Sunita Devi filed a consumer case on 16 Feb 2023 against SBI in the Barabanki Consumer Court. The case no is CC/70/2016 and the judgment uploaded on 20 Feb 2023.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 21.07.2016
अंतिम सुनवाई की तिथि 23.01.2023
निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि 16.02.2023
परिवाद संख्याः 70/2016
सुनीता देवी पत्नी स्व0 चौहरजा बक्श सिंह निवासी ग्राम व पोस्ट अमहिया, तहसील रामसनेहीघाट, जनपद-बाराबंकी।
द्वारा-श्री संजय सिंह भदौरिया, अधिवक्ता
श्री सुधीर सिंह, अधिवक्ता
श्री सुरेन्द्र सिंह, अधिवक्ता
बनाम
भारतीय स्टेट बैंक शाखा कार्यालय रामसनेहीघाट, जनपद बाराबंकी द्वारा शाखा प्रबंधक।
द्वारा-श्री तेज बहादुर सिंह, अधिवक्ता
समक्षः-
माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष
माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य
माननीय श्री एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य
उपस्थितः परिवादी की ओर से -श्री संजय सिंह भदौरिया, अधिवक्ता
विपक्षी की ओर से-श्री तेज बहादुर सिंह, अधिवक्ता
द्वारा-श्री संजय खरे, अध्यक्ष
निर्णय
परिवादी ने यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्व दिनांक 21.07.2016 को धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत कर परिवादी को रू0 5,00,000/-के0 सी0 सी0 दुर्घटना बीमा मय ब्याज खाता धारक चौहरजा बक्श सिंह की मृत्यु के दिनांक से मय ब्याज तथा शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 1,00,000/- एवं वाद व्यय तथा अधिवक्ता शुल्क के रूप में रू0 11,000/- दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है।
परिवादिनी ने अपने परिवाद में मुख्य रूप से अभिकथन किया है कि वह उपरोक्त पते की निवासिनी है। उसके पति स्व0 चौहरजा बक्श सिंह ने विपक्षी के शाखा कार्यालय में अपना के0 सी0 सी0 खाता संख्या-33189958350 खुलवाया था जिसकी लिमिट रू0 5,00,000/-थी। उक्त के0 सी0 सी0 खातें पर विपक्षी द्वारा रू0 5,00,000/-का दुर्घटना बीमा भी किया गया था जिसकी प्रीमियम की धनराशि खाते से नियमानुसार काटी गई थी। के0 सी0 सी0 खाता धारक चौहरजा बक्श सिंह की दिनांक 17.04.2015 को सड़क दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु हो गई जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना रामसनेहीघाट में अपराध सं0-083/2015 अन्तर्गत धारा-279/304 ए आई. पी. सी. के तहत दर्ज कराई गई तत्पश्चात् मृतक का पंचायतनामा व पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कार्यवाही आदि थाना पुलिस द्वारा की गई। खाताधारक की मृत्यु के बाद किसान क्रेडिट कार्ड के अन्तर्गत दुर्घटना बीमा हेतु परिवादिनी व उसके पुत्रों द्वारा दिनांक 13.08.2015 को एक प्रार्थना पत्र सभी औपचारिकतायें पूर्ण करते हुये, कोई कार्यवाही न होने पर पुनः दिनांक 14.09.2015 को एक शिकायती प्रार्थना पत्र परिवादिनी के लड़के दीपक सिंह ने जरिये रजिस्ट्री किया परन्तु उसका भी कोई जबाब प्राप्त नहीं हुआ। विपक्षी द्वारा जबाब न देने पर पुनः परिवादिनी के पुत्र दीपक सिंह द्वारा दिनांक 14.09.2015 को जनसूचना अधिकार 2005 के अंतर्गत उक्त के0 सी0 सी0 बीमा के संबंध में विपक्षी से तीन प्रश्न पूछे परन्तु उसका भी कोई जबाब नहीं दिया गया। जनसूचना का भी उत्तर न प्राप्त होने पर परिवादिनी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक लीगल नोटिस जरिए रजिस्ट्री दिनांक 23.12.2015 को प्रेषित किया जिसके सापेक्ष विपक्षी द्वारा यह कहते हुये दुर्घटना बीमा देने से इन्कार कर दिया कि के0 सी0 सी0 पर कोई आकस्मिक दुर्घटना का नियम नहीं था और न ही इस हेतु कोई प्रीमियम लिया गया। अतः खाताधारक की आकस्मिक मृत्यु के संबंध में बीमा क्लेम पाने का अधिकार परिवादिनी व उसके पुत्रों को नहीं है। विपक्षी का उपरोक्त जबाब विधि विरूद्व एवं किसान क्रेडिट कार्ड के अन्तर्गत दिये गये नियम व शर्तो के विरूद्व है क्योंकि प्रत्येक किसान क्रेडिट कार्ड पर उसकी लिमिट की धनराशि के बराबर के0 सी0 सी0 धारक का दुर्घटना बीमा होता है जिसका प्रीमियम धनराशि खाता खोलते समय बैंक द्वारा खाताधारक के खातें से काट ली जाती है। विपक्षी ने के0 सी0 सी0 धारक चौहरजा बक्श सिंह की दुर्घटना से सम्बन्धी बीमा दावा को गलत व अनैतिक तरीके से अस्वीकार करके घोर कमी व लापरवाही कारित की है। विपक्षी द्वारा दिनांक 15.01.2016 को खाता धारक चैहरजा बक्श सिंह की दुर्घटना बीमा क्लेम देने से इंकार कर दिया जिसके कारण परिवादिनी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादिनी ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।
परिवादी के तरफ से दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सूची से (1) बैंक पासबुक चौहरजा बक्श सिंह की छाया प्रति (2) मृत्यु प्रमाण पत्र की छाया प्रति (3) प्रार्थना पत्र दिनांक 13.08.2015 की छाया प्रति (4) रजिस्ट्री रसीद की छाया प्रति (5) प्रार्थना पत्र दिनांक 14.09.2015 मय रजिस्ट्री रसीद की छाया प्रति (6) सूचना अधिकार अधिनियम का प्रार्थना पत्र दिनांक 14.09.2015 (7) वैधानिक नोटिस दिनांक 23.12.2015 की छाया प्रति (8) नोटिस उत्तर दिनांक 15.01.2016 की छाया प्रति (9) प्रथम सूचना रिपोर्ट की छाया प्रति (10) पोस्टमार्टम रिपोर्ट की छाया प्रति 08 वर्क दाखिल किया है।
विपक्षी द्वारा वादोत्तर दाखिल करते हुये परिवाद पत्र की धारा-01 को स्वीकार किया है। यह भी स्वीकार है कि परिवादिनी के शौहर द्वारा स्टेट बैंक आफ इंण्डिया शाखा रामसनेहीघाट में रू0 5,00,000/-का किसान क्रेडिट कार्ड बनवाया था जिसका खाता संख्या-33189958350 था। शेष कथन से इंकार किया गया है। श्री चौहरजा बक्श सिंह ने बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा ली थी लेकिन चौहरजा बक्श सिंह द्वारा पर्सनल एक्सीडेन्ट इन्श्योरेन्स स्कीम (पी. ए. आई. एस.) के अंतर्गत कोई इंश्योरेन्स प्रीमियम नहीं दाखिल किया और न ही बैंक किसी भी ग्राहक को इंश्योरेन्स के लिये बाध्य कर सकता है। परिवादिनी के पति उक्त बीमा पालिसी अपनी इच्छानुसार ले सकते थे लेकिन उनके द्वारा बीमा नहीं लिया गया था। परिवादिनी के पति के खाते से कोई प्रीमियम नहीं काटा गया। के. सी. सी. सुविधा मिलने के बाद परिवादिनी के पति को यह विकल्प (Option) था कि यदि वह चाहते तो पी. ए. आई. एस. स्कीम के अंतर्गत इन्श्योरेन्स ले सकते थे। स्कीम लेना उनकी इच्छा पर निर्भर करता है इस प्रकार का कोई नियम नहीं है। परिवादिनी के पति के देहान्त के उपरान्त उनके वारिस जब भी कर्मचारियों से मिले तो बैंक अधिकारियों द्वारा अपने कर्तव्यों का पूर्ण निर्वाहन करते हुए परिवादिनी के पुत्रों को विस्तार से बताया गया। प्रश्नगत स्कीम में बैंक के लिये कोई मेनडेटरी प्राविजन नहीं था। परिवादिनी का यह कहना गलत है कि के0 सी0 सी0 बनने के उपरान्त प्रीमियम धनराशि इन्श्योरेन्स कम्पनी को भेज दी जाती है। चूँकि खाता धारक चौहरजा बक्श सिंह ने कोई बीमा ही नहीं कराया था ऐसे में क्लेम करने का कोई विधिक अधिकार नहीं उत्पन्न होता है अतः दावा परिवादिनी निरस्त किये जाने की याचना की गई है। वादोत्तर के समर्थन में विपक्षी बैंक द्वारा शपथपत्र योजित किया गया है।
परिवादिनी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र योजित किया है।
विपक्षी द्वारा साक्ष्य शपथपत्र तथा ई-सर्कुलर योजित किया गया है।
परिवादी की ओर से सूची दिनांक 24.08.2022 से चार प्रपत्र दाखिल किया गया है।
परिवादिनी द्वारा सूची दिनांक 14.11.2022 द्वारा रिजर्व बैंक आफ इंडिया की गाइड लाईन योजित किया गया है।
परिवादिनी द्वारा लिखित बहस दिनांक 13.05.2022 को दाखिल किया है।
विपक्षी द्वारा लिखित बहस, ई सर्कुलर, तथा परिवादी के खातें का स्टेटमेन्ट दाखिल किया गया है।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन किया।
परिवादिनी ने वर्तमान परिवाद अपने पति चैहरजा बख्श सिंह की दिनांक 17.04.2015 को मोटर वाहन से सड़क दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु होने पर, मृतक के किसान क्रेडिट कार्ड धारक होने के आधार पर, रू0 5,00,000/-दुर्घटना बीमा के अंतर्गत और बीमा देने से इंकार करने के आधार पर शारीरिक, मानसिक, आर्थिक क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय दिलाये जाने की याचना की है। परिवादिनी का परिवाद पत्र में कथन है कि उसके पति चौहरजा बख्श सिंह किसान क्रेडिट कार्ड धारक थे। किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट रू0 5,00,000/-थी और उसके आधार पर विपक्षी बैंक में खोले गये खाता के धारक का रू0 5,00,000/-का दुर्घटना बीमा भी किया था, जिसकी प्रीमियम की धनराशि खाता धारक के खाते से नियमानुसार काटी गई थी।
यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि परिवाद विपक्षी भारतीय स्टेट बैंक शाखा रामसनेहीघाट जनपद-बाराबंकी द्वारा शाखा प्रबंधक के विरूद्व संस्थित किया गया है। इसमे कोई बीमा कम्पनी पक्षकार नहीं है।
विपक्षी बैंक ने अपने जवाबदावें में चौहरजा बख्श सिंह का इस शाखा में रू0 5,00,000/-लिमिट का किसान क्रेडिट कार्ड बनवाया जाना स्वीकार किया है। परिवादिनी को मृतक चौहरजा बख्श सिंह की विधवा होना स्वीकार किया है। विपक्षी बैंक ने अपने जवाबदावे में यह स्पष्ट रूप से अंकित किया है कि परिवादिनी के पति द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड लेने में पर्सनल एक्सीडेन्ट स्कीम (पी. ए. आई. एस.) के अंतर्गत कोई इंश्योरेन्स प्रीमियम नहीं दाखिल किया था। बैंक उस समय किसी भी ग्राहक को (पी. ए. आई. एस.) बीमा के लिये बाध्य भी नहीं कर सकता था। कार्ड धारक यदि चाहे तो उक्त बीमा पालिसी अपने इच्छानुसार ले सकता था परन्तु परिवादिनी के पति द्वारा (पी. ए. आई. एस.) का बीमा नहीं लिया गया था और न ही इस बावत कोई प्रीमियम परिवादिनी के पति के खातें से दिया गया। विपक्षी बैंक का यह भी कथन है कि परिवादिनी के पति द्वारा (पी. ए. आई. एस.) का विकल्प चुने जाने के बाद ही कोई प्रीमियम काटा जा सकता था। बैंक पर स्वयं से प्रीमियम काटने और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा कराने की कोई बाध्यता नहीं थी। बैंक का कथन है कि किसान क्रेडिट कार्ड धारक चौहरजा बख्श सिंह द्वारा कोई दुर्घटना बीमा का विकल्प नहीं लिया गया और न ही कोई प्रीमियम कटवाया गया था। खाता धारक ने व्यक्तिगत दुर्घटना का कोई बीमा किसान क्रेडिट कार्ड लेते समय स्वयं विकल्प देकर नहीं कराया था। विपक्षी बैंक ने अपने जवाबदावे में यह भी स्पष्ट रूप से इंगित किया है कि परिवाद दायर होने से पूर्व बैंक अधिकारियों ने मृतक चौहरजा बख्श सिंह के वारिसानो को वस्तु स्थिति से अवगत कराया था तथा परिवादिनी द्वारा दी गई नोटिस का भी जवाब दिया था।
पत्रावली के अवलोकन से विदित है कि परिवाद पत्र योजित करने के पूर्व परिवादिनी सुनीता देवी द्वारा विपक्षी बैंक को पंजीकृत डाक से दी गई नोटिस दिनांक 23.02.2015 की प्रति दाखिल की गई है जिसमे समस्त तथ्य इंगित करते हुये बैंक द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड धारक चौहरजा बख्श सिंह का दुर्घटना बीमा दावा का भुगतान परिवादिनी को करने की याचना की गई है। बैंक द्वारा जरिये अधिवक्ता दिये गये लिखित जवाब दिनांकित 15.01.2016 की प्रति भी दाखिल है। जवाब में बैंक ने स्पष्ट किया है कि सुनीता देवी के पति को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी गई थी। बैंक ने रू0 5,00,000/-के किसान क्रेडिट कार्ड का ऋण स्वीकार किया था। रू0 5,00,000/-के किसान क्रेडिट कार्ड पर कोई आकस्मिक दुर्घटना के संबंध में न ही कोई नियम था और न ही कोई सर्कुलर था जिसके आधार पर दुर्घटना बीमा का कोई प्रीमियम लिया जाता, इसी कारण चौहरजा बख्श सिंह से दुर्घटना बीमा हेतु कोई प्रीमियम नहीं लिया गया और न ही बीमा कम्पनी को काट कर दिया गया। मृतक चौहरजा बख्श सिंह के वारिसान जब बैंक के अधिकारियों से मिले तो बैंक अधिकारियों द्वारा वारिसानों को यह स्पष्ट रूप से बता दिया गया था कि नियम न होने के कारण उक्त खातें से कोई दुर्घटना बीमा नहीं किया गया और न ही कोई प्रीमियम काटा गया था। इस प्रकार विपक्षी बैंक ने परिवाद दायर होने के पूर्व ही जवाब नोटिस में यह तथ्य स्पष्ट कर दिया कि किसान क्रेडिट कार्ड जारी होते ही धारक दुर्घटना बीमा योजना का लाभ पाने का अधिकारी नहीं हो जाता जब तक कि उसके द्वारा स्वयं उस विकल्प को चुनकर बैंक को व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा कराने के लिये सूचित न किया जाय। अर्थात पर्सनल दुर्घटना बीमा किसान क्रेडिट कार्ड धारक के लिये धारक के विकल्प पर लागू होगी न कि बैंक के द्वारा स्वयं क्रेडिट कार्ड जारी करना स्वीकार करने पर लागू हो जायेगी।
परिवादिनी ने अपने कथन के समर्थन में अपने स्व0 पति चौहरजा बख्श सिंह के किसान क्रेडिट कार्ड के कनेक्टेड भारतीय स्टेट बैंक के खाता संख्या-33189958350 की वर्ष 2013 में खाता प्रारम्भ होने से लेकर दिनांक 09.04.2015 तक की प्रविष्ठि की प्रति दाखिल की है जिसमे निरीक्षण शुल्क तथा किसान क्रेडिट कार्ड प्रोसेसिंग चार्ज काटा जाना अंकित है। इसमे कहीं भी किसी बीमा के संबंध में किसी प्रीमियम धनराशि को काटे जाने का कोई उल्लेख नहीं है। परिवादी पक्ष का कथन है कि प्रोसेसिंग चार्ज और इन्सपेक्शन चार्ज बहुत अधिक है और इसी में व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा का प्रीमियम भी काट लिया गया है। परिवादिनी के पति के किसान क्रेडिट कार्ड से कनेक्टेड खातें की उपरोक्त प्रति से कार्ड धारक के व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा के निमित्त कोई प्रीमियम काटे जाने का पुष्टि कारक साक्ष्य नहीं है।
परिवादिनी ने अपने कथन के समर्थन में किसान क्रेडिट कार्ड धारक के लिये मास्टर पालिसी के नोटिफिकेशन दिनांकित 02.07.2001, पत्रांक RPCD.PLFS.BC.NO./1/05.05.09/2000-2001 की प्रति दाखिल की है जिसके अवलोकन से यह विदित है कि इस स्कीम के तहत किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को एक साल की बीमा दुर्घटना पालिसी रू0 15/-प्रीमियम पर तथा तीन वर्ष की पालिसी रू0 45/-प्रीमियम पर देय होना है। जिसमे यह भी अंकित है कि इसके संबंध में प्रीमियम बैंक द्वारा बीमा कम्पनी को भुगतान किया जायेगा। यह पालिसी वर्ष 2001 से 2004 के लिये होना अंकित है। इस संदर्भ में यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि परिवादिनी के पति चैहरजा बख्श सिंह की मोटर दुर्घटना में दिनांक 17.04.2015 को मृत्यु होना परिवाद में अंकित किया गया है अर्थात वर्ष 2015 तक उपरोक्त वर्णित पालिसी के प्राविधान लागू रहे इसका कोई पुष्टि कारक साक्ष्य नहीं है। यह तथ्य भी इंगित करना उचित होगा कि किसान क्रेडिट कार्ड की स्कीम वर्ष 1998 में आई। तीन वर्ष के लिये लागू हुई, तीन वर्ष पश्चात् वर्ष 2001 में इस पालिसी के संबंध में उपरोक्त वर्णित नोटिफिकेशन पुनः तीन वर्ष के लिये जारी हुआ जिससे स्पष्ट है कि किसान क्रेडिट कार्ड के तहत व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा के संबंध में प्रत्येक तीन वर्ष पर मूल्यांकन होकर नया नोटिफिकेशन जारी होता है। वर्ष 2004 से 2007, 2007 से 2010, 2010 से 2013 तथा 2013 से 2016 तक किसान क्रेडिट कार्ड धारक के मोटर दुर्घटना बीमा के संबंध में परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त वर्ष 2001 नोटिफिकेशन के ही प्राविधान लागू रहे, इसका कोई साक्ष्य नहीं है। परिवादिनी ने अपने परिवाद के पैरा-2 में स्पष्ट रूप से कहा है कि प्रीमियम धनराशि खातें से नियमानुसार काटी गयी थी जबकि बैंक ने जवाबदावे में व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा के संबंध में कोई प्रीमियम धनराशि काटने से इंकार किया है और परिवादिनी द्वारा दाखिल संबंधित बैंक खातें के विवरण में भी कोई प्रीमियम धनराशि अलग से काटे जाने का अंकन नहीं है।
विपक्षी बैंक ने अपने बैंक मैनेजर के साक्ष्य शपथपत्र दिनांक 23.09.2019 के साथ ई-सर्कुलर दिनांकित 22.04.2016 की प्रति दाखिल की है जो यूनिफाइड पैकेज इन्श्योरेन्स स्कीम की है, जिसमे कुल सात प्रकार के बीमा का उल्लेख है जिसमे से नम्बर-1 पर अंकित फसल बीमा बैंक द्वारा कराया जाना आवश्यक है शेष दो लगायत 7 में से कम से कम दो बीमा स्कीम किसान को स्वयं चुनने पर ही उसका लाभ दिया जा सकता है। यह ई-सर्कुलर बैंक के पूर्व ई-सर्कुलर वर्ष 2015-16 के अनुक्रम में जारी हुआ है जिससे स्पष्ट हो जाता है कि वर्ष 2015-16 में किसान इस यूनिफाइड पैकेज इन्श्योरेन्स स्कीम के तहत व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा स्वयं विकल्प चुनकर करा सकता था, बैंक किसान का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा करने के लिये न तो स्वयं बाध्य था और न ही किसान को ऐसा बीमा कराने के लिये बैंक बाध्य कर सकता था।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि परिवादिनी के पति ने किसान क्रेडिट कार्ड लेते समय अपने व्यक्तिगत दुर्घटना का बीमा भी कराये जाने के लिये बैंक को कोई विकल्प नहीं दिया और न ही इस निमित्त बैंक द्वारा कोई प्रीमियम ही चौहरजा बख्श सिंह के किसान क्रडिट कार्ड से कनेक्टेड बैंक खाते से काटा गया जिससे यह सिद्व होता है कि किसान क्रेडिट कार्ड धारक चौहरजा बख्श सिंह ने अपना व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा नहीं कराया था। व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा कराने का कोई लिखित रूप से विकल्प दिये जाने का भी साक्ष्य नहीं है। बैंक द्वारा उक्त समय व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा कराने की बैंक पर बाध्यता होने का कोई साक्ष्य नहीं है। ऐसी स्थिति में व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना का कोई प्रीमियम परिवादिनी के पति द्वारा न दिये जाने के कारण व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा के संबंध में विपक्षी बैंक न तो सेवा प्रदाता माना जा सकता और न ही उक्त संदर्भ में मृतक चौहरजा बख्श सिंह को उपभोक्ता ही माना जायेगा। क्योंकि चौहरजा बख्श सिंह ने व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा सेवा प्राप्ति हेतु कोई प्रीमियम प्रतिफल के रूप में नहीं दिया।
उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट है कि परिवादी पक्ष यह सिद्व करने में असफल रहा है कि परिवादिनी के पति चौहरजा बख्श सिंह के किसान क्रेडिट कार्ड खाते पर विपक्षी बैंक द्वारा खाता धारक का रू0 5,00,000/-का दुर्घटना बीमा किया गया और प्रीमियम की धनराशि खाता धारक के खाते से नियमानुसार काटी गयी। चौहरजा बख्श सिंह द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड खाता खोलवाते समय रू0 5,00,000/-का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा किये जाने की कोई स्कीम लागू होने का भी तथ्य पुष्ट नहीं होता है। अतः इस आधार पर चौहरजा बख्श सिंह की मृत्यु सड़क दुर्घटना में होने पर कोई बीमा की धनराशि देय नहीं है। परिवादिनी ने लिखित बहस में यह तर्क लिया है कि किसान क्रेडिट कार्ड धारक जितनी धनराशि का ऋण लेता है उसी के बराबर धनराशि का खाता धारक का दुर्घटना बीमा भी कवर होता है और यदि बैंक ने किसान क्रेडिट कार्ड धारक से दुर्घटना बीमा का कोई प्रीमियम नहीं काटा है तो उस लापरवाही के लिये विपक्षी बैंक ही जिम्मेदार है। परिवादिनी के लिखित बहस में इस तर्क के संबंध में सर्वप्रथम यह स्पष्ट करना उचित होगा कि परिवादी ने जब किसान क्रेडिट कार्ड लेकर खाता खोला उस समय इस आशय का कोई सर्कुलर या नियम या आवश्यक दिशा निर्देश सरकार या बैंक द्वारा जारी किये जाने का कोई पुष्टि कारक साक्ष्य नहीं है। परिवादिनी द्वारा लिखित तर्क में लिये गये इस तर्क की भी पुष्टि किसी अभिलेखीय साक्ष्य से नहीं होती है कि प्रत्येक किसान क्रेडिट कार्ड धारक का रू0 50,000/-का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा होता है जो खाता धारक की दुर्घटना में मृत्यु होने पर उसके नामिनी को देय होता है। अतः परिवादिनी का यह तर्क भी बलहीन है।
परिवादी पक्ष यह भी नहीं सिद्ध कर सके है कि परिवादिनी के पति चौहरजा बख्श सिंह किसान ने पर्सनल एक्सीडेन्ट इंश्योरेन्स स्कीम (पी.ए.आई.एस.) के अंतर्गत अपने व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना का लाभ लेने के लिये विपक्षी बैंक को कोई विकल्प लिखित रूप से दिया हो। अतः इस आधार पर भी मृतक चौहरजा बख्श सिंह की सड़क दुर्घटना में मृत्यु होने पर कोई बीमा की धनराशि नहीं दी जा सकती है।
उपरोक्त विवेचन के आधार पर परिवादिनी द्वारा परिवाद सिद्व न किये जाने के आधार पर परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद संख्या-70/2016 निरस्त किया जाता है।
(डा0 एस0 के0 त्रिपाठी) (मीना सिंह) (संजय खरे)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
यह निर्णय आज दिनांक को आयोग के अध्यक्ष एंव सदस्य द्वारा खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(डा0 एस0 के0 त्रिपाठी) (मीना सिंह) (संजय खरे)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
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