Rajasthan

Jhunjhunun

CC/295/2014

Smt. Ganga Devi - Complainant(s)

Versus

S.B.B.J. Bank - Opp.Party(s)

Ummedraj Saini

24 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/295/2014
 
1. Smt. Ganga Devi
Chidava, Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. S.B.B.J. Bank
Chidava, Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

  परिवाद संख्या 295/14
तारीख हुक्म
                                  
              हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज 
श्रीमती गंगादेवी  बनाम   स्टेट बैंक आफ बीकानेर एण्ड जयपुर शाखा चिड़ावा जरिए शाखा
                      प्रबंधक चिड़ावा, जिला झुंझुनू (राज.)
                                                               नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
09.04.2015          परिवादिया की ओर से वकील श्री उम्मेदराज सैनी उपस्थित। विपक्षी की ओर से वकील श्री इन्दुभूषण शर्मा उपस्थित। उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।       
     विद्धान अधिवक्ता परिवादिया ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादिया के पति का देहांत हो चुका है तथा परिवादिया ने विपक्षी बैंक के यहां खाता नम्बर 61201411475 खुलवा रखा है । अतः परिवादिया विपक्षी की उपभोक्ता है।
     विद्धान अधिवक्ता परिवादिया ने बहस के दौरान यह भी कथन  किया है कि परिवादिया का पति अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का सेवानिवृत कर्मचारी था तथा विभाग द्वारा परिवादिया के पति को नियमित पेंषन उसके बैंक खाता संख्या 51044350896 एस बी बी जे शाखा, चिडावा के माध्यम से प्रदान की जाती रही तथा परिवादिया के पति की मृत्युपरांत विधवा पेंषन परिवादिया के पक्ष में विभाग के द्वारा स्वीकार कर अदा की जाने लगी। परिवादिया के पति की मृत्यु के बाद उपरोक्त खाता में जमा पेंषन राषि नियमानुसार परिवादिया को अदा करनी थी लेकिन विपक्षी ने परिवादिया के पति के बैंक खाता में जमा राषि 105969.49 रूपये में से 53552/-रूपये परिवादिया को अदा न कर सहवन से कोषाधिकारी कोष कार्यालय, झुंझुनू को ड्राफ्ट नम्बर 776068 दिनांक         04.01.2014 के माध्यम से भेज दी। परिवादिया ने विपक्षी से सम्पर्क किया व वस्तुस्थिति से अवगत कराया तो विपक्षी ने अपनी गलती स्वीकार की और परिवादिया के पति की पेंषन राषि 53552/-रूपये वापिस मंगवाये जाने हेतु पत्र लिखा । परिवादिया द्वारा अविविनिलि के लेखाधिकारी से भी उक्त राषि के संबंध में लिखित में मांग की जिस पर उन्होने भी विपक्षी को अवगत कराया परन्तु इसके बावजूद परिवादिया को उसके पति की पंेषन राषि नहीं लौटाई।    
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता परिवादिया ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार कर परिवादिया के स्व0 पति रामजीलाल की पेंषन राषि 53552/-रूपये मय ब्याज दिलाये जाने का निवेदन किया।   
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने उक्त तर्को का विरोध करते हुए अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादिया का खाता नम्बर 61201411475 एवं परिवादिया के पति का खाता नम्बर 51044350896 विपक्षी बैंक में खुला हुआ है। दिनांक 30.06.2014 के बाद से माह जुलाई से अक्टुबर,2013 की पेंषन राषि कुल 53098.00 रूपये परिवादिया के पति के खाते में पेंषन प्रदाता विभाग के द्वारा सहवन से पेंषनर की मृत्युपरांत जमा करायी गई है किन्तु उक्त राषि नियमानुसार परिवादिया प्राप्त करने की अधिकारी नहीं है।
      विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने बहस के दौरान परिवादिया के खाता संख्या 61201411475 की फोटो प्रति पेष कर यह भी निवेदन किया है कि उक्त राषि     53552.00 परिवादिया के उक्त खाता में दिनांक 19.11.2014 को जमा करादी गई है। अब परिवाद पत्र में कोई विवाद शेष नहीं रह गया है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता विपक्षी ने बहस के दौरान यह निवेदन किया कि परिवादिया का परिवाद मय हर्जा खर्चा खारिज फरमाया जावें। 
उभयपक्ष के तर्को पर विचार किया गया पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
प्रस्तुत प्रकरण मे यह निर्विवादित तथ्य है कि परिवादिया एवं उसके पति का विपक्षी बैंक में क्रमषः खाता संख्या 61201411475 एवं 51044350896 है। 
पत्रावली के अवलोकन से यह प्रकट होता है कि परिवादिया के पति के उपरोक्त खाता में जमा पेंषन राषि नियमानुसार परिवादिया को अदा करनी थी लेकिन विपक्षी ने परिवादिया के पति के बैंक खाता में जमा राषि     105969.49 रूपये में से 53552/-रूपये परिवादिया को अदा न कर सहवन से कोषाधिकारी कोष कार्यालय, झुंझुनू को ड्राफ्ट नम्बर 776068 दिनांक    04.01.2014 के माध्यम से भेज दी,जो कि एक सद्भाविक एवं मानवीय भूल रही है, जिसमें विपक्षी की कोई दुर्भावना होना प्रकट नहीं होता है । अब परिवादिया के खाता संख्या 61201411475 में 53552/-रूपये की राषि विपक्षी द्वारा दिनांक 19.11.2014 को जमा करादी गई है। इस प्रकार प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए अब हस्तगत परिवाद पत्र में कोई विवाद शेष नहीं रह जाता है। 
उपरोक्त विवेचन के फलस्वरूप परिवादिया की ओर से प्रस्तुत यह परिवाद सारहीन होने से खारिज किए जाने योग्य है, जो एतद्द्वारा खारिज किया जाता है।
खर्चा पक्षकारान अपना-अपना स्वंय वहन करेगें।
पत्रावली फैसल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो। 
आदेश आज दिनांक 09.04.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

    
        

 

 

 

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