Uttar Pradesh

StateCommission

C/2004/17

Dr N N Tiwari - Complainant(s)

Versus

S S Medical System - Opp.Party(s)

M Mehrotra

16 Jul 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2004/17
( Date of Filing : 04 Feb 2004 )
 
1. Dr N N Tiwari
A
...........Complainant(s)
Versus
1. S S Medical System
A
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 16 Jul 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

परिवाद संख्‍या:-17/2004

Dr. N.N. Tiwari, C/o Avadh Hospital, Opp. Fatima College, Circular Road, Gonda (U.P.)

........... Complainant

Versus    

1-    S.S. Medical Systems, Through its Director- Mr. Monish Bhandari Regd. Office-7, Old Bhopal House, Lalbagh, Lucknow.

Now Known as- Sonosite, 1st Floor, Presidency Apartment, Near Wireless Crossing, Mahanagar, Lucknow.

107, Surabhi Apartments, Dalibagh, Lucknow.

2-    Bank of Baroda, Through its Branch Manager Station Road, Gonda-271002 (U.P)

……..…. Opposite Parties

समक्ष :-

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य

मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य

परिवादी के अधिवक्‍ता     : श्री विजय कुमार यादव

विपक्षी के अधिवक्‍ता     : कोई नहीं।

दिनांक :- 08-8-2018                                            

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय   

प्रस्‍तुत परिवाद परिवादी ने इस अनुतोष के साथ योजित किया है कि विपक्षी सं0-1 को निर्देशित किया जाए कि वह प्रश्‍नगत सी.टी. स्‍कैनर मशीन की प्रश्‍नगत धनराशि 24,75,307.00 रू0 मय ब्‍याज वापस करें अथवा उक्‍त सी.टी. स्‍कैनर मशीन को पूर्णत: कार्यशील स्थिति में स्‍थापित करें तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी भी करें।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी के कथनानुसार परिवादी जनपद गोडा में अस्थि रोग चिकित्‍सक के रूप में कार्य कर रहा है और अपने मरीजों के बेहतर प्रबंधन हेतु उसने विपक्षी सं0-1 से एक तोशिबा सी.टी. स्‍कैनर मशीन (टीसीटी-600एस) मूल्‍य 28,00,000.00 रू0 की क्रय करने की सहमति दी। इस मशीन के क्रय किए जाने के संदर्भ में

-2-

विपक्षी सं0-1 ने श्री मोनीष भण्‍डारी के माध्‍यम से कोटेशन प्रस्‍तुत किया तथा प्रारम्भिक विवरण प्राप्‍त करने के उपरांत परिवादी ने अग्रिम धनराशि के रूप में 1,95,000.00 रू0 विपक्षी को अदा किए। उक्‍त मशीन क्रय करने हेतु परिवादी ने बैंक आफ बडौदा गोडा की शाखा से 20,00,000.00 रू0 ऋण प्राप्‍त किया, तदोपरांत परिवादी ने इस सी.टी. स्‍कैनर मशीन का सम्‍पूर्ण विक्रय मूल्‍य 24,75,307.00 रू0 दिनांक 20.02.2001 तक विपक्षी को अदा किया। प्रारम्‍भ में यह मशीन दिनांक 30.11.2000 तक स्‍थापित की जानी थी, किन्‍तु उक्‍त तिथि तक यह मशीन स्‍थापित नहीं की गई। प्रश्‍नगत मशीन की आपूर्ति के संदर्भ में विपक्षी द्वारा अपेक्षित समस्‍त औपचारिकताएं परिवादी से पूर्ण करायी गई और उसके बावजूद भी मशीन स्‍थापित करने में अत्‍यधिक विलम्‍ब किया गया। अंतत: दिनांक 03.02.2001 को परिवादी को मशीन उपलब्‍ध करायी गयी, किन्‍तु विपक्षी के अभियंता श्री एस0के0 सोनी ने विपक्षी सं0-1 द्वारा आपूर्ति की गई मशीन को दोष पूर्ण होना बताया और मशीन की हार्ड डिस्‍क को खराब होना बताया गया। विपक्षी सं0-1 द्वारा मशीन की त्रुटियॉ दूर नहीं करायी गई, जबकि इस संदर्भ में परिवादी द्वारा निरंतर पत्राचार किया जाता रहा। अंतत: परिवाद परिवादी द्वारा योजित किया गया है।

विपक्षीगण को नोटिस जारी की गई। विपक्षीगण की ओर से नोटिस की तामील के बावजूद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही विपक्षीगण की ओर से कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया, अत: परिवाद की सुनवाई विपक्षीगण के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से की गई।

हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री विजय कुमार यादव के तर्क सुने तथा परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत साक्ष्‍य एवं अभिलेखों का अवलोकन किया।

उल्‍लेखनीय है कि प्रस्‍तुत परिवाद में परिवादी ने स्‍वयं को जनपद गोडा में अस्थि रोग चिकित्‍सक के रूप में प्रैक्टिस करना अभिवचित

-3-

किया है तथा यह भी अभिवचित किया है कि अपने रोगियों के बेहतर प्रबंधन हेतु तथा स्‍वंय को अधिक सक्षम बनाने हेतु उनके द्वारा प्रश्‍नगत सी.टी. स्‍कैनर मशीन क्रय की गई। महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न यह है कि ऐसी परिस्थिति में क्‍या परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-2 (1) (डी) के अन्‍तर्गत परिभाषित उपभोक्‍ता की श्रेणी में माना जा सकता है ?

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-2 (1) (डी) (i) (ii) में उपभोक्‍ता को परिभाषित किया गया है। इस धारा की उपधारा-2 में उपभोक्‍ता को निम्‍न प्रकार से परिभाषित किया गया है:-

‘’2 (1) (घ) (i)- ऐसे किसी प्रतिफल के लिए जिसका संदाय कर दिया गया है या वचन दिया गया है या भागत: संदाय किया गया और भागत: वचन दिया गया है, या किसी आस्‍थगित संदाय की पद्धति के अधीन किसी माल का क्रय करता है, इसके अन्‍तर्गत ऐसे किसी व्‍यक्ति से भिन्‍न ऐसे माल का कोई प्रयोगकर्ता भी है ऐसे प्रतिफल के लिए जिसका संदाय किया गया है या वचन दिया गया है या भागत: संदाय किया गया है या भागत: वचन दिया गया है या आस्‍थगित संदाय की पद्धति के अधीन माल क्रय करता है जब ऐसा प्रयोग ऐसे व्‍यक्ति के अनुमोदन से किया जाता है, लेकिन इसके अन्‍तर्गत कोई ऐसा व्‍यक्ति नहीं है जो ऐसे माल को पुन: विक्रय या किसी वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए अभिप्राप्‍त करता है। 

(ii)- किसी ऐसे प्रतिफल के लिए जिसका संदाय किया गया है या वचन दिया गया है या भागत: संदाय और भागत: वचन दिया गया है, या किसी आस्‍थगित संदाय की पद्धति के अधीन सेवाओं को भाड़े पर लेता है या उपयोग करता है और इनके अन्‍तर्गत ऐसे किसी व्‍यक्ति से भिन्‍न ऐसी सेवाओं का कोई हिताधिकारी भी है, जो किसी प्रतिफल के लिए जिसका संदाय किया गया है और वचन दिया गया है और भागत: वचन दिया गया है या, किसी आस्‍थगित

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संदाय की पद्धति के अधीन सेवाओं को भाड़े पर लेता है या उपयोग करता है, जब ऐसी सेवाओं का उपयोग प्रथम वर्णित व्‍यक्ति के अनुमोदन से किया जाता है। लेकिन ऐसा कोई व्‍यक्ति सम्मिलित नहीं है जो इन सेवाओं का किसी वाणिज्यिक प्रयोजनार्थ उपभोग करता है। ‘’

 ‘’(स्‍पष्‍टीकरण – इस खण्‍ड के प्रयोजनों के लिए‘’ वाणिज्यिक प्रयोजन ‘’ में किसी व्‍यक्ति द्वारा क्रय तथा प्रयोग किए माल का प्रयोग एवं उसके द्वारा स्‍वत: रोजगार के माध्‍यम से अपवर्ती रूप से अपनी आजीविका उपार्जन के प्रयोजनों के लिए उपयोग की गयी सेवाऍ सम्मिलित नहीं हैं) ‘’

अब महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न यह है कि क्‍या परिवादी द्वारा प्रश्‍नगत मशीन वाणिज्‍यक उपयोग हेतु क्रय की गई।

परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा इस संदर्भ में यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी ने प्रश्‍नगत मशीन स्‍वरोजगार हेतु क्रय की थी। इस संदर्भ में परिवादी ने परिवाद के अभिकथनों में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा Kody Elcot Ltd. Vs. Dr. C.P. Gupta I (1996) CPJ 7 (NC) के मामले में दिए गये निर्णय पर भी विश्‍वास व्‍यक्‍त किया। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा संदर्भित उपरोक्‍त निर्णय का हमने अवलोकन किया। इस निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा निर्णीत मामले में यह मत व्‍यक्‍त किया गया कि सम्‍बन्धित चिकित्‍सक द्वारा अल्‍ट्रासाउण्‍ड स्‍कैनर मशीन उसके व्‍यक्तिगत उपयोग‍ तथा अपने जीविकोपार्जन हेतु क्रय की गई थी।

जहॉ तक प्रस्‍तुत मामले का प्रश्‍न है परिवादी यह स्‍वीकार करता है कि उसके द्वारा अपने चिकित्‍सा व्‍यवसाय के बेहतर प्रबंधन हेतु मशीन क्रय की गई थी। मशीन क्रय किए जाने से पूर्व परिवादी जनपद गोडा में अस्थि रोग विशेषज्ञ के रूप में प्रैक्टिस कर रहा था।

 

 

-5-

D. Srihari Rao (Dr.) Vs. Wipro Ge Medical Systems & Anr. III (2011) CPJ 504 (NC) के मामले में डॉ0 द्वारा अल्‍ट्रासाउण्‍ड मशीन क्रय की गई थी। मा0 राष्‍ट्रीय आयोग ने मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा Kalpavruksha Charitable Trust Vs. Toshniwal Bros. Pvt. Ltd.,VIII (1999) SLT 529=AIR 1999 SC 3356 तथा Cheema Engineering Services Vs. Rajan Singh VI (1998) SLT20=(1997) 1 SCC 131. में माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा दिए गये निर्णयों पर विचार करते हुए सामान परिस्थितियों में यह मत व्‍यक्‍त किया गया है कि अल्‍ट्रासाउण्‍ड मशीन का क्रय व्‍यवसायिक उपयोग हेतु किया गया।

प्रस्‍तुत मामले के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों एवं मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा उपरोक्‍त मामले में दिए गये निर्णय के आलोक में हमारे विचार से परिवादी द्वारा क्रय की गई मशीन वस्‍तुत: व्‍यवसायिक प्रयोजन हेतु क्रय की गई। अत: उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत परिवादी को उपभोक्‍ता नहीं माना जा सकता है। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से प्रस्‍तुत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस आयोग को प्राप्‍त नहीं है। अत: परिवाद निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

परिवादी का परिवाद क्षेत्राधिकार के अभाव में निरस्‍त किया जाता है।

    उभय पक्ष परिवाद व्‍यय स्‍व्‍यं अपना-अपना वहन करेंगे।

 

    (उदय शंकर अवस्‍थी)              (राज कमल गुप्‍ता)

     पीठासीन सदस्‍य                       सदस्‍य

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-2

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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