सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-1966/2005
(जिला उपभोक्ता फोरम, इटावा/औरैया द्वारा परिवाद संख्या-397/1992 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.10.2005 के विरूद्ध)
1. यूनियन आफ इण्डिया द्वारा सेक्रेटरी, डिपार्टमेंट आफ पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ, नई दिल्ली।
2. सुप्रीटेण्डेंट आफ पोस्ट आफिसेज, पोस्टकल डिवीजन, इटावा न्यू कालोनी चौगुर्जी, इटावा।
3. पोस्ट मास्टर, पोस्ट आफिस, औरैया, जिला इटावा (नाउ जिला औरैया)।
अपीलार्थीगण/विपक्षी सं0-1 त 3
बनाम्
1. श्री श्याम सुन्दर अवस्थी पुत्र श्री लालता प्रसाद अवस्थी़, निवासी अवस्थी साईकिल स्टोर, जमुना रोड, औरैया परगना व जिला औरैया।
2. हरि शंकर अवस्थी पुत्र श्री लालता प्रसाद अवस्थी, निवासी भदेख, परगना व जिला जलौन।
3. राम बाबू मिश्रा पुत्र श्री मुन्नीलाल, ग्राम व पोस्ट भाऊपुर परगना औरैया जिला औरया।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-4 व 5
समक्ष:-
1. माननीय श्री विजय वर्मा, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : डा0 उदय वीर सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार मिश्रा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-2 व 3 की ओर से उपस्थित : श्री आर0डी0 क्रान्ति, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 25.05.2017
मा0 श्री विजय वर्मा, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, विद्वान जिला फोरम, इटावा/औरैया द्वारा परिवाद संख्या-397/1992 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.10.2005 के विरूद्ध विपक्षी सं0-1 त 2/अपीलार्थीगण
की ओर से योजित की गयी है।
अपील से सम्बन्धित मुख्य तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी सं0-1/परिवादी एवं प्रत्यर्थी सं0-2/विपक्षी सं0-4 ने संयुक्त रूप से वर्ष 1986 में विभिन्न तिथियों पर छ: वर्षीय अवधि के राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र जिनकी कीमत कुल 65,000/- रूपये थी अपीलार्थीगण/विपक्षी सं0-1 त 3 से खरीदे थे। उक्त राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रों का परिपक्वता मूल्य रू0 1,30,975/- था, जिसका आधा परिवादी एवं आधा विपक्षी सं0-4 को परिपक्ता तिथि पर प्राप्त होना था। प्रत्यर्थी सं0-1/परिवादी के कथनानुसार उसे इस बात की जानकारी हुई कि बिना उसकी अनुमति के उपरोक्त कुछ राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र अन्य लोगों के नाम हस्तांतरित कर दिये गये हैं, जिसमें प्रत्यर्थी सं0-2//विपक्षी सं0-4 द्वारा कथित रूप से फर्जी तरीके से हस्ताक्षर बनाकर के अपीलार्थीगण से मिलीभगत से हस्तांतरित कर दिये गये, जबकि प्रत्यर्थी सं0-1/परिवादी कभी भी अपीलार्थीगण के यहां राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रों का हस्तांतरण कराने हेतु नहीं आया। प्रत्यर्थी सं0-1/परिवादी द्वारा उपरोक्त के सम्बन्ध में एक शिकायत करने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी और अनाधिकृत रूप से रू0 30,000/- मूल्य के राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र का भुगतान अपीलार्थीगण के कर्मचारियों की मिलीभगत से स्त्यापित कराके कर दिया गया। तदोपरान्त उपरोक्त प्रकरण में जांच करायी गयी और बाद में औरैया में विपक्षी सं0-4 एवं विपक्षी सं0-5 के विरूद्ध थाने में मुकदमा भी कायम कराया गया। तदोपरान्त प्रत्यर्थी सं0-1/परिवादी द्वारा परिपक्वता मूल्य के राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र रू0 1,30,975/- के आधे यानि रू0 65,437.50 मय ब्याज के प्राप्त करने हेतु प्रश्नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया, जहां पर अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा अपना प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया। अपीलार्थीगण की ओर से अपने प्रतिवाद पत्र में मुख्यत: यह कथन किया गया कि लगभग 30,000/- रू0 के राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रों का भुगतान किया जा चुका है तथा उन राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रों का हस्तांतरण भी किया जा चुका है। शेष 35,000/- रू0 की धनराशि के राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रों के भुगतान के लिए प्रत्यर्थी सं0-1/परिवादी से न्यायालय से स्थगन आदेश लाने हेतु
कहा गया था, किन्तु कोई भी स्थगन आदेश उनके द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया। यह भी कथन किया गया कि जिन राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रों का हस्तांतरण किया गया है, उन्हें विपक्षी सं0-4 श्री हरिशंकर अवस्थी सहधारक एंव परिवादी श्री श्याम सुन्दर अवस्थी द्वारा विपक्षी संख्या-5 श्री राम बाबू मिश्रा अभिकर्ता के साक्ष्य पर दूसरे लोगों के नाम से हस्तांतरित कर दिये गये हैं। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-4 हरिशंकर अवस्थी के द्वारा राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रों को हस्तांतरित करने के सन्दर्भ में जो शिकायत की गयी है, उस पर जांच की गयी थी तदोपरान्त राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रों का भुगतान रोकने के लिए आदेश पारित किया गया था।
विपक्षी संख्या-4 एवं 5 द्वारा भी अपने प्रतिवाद पत्र दाखिल किये गये थे, जिन्होंने परिवादी द्वारा किये गये कथन से इंकार करते हुए मुख्यत: यह कथन किया गया कि परिवादी एवं विपक्षी सं0-4 द्वारा हस्ताक्षर करने के उपरान्त ही श्री रामबाबू मिश्रा द्वारा सत्यापित करने के उपरान्त ही राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रों का हस्तांतरण किया गया था। तदनुसार उनके द्वारा परिवाद को निरस्त किये जाने की याचना की गयी।
उभय पक्ष को सुनने के उपरान्त विद्वान जिला फोरम द्वारा दिनांक 18.10.2005 को निम्न आदेश पारित किया गया :-
‘’ परिवादी का परिवाद सव्यय स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 01 लगायत 03 (डाक विभाग) को निर्देशित किया जाता है कि वे परिवादी के हिस्से के राष्ट्रीय बचत पत्र रूपया 65,000.00 की धनराशि देय ब्याज सहित इस निर्णय के एक माह के अन्दर भुगतान करे। एवं साथ ही रूपया 200.00 वाद व्यय के रूप में प्राप्त करेगा। निर्धारित अवधि में भुगतान न करने की स्थित में परिवादी विपक्षी संख्या 01 लगायत 03 से 5 प्रतिशत साधारण ब्याज की दर से परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक पाने का अधिकारी होगा।
विपक्षी संख्या 04 व 05 के विरूद्ध परिवाद निरस्त किया जाता है। ‘’
उपरोक्त आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थीगण द्वारा यह अपील मुख्यत: इन आधारों पर दायर की गयी है कि विद्वान जिला फोरम द्वारा गलत तरीके से निर्णय/आदेश पारित किया गया है, जब प्रकरण किसी धोखेबाजी से सम्बन्धित हो, तो ऐसी स्थिति में विद्वान जिला फोरम को अपना निर्णय/आदेश नहीं पारित करना चाहिये। अपीलार्थीगण द्वारा कोई भी सेवा में कमी नहीं की गयी थी। विद्वान जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय/आदेश त्रुटिपूर्ण होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है।
अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता डा0 उदय वीर सिंह तथा प्रत्यर्थी संख्या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अनिल कुमार मिश्रा एवं प्रत्यर्थी संख्या-2 व 3 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आर0डी0 क्रान्ति उपस्थित हैं। उभय पक्ष को विस्तार से सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
इस प्रकरण में अब यह देखा जाना है कि क्या अपीलार्थीगण द्वारा 30,000/- रू0 के राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र जो परिवादी एवं उसके भाई सहधारक हरिशंकर अवस्थी के नाम पर थे, का भुगतान करने में कोई सेवा में कमी की गयी है या नहीं।
इस प्रकरण में यह तथ्य निर्विवादित है कि प्रत्यर्थी सं0-1/परिवादी श्री श्याम सुन्दर अवस्थी एवं विपक्षी सं0-4, श्री हरिशंकर अवस्थी द्वारा संयुक्त रूप से 65,000/- रू0 राष्ट्रीय बचत पत्र विभिन्न तिथियों में क्रय किये गये थे। विवादित बिन्दु यह है कि प्रत्यर्थी सं0-1/परिवादी श्री श्याम सुन्दर अवस्थी के अनुसार 30,000/- रू0 के राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र का हस्तांतरण उसकी बिना अनुमति व हस्ताक्षर के भुगतान प्राप्त करके अन्य व्यक्तियों के नाम उसके भाई हरिशंकर अवस्थी द्वारा अपीलार्थीगण से मिलीभगत से हस्तांतरित कर दिये गये और इस प्रकार अपीलार्थीगण द्वारा गंभीर सेवा में कमी की गयी है। अत: इस सम्बन्ध में जो विद्वान जिला फोरम द्वारा निर्णय पारित किया गया है, वह पूर्णत: सही है। इसके विपरीत अपीलार्थीगण के अनुसार 30,000/- रू0 के जिन राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रों का हस्तांतरण किया गया है, वह हरिशंकर अवस्थी सहधारक एवं श्याम सुन्दर अवस्थी के हस्ताक्षरों को प्रत्यर्थी सं0-3, रामबाबू मिश्रा द्वारा सत्यापित करने पर ही हस्तांतरित किये गये थे, जिसमें अपीलार्थीगण द्वारा किसी प्रकार की कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है।
इस सम्बन्ध में उल्लेखनीय है कि प्रत्यर्थी सं0-1/परिवादी श्याम सुन्दर अवस्थी द्वारा इस बात की जानकारी होने पर कि उसके द्वारा अपने भाई हरिशंकर अवस्थी के साथ संयुक्त रूप से 30,000/- रू0 के राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रों का भुगतान उनकी बिना अनुमति व हस्ताक्षर के अपीलार्थीगण की मिलीभगत से कर दिया गया है, एक शिकायत अपीलार्थीगण से की गयी थी, जिस पर एक जांच भी हुई थी और जांच में अपीलार्थीगण द्वारा न केवल श्री राम दास कठेरिया को जब वो पोस्ट मास्टर औरैया के पद पर कार्यरत थे, के द्वारा प्रश्नगत राष्ट्रीय बचत पत्रो के हस्तांतरण के सम्बन्ध में दोषी पाये जाने पर उन्हें सेंसर किया गया था। इसी प्रकार से श्री ओ0पी0 गुप्ता एवं श्री सुरेश गुप्ता डाकघर के कर्मचारीगण को भी सेंसर किया गया था एवं श्री सुरेश गुप्ता से रिकवरी करने करने भी आदेश पारित किया गया था। यह भी उल्लेखनीय है इस प्रकरण से सम्बन्धित प्रथम सूचना रिपोर्ट थाने में अंकित करायी गयी थी, जिस पर मुकदमा कायम होकर के न्यायालय में कार्यवाही चल रही है। प्रथम सूचना रिपोर्ट हरिशंकर अवस्थी एवं रामबाबू मिश्रा के विरूद्ध अंकित करायी गयी थी। अत: उपरोक्त अभिलेखों से यह तथ्य सुस्पष्ट हो जाता है कि हरिशंकर अवस्थी ने बिना अपने भाई श्याम सुन्दर अवस्थी, जिनके साथ वे राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र के क्रता थे, की बिना अनुमति व हस्ताक्षर के 30,000/- रू0 के राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र का भुगतान प्राप्त करके राम बाबू मिश्रा अभीकर्ता के साथ मिलकर डाकघर के कर्मचारियों से मिलीभगत से भुगतान प्राप्त किया गया, जिस कारण से डाकघर की जांच में डाकघर के कर्मचारियों को दोषी पाया गया। अत: इस सम्बन्ध में लेस मात्र भी संदेह नहीं रह जाता है कि डाकघर की मिलीभगत के कारण ही राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र के 30,000/- रू0 की परिपक्वता मूल्य के आधे भाग से परिवादी श्याम सुन्दर अवस्थी वंचित रहे। यह भी उल्लेखनीय है शेष 35,000/- रू0 के राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र का हस्तांतरण नहीं हो सका है और अब वे परिपक्व हो चुके हैं। चूंकि परिवादी 30,000/- रू0 परिपक्वता मूल्य का आधा भाग पाने से वंचित रहा है। अत: राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र के परिपक्व मूल्य का आधा अर्थात् 65,000/- की धनराशि मय ब्याज अपीलार्थीगण से पाने का अधिकारी है। अत: इस सम्बन्ध में विद्वान जिला फोरम द्वारा जो निर्णय पारित किया गया है, वह पूर्णत: विधिसम्मत एवं कारणों के आधार पर है। उसमें किसी प्रकार की त्रुटि नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है।
पक्षकारान अपीलीय व्यय-भार स्वंय वहन करेंगे।
(विजय वर्मा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-3