जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़ ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या (3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-142/09
जगदीश्वरी प्रसाद पुत्र श्री बिन्देश्वरी प्रसाद नि0 वनगवाॅं (दादूपुर) पोस्ट मया जिला फैजाबाद उ0प्र0 ....................परिवादी
बनाम
शाखा प्रबन्धक भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा (सिविल लाइन) शहर व जिला फैजाबाद ................... विपक्षी
निर्णय दिनाॅंक 08.10.2015
निर्णय
उद्घोषित द्वारा: श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध स्वीकृत ट्रैक्टर ऋण के सम्बन्ध मंे योजित किया है।
संक्षेप में परिवादी का केस इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी से कोई भी ऋण बाबत ट्रैक्टर नहीं लिया था। परिवादी ने न तो कोई ट्रैक्टर लिया और न उसके पास कोई ट्रैक्टर ही है। परिवादी के परिचित मो0 उमर पुत्र श्री बब्बू बख्सार निवासी ग्राम व पोस्ट टण्डौली जिला फैजाबाद द्वारा ट्रैक्टर लोन लिया गया था, जिसका पंजीकरण संख्या-यू0पी0 42ई/5669 है जो वर्तमान समय में भी मो0 उमर के पास
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है। मो0 उमर किश्तों की अदायगी करते हैं। साक्ष्य के रूप में रसीद जो मो0 उमर के नाम से बैंक द्वारा मु0 10,000=00 जमा कराया गया है दाखिल की जा रही है। मो0 उमर ने स्वयं परिवादी से कहा कि उसके पास ट्रैक्टर ऋण के लिए खतौनी मंे रकवा कम पड़ रहा है इसलिए परिवादी बतौर गारेन्टर खतौनी यदि दाखिल करता है तब उसे ट्रैक्टर के लिए ऋण स्वीकृत हो जायेगा। परिवादी ने मो0 उमर की बात पर व बैंक कर्मचारी पर विश्वास करके अपनी खतौनी लगा दिया था। परिवादी द्वारा खतौनी दाखिल करने पर मो0 उमर को ऋण स्वीकृत किया गया। भारत सरकार ने 5 एकड़ से कम भूमि वालों का कृषि ऋण पूर्ण रूप से माफ कर दिया है। मो0 उमर के पास भी 5 एकड़ से कम भूमि है इसलिए भारत सरकार की योजनाओं के अनुसार कृषि ऋण माफी की श्रेणी में आता है। विपक्षी न तो मो0 उमर से कोई अदायगी बाबत ऋण कर सकता है और न परिवादी से ही कर सकता है।
विपक्षी ने अपने जवाब में कहा कि परिवादी एवं मो0 उमर ने मिलकर ट्रैक्टर ऋण लिया है जिसमें परिवादी ने अपनी खतौनी खाता संख्या-29 रकबा 2.935 हे0 स्थित ग्राम बभनगंवा परगना अमसिन तहसील सदर जिला फैजाबाद को बन्धक कराया है। परिवादी ने ट्रैक्टर ऋण लिया है। ट्रैक्टर मो0 उमर व परिवादी के नाम है। आर0सी0 परिवादी तथा मो0 उमर के नाम संयुक्त है। इस प्रकार परिवादी व मो0 उमर ट्रैक्टर के सहस्वामी हैं। ऋण के किश्तों की अदायगी कोई भी ऋणी कर सकता है। भारत सरकार ने 5 एकड़ से कम भूमि वालों का केवल ओवर ड्यूज माफ किया है। परिवादी ने ट्रैक्टर ऋण में खाता संख्या 29 रकबा 2.935 एकड़ को बन्धक कराया है। इस प्रकार परिवादी के पास 5 एकड़ से अधिक भूमि है। 5 एकड़ से अधिक भूमि वालों का ओवर ड्यूज का 25 प्रतिशत माफ हो सकता है वह भी उस दशा में माफ हो सकता है जब ऋणी ओवर ड्यूज का 75 प्रतिशत राशि जमा कर दें अन्यथा एक पैसा नियमानुसार नहीं माफ होगा। परिवादी ने 75 प्रतिशत राशि नहीं जमा किया इसलिए परिवादी ऋण माफी का लाभ नहीं पाया है। परिवादी ने बैंक से ट्रैक्टर ऋण लिया है। गाड़ी का रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट परिवादी व मो0 उमर के नाम है। आर0सी0 में हाइपोथिकेसन स्टेट बैंक के नाम अंकित है। इस प्रकार परिवादी बैंक का ऋणी है। ऋण लेते समय परिवादी को स्पष्ट बता दिया गया था कि वह ट्रैक्टर ऋण ले रहा है। इसलिए ऋण अदा करने का दायित्व परिवादी एवं मो0 उमर का है। परिवादी ने ट्रैक्टर ऋण लेते समय अपनी खतौनी को बन्धक कराया है जो उपनिबन्धक फैजाबाद के कार्यालय में दि0 27.12.2001 को रजिस्ट्रीकृत किया गया है। परिवादी ने ट्रैक्टर ऋण के किश्तों की अदायगी नियमित नहीं किया है इसलिए परिवादी का खाता अनियमित हो गया और ऋणी के विरूद्ध रिकवरी जारी कर दिया गया है।
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मैं पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। परिवादी जगदीश्वरी प्रसाद तथा मो0 उमर के नाम से बैंक से ट्रैक्टर का ऋण लिया है जो स्टेट बैंक के नाम हाइपोथिकेशन है और मो0 उमर तथा जगदीश्वरी प्रसाद को यह ऋण अदा करने की जिम्मेदारी है। परिवादी ट्रैक्टर ऋण लेते समय अपनी खतौनी को बंधक कराया था। विपक्षी ने ट्रैक्टर से सम्बन्धित कागजातों की छायाप्रति कागज सं0-7/13 व 7/14 दाखिल किया है, जिसके अनुसार परिवादी तथा मो0 उमर ने ट्रैक्टर हेतु मु0 2,26,000=00 ऋण लिया है। परिवादी तथा मो0 उमर के विरूद्ध वसूली जारी हुई तब परिवादी ने यह परिवाद योजित किया है। परिवाद में कथित किये गये तथ्यों को परिवादी साबित करने में असफल रहा है। इस प्रकार परिवादी के परिवाद में मैं बल नहीं पाता हूॅं। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
( विष्णु उपाध्याय ) ( माया देवी शाक्य ) ( चन्द्र पाल )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 08.10.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) ( चन्द्र पाल )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष