Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/268/2015

K.B SINGH - Complainant(s)

Versus

S.B.I LIC - Opp.Party(s)

01 Apr 2021

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/268/2015
( Date of Filing : 03 Sep 2015 )
 
1. K.B SINGH
R/E 3/130 VINAY KHAND GOMTI NAGAR
LUCKNOW
...........Complainant(s)
Versus
1. S.B.I LIC
UNIT NO.1NATRAJ M.B.ROAD EAST MUMBAI
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  ARVIND KUMAR PRESIDENT
  Ashok Kumar Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Apr 2021
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या-268/2015   

   उपस्थित:-श्री अरविन्‍द कुमार, अध्‍यक्ष।

                    श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्‍य।         

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-03.09.2015

परिवाद के निर्णय की तारीख:-01.04.2021

कुमरेन्‍द्र बहादुर सिंह पुत्र श्री विश्राम सिंह निवासी-ई-3/130, विनय खण्‍ड गोमती नगर, लखनऊ।                                     ................ परिवादी।

                                                       बनाम                         

1-SBI Life Insurance Company Ltd Unit No.1 Natraj, M.V. Road & Western Express Highway Junction, Andheri (East), Mumbai-400069 Through its Managing Director.

2- SBI Life Insurance Company Ltd. Ground Floor, Metro Tower, Shahnajaf Road, Hazratganj, Lucknow-226001 Through its Branch Manager.                                             ...............विपक्षीगण।

 

आदेश द्वारा-श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्‍य।

                           निर्णय                                                                                          

     परिवादी ने प्रस्‍तुत परिवाद विपक्षीगण से कुल जमा धनराशि 50,000.00 रूपये मय 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक, अनुचित व्‍यापार प्रक्रिया एवं दी गयी दोषपूर्ण सेवाओं के कारण परिवादी को हुई आर्थिक क्षति, मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट के लिये क्षतिपूर्ति के रूप में 25,000.00 रूपये, एवं वाद व्‍यय 11,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

     संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी के यहॉं विपक्षी कम्‍पनी के एजेन्‍ट आये और जीवन बीमा पॉलिसी लेने हेतु परिवादी को उत्‍प्रेरित किया। एजेन्‍ट द्वारा पॉलिसी के फायदे बताते हुए लालच/प्रलोभन दिया गया कि परिवादी को 07 वर्ष तक 50,000.00 रूपये प्रतिवर्ष जमा करना पड़ेगा एवं 10 वर्ष के पश्‍चात परिपक्‍वता होने पर परिवादी को कुल 5,50,000.00 रूपये मिलेंगे, भुगतान न लेने पर 5,000.00 रूपये प्रति माह पेंशन के रूप में मिलेगें। परिवादी ने यह जानना चाहा कि वह एजेन्‍ट की बात पर कैसे विश्‍वास कर ले तो उसने बताया कि पॉलिसी में इनका उल्‍लेख रहेगा अर्थात पॉलिसी की परिपक्‍वता धनराशि आदि विवरण पॉलिसी में लिखा होगा। परिवादी ने दिनॉंक 03.09.2014 को दो चेक संख्‍या 135426,  135427 द्वारा जिसमें एक कैन्सिल चेक एवं एक चेक 50,000.00 रूपये का भुगतान करके बीमा पॉलिसी करायी, परन्‍तु पॉलिसी बाण्‍ड परिवादी को प्राप्‍त नहीं हुआ तो परिवादी ने एजेन्‍ट से कई बार पॉलिसी बाण्‍ड देने हेतु कहा तो उक्‍त एजेन्‍ट द्वारा आश्‍वासन दिया जाता रहा कि उक्‍त पॉलिसी के बाण्‍ड परिवादी को डाक द्वारा प्राप्‍त हो जायेंगे। यहॉं यह भी उल्‍लेखनीय है कि उक्‍त पॉलिसियों हेतु केवल सादे फार्म पर परिवादी के हस्‍ताक्षर कराये गये थे तथा समस्‍त फार्म उपरोक्‍त एजेन्‍ट द्वारा ही भरे गये थे। परिवादी को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नही है। पॉलिसी का बाण्‍ड दो माह तक न मिलने पर परिवादी ने दिनॉंक 10.11.2014 को विपक्षीगण को स्‍पीड पोस्‍ट से पत्र भेजकर पॉलिसी बाण्‍ड दिये जाने का निवेदन किया तो विपक्षी द्वारा पत्र दिनॉंकित 18.11.2014 द्वारा परिवादी को सूचित किया कि पॉलिसी बाण्‍ड स्‍पीड पोस्‍ट से दिनॉंक 18.09.2014 को भेजा गया था जो विपक्षी को वापस नहीं प्राप्‍त हुआ है। परन्‍तु परिवादी को पॉलिसी बाण्‍ड नहीं मिला था। परिवादी ने पुन: दिनॉंक 01.12.2014 को इस संबंध में स्‍पीड पोस्‍ट से पत्र भेजकर बाण्‍ड दिये जाने का निवेदन किया तो विपक्षी द्वारा पत्र दिनॉंकित 09.12.2014 परिवादी को भेजते हुए डुप्‍लीकेट पॉलिसी बाण्‍ड जारी करने हेतु कुछ औपचारिकतायें पूर्ण करने को कहा तो परिवादी ने दिनॉंक 24.12.2014 को वांछित औपचारिकतायें पूर्ण कर दी। दिनॉंक 20.01.2015 को पत्र भेजते हुए विपक्षी ने सूचित किया कि परिवादी के हस्‍ताक्षर उनके रिकार्ड में उपलब्‍ध हस्‍ताक्षर से मेल नहीं हो पा रहे हैं इसलिये परिवादी सिग्‍नेचर चेन्‍ज रिक्‍वेस्‍ट फार्म भरकर अपनी आईडी ऐड्रेस प्रूफ के साथ जमा करे तो परिवादी ने विपक्षी के यहॉं जमा कर दिया। परिवादी को दिनॉंक 10.03.2015 को पॉलिसी नम्‍बर 35069953001 का बाण्‍ड प्राप्‍त हुआ। परिवादी को एजेन्‍ट द्वारा प्रस्‍ताव पत्र पर हस्‍ताक्षर कराते समय जो पॉलिसी बतायी गयी थी वह पॉलिसी न मिलने पर परिवादी ने विपक्षी संख्‍या 02 के यहॉं मूल पॉलिसी बाण्‍ड दिनॉंक 14.03.2015 को जमा करके पॉलिसी कैन्सिल करके जमा धनराशि वापस करने का निवेदन किया तो विपक्षी द्वारा अपने पत्र दिनॉंकित 24.03.2015 द्वारा डुप्‍लीकेट पॉलिसी बाण्‍ड पर फ्रीलुक कैन्सिलेशन सुविधा नहीं होती है जब कि परिवादी को पहली बार पॉलिसी बाण्‍ड दिनॉंक 10.03.2015 को प्राप्‍त हुआ तो परिवादी को पता चला कि जो पॉलिसी बतायी गयी थी वह नहीं है, इसलिये परिवादी ने तुरन्‍त बिना विलम्‍ब किये पॉलिसी कैन्सिल करके अपनी धनराशि वापसी की मॉंग की थी, परन्‍तु विपक्षीगण द्वारा धनराशि वापस नहीं की गयी।  

            विपक्षीगण द्वारा उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत करते हुए परिवाद पत्र के सभी आरोपों का खण्‍डन करते हुए कथन किया कि उनके द्वारा पालिसी प्रस्‍ताव फार्म के आधार पर जारी किया है और पॉलिसी धारक द्वारा “ फ्रीलुक अवधि ” के दौरान कोई आपत्ति दर्ज नहीं करायी गयी। विपक्षीगण द्वारा पॉलिसी नम्‍बर-35069953001, जो दिनॉंक 11.09.2014 से प्रारम्‍भ होना था, जारी किया और स्‍पीड पोस्‍ट नम्‍बर’ ABWNO EA1125877761N  दिनॉंकित 18.09.2014 के द्वारा परिवादी के रजिस्‍टर्ड पते पर भेजा गया जो वापस नहीं आया। परिवादी की मॉंग पर उनके औपचारिकता पूर्ण करने के बाद डुप्‍लीकेट पॉलिसी जारी किया जिसे परिवादी कैंसिल कर पैसा वापस मॉंग रहा है जो संभव नहीं क्‍योंकि डुप्‍लीकेट पॉलिसी पर “ फ्रीलुक कैन्सिल ” की सुविधा नहीं होती है। इसलिये परिवादी के साथ कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है, इसलिये उसका परिवाद पोषणीय नहीं है और निरस्‍त होने योग्‍य है। परिवादी ने अपने कथन को साक्ष्‍य के साथ सिद्ध नहीं किया है, क्‍योंकि “सबूत का बोझ” परिवादी पर था। विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी के आरोप भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम के विरूद्ध है क्‍योंकि उन्‍होंने आरोपों को साक्ष्‍य से सिद्ध नहीं किया है। अत: उनका परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

     पत्रावली पर उपलब्‍ध तथ्‍यों के अवलोकन से प्रतीत होता है कि परिवादी ने एस0बी0आई0 लाइफ इन्‍श्‍योंरेंस से एक पॉलिसी ली थी जिसके संबंध में एजेन्‍ट के द्वारा कुछ आश्‍वासन दिया था जो डुप्‍लीकेट पॉलिसी में निहित नहीं था जिसके कारण परिवादी उक्‍त पॉलिसी को निरस्‍त कर अपना पैसा वापस चाहता है। परिवादी को एजेन्‍ट के द्वारा कुछ मौखिक आश्‍वासन दिया गया था जिसके अनुरूप डुप्‍लीकेट पॉलिसी नहीं थी। परिवादी द्वारा प्रस्‍ताव फार्म के द्वारा एजेन्‍ट के कथनों की पुष्टि नहीं की है। विपक्षी के द्वारा पालिसी जारी होने के दो माह के अन्‍दर ही परिवादी को साक्ष्‍य के साथ स्‍पीड पोस्‍ट नम्‍बर देते हुए पॉलिसी के द्वारा अवगत कराया था। इस संबंध में दोनों ही पक्षों को उक्‍त स्‍पीड पोस्‍ट की पुष्टि कर लेनी चाहिए थी। क्‍योंकि स्‍पीड पोस्‍ट की पुष्टि ऑनलाइन भी की जा सकती थी या उसकी जानकारी पोस्‍ट आफिस कार्यालय से की जा सकती थी, जिसमें दोनों पक्ष विफल रहे हैं। यदि विपक्षी के पास स्‍पीड पोस्‍ट नम्‍बर और भेजने का साक्ष्‍य था तो उसे उत्‍तर भेजने के समय स्‍पीड पोस्‍ट की वस्‍तुस्थिति की जॉंच करा सकते थे जो उनके द्वारा मात्र पत्र भेजकर किया और पुष्टि नहीं की है। दोनों पक्षों “Burden of Proof (सबूत के बोझ)” का दायित्‍व का निर्वहन नहीं किया है। यदि 03 माह के अन्‍दर विपक्षी द्वारा परिवादी को स्‍पीड पोस्‍ट नम्‍बर देते हुए परिवादी को बाण्‍ड भेजना अवगत करा दिया था तो प्रथम “सबूत का बोझ (Burden of Proof ) परिवादी की जिम्‍मेदारी बनती है। परिवादी  द्वारा जो पॉलिसी अनूसूची संलग्‍न किया है उसमें भी एजेन्‍ट के द्वारा जो आश्‍वासन दिया था उसकी पुष्टि नहीं होती है। यह “नीति अनुसूची”  बाण्‍ड के अनुरूप प्रतीत होती है। विपक्षीगण द्वारा अपने उत्‍तर पत्र के साथ “प्रस्‍ताव फार्म” संलग्‍न किया है उसमें स्‍पष्‍ट रूप से सुनिश्चित राशि परिवादी के कथन से मेल नहीं खाता है और यह प्रस्‍ताव फार्म परिवादी के द्वारा हस्‍ताक्षर किया गया है। उक्‍त फार्म में चेक नम्‍बर का भी विस्‍तार दिया है जिससे प्रतीत होता है कि यह प्रस्‍ताव फार्म पॉलिसी के लिये चेक देते समय तैयार किया गया है और यह परिवादी द्वारा विधिवत हस्‍ताक्षर किया हुआ है। उक्‍त पालिसी फार्म के परीक्षण से ऐसा कुछ भी प्रतीत नहीं होता है जो परिवादी के कथनानुसार परिपक्‍वता धनराशि भुगतान न लेने पर 5,000.00 रूपये प्रतिमाह पेन्‍शन के रूप में मिलेंगे।

     स्‍टेट बैंक ऑफ इण्डिया एक पब्लिक सेक्‍टर का बैंक है जिसमें सरकार का अंश 50 प्रतिशत से ज्‍यादा का होता है और जो रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के दिशा-निर्देश पर संचालित होता है। पब्लिक सेक्‍टर के बैंक में ग्राहकों का ख्‍याल रखा जाता है और उन्‍हें कम सुविधा शुल्‍क पर बेहतर सर्विस देने की कोशिश की जाती है। यानी कि इन पब्लिक सेक्‍टर बैंकों में मुनाफा पर झुकाव नहीं होता है। स्‍टेट बैंक ऑफ इण्डिया पब्लिक सेक्‍टर क्षेत्र के बैंको में एक शीर्ष बैंक है जिसकी ख्‍याति और प्रर्दशन अच्‍छा माना जाता है और उनके स्‍तर पर अपेक्षा रहती है कि सम्‍पूर्ण उपभोक्‍ता का शोषण न हो या उनके साथ कोई धोखा-धड़ी न हो। परिवादी के साथ जिस जीवन बीमा पॉलिसी हेतु प्रस्‍ताव फार्म भराया गया है वह स्‍टेट बैंक ऑफ इण्डिया का शुभ निवेश पॉलिसी है जिसके तीसरे बिन्‍दु में निम्‍न प्रकार उल्‍लेख किया गया है-Flexibility-through two plan options and option to receive regular income over a period of 05/10/15/20 Years. उपरोक्‍त प्रस्‍ताव/शर्त से ऐसा प्रतीत होता है कि इसके आधार पर ही सम्‍भवत: पॉलिसी के एजेन्‍ट ने परिवादी को बीमा आदि का आश्‍वान दिया होगा। पॉलिसी का उपरोक्‍त प्रस्‍ताव भी कदाचित पेंशन का तात्‍पर्य ही अवगत कराता है। ऐसी परिस्थिति में यह फोरम/आयोग इस निष्‍कर्ष पर पहुँचता है कि किसी भी पॉलिसी के अन्‍तर्गत नियमों एवं शर्तों के विपरीत उसका शोषण न हो तथा उसके साथ धोखा-धड़ी न की जाए। साथ ही साथ एक ख्‍याति प्राप्‍त पब्लिक सेक्‍टर के शीर्ष बैंकों के हितों को भी ध्‍यान में रखते हुए आदेश पारित किया जाए।

                            आदेश

     इस परिवाद के सम्‍बन्‍ध में विपक्षीगण को निर्देश दिया जाता है कि वे प्रस्‍ताव फार्म जो परिवादी से उनके एजेन्‍ट/प्रतिनिधि के द्वारा हस्‍ताक्षर कराया गया है उसको बाण्‍ड के संबंध में परीक्षण करें और यदि प्रस्‍ताव फार्म में अंकित विवरण, एस0बी0आई0 लाईफ के शुभ निवेश पॉलिसी के उपरोक्‍त तीसरे बिन्‍दु में उल्लिखित प्रस्‍ताव/शर्त तथा जारी बाण्‍ड में भिन्‍नता पायी जाती है तो परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वे परिवादी द्वारा जमा की गयी कुल धनराशि मुबलिग 50,000.00 (पचास हजार रूपया मात्र) मय 09 प्रतिशत ब्‍याज के साथ भुगतान की तिथि से एवं भुगतान की तिथि तक अदा करेंगे। साथ ही साथ परिवादी को हुए मानसिक व शारीरिक कष्‍ट के लिये क्षतिपूर्ति के रूप में मुबलिग 15,000.00 (पन्‍द्रह हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्‍यय के लिये मुबलिग 5,000.00 (पॉंच हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगे। लेकिन यदि परिवादी द्वारा हस्‍ताक्षरित प्रस्‍ताव फार्म के विवरण एवं बाण्‍ड में कोई भिन्‍नता नहीं है तो परिवादी को निर्देश दिया जाता है कि वे उनके द्वारा हस्‍ताक्षरित प्रस्‍ताव फार्म का अनुपालन करते हुए अग्रिम कार्यवाही भुगतान संबंधी पूर्ण कराना सुनिश्चित करें। यदि प्रस्‍ताव फार्म, पालिसी के बिन्‍दु तीन तथा बाण्‍ड में भिन्‍नता पायी जाती है तो विपक्षीगण के स्‍तर से उपरोक्‍त देय धनराशि अगर निर्धारित अवधि में भुगतान नहीं किया जाता है तो सम्‍पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भुगतेय होगा।

     

    (अशोक कुमार सिंह)                       (अरविन्‍द कुमार)

          सदस्‍य                                            अध्‍यक्ष

                                       जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                                                 लखनऊ।                                       

 

 

 
 
[ ARVIND KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[ Ashok Kumar Singh]
MEMBER
 

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