसलिए इसमें खाताधारकों की लापरवाही सिद्ध होती है। विपक्षी बैंक की सेवा में कोई कमी परिलक्षित नहीं होती है, क्योंकि परिवादी जब-जब उनके पास गया उन्होंने कोई न कोई कार्यवाही कर उन्हें सहायता पहुँचायी व सुझाव दिए। ए0टी0एम0 भी उन्हीं के द्वारा लॉक करने को कहा गया। अत: परिवादी की लापरवाही की वजह से ही धनराशि का ट्रांजैक्शन हुआ है। विपक्षी ने सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी का परिवाद उक्त के परिप्रेक्ष्य में खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-27.09.2024