Rajasthan

Tonk

CC/111/2014

RAMESH MEHRA - Complainant(s)

Versus

S.B.I. INSURANCE COM. - Opp.Party(s)

PRAKASH JAIN

16 Feb 2015

ORDER


रमेश मेहरा 
बनाम 
एस.बी.आई. जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी लि0 एवं एजेन्ट विजया औझा 
परिवाद संख्या 111/2014
    
16.02.2015

 

 


        दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
    परिवादी ने विपक्षीगण का संक्षेप में यह सेवादोष बताया है कि उसने विपक्षी बीमा कम्पनी के टोंक स्थित एजेन्ट विजया औझा के माध्यम से अपने वाहन आर.जे. 26 जी.ए. 1115 का बीमा निर्धारित प्रीमियम देकर कराया। बीमा अवधि में वाहन दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गया जिसकी एफ.आई.आर. 74/2013 पुलिस थाना उनियारा जिला टोंक पर दर्ज हुई। विपक्षी कम्पनी को भी दुर्घटना की सूचना दी गई। विपक्षी कम्पनी ने सर्वे कराया। वाहन की मरम्मत विपक्षी कम्पनी के निर्देश पर जयपुर में कराई गई तथा विपक्षी कम्पनी को सभी आवश्यक दस्तावेजात के साथ वाहन की मरम्मत में खर्च हुई राशि 99,390/- रूपये का क्लेम प्रस्तुत किया गया। विपक्षी कम्पनी द्वारा क्लेम का निस्तारण करने के बजाए अनावश्यक रूप से एफ.आई.आर., चार्जशीट, पंचनामा आदि दस्तावेजात की मांग की जा रही है जो कि अनुचित है क्लेम का निस्तारण नही करने से उसे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ है। 
    विपक्षी कम्पनी के जवाब का सार है कि परिवादी ने क्लेम के साथ आवश्यक दस्तावेजात प्रस्तुत नही किए उससे बार-बार मांग की गई उसके बावजूद दस्तावेज उपलब्ध नही कराये पूरे दस्तावेज उपलब्ध होने पर ही वाहन का सर्वे पूरा हो सकता था स्वंय परिवादी द्वारा क्लेम के निस्तारण में सहयोग नही किया गया। विपक्षी कम्पनी का कोई सेवा दोष नही है। 
    परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा बीमा पाॅलिसी, विपक्षी कम्पनी का पत्र दिनांक 24.10.2013, प्रथम सूचना रिपोर्ट, चार्जशीट, वाहन मरम्मत के बिल आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की है। विपक्षी कम्पनी ने साक्ष्य में कोई शपथ-पत्र या दस्तावेज पेश नही किया। 
    हमने विचार किया।
    परिवादी की ओर से उसके वाहन क्षति क्लेम के बाबत विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा उसे प्रेषित पत्र दिनांक 24.10.2013 की प्रति प्रस्तुत की गई है जिसके द्वारा उसे सूचित किया गया कि पूर्व में दो पत्र भेजने के बावजूद अभी तक पंचनामा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, चार्जशीट आदि दस्तावेज प्रस्तुत नही किए गये है जिन्हे दिनांक 30.10.2013 तक प्रस्तुत किए जावे या प्रस्तुत नही करने में असमर्थता के कारण स्पष्ट किए जावे अन्यथा यह मानते हुए कि क्लेम के निस्तारण में रूचि नही है क्लेम बंद कर दिया जावेगा। 
    परिवादी ने उक्त पत्र को कानूनी रूप से अनुचित बताते हुए चुनौती दी है तथा क्लेम निस्तारण नही करना विपक्षी कम्पनी का सेवादोष बताया है। 
    विपक्षी कम्पनी की ओर से बहस की गई है कि मांगे गये दस्तावेज क्लेम के निस्तारण के लिए आवश्यक है उनकी पालना नही करने के लिए स्वंय परिवादी दोषी है।  
    उल्लेखनीय है कि परिवादी ने प्रथम सूचना रिपोर्ट व चार्जशीट की प्रति प्रस्तुत की है जिससे प्रकट होता है कि परिवादी का वाहन जिस दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हुआ उसमें पुलिस ने अनुसंधान के उपरांत अन्य वाहन आर.जे. 25 जी.ए. 0585 के चालक आबिद खांन के विरूद्ध न्यायालय ए.सी.जे.एम. उनियारा जिला टोंक में भारतीय संहिता की धारा 279,304 ए के अन्तर्गत चालान प्रस्तुत किया है। यदि विपक्षी कम्पनी परिवादी के वाहन क्लेम के निस्तारण में पंचनामा, पोस्टमार्टम, चार्जशीट आदि दस्तावेजात आवश्यक भी समझती थी तब यह सभी दस्तावेज सम्बन्धित न्यायालय से आसानी से प्राप्त किए जा सकते थे लेकिन विपक्षी कम्पनी द्वारा ऐसा कोई प्रयास करने के बजाए परिवादी से ही उन दस्तावेजात की मांग की जा रही है जबकि प्रकटतः वे दस्तावेज परिवादी के बीमित वाहन की क्षति के क्लेम निर्धारण हेतु प्रथमदृष्टि में ही किसी प्रकार सुसंगत प्रतीत नही होते है। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि विपक्षी कम्पनी द्वारा अकारण ही परिवादी के क्लेम का निस्तारण नही किया जा रहा है जो कि निश्चित रूप से सेवादोष है। 
    अतः विपक्षी कम्पनी को निर्देश दिये जाते है कि परिवादी की ओर से प्रस्तुत क्लेम का निस्तारण अधिकतम एक माह के अन्दर करके देय क्लेम राशि का भुगतान उसे किया जावे यदि परिवादी ऐसे निस्तारण से असन्तुष्ट है तब वह उसे चुनौती देने के लिए स्वतन्त्र होगा। परिवादी को मानसिक संताप एवं परिवाद व्यय की भरपाई हेतु एक माह में 7,500/- रूपये का भुगतान भी किया जावे। 
    आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो। 

विष्णु कुमार गुप्ता          किरण चैरसिया        भगवानदास खण्डेलवाल
   (सदस्य)                  (सदस्या)                 (अध्यक्ष)
    

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