ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षीगण को आदेशित किया जाये कि वे परिवादी के खाते से दिनांक 02/03/2011 को ए0टीएम0 के माध्यम से निकाले दर्शाये गये 10,000/- (दस हजार रूपया) 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित परिवादी को वापिस करें। मानसिक व शारीरिक क्षति की मद में 80,000/- (अस्सी हजार रूपया), परिवादी ने अतिरिक्त मांगे हैं।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षी सं0-2 की शाखा में परिवादी का एक बचत खाता सं0- 10376317664 है। परिवादी ने ए0टी0एम0 की सुविधा भी ले रखी है। दिनांक 02/03/2011 को प्रात: लगभग 9 बजकर 25 मिनट पर 10,000/- (दस हजार रूपया) निकालने के लिए परिवादी ने रेलवे स्टेशन, मुरादाबाद पर लगे भारतीय स्टेट बैंक के ए0टी0एम0 में अपना कार्ड डाला, किन्तु मशीन ने रेस्पोन्स नहीं दिया तब परिवादी ने रेलवे स्टेशन पर ही लगे बैंक आफ बड़ौदा के ए0टी0एम0 पर जाकर प्रात: 9.30 बजे 10,000/- (दस हजार रूपया) विड्रा किऐ।दिनांक 26/03/2011 को परिवादी ने ए0टी0एम0 का पुन: इस्तेमाल किया उसने ए0टी0एम0 से 3,000/- (तीन हजार रूपया) निकाले जब परिवादी ने अपने खाते में बची शेष धनराशि की जानकारी ली तो उसे पता चला कि दिनांक 02/03/2011 को उसके खाते से 10,000/- - 10,000/- (दस-दस हजार रूपया) की 2 विड्राल एन्ट्री दर्शायी जा रही हैं जबकि उसने केवल 10,000/- रूपया बैंक आफ बड़ौदा के ए0टी0एम0 से निकाले थे, भारतीय स्टेट बैंक के ए0टी0एम0 से रूपये नहीं निकाले थे। परिवादी ने विपक्षी सं0-2 की शाखा में जाकर अपनी पास बुक पूरी करायी। पास बुक में एक के स्थान पर 10,000/- रूपये की 2 डेवित एन्ट्री थी जब परिवादी ने बैंक मैनेजर से शिकायत की तो वे सुनवा नहीं हुऐ उन्होंने कहा कि पैसे आपने ही निकाले होगें। परिवादी के अनुसार उसने मामले की शिकायत विपक्षी सं0-1 से की, किन्तु उन्होंने भी शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया।
- परिवादी का अग्रेत्तर कथन है कि दिनांक 01/04/2011 को उसने ए0टी0एम0 से 1,000/- रूपया निकालने चाहें, उसने ए0टी0एम0 कार्ड मशीन में डाला पर 1,000/- रूपया बाहर तो आये, किन्तु तुरन्त ही ए0टी0एम0 मशीन में वापिस चले गये और परिवादी रूपये प्राप्त नहीं कर पाया। परिवादी ने मशीन से ए0टी0एम0 कार्ड निकलकर पुन: 1,000/- रूपया का ट्रांजक्शन किया तब मशीन से 1,000/- रूपया बाहर आये। जब परिवादी ने बैंक जाकर अपनी पासबुक में एन्ट्री करायी तो उसे आश्चर्य हुआ कि दिनांक 01/04/2011 को कैश विड्राल की उसके खाते में एक गलत एन्ट्री भी थीं जबकि उसने दिनांक 01/04/2011 को नकद 1,000/- रूपया निकाला ही नहीं था। परिवादी का यह भी कथन है कि 01 अप्रैल को बैंक में लेनदेन बन्द रहता है ऐसी दशा में उस दिन कैश विड्राल किया जाना सम्भव नहीं था। परिवादी ने जब इस कैश विड्राल की एन्ट्री की शिकायत बैंक मैनेजर से की तो उक्त एन्ट्री गलत मानते हुऐ उन्होंने 1,000/- रूपया परिवादी के खाते में वापिस कर दिये। परिवादी का कथन है कि नोटिस देने के बाद भी विपक्षीगण दिनांक 02/03/2011 की 10,000/- रूपया की गलत डेविट एन्ट्री को ठीक करने के लिए तैयार नहीं हैं अत: परिवादी को परिवाद योजित करने की आवश्यकता हुई। परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0- 5/1 लगायत 5/2 दाखिल किया गया। प्रतिवाद पत्र में कहा गया कि भारतीय स्टेट बैंक के ए0टी0एम0 से परिवादी ने दिनांक 02/03/2011 को 9 बजकर 29 मिनट 42 सेकेन्ड पर 10,000/ रूपया निकाले थे, परिवादी का यह कथन असत्य है कि उसने विपक्षीगण के ए0टी0एम0 से दिनांक 02/03/2011 को 10,000/- रूपया नहीं निकाले। दिनांक 01/04/2011 को भी परिवादी ने ए0टी0एम0 सं0-10 से प्रात: 6 बजकर 4 मिनट पर 1,000/- रूपया निकाले थे। परिवादी का यह कथन असत्य है कि उसने 1,000/- रूपया ए0टी0एम0 से नहीं निकले। विपक्षीगण ने यह कहते हुऐ कि ए0टी0एम0 कार्ड तथा उसका पिन गोपनीय रखने की जिम्मेदारी परिवादी की है तथा परिवादी अथवा परिवादी की जानकारी के बिना अन्य कोई व्यक्ति परिवादी के ए0टी0एम0 से पैसा नहीं निकाल सकता, परिवाद को सव्यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद पत्र के साथ सूची कागज सं0-3/9 के माध्यम के माध्यम से परिवादी ने विपक्षी सं0-2 को भेजे गये कानूनी नोटिस दिनांकित 26/03/2011 एवं नोटिस दिनांकित 09/04/2011, डाकखाने की रसीद, अपनी बैंक पासबुक की फोटो प्रति, बैंक आफ बड़ौदा के ए0टी0एम0 से 10,000/- रूपये निकाले जाने की स्लिप, बैंक से प्राप्त नोटिस का उत्तर, ए0टी0एम0 के लॉग दिनांकित 02/03/2011 के प्रिन्ट आउट और परिवादी द्वारा विपक्षीगण को भेजे गऐ नोटिस दिनांकित 28/05/2011 की नकलों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0- 3/10 लगायत 3/18 हैं। विपक्षीगण ने प्रतिवाद पत्र के साथ दिनांक 02/03/2011 समय 9 बजकर 29 मिनट 42 सेकेन्ड के ए0टी0एम0 लॉग के प्रिन्ट आउट की प्रमाणित प्रति कागज सं0-5/3 को संलग्नक के रूप में दाखिल किया है।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0- 6/1 लगायत 6/7 दाखिल किया। परिवादी के समर्थन में साक्षी हाजी जावेद इकबाल ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0- 7/1 लगायत 7/3 दाखिल किया।
- विपक्षीगण की ओर से भारतीय स्टेट बैंक के एडमिनिस्ट्रटिव सेल के कैश प्रबन्धक श्री परम सिंह ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-8/1 लगायत 8/3 दाखिल किया।
- प्रत्युत्तर में परिवादी ने अपना रिज्वाइंडर शपथ पत्र कागज सं0- 9/1 लगायत 9/5 प्रस्तुत किया।
- विपक्षीगण की ओर से दिनांक 01/04/2011 को परिवादी द्वारा ए0टी0एम0 से निकाले गये 1,000/- रूपये की ए0टी0एम0 स्लिप तथा परिवादी द्वारा 30 जनवरी, 2011 से 01 मई,2011 तक की अवधि के बैंक स्टेटमेन्ट की कम्प्यूटराइज्ड कापी को दाखिल किया गया है।
- दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है दिनांक 2 मार्च, 2011 को प्रात: रेलवे स्टेशन, मुरादाबाद स्थित स्टेट बैंक आफ इण्डिया की ए0टी0एम0 से उसने 10,000/- रूपया निकालने के लिए जब अपना ए0टी0एम0 कार्ड मशीन में डाला तो मशीन ने कोई रेस्पोन्स नहीं दिया और उसे 10,000/- रूपया प्राप्त नहीं हुऐ। परिवादी ने तुरन्त रेलवे स्टेशन, मुरादाबाद स्थित बैंक आफ बड़ौदा की ए0टी0एम0 मशीन से 10,000/- रूपया विड्रा किये। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने परिवादी की पासबुक की नकल कागज सं0-3/13 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया और तर्क दिया कि दिनांक 02/3/2011 को स्टेट बैंक आफ इण्डिया की ए0टी0एम0 मशीन में कार्ड डालने पर यधपि परिवादी को 10,000/- रूपया नहीं मिले थे इसके बावजूद उसके खाते से स्टेट बैंक आफ इडिया की ए0टी0एम0 मशीन से भी 10,000/- रूपया का विड्राल पासबुक में दर्शाया गया है, जो गलत है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने कहा कि अनुरोध करने और कानूनी नोटिस देने के बावजूद विपक्षीगण गलत तरीके से दिखाई गयी 10,000/- रूपये की इस विड्राल एन्ट्री को ठीक करने और परिवादी के खाते में 10,000/- रूपया वापिस करने को तैयार नहीं हैं। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार विपक्षीगण के कृत्य सेवा में कमी के अन्तर्गत आते हैं।
- प्रत्युत्तर में विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने ए0टी0एम0 लॉग तथा ए0टी0एम0 मशीन के ई0जे0 लॉग दिनांकित 02/03/2011 की प्रति कागज सं0-5/3 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया और तर्क दिया कि परिवादी ने दिनांक 02/03/2011 को प्रात: 9 बजकर 29 मिनट पर स्टेट बैंक आफ इण्डिया की रेलवे स्टेशन, मुरादाबाद स्थित ए0टी0एम0 मशीन से 10,000/- रूपये का सफल ट्रांजक्शन किया था। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने जोर देकर कहा कि परिवादी का यह कथन मिथ्या है कि उसे स्टेट बैंक की ए0टी0एम0 मशीन से दिनांक 02/03/2011 की प्रात: 10,000/- रूपया नहीं मिले थे। उन्होंने परिवादी के समर्थन में उसके साक्षी हाजी जावेद इकबाल द्वारा दिये गये शपथपत्र कागज सं0-7/1 लगायत 7/3 को असत्य कथनों पर आधारित होना बताते हुऐ कहा कि परिवादी का साक्षी हाजी जावेद इकबाल परिवादी के साथ नार्दन रेलवे में सर्विस करता है, एक ही विभाग में होने के कारण उसने परिवादी का समर्थन करने का असफल प्रयास किया है।
- 1 (2013) सी0पी0जे0 पृष्ठ-749 (एन0सी0), स्टेट बैंक आफ इण्डिया बनाम ओम प्रकाश सैनी की रूलिंग वर्तमान मामले तथ्यों पर पूर्णत: लागू होती है। सैनी के उपरोक्त मामले में तथ्य यह थे कि परिवादी ने ए0टी0एम0 मशीन डिफेक्टिव होना बताते हुऐ यह शिकायत की थी कि उसे ए0टी0एम0 मशीन से पैसे नहीं मिले इसके बावजूद ए0टी0एम0 से विड्राल दर्शाते हुऐ उसके खाते से धनराशि काट ली गयी। परिवादी ने इस प्रकार काटी गई रकम की वापिसी की प्रार्थना की जिसे बैंक ने अस्वीकार कर दिया। मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा ओम प्रकाश सैनी के उक्त मामले में यह व्यवस्था दी गई कि अन्य लोगों ने भी ए0टी0एम0 का प्रयोग किया था, किन्तु किसी अन्य व्यक्ति ने ए0टी0एम0 मशीन की बाबत शिकायत नहीं की, ऐसी दशा में यह नहीं माना जा सकता कि शिकायत करने वाले को ए0टी0एम0 से रूपये प्राप्त नहीं हुऐ थे। वर्तमान मामले में विपक्षीगण की ओर से दाखिल ए0टी0एम0 लॉग तथा ए0टी0एम0 मशीन की ई0जे0 लॉग की नकल कागज सं0-5/3 दर्शाती है कि परिवादी को भारतीय स्टेट बैंक से 10,000/- रूपया प्राप्त हुऐ थे।
- हम इस मत के हैं कि मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा दी गयी ओम प्रकाश सैनी की उपरोक्त रूलिंग के दृष्टिगत परिवाद खारिज होने योग्य है।
परिवाद खरिज किया जाता है। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य अध्यक्ष जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद 29.07.2015 29.07.2015 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 29.07.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य अध्यक्ष जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद 29.07.2015 29.07.2015 | |