Uttar Pradesh

Chanduali

CC/47/2013

Nizamuddin - Complainant(s)

Versus

SBI - Opp.Party(s)

26 Sep 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/47/2013
 
1. Nizamuddin
Chaurahat nai Basti Mahmoodabad Katesar Mughalsarai Chandauli
...........Complainant(s)
Versus
1. S.B.I
Mughalsarai Chandauli
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. jagdishwar Singh PRESIDENT
 HON'BLE MR. Markandey singh MEMBER
 HON'BLE MRS. Munni Devi Maurya MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 47                                 सन् 2013ई0
निजामुद्दीन पुत्र उल्फत अली निवासी चैरहट(महमूदाव) पो0 कटेसर जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
1-भारतीय स्टेट बैंक शाखा मुगलसराय स्थित परमार कटरा मुगलसराय जिला चन्दौली।
2-भारतीय स्टेट बैंक क्षेत्रीय कार्यालय स्थित कचहरी चैराहा वाराणसी।
                                            .............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
माननीय श्री जगदीश्वर सिंह, अध्यक्ष
माननीया श्रीमती मुन्नी देवी मौर्या सदस्या
माननीय श्री मारकण्डेय सिंह, सदस्य
                               निर्णय
द्वारा श्री जगदीश्वर सिंह,अध्यक्ष
1-    परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण से जमा चेक की धनराशि मु0 2000/- मय 9 प्रतिशत ब्याज एवं शारीरिक मानसिक क्षति हेतु मु0 25000/-एवं खर्चा मुकदमा दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
2-    संक्षेप में परिवादी की ओर से कथन किया गया है कि परिवादी ने दिनांक 14-7-2012 को अपने खाता संख्या 30704671750 से दो बैंक ड्रापट जिसका नम्बर 448991 मु0 2000/- एवं 448992 मु0 300/-विपक्षी संख्या 1 के यहाॅं से जारी कराया। परिवादी ने मु0 2000/- के डिमाण्ड ड्रापट को अपने नाम व मोबाइल नम्बर व पते के साथ उपरोक्त खाते में जमा किया। परिवादी अपने खाते को अपडेट कराने के लिए बैंक में गया तो ज्ञात हुआ कि ड्रापट संख्या 448991 की धनराशि उसके खाते में अपडेट नहीं हुई थी। जिसके सम्बन्ध में परिवादी ने बैंक के कर्मचारियों से शिकायत किया तो गोल-मटोल बात करके परिवादी को संतोषजनक जबाब नहीं दिये। तदोपरान्त परिवादी उपरोक्त शिकायत को लेकर शाखा प्रबन्धक से मिला तो उनके द्वारा कहा गया कि एकाउटेण्ट से बात करें। परिवादी एकाउटेण्ट के पास गया तो एकाउटेण्ट बात करने से इन्कार कर दिया, और बैंक में तैनात सुरक्षागार्ड ने परिवादी को बैंक से बाहर कर दिया। इस आधार पर परिवादी द्वारा परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
3-    विपक्षी संख्या 1 की ओर से संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी को उपरोक्त धनराशि बैंक द्वारा प्रदान कर दी गयी है। अतः अब परिवादी किसी अनुतोष को प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है और परिवादी का परिवाद खारिज फरमाया जाय। परिवादी को खाते पर के0वाई0सी0 की आवश्यकता थी। जो के0वाई0सी0 परिवादी के खाते में थी वह बहुत पुराना हो गया था जिसके सम्बन्ध में समस्त पुराने खाताधारको से के0वाई0सी0 प्राप्त करने हेतु निर्देश दिया गया था।जिसका अनुपालन परिवादी ने लापरवाही की और समय से के0वाई0सी0 प्रस्तुत नहीं कराया,जिसके बिलम्ब होने से परिवादी के खाते में रकम आने में देर हुई है।
                                                                                  2
इसमे बैंक द्वारा जानबूझकर गलती या देरी नहीं की गयी है। इस आधार पर परिवादी के परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
4-    परिवादी की ओर से शपथ पत्र एवं फेहरिस्त के साथ बैंक पासबुक की छायाप्रति कागज संख्या 12/2 दाखिल किया गया है। विपक्षी संख्या 1 की ओर से फेहरिस्त के साथ परिवादी के बैंक खाते का स्टेटमेन्ट कागज संख्या 14/1 दाखिल किया गया है। विपक्षी संख्या 2 को जरिये रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गयी जो उन्हें तामिल भी हुई लेकिन विपक्षी संख्या 2 की ओर से वाद का प्रतिवाद करने हेतु कोई हाजिर नहीं आये। अतः परिवाद विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से चलाया गया।
5-    हम लोगों ने परिवादी एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता के तर्को को सुना है, तथा पत्रावली का गम्भीरतापूर्वक अवलोकन किया है।
6-    उभय पक्ष के अभिकथनों से यह तथ्य निर्विवादित है कि परिवादी का भारतीय स्टेट बैंक की शाखा मुगलसराय में खाता है जिसका नम्बर 30704671750 है। परिवादी ने दिनांक 26-9-2012 को इस खाते में मु0 2,000/-का डिमाण्ड ड्रापट जमा किया।परिवादी का कथन है कि जब वह बैंक में अपना खाता अपडेट कराने के लिए गया तब उसे मालूम हुआ कि उपरोक्त मु0 2000/-का जो ड्रापट जमा किया था उसका भुगतान उसके खाते में नहीं हुआ है। इसकी शिकायत परिवादी ने बैंक के शाखा प्रबन्धक और कर्मचारियों से करता रहा लेकिन बैंक के कर्मचारी कोई कार्यवाही नहीं किये और इस प्रकार दावा दाखिल करने की तिथि 2-9-2013 अर्थात लगभग 1 वर्ष 4 माह की अवधि व्यतीत हो जाने के बावजूद उपरोक्त ड्रापट की धनराशि उसके खाते में नहीं आई। इस आधार पर सेवा में कमी बताते हुए परिवादी ने दावा प्रस्तुत किया है।
7-    दावा की नोटिस प्राप्त होने के बाद विपक्षी बैंक की ओर से जबाबदावा दिनांक 24-2-2014 को प्रस्तुत किया गया है जिसमे कथन किया गया है कि परिवादी के खाते में जो के0वाई0सी0 थी वह पुरानी थी। आर0के0वाई का निर्देश है कि समस्त पुरानें खातों का नया के0वाई0सी0 प्राप्त किया जाय। जिसका अनुपालन करने में परिवादी ने लापरवाही किया है जिसकी वजह से बैंक ड्रापट की रकम उसके खाते में आने में विलम्ब हुआ है। बैंक का कथन है कि परिवादी के ड्रापट की राशि बैंक ने उसके खाते में प्रदान कर दिया है। इस संदर्भ में परिवादी के खाते का विवरण बैंक द्वारा प्रस्तुत किया गया है जिसके परिशीलन से पाया जाता है कि परिवादी के द्वारा जमा किये गये बैंक ड्रापट की धनराशि मु0 2,000/-दिनांक 3-12-2013 को क्रेडिट हो चुका है। इस प्रकार पाया जाता है कि जो ड्रापट परिवादी ने दिनांक 26-9-2012 को जमा किया था उसका भुगतान 14 माह 8 दिन बाद बैंक ने उसके खाते में किया है। बैंक का यह कथन कि परिवादी के खाते की के0वाई0सी0 पुरानी थी इसलिए बैंक ड्रापट के भुगतान में बिलम्ब हुआ। यह कथन पूर्णतया बनावटी एवं गलत है। परिवादी के खाते का विवरण जो स्वयं बैंक ने 
                                                                                                      3
दाखिल किया है उसके परिशीलन से पाया जाता है कि परिवादी के खाते में बैंक ड्रापट जमा होने के बाद तमाम लेन-देन हुआ है। परिवादी उसमे पैसा जमा किया है तथा उसमे से पैसा निकाला है। पुरानी के0वाई0सी0 होने के आधार पर खाते के लेन-देन में कभी कोई रूकावट नहीं रही। ऐसी स्थिति में बैंक ड्रापट की धनराशि क्रेडिट करने में स्पष्ट रूप से बैंक की ओर से लापरवाही करके सेवा में कमी किया जाना प्रमाणित होता है। परिवाद दाखिल होने के बाद नोटिस मिलने पर विपक्षी बैंक द्वारा बैंक ड्रापट की धनराशि मु0 2,000/- जमा करने की तिथि से 14 माह 8 दिन बाद क्रेडिट किया गया है। अतः उचित है कि उपरोक्त सेवा में कमी के लिए बैंक के ऊपर वाद व्यय के साथ समुचित हर्जा लगाया जाय, एवं मु0 2,000/- पर 14 माह 8 दिन का ब्याज दिलाया जाय। तद्नुसार परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है। 
                                                                                       आदेश
    परिवादी का परिवाद अंशतः स्वीकार किया जाता है। विपक्षी बैंक को आदेश दिया जाता है कि वह निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर ड्रापट की धनराशि मु0 2,000/- पर 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से 14 महीने का ब्याज के साथ मु0 1,000/-(एक हजार)हर्जा एवं मु0 1,000/-(एक हजार) वाद व्यय का भुगतान परिवादी को करें।

(मारकण्डेय सिंह)       (मुन्नी देबी मौर्या)                   (जगदीश्वर सिंह)
   सदस्य                 सदस्या                           अध्यक्ष
                                                    दिनांक 26-9-2014

 

 
 
[HON'BLE MR. jagdishwar Singh]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Markandey singh]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Munni Devi Maurya]
MEMBER

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