Rajasthan

Jaisalmer

30/14

Merab khan - Complainant(s)

Versus

SBI Genral Insurance. - Opp.Party(s)

Umed singh

27 Apr 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 30/14
 
1. Merab khan
Sam Jaisalmer
...........Complainant(s)
Versus
1. S.B.I Genral Insurance.
Dehli
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA PRESIDENT
  SANTOSH VYAS MEMBER
  MANOHAR SINGH NARAWAT MEMBER
 
For the Complainant:Umed singh, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)

1. अध्यक्ष    ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या   : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य    ः श्री मनोहर सिंह नरावत।        
    
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 15.05.2014
मूल परिवाद संख्या:- 30/2014


श्री मैहराब खाॅ पुत्र श्री अलारखखां,  जाति- मुसलमान,
निवासी- गांवः रोजाणियों की बस्ती सम तह.व जिला  
जैसलमेर    
                        ............परिवादी।

बनाम

प्रबन्धक,
एस.बी.आई.जनरल इंश्योरेस कंपनी लिमिटेड,
7,बी ग्राउंड फलोर् राजेन्द्र पाॅर्क पुसा रोड़ नई दिल्ली,-110 060                                                     .............अप्रार्थी।


प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986

उपस्थित/-
1.    श्री उम्मेदसिंह नरावत, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2.    श्री मूरलीधर जोषी, अधिवक्ता अप्रार्थी की ओर से ।


ः- निर्णय -ः        दिनांक    ः27.04.2015


परिवादी का सक्षिप्त मे परिवाद इस प्रकार है कि प्रार्थी के नाम पंजीकृत ट्रक नम्बर जी.जे. 18 ए.यू. 9020 अप्राथी बीमा कम्पनी एस.बी.आई.जनरल इंश्योरेस कंपनी लिमिटेड जैसलमेर के यहा प्रिमियम राषि 37,900/- रूपये अदा कर दिनांक 01.12.2012 से 30.11.2013 तक की अवधि के लिए सम्पूर्ण जौखिम के लिए बीमित किया गया था जिसकी पाॅलिसी नम्बर 585986 है। प्रार्थी का उक्त वाहन दिनांक 06.06.2013 को दूर्धटनाग्रस्त हो गया जिस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी को तुरंत इसकी सूचना दी गई जिस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने मौके पर वाहन का स्र्पोट सर्वे किया व वाहन को कम्पनी के अधिकृत वर्कषाप कमल आॅटो मौबाईल प्राईवेट लिमिटेड पाली ले जाने का कहा जहा पर भी प्रार्थी के उक्त वाहन का पुनः बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा विस्तरित मुआयना किया गया व वाहन को रिपेयर करने का कहा प्रार्थी के उक्त वाहन का कम्पनी के अधिकृत वर्कषाप मे बीमा कम्पनी के तकनीकी सर्वेयर के निर्देषन मे क्षतिग्रस्त विभिन्न पार्ट नये लगाये गये व जो रिपेयरिग के योग्य थे उन्है रिपेयर कर वाहन को तैयार किया प्रार्थी द्वारा वाहन के रिपेयरिग व पार्ट के पैटे कुल 6,76,300/- रूपये का भुगतान दिनांक 30.10.2013 को कर व बिल प्राप्त कर कम्पनी को क्लैम हैतु दिये उक्त दुर्धटनाग्रस्त ट्रक की केबिन भी क्षतिग्रस्त हो गयी थी जो रिपेयर के लायक नही थी इसलिए सर्वेयर के कहने पर एक डिस्पोजल केबिन रूपये 204000/- का भुगतान कर ट्रक मे लगायी इस प्रकार कुल 880300 रू का क्लैम बीमा कम्पनी से प्राप्त करने के लिये वाछित दस्तावेज पेष किये क्लैम अदायगी के सम्बध मे अप्रार्थी बीमा कम्पनी से कई बार निवेदन किया लैकिन उनके द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नही दिया उसके बाद दिनांक 31.01.2014 को कम्पनी के एक रजिस्ट्रर्ड पत्र द्वारा प्रार्थी को अवगत करवाया गया कि आपके द्वारा नौक्लैम की गलत घोषणा कर मिसरिप्रजेन्टेषन के कारण बीमा पाॅलिसी के लाभों से आपको वचित किया जाता है व आपका क्लैम अस्वीकार किया जाता है। परिवादी के अनपढ़ होने के कारण अग्रेजी भाषा की जानकारी नही होने के कारण बीमा कम्पनी के विष्वास मे हस्ताक्षर किये थे। कम्पनी के अभिकर्ता ने ऐसी किसी भी घोषणा के बारे मे नही बताया था उसके बावजूद बीमा कम्पनी ने 5,758 रू मय टैक्स दिनांक 25.06.2013 को क्लैम अस्वीकार करने से पूर्व परिवादी से वसूल लिये है। इस प्रकार अप्रार्थी बीमा कम्पनी के उक्त कृत्य जो सेवा दोष की श्रेणी मे आता है के कारण प्रार्थी को मानसिक शारीरिक व आर्थिक परेषानी हुई जिसका कुल हर्जाना रू 940300 दिलाये जाने का निवेदन किया।

1.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी की तरफ से जवाब पेष कर प्रकट किया कि प्रार्थी ने प्रपोजल फार्म मिथ्या अभिकथन किये है जिसके आधार पर घोषणा पत्र को कम्पनी ने सही मानकर विष्वास कर कवर नोट जारी किया है व श्री राम इष्योरेंस कम्पनी द्वारा यह जानकारी दिये जाने पर कि प्रार्थी द्वारा पूर्व मे क्लैम उठाया गया है। एवम् नौक्लैम बौनस के नवीनीकरण के अधिकारी नही होने के कारण प्रार्थी की पाॅलिसी दिनांक 25.12.2012 को फोरफीट कर उसकी सूचना प्रार्थी को दी गई। इस कारण पाॅलिसी ट्रम एवम् कन्डीसन के अनुसार प्रार्थी क्लैम प्राप्त करने का अधिकारी नही होने से क्लैम अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा सही खारिज किया गया है। प्रार्थी हर्जाना राषि प्राप्त करने का अधिकारी नही है व परिवादी का प्रार्थना पत्र मय हर्जा खर्चो खारिज किये जाने का निवेदन किया।
2.    हमने विद्वान अभिभाषक पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
3.    विद्वान अभिभाषक पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1.    क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2.    क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3.    अनुतोष क्या होगा ?
4.        बिन्दु संख्या 1:-  जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने बाकायदा विहित प्रक्रिया अपना कर अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा वाहन का बीमा करवाया जिसे अप्रार्थी द्वारा भी माना गया है इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।

5.बिन्दु संख्या 2:-    जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ?
इस सम्बध मे अप्रार्थी विद्वान अभिभाषक की दलील है कि परिवादी द्वारा मिथ्या घोषणा बाबत् नौक्लैम सारवान तथ्यौ को छिपाते हुए प्रपोजल दिया गया जिससे पाॅलिसी फारफीट की गई, पाॅलिसी की टर्मस एवं कन्डीसन्स के अनुसार परिवादी कोई क्लैम पाप्त करने का अधिकारी नही होने से सही रूप से कम्पनी द्वारा परिवादी का क्लैम रैपूडिएट किया गया है उनकी यह भी दलील है कि श्री राम इष्योरेंस कम्पनी द्वारा यह जानकारी पाप्त होने पर कि परिवादी द्वारा क्लैम उठाया गया है इस प्रकार परिवादी नौैक्लैम बोनस 20 प्रतिषत के नवीनीकरण के भी अधिकारी नही थे परिवादी की पाॅलिसी दिनांक 25.12.2012 को फोरफीट की गई जिसकी सूचना परिवादी को दे दी गई थी उनकी यह भी दलील है कि परिवादी ने जो बिल 676300 रू का बताया गया है वह नियमानुसार प्राप्त करने का भी अधिकारी नही है तथा प्रार्थी द्वारा डिस्पोजल केबिन लगाया जाना बताकर 204000 रू का बिल पेष किया गया है उसको भी साबित नही कराया गया है उक्त बिल का भुगतान भी नियमानुसार नही किया जा सकता।
6.    विद्वान परिवादी अभिभाषक की दलील है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा जो श्रीराम इष्योरेंस कम्पनी से जो क्लैम उठाना बताया गया है उसके दस्तावेज नही पेष कर साबित नही कराया गया है तथा न ही परिवादी के डिक्लैरेसन फार्म को पेष कर साबित नही कराया गया है अतः ऐसी परिस्थिति मे यह नही माना जा सकता कि घोषणा पत्र मे मिथ्या घोषणा की हो ओर सारवान तथ्यों को छिपाया हो अपने तर्को के समर्थन मे दिनांक 13.08.2014 के निर्णय अन्तर्गत रिविजन पीटिसन नम्बर 3134/2013 श्री विजय सोमानी बनाम रिलाईन्स जनरल इष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड का राष्ट्रीय आयोग नई दिल्ली का विनिष्चय पेष किया। इनकी यह भी दलील है कि प्रार्थी को ऐसा लाभ दिये जाने की कोई जानकारी नही थी व यदि कम्पनी ने ऐसा कोई लाभ बिना चाहे या बिना जानकारी दिया भी है तो बीमा कम्पनी ने दिनांक 25.06.2013 को परिवादी से 5798 रू वसूल कर यह माना है कि ठमदमपिज नदकमत ैमबजपवद प् ेजंदके तमेजवतमक ूपजी मििमबज तिवउ 01ध्12ध्2012 जो क्लैम खारिज किये जाने से पूर्व का है तथा जो पाॅलिसी शुरू होने की दिनांक से ही फायदा देने की घोषणा की गई है। इस प्रकार परिवादी का क्लैम गलत खारिज किया गया है उनकी अन्त मे यह भी दलील है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी से वाहन की रिपेयरिग व क्षतिपूर्ति व मानसिक परेषानी व परिवाद व्यय के कुल 940300 रू दिलाये जाने की प्रार्थना की।
7.    उभय पक्षों के तर्को पर मनन किया गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेजी साक्ष्यों का परिषीलन किया गया। यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी के नाम पंजीयन ट्रक संख्या जी.जे.18 ए.यू.9020 अप्रार्थी बीमा कम्पनी एसबीआई जनरल इष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा प्रीमियम राषि 37900 रू लेकर उक्त ट्रक का दिनांक 01.12.2012 से 30.11.2013 तक की अवधि के लिये सम्पूर्ण जोखिम के लिए बीमित था जिसके पाॅलिसी संख्या 585986 है उक्त वाहन दिनांक 06.06.2013 को दूर्घटनाग्रस्त हुआ जो बीमा अवधि के दौरान ही है।
8.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी का क्लैम इस आधार पर रैपूडियेट किया है कि परिवादी द्वारा मिथ्या घोषणा बाबत् नौक्लैम सारवान तथ्यों को छिपाते हुए प्रपोजल दिया गया है जिससे परिवादी की पाॅलिसी फारफिट की गई व पाॅलिसी की ट्रर्म एण्ड कन्डिसन के अनुसार परिवादी कोई क्लैम प्राप्त करने का अधिकारी नही है जबकि परिवादी का परिवाद व सषपथ साक्ष्य मे कथन है कि एैसी किसी घोषणा की प्रार्थी को जानकारी नही थी क्योंकि प्रार्थी के वाहन का बीमाकर्ता अप्रार्थी के अभिकर्ता प्रेमनारायण पसांरी मारूती सर्विस सेन्टर जैसलमेर ने ऐसी घोषणा के बारे मे प्रार्थी को नही बताया तथा प्रार्थी एक अनपढ व साक्षर व्यक्ति है ओर अग्रेजी भाषा को वह लिख व पढ़ नही सकता अभिकर्ता द्वारा अपनी औपचारिकताओं मे कई कागजातों पर प्रार्थी के हस्ताक्षर अवस्य कराये थे अतः परिवादी ने परिवाद व सषपथ बयानों मे इस बात को बताया है कि ऐसी किसी प्रकार की घोषणा की उसे जानकारी नही है।
9.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी की तरफ से ग्वाह जगदीष प्रसाद प्राधिक्त अधिकारी पेष हुआ है हाॅलाकि उसने अपनी साक्ष्य मे यह बताया है कि प्रार्थी ने घोषणा की कि उसने पूर्व मे इष्योरेंस जिस कम्पनी का था उससे कोई क्लैम प्राप्त नही किया है इस प्रकार प्रार्थी ने प्रपोजल फोर्म मे मिथ्या अभिकथन किया है। लैकिन अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी द्वारा दिया गया घोषणा पत्र साक्ष्य मे पेष नही किया है केवल मात्र क्लैम दावा प्रपत्र पेष किया गया है ऐसी स्थिति मे जबकि परिवादी किसी घोषणा पत्र देने से मना करता है तो अप्रार्थी बीमा कम्पनी को वह घोषणा पत्र पेष कर साक्ष्य मे साबित कराना आवष्यक था साथ ही श्रीराम इष्योरेंस कम्पनी से जो बीमा क्लैम परिवादी द्वारा पूर्व मे उठाया गया था उसके बाबत् भी कोई साक्ष्य पेष नही की गई है अतः परिवादी ने जो पूर्व क्लैम उठाया हो ओर इस तथ्य को घोषणा पत्र मे छुपाया हो यह दस्तावेजी साक्ष्य द्वारा साबित नही है हमारे इस मत को माननीय राष्ट्रीय आयोग नई दिल्ली द्वारा पारित निर्णय दिनांक 13.08.2014 अन्तर्गत रिविजन पिटीषन सं. 3134/2013 श्री विजय सोमानी बनाम रिलाईन्स जनरल इष्यो. क.लि. मे पारित स्मंतदमक ैजंजम ब्वउउपेपवद पद पजे पउचनहदमक वतकमत ींअम तमचतवकनबमक ळत् 27 तमहंतकपदह दव बसंपउ इवदनेण् च्मतनेंस व िजीपे चतवअपेव उंामे पज बसमंत दव बसंपउ इवदने ूंज जव इम ंससवूमक वदसल ंजिमत पिदकपदह दव बसंपउ इवदने मदजपजसमउमदज तिवउ चतमअपवने पदेनतमतण् प्ज ींे नितजीमत इममद उमदजपवदमक पद ळत् 27 जींज ूीमतम जीम पदेनतमक पे नदंइसम जव चतवकनबम मअपकमदबम व िदव बसंपउ इवदने मदजपजसमउजद तिवउ जीम चतमअपवने पदेनतमतए दव बसंपउ इवदने उंल इम चमतउपजजमक वदसल वइजंपदपदह कमबसंतंजपवद तिवउ जीम पदेनतमकण् त्मेचवदकमदज ींे दवज चसंबमक वद तमबवतक ंदल ेनबी कमबसंतंजपवद वइजंपदमक तिवउ जीम चमजपजपवदमत ूीपसम हतंदजपदह दव बसंपउ इवदनेण्
स्मंतदमक ैजंजम ब्वउउपेेपवद ींे नितजीमत ूतवदहसल उमदजपवदमक पद जीम पउचनहदमक वतकमत जीमज कमबसंतंजपवद हपअमद इल जीम बवउचसंपदंदज चतवअमक ंिसमे इमबंनेम ीम कपक दवज पिदक ंदल ेनबी कमबसंतंजपवद वद तमबवतकण् स्मंतदमक ैजंजम ब्वउउपेेपवद ींे चसंबमक तमसपंदबम वद उंदल रनकहउमदजे ंदक प् ंहतमम ूपजी जीम संू संपक कवूद पद जीम ंवितमेंपक रनकहउमदजए इनज जीमल कव दवज ीमसच जव जीम तमेचवदकमदज पद जीम ंइेमदबम वि ंिसमे कमबसंतंजपवद इल जीम चमजपजपवदमत ूीपबी पे दवज चसंबमक वद तमबवतक इल जीम तमेचवदकमदज ंदक पद ेनबी बपतबनउेजंदबमेए पउचनहदमक वतकमत ंदक वतकमत व िक्पेजतपबज थ्वतनउ ंतम सपइसम जव ेमज ंेपकमण् आदेश से भी बल मिलता है ।
10.    साथ ही परिवादी ने अपने परिवाद व साक्ष्य मे यह प्रकट किया है कि नौक्लैम बौनस राषि जो बिना उसकी जानकारी के देना बताया गया है उस राषि 5,758 रू को भी मय टैक्स दिनांक 25.06.2013 को क्लैम अस्वीकार कर देने से पूर्व वसूल कर ली गई है इस सम्बध मे परिवादी द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी का पत्र दिनांक 25.06.2013 जो पेष किया गया है उसका अवलोकन करे तो परिवादी से 5,758 रू मय टैक्स वसूल करना प्रकट है तथा कम्पनी की तरफ से इस पत्र मे यह इबारत अंकित की गई है कि ठमदमपिज नदकमत ेमबजपवद प् ेजंदके तमेजवतमक ूपजी मििमबज तिवउ 01ध्12ध्2012 अतः पाॅलिसी की दिनांक से ही इस राषि के वसूल होने के बाद परिवादी को इस पत्र के माध्यम से लाभ दिया गया था जो ब्ींदहम व िछब्ठ ब्संपउ बाबत् था अप्रार्थी की ओर से इस बात का खण्डन नही किया गया है अतः हमारे विनम्र मत मे यदि किसी प्रकार का छब्ठ का फायदा परिवादी को दिया गया ओर वह राषि टैक्स सहित बीमा कम्पनी द्वारा वसूल कर ली गई और उसका फायदा बीमा पाॅलिसी की दिनांक से ही दिया गया था अतः राषि वसूल कर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने ऐसी कोई शर्त थी तो उसे अधित्यजन ;ॅंपअमद्ध करना माना जावेगा। अतः परिवादी का जो क्लैम अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा खारिज किया गया है वह त्रृटिपूर्ण है इस प्रकार अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने सेवा दोष कारित किया है।
फलतः बिन्दु संख्या 2 अप्रार्थी के विरूद्व  निस्तारित किया जाता है ।

11. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । जहा तक परिवादी के दूर्घटनाग्रस्त वाहन के क्षतिपूर्ति का प्रष्न है परिवादी ने अपने परिवाद व सषपथ बयानों मे पार्टस की किमत व लैबर चार्ज व वैट इत्यादि के कुल 6,76300 रू तथा डिस्पोजल कैबिन के बाबत् 2,04000 रू कुल मिलाकर 880300 रू की माॅग की गई है इस सम्बध मे हमने पत्रावली का अवलोकन किया गया तथा सर्वेयर द्वारा बनाई गई असेसमेंट सीट जोकि अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा पेष की गई है का अवलोकन किया गया तथा साथ ही परिवादी द्वारा प्रस्तुत टैक्स इनवोईस का भी अवलोकन किया गया एवम् परिवादी द्वारा प्रस्तुत डिसपोजल कैबिन के बिल का भी अवलोकन किया गया। मंच का यह मत है कि ट्रक के क्षतिग्रस्त होने के बारे मे हमने समस्त परिवाद व दोनो पक्षों की समस्त साम्रगी का ध्यान रखना होगा ऐसा करने के पश्चात् स्वय अप्रार्थी पक्ष ने अपनी असेसमेंट सीट पेष की गई है जिसमे 515506 रू की क्षति होना माना है यह राषि इष्योरंेस डेपरिसीयेसन वैल्यू जो वहन की थी उसे ध्यान मे रखते हुए, साॅल्वेज को ध्यान मे रखते हुए तथा पाॅलिसी क्लौज की राषि काटने को ध्यान मे रखने के पश्चात् निर्धारित की गई है अतः 515506 रू की हाॅनि वाहन की क्षतिपूति बाबत् परिवादी को होना माना जाता है जहा तक परिवादी द्वारा प्रस्तुत बिल दिनांक 30.11.2013 डिस्पोजल कैबिन का राषि 204000 रू का अवलोकन करे तो इस बिल को साबित करने के लिए बालाजी स्पै डैन्टिग की तरफ से कोई पेष नही हुआ है न ही इसे साबित कराया गया है न ही इस बाबत् कोई शपथ पत्र पेष किया गया है तथा न ही इस बिल की राषि की प्राप्ति रसीद पेष की गई है इस बिल को असेसमेंट सीट मे क्र.स. 82 पर डिस्पोजल कैबिन के सम्बध मे 140000 रू असेस करना बताया गया है जो राषि असेसमेंट सीट मे निर्धारित की गई कुल राषि 515506 रू मे शामिल है अतः अलग से डिस्पोजल कैबिन के 204000 रू दिलाया जाना हम उचित नही समझते है।
बिन्दु संख्या 2  अप्रार्थी के विरूद्व  निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद आंषिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य  है । जो स्वीकार किया जाकर परिवादी को क्लेम राषि रूपये 515506 परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 16.05.2014 से तावसूली तक 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज की दर से अदा करने व मानसिक हर्जाना पेटे रू 5,000/- एवं परिवाद व्यय पेटे रू 3000/- अप्रार्थी बीमा कम्पनी से दिलाया जाना उचित है ।  

ः-ः आदेश:-ः

        परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर अप्रार्थी बीमा कम्पनी को आदेषित किया जाता है कि वह परिवादी को क्लेम राषि रूपये 515506 रू पाॅच लाख पन्द्रह हजार पाॅच सौ छ रू मात्र एवं इस राषि पर परिवादी प्रस्तुत करने की दिनांक 16.05.2014 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज अदा करें, इसके अलावा  मानसिक हर्जाना पेटे रू 5,000/- रूपये पाॅच हजार मात्र  एवं परिवाद व्यय पेटे रू 3000/- रूपये तीन हजार मात्र 2 माह के भीतर भीतर अदा करे ।


     ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।


    आदेश आज दिनांक 27.04.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

     ( मनोहर सिंह नारावत )             (संतोष व्यास)             (रामचरन मीना)
  सदस्य,                                  सदस्या                               अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
         जैसलमेर।                            जैसलमेर।                     जैसलमेर।

 

 

 

 

 

 

 
 
[JUDGES SH. RAMCHARAN MEENA]
PRESIDENT
 
[ SANTOSH VYAS]
MEMBER
 
[ MANOHAR SINGH NARAWAT]
MEMBER

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