Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/151/2021

SMITA SONKAR - Complainant(s)

Versus

S.B.I - Opp.Party(s)

19 Jun 2023

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/151/2021
( Date of Filing : 29 Jan 2021 )
 
1. SMITA SONKAR
Arguments
lucknow
Utter Pradesh
...........Complainant(s)
Versus
1. S.B.I
.
lucknow
Utter Pradesh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
 HON'BLE MS. Kumar Raghvendra Singh MEMBER
 HON'BLE MS. sonia Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 19 Jun 2023
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या:-  151/2021                                             उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

          श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।

          श्री कुमार राघवेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।             

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-19.01.2021

परिवाद के निर्णय की तारीख:-19.06.2023

श्रीमती स्मिता सोनकर पत्‍नी स्‍व0 आलोक सोनकर पुत्री स्‍व0 रमेश कुमार निवासिनी-सी-40/5 पेपर मिल कालोनी निशातगंज, थाना-महानगर, लखनऊ।

                                                   ...........परिवादिनी।

                            बनाम

1.   श्रीमान् शाखा प्रबन्‍धक, भारतीय स्‍टेट बैंक शाखा-निशातगंज, लखनऊ।

2.   श्रीमान् महाप्रबन्‍धक, भारतीय स्‍टेट बैंक, लोकल हेड आफिस मोती महल रोड, हजरतगं, लखनऊ उत्‍तर प्रदेश                       ...........विपक्षीगण।

                                                                     

परिवादिनी के अधिवक्‍ता का नाम:-श्री राधे श्‍याम यादव।

विपक्षी के अधिवक्‍ता का नाम:-श्री गोपाल कृष्‍ण श्रीवास्‍तव।

आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

                               निर्णय

1.      परिवादिनी ने प्रस्‍तुत परिवाद अन्‍तर्गत धारा 35 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति के रूप में मुबलिग 1,00,000.00 रूपये, मानसिक व आर्थिक क्षति के रूप में 25,000.00 रूपये एवं वाद व्‍यय 5000.00 रूपये, अधिवक्‍ता फीस 10,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

2.      संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति श्री आलोक सोनकर ने पारिवारिक न्‍यायालय में विचाराधीन भरण-पोषण वाद में समझौता के आधार पर भरण-पोषण के रूप में एक एकाउन्‍टपेयी चेक संख्‍या-584429 दिनॉंक 27.02.2020 धनराशि 1,00,000.00 रूपये पंजाब नेशनल बैंक गुमटी नम्‍बर-05 कानपुर में मूल चेक दिनॉंक 21.05.2020 को भुगतान हेतु सौपा था। परिवादिनी के पति श्री आलोक सोनकर की अचानक दिनॉंक 05.08.2020 को मृत्‍यु हो गयी।

3.      परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण की बैंक भारतीय स्‍टेट बैंक शाखा निशातगंज लखनऊ में एक बचत खाता संख्‍या 33206176580 वर्ष 2013 से नियमित रूप से संचालित किया जा रहा है। परिवादिनी ने अपने नाम से निर्गत एक एकाउन्‍ट पेयी चेक संख्‍या 584429 दिनॉंकित 27.02.2020 धनराशि 1,00,000.00 रूपये पंजाब नेशनल बैंक गुमटी नम्‍बर-05 कानपुर की मूल चेक को दिनॉंक 21.05.2020 को विपक्षी संख्‍या 01 की शाखा में भुगतान हेतु प्रस्‍तुत किया था।

4.      विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा मूल चेक को बैंक में जमा कर लेने के पश्‍चात दिनॉंक 28.05.2020 को परिवादिनी को मूल रूप से बैंक रिर्टन मेमो संख्‍या-032231/032001/120 दिनॉंकित 28.05.2020 के पृष्‍ठांकन के साथ वापस कर दिया गया। परिवादिनी द्वारा दिनॉंक-27.02.2020 को परक्राम्‍य लिखित अधिनियम 1881 में वर्णित समय सीमा 03 माह के कई दिन पूर्व यानी दिनॉंक 21.05.2020 को विपक्षीगण के बैंक में जमा कर दिया था, परन्‍तु विपक्षीगण द्वारा निष्क्रिय‍ता एवं लापरवाही पूर्वक कार्य किया गया तथा समय से भुगतान नहीं किया गया, जिसकी सम्‍पूर्ण जिम्‍मेदारी विपक्षीगण की है।

5.      परिवादिनी ने दिनॉंक 23.10.2020 को अपने अधिवक्‍ता के मध्‍यम से विधिक नोटिस पंजीकृत डाक से प्रेषित किया, किन्‍तु नोटिस प्राप्ति के उपरान्‍त भी विपक्षीगण द्वारा कोई भी जवाब नहीं दिया गया।

6.      विपक्षी संख्‍या 01 व 02 द्वारा उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत करते हुए कथन किया गया कि परिवादिनी ने एक चेक संख्‍या 584429 दिनॉंकित 27.02.2020 मुबलिग 1,00,000.00 रूपये भुगतान हेतु विपक्षी संख्‍या 01 के यहॉं प्रस्‍तुत किया था। जो समयावधि तीन माह समाप्ति के लगभग 05 दिन पूर्व ही प्रस्‍तुत किया जो कि अपने आप में पूर्णत: संदेहास्‍पद है। उक्‍त चेक में दिनॉंक में भी परिवर्तन किया गया प्रतीत हो रहा है।

7.      परिवादिनी ने अपने चेक को दिनॉंक 21.05.2020 को बैंक के ड्राप बाक्‍स में डाला था। दिनॉंक 23.05.2020 को चौथे शनिवार का अवकाश था दिनॉंक 24.05.2020 को रविवार का अवकाश तथा दिनॉंक 25.05.2020 को रमजान/ईदुल फितर का सार्वजनिक अवकाश होने के कारण दिनॉंक 26.05.2020 को प्रश्‍नगत चेक भुगतान हेतु संबंधित बैंकर्स के समक्ष प्रस्‍तुत किया जा सका, जो उक्‍त बैंकर्स द्वारा आपत्ति लगाकर वापस किया गया।  विपक्षी ने परिवादी को दिनॉंक 28.05.2020 को मूलरूप में उपरोक्‍त तथ्‍यों से अवगत कराते हुए चेक वापस किया तथा यह भी अवगत कराया कि यदि वह चाहे तो उक्‍त चेक संशोधित कराकर प्रस्‍तुत करे तो उसका भुगतान कराया जा सकता है।

8      परिवादिनी द्वारा जानबूझ कर दुर्भावनापूर्ण ढंग से संबंधित दिनों के अवकाश की जानकारी होने के पश्‍चात भी अपनी गलती को विपक्षी संख्‍या 01 पर अनावश्‍यक रूप से थोपने का प्रयास किया है। परिवादिनी द्वारा पूर्व दिनॉंक की चेक प्रस्‍तुत करना अत्‍यन्‍त संदेहास्‍पद है। परिवादिनी का वर्ष 2013 से खाता नियमित रूप से संचालित है और वह बैंक सेवायें प्राप्‍त कर रही हैं, इसलिए परिवादी को बैंक के नियमित अवकाशों एवं बैंक के सार्वजनिक अवकाशों की विधिवत जानकारी है।

9.      परिवादिनी को इस तथ्‍य की भी अवश्‍य जानकारी होगी कि बैंको में कभी-कभी कम्‍प्‍यूटरों की तकनीकी त्रुटि के कारण कनेक्टिविटी समस्‍या आ जाती है। परिवादिनी का यह कृत्‍य सर्वथा विधि विरूद्ध, त्रुटिपूर्ण एवं दुर्भावनापूर्ण है और किसी भी तरह का कानूनी दबाव डालकर बैंक से धन योजित करने का प्रयास किया जा रहा है, इसलिए परिवादिनी का परिवाद असत्‍य एवं भ्रामक तथ्‍यों पर आधारित होने के कारण खारिज किये जाने योग्‍य है।

10.     परिवादिनी ने मौखिक साक्ष्‍य के रूप में शपथ पत्र तथा दस्‍तावेजी साक्ष्‍य के रूप में चेक संख्‍या 584429, चेक जमा करने की पर्ची, बैंक द्वारा दिया गया रिटन मेमो, विधिक नोटिस, आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल किया है।

11.     मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।

12.     परिवादिनी का कथानक है परिवादिनी के पति श्री आलोक सोनकर ने पारिवारिक न्‍यायालय में विचाराधीन भरण-पोषण वाद में समझौता के आधार पर भरण-पोषण के रूप में एक एकाउन्‍टपेयी चेक संख्‍या-584429 दिनॉंक 27.02.2020 धनराशि 1,00,000.00 रूपये पंजाब नेशनल बैंक गुमटी नम्‍बर-05 कानपुर में मूल चेक दिनॉंक 21.05.2020 को भुगतान हेतु सौपा था। परिवादिनी के पति श्री आलोक सोनकर की अचानक दिनॉंक 05.08.2020 को मृत्‍यु हो गयी।

13.     परिवादिनी ने अपने नाम से निर्गत एक एकाउन्‍ट पेयी चेक संख्‍या 584429 दिनॉंकित 27.02.2020 धनराशि 1,00,000.00 रूपये पंजाब नेशनल बैंक गुमटी नम्‍बर-05 कानपुर की मूल चेक को दिनॉंक 21.05.2020 को विपक्षी संख्‍या 01 की शाखा में भुगतान हेतु प्रस्‍तुत किया था। लेकिन विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा मूल चेक को बैंक में  जमा कर लेने के पश्‍चात दिनॉंक 28.05.2020 को परिवादिनी को मूल रूप से बैंक रिर्टन मेमो संख्‍या-032231/032001/120 दिनॉंकित 28.05.2020 के पृष्‍ठांकन के साथ वापस कर दिया गया।

14.     विपक्षी संख्‍या 01 का कथानक है कि दिनॉंक 21.05.2020 को बैंक के ड्राप बाक्‍स में डाला था और दिनॉंक 22.05.2020 को बैंक शाखा में कम्‍यूटर की तकनीकी गड़बड़ी के कारण उक्‍त चेक प्रस्‍तुत नहीं किया जा सका। उसके बाद तीन दिन का अवकाश होने के कारण चेक क्लियरेंस नहीं हो पाया और यह कहा गया कि आप नया चेक दाखिल करें, विपक्षी संख्‍या-01 द्वारा स्‍वयं इस तथ्‍य को स्‍वीकृत किया गया कि तीन माह के अन्‍दर जो चेक लग जाता है और उसका विधि के अनुसार भुगतान किया जाता है। विपक्षी द्वारा स्‍वीकार भी किया गया है कि तीन माह की समाप्ति के लगभग पॉंच दिन पूर्व ही चेक प्रस्‍तुत किया गया था और जो कि दिनॉंक 21.05.2020 को लगा दिया गया था।

15.     परिवादिनी एक महिला है यह आवश्‍यक नहीं कि उनको सभी अवकाशों की जानकारी हो कि चतुर्थ शनिवार को बैक की छुट्टी होती है या कोई मुस्लिम त्‍योहार है या बैंक में तकनीकी कारणों से कंप्‍यूटर खराब हो गया, यह बैंक की पूर्ण जिम्‍मेदारी है। ऐसा परिलक्षित हो रहा है कि अगर बैंक द्वारा दिनॉंक 21.05.2020 को चेक लगा देते तो समय से क्लियरेंस हो जाता और समय से परिवादिनी को भुगतान प्राप्‍त हो जाता। चॅूंकि विपक्षी द्वारा स्‍वयं इस तथ्‍य को स्‍वीकार किया गया है कि परिवादिनी को निर्देशित किया गया कि पुन: इसे हस्‍ताक्षरित कराकर दाखिल करें। परिवादिनी का स्‍वयं का कथानक यह है कि उसके पति की अचानक मृत्‍यु हो गयी, ऐसी स्थिति में चेक दोबारा रिनीवल किया जाना संभव नहीं था।

16.     प्रस्‍तुत प्रकरण पारिवारिक न्‍यायालय का है, और भरण-पोषण के उद्देश्‍य से पैसा दिया गया है। यह स्‍वाभाविक और व्‍यावहारिक भी नहीं है कि तुरन्‍त ही जाकर वह अपने पति से उस चेक को परिवर्तित करने के लिये आग्रह करे। बादहू पति की मृत्‍यु भी हो गयी है और अब चेक के रिनीवल का कोई प्रश्‍न नहीं है और विपक्षी का यह कहना कि परिवादिनी द्वारा जानबूझकर दुर्भावनापूर्ण तरीके से अवकाश की जानकारी होने के पश्‍चात भी अपनी गलती से विपक्षी संख्‍या 01 के ऊपर अनावश्‍यक रूप से वाद थोपने का प्रयास किया है वह अनुचित है और यह कथन अपने को बचाने के लिये किया गया है। यह तथ्‍य सही है कि चेक का रिनीवल होना संभव नहीं है, और यदि विपक्षी द्वारा समय से चेक लगा दिया जाता तो परिवादिनी को 1,00,000.00 रूपये का भुगतान कर दिया जाता। परन्‍तु ऐसा न करके विपक्षी संख्‍या 01 द्वारा सेवा में घोर कमी की गयी है, जिससे परिवादिनी को मानसिक, आर्थिक कष्‍ट हुआ है।

17.     परिवाद पत्र के कथनों से विदित है कि भरण-पोषण के रूप में जो चेक मिला था वह परिवादिनी ने लगाया और तीन माह के अन्‍दर उसे लगा दिया गया है। परन्‍तु उसका भुगतान नहीं हुआ, अर्थात उसे लगा दिया गया। परन्‍तु उसका भुगतान नहीं हुआ अर्थात उस 1,00,000.00 रूपये के चेक का भुगतान तभी संभव है जब पुन: एक नवीन चेक उसे काटकर दिया जाए। नवीन चेक काटने वाले उसके पति दोनों के बीच में परिवारिक मतभेद, मुकदमेबाजी, न्‍यायालय के आदेश से भरण-पोषण की धनराशि चेक के माध्‍यम से दिया जाना इस तथ्‍य को इंगित करता है कि इन दोनों में आपस में संबंध मधुर नहीं रहे हैं और इस चेक के भुगतान न करने के बाद चॅूंकि विपक्षी द्वारा यह कहा गया है कि, उनसे कहा गया है कि नवीन चेक लग जायेगा और दो माह के अन्‍दर जिसे चेक निर्गत करना था उससे मिलना संभव नहीं था और उसकी मृत्‍यु हो गयी है।

18.     वर्तमान समय में किसी भी परिस्थिति में चेक रिनीवल नहीं हो सकता। अत: निर्गत चेक को पुन: पुर्नजीवित करने का वर्तमान परिस्थितियों में कोई भी संभवना नहीं है और गलती चॅूंकि विपक्षी की थी, इसलिए विपक्षी के कृत्‍य से परिवादिनी को जो मानसिक, शारीरिक कष्‍ट हुआ है उसके लिये परिवादी को क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्‍यायसंगत प्रतीत होता है और चेक के संबंध में कोई भी आदेश पारित नहीं किया जा सकता। अत: परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                            आदेश

       परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से विपक्षी संख्‍या 01 के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्‍या 01 को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को हुए मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक कष्‍ट व वाद व्‍यय के लिये  मुबलिग 1,00,000.00 (एक लाख रूपया मात्र) की धनराशि निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्‍दर भुगतान किया जाना सुनिश्चित करें। निर्धारित अवधि 45 दिवस के अन्‍दर यदि आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण धनराशि पर 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भुगतेय होगा।

     पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रार्थना पत्र निस्‍तारित किये जाते हैं।

     निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

 

(कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)    (सोनिया सिंह)                        (नीलकंठ सहाय)

         सदस्‍य              सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                               लखनऊ।          

आज यह आदेश/निर्णय हस्‍ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।

                                   

(कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)    (सोनिया सिंह)                         (नीलकंठ सहाय)

         सदस्‍य              सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                               लखनऊ।          

दिनॉंक:-19.06.2023

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MS. Kumar Raghvendra Singh]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MS. sonia Singh]
MEMBER
 

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