जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 224/2019 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-05.03.2019
परिवाद के निर्णय की तारीख:-22.06.2023
1. कृष्ण गोपाल मेहरोत्रा, पुत्र श्री आर0एन0 मेहरोत्रा निवासी सी-1/47, प्रियदर्शनी कालोनी, सीतापुर रोड, लखनऊ पिन-226021 ।
2. प्रवीन मेहरोत्रा पुत्र श्री के0जी0 मेहरोत्रा निवासी-सी-1/47, प्रियदर्शनी कालोनी, सीतापुर रोड, लखनऊ पिन-226021 ।
...........परिवादीगण।
बनाम
1. भारतीय स्टेट बैंक, पी0वी0 शाखा अलीगंज, लखनऊ द्वारा-शाखा प्रबन्धक।
2. भारतीय स्टेट बैंक (आर0ए0सी0पी0सी0) प्रथम तल, लोकल हेड आफिस मोती महल मार्ग, हजरतगंज, लखनऊ-226001 द्वारा सहायक महाप्रबन्धक।
...........विपक्षीगण।
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-श्री इस्खिार हसन।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-श्री गोपाल कृष्ण श्रीवास्तव।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विपक्षीगण से 30,000.00 रूपये मय 18 प्रतिशत ब्याज के साथ दिनॉंक 01.04.2016 से भुगतान कराये जाने, एवं मानसिक, शारीरिक कष्ट एवं आर्थिक क्षति हेतु 1,00,000.00 रूपये एवं वाद व्यय 21,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार है कि दिनॉंक 16 जून 2008 को विपक्षीगण द्वारा 5,93,000.00 रूपये का गृह ऋण परिवादीगण के नाम स्वीकृत किया गया, और विपक्षीगण द्वारा स्वीकृत पत्र/अनुबन्ध पत्र जारी किया गया जिसका खाता संख्या-3040423844 है। उक्त ऋण एस0बी0आई0 फ्लोटिंग स्कीम के अन्तर्गत जारी किया गया था। ऋण स्वीकृति के समय ब्याज दर 9.05 प्रतिशत थी।
3. विपक्षीगण द्वारा प्रेषित कम्प्यूटराइज्ड पत्र जिस पर न तो कोई दिनॉंक अंकित है और न ही किसी प्राधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर हैं। आर0बी0आई0 के निर्देशानुसार गृह ऋण खाता को मारजिनल कास्ट ऑफ लेडिंग रेट (एम0सी0एल0आर0 स्कीम) में दिनॉंक 01.04.2016 से परिवर्तित कर सकता है। दिनॉंक 18.08.2017 को प्राप्त पत्र के आधार पर परिवादीगण द्वारा अपने गृह ऋण के परिवर्तन हेतु विपक्षीगण द्वारा वांछित औपचारिकता तत्काल पूर्ण कर दी गयी तथा दिनॉंक 29.08.2017 को विपक्षीगण को पत्र प्रेषित कर यह प्रार्थना की गयी कि उसके गृह ऋण को एम0सी0एल0आर0 योजना के लागू होने की तिथि 01.04.2016 से ब्याज लागू करते हुए पूर्व में निर्धारित ब्याज दर के हिसाब से वसूल लिया गया ब्याज लगभग 30,000.00 रूपये उसे वापस कर दिया जाए अथवा ऋण खाते में समायोजित कर दिया जाये।
4. विपक्षीगण द्वारा प्रेषित पत्र दिनॉंक 21.09.2017 के माध्यम से परिवादी की प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया गया तथा कहा गया कि अपने गृह ऋण खाते को दिनॉंक 23.08.2017 में परिवर्तन कराया था तथा उसी दिन से आपके खाते में एम0सी0एल0आर0 की ब्याज दर 8.40 प्रतिशत लागू हो गया है, अत: पूर्व में लिये गये ब्याज को वापस करने का कोई प्राविधान नहीं है।
5. विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने उत्तर पत्र में यह कहा गया कि परिवादीगण द्वारा 5,93,000.00 रूपये प्राप्त किया गया है, और फ्लोटिंग ऋण में था। फ्लोटिंग ब्याज की दर एस0बी0ए0आर0 12.25 प्रतिशत से 02 प्रतिशत कम दर पर जो कि दिनॉंक 16.06.2008 को प्रभावी ब्याज दर 10.25 प्रतिशत वार्षिक पर गृह ऋण प्राप्त करने की अपनी स्वीकृति दी थी और आवश्यक ऋण प्रपत्र बैंक के पक्ष में निष्पादित व हस्ताक्षरित किये थे।
6 परिवादीगण का कथन कि उन्हें बैंक का पत्र जिसमें गृह ऋण खाता को मारजिनल कास्ट ऑफ लेंडिंग रेट (एम0सी0एल0आर0 स्कीम) में दिनॉंक 01.04.2016 से परिवर्तित कर सकता है, दिनॉंक-18.08.2017 को प्राप्त हुआ था, का उल्लेख है। परिवादीगण ने ब्याज दर में परिवर्तन समाचार पत्र में प्रकाशन अथवा बैंक शाखा में सूचना पट पर दर्शाय जाने को स्वीकार किया है। दिनॉंक 01.04.2016 से बैंक ग्राहकों को एम0सी0एल0आर0 से जुड़े ब्याज दर पर गृह ऋण को वितरित करने क प्रस्ताव करता है। यानी स्कीम के तहत आप अपने ऋण को परिवर्तित कर सकते हैं । परिवादीगण जब उनके पास आये तो पत्र प्राप्त होने के बाद ऋण परिवर्तित करता गया जिसमें 02 प्रतिशत पर ब्याज दर कम थी और उस तिथि से 02 प्रतिशत कम लगायी गयी।
7. परिवादीगण ने अपने मौखिक साक्ष्य में शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में अनुबन्ध पत्र, विपक्षी द्वारा प्रेषित पत्र, परिवादी द्वारा प्रेषित पत्र, आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल की गयी हैं। विपक्षी की ओर से मौखिक साक्ष्य में शपथ पत्र आदि दाखिल किया है।
8. मैने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
9. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिये निम्नलिखित दो आवश्यक तथ्यों को साबित करने का भार परिवादी के ऊपर है-
1-परिवादी का उपभोक्ता होना। 2- सेवा प्रदाता द्वारा सेवा में कमी का प्रमाणित होना।
10. परिवादीगण का कथानक है कि दिनॉंक 16 जून 2008 को विपक्षीगण द्वारा 5,93,000.00 रूपये का गृह ऋण परिवादीगण के नाम स्वीकृत किया गया, और विपक्षीगण द्वारा स्वीकृत पत्र/अनुबन्ध पत्र जारी किया गया जिसका खाता संख्या-3040423844 है। उक्त ऋण एस0बी0आई0 फ्लोटिंग स्कीम के अन्तर्गत जारी किया गया था। ऋण स्वीकृति के समय ब्याज दर 9.05 प्रतिशत थी।
11. परिवादीगण का यह भी कथानक है कि विपक्षीगण द्वारा प्रेषित कम्प्यूटराइज्ड पत्र जिस पर न तो कोई दिनॉंक अंकित है और न ही किसी प्राधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर हैं। आर0बी0आई0 के निर्देशानुसार गृह ऋण खाता को मारजिनल कास्ट ऑफ लेडिंग रेट (एम0सी0एल0आर0 स्कीम) में दिनॉंक 01.04.2016 से परिवर्तित कर सकता है। दिनॉंक 18.08.2017 को प्राप्त पत्र के आधार पर परिवादीगण द्वारा अपने गृह ऋण के परिवर्तन हेतु विपक्षीगण द्वारा वांछित औपचारिकता तत्काल पूर्ण कर दी गयी तथा दिनॉंक 29.08.2017 को विपक्षीगण को पत्र प्रेषित कर यह प्रार्थना की गयी कि उसके गृह ऋण को एम0सी0एल0आर0 योजना के लागू होने की तिथि 01.04.2016 से ब्याज लागू करते हुए पूर्व में निर्धारित ब्याज दर के हिसाब से वसूल लिया गया ब्याज लगभग 30,000.00 रूपये उसे वापस कर दिया जाए।
12. विपक्षी ने अपने उत्तर पत्र में कथानक किया कि परिवादीगण द्वारा 5,93,000.00 रूपये प्राप्त किया गया है, और फ्लोटिंग ऋण में था। फ्लोटिंग ब्याज की दर एस0बी0ए0आर0 12.25 प्रतिशत से 02 प्रतिशत कम दर पर जो कि दिनॉंक 16.06.2008 को प्रभावी ब्याज दर 10.25 प्रतिशत वार्षिक पर गृह ऋण प्राप्त करने की अपनी स्वीकृति दी थी और आवश्यक ऋण प्रपत्र बैंक के पक्ष में निष्पादित व हस्ताक्षरित किये थे।
13. यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 01 से ऋण लिया गया, जिसमें ब्याज की दर 9.05 प्रतिशत थी और उभयपक्ष को यह भी स्वीकृत है कि दिनॉंक 01.04.2016 को एम0सी0एल0आर0 स्कीम में मारजिनल कास्ट ऑफ लेडिंग रेट को परिवर्तित किये जाने के संबंध में ब्याज की दर 02 प्रतिशत की कमी थी। यह भी तथ्य स्वीकृत है कि परिवादीगण ने उपरोक्त ऋण फ्लोटिंग लोन में लिया था। फ्लोटिंग ब्याज दर का मतलब यह होता है कि जो भी ब्याज दर वर्तमान में रहती है उसी आधार पर ब्याज की ई0एम0आई0 जोड़ी जाती है। यह कभी बढ़ सकता है और कभी घट भी सकता है। उसी के आधार पर ई0एम0आई0 में ब्याज की दर लगायी जाती है।
14. गृह ऋण मार्जिनल कास्ट ऑफ लेडिंग रेट के संबंध में परिवादी को सूचना दी गयी तो परिवादी ने दिनॉंक 29.08.2017 को विपक्षी को पत्र प्रेषित कर उक्त एम0सी0एल0आर0 योजना का लाभ प्रदान करने हेतु पत्र भेजा गया। विपक्षी द्वारा कहा गया कि जब उन्हें पत्र प्राप्त हुआ तब से उनकी योजना लागू कर दी गयी है और ब्याज की दर 19.08.2017 के बाद से एम0सी0एल0आर0 योजना के तहत लिया जाता है, जिसमें 8.40 प्रतिशत ब्याज दर लागू की गयी।
15. परिवादी द्वारा आर0बी0आई0 के निर्देश पर एम0सी0एल0आर0 की ब्याज की धनराशि प्राप्त करने हेतु यह परिवाद पत्र संस्थित किया गया है।
16. परिवादी के कथनों से विदित है कि उक्त आर0बी0आई0 की गाइड लाइन्स दिनॉंक 01.04.2016 से कोई भी परिवर्तन कर सकता है। किसी भी स्कीम में परिवर्तन दो विधियों से किया जा सकता है। 1-आर0बी0आई0 के निर्देश में स्वयं बैंको को निर्देशित किया जाए और वह स्विच ओवर करदे जो कि समस्त बैंक के ऋणदाता के ऊपर लागू है, उसमें बैंक का कर्तव्य होगा कि बैंक जिस तिथि से स्कीम लागू हो उस तिथि को आटोमैटिकली ऋण की दर परिवर्तित करते हुए ई0एम0आई0 की ब्याज दर लें।
17. कोई भी ऋणदाता परिवर्तित स्कीम के तहत लाभ प्राप्त कर सकता है। यानी कि यह विकल्प होगा। इसका अभिप्राय यह है कि यह ऋणदाता के आग्रह पर ऐसे ऋण में स्कीम की सुविधा प्राप्त करने के लिये खुला रहेगा और जब वह इस स्कीम का लाभ लेना चाहता है तो उसमें वह नियमानुसार प्रतिवेदन पत्र एवं कार्यवाही करके उस स्कीम का लाभ प्राप्त कर सकता है।
18. जब भी आर0बी0आई0 की गाइड लाइन्स आती है तो समस्त बैंकों में संचालन किया जाता है और अखबार में विज्ञापन छपवाया जाता है। अखबार में विज्ञापन का अभिप्राय यह है कि सभी को इसकी जानकारी हो गयी है। विपक्षी बैंक द्वारा भी अपने उत्तर पत्र में इस तथ्य का उल्लेख किया गया है कि उसने इलेक्ट्रानिक्स मीडिया एवं नोटिस बोर्ड आदि पर आर0बी0आई0 के दिशा-निर्देशों के तहत लाभ लेने हेतु विज्ञापन कराया एवं नोटिस बोर्ड पर चस्पा किया।
19. बहस के दौरान यह तथ्य प्रकाश में लाया गया कि परिवादी स्वयं एक बैंक कर्मी है और बैंक कर्मी होने के कारण इन्हें भी इस स्कीम की जानकारी रही होगा। जब यह स्कीम दिनॉंक-01.04.2016 से लागू है तो परिवादी करीब एक वर्ष चार माह बाद परिवादी के पत्र दिनॉंक 18.07.2017 को प्राप्ति के आधार पर उसको परिवर्तित कर सकता है। जो कि विपक्षी की स्वीकृति भी है। अर्थात यह समझा जायेगा कि परिवादी ने यह पत्र लिखा कि इस स्कीम का लाभ हम लेना चाहते हैं तो बैंक ने परिवर्तित कर दिया, और कोई भी कानून आर्थिक लाभ RETROSPETIVE EFFECT से लागू नहीं होता अर्थात जिस तिथि को यह परिवर्तन किया है, यह नहीं समझा जायेगा कि यह लागू की तिथि 01.04.2016 से समझा जायेगा और भारतीय संविधान के अनुच्छेद-20 के तहत Expost Facto Law का भी प्रावधान इसमें लागू नहीं हैं, क्योंकि वह दण्डात्मक मामले में ही लागू होता है। जिस तिथि को परिवादी ने प्रार्थना पत्र दिया है उस आधार पर एम0सी0एल0आर0 के तहत ब्याज दर को घटा दिया गया है। इस प्रकार विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवाद पत्र खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-22.06.2023