Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/2178

Rajdev - Complainant(s)

Versus

S P Automobiles - Opp.Party(s)

A K Mishra

10 Apr 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/2178
( Date of Filing : 24 Sep 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Rajdev
a
...........Appellant(s)
Versus
1. S P Automobiles
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 Apr 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2178/2013

राजदेव पुत्र भगौती तथा एक अन्‍य

 

बनाम

 

एस.पी. आटोमोबाइल्‍स गांधी नगर बस्‍ती जिला बस्‍ती द्वारा मैनेजर तथा एक अन्‍य

समक्ष:-                                                  

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित  : श्री ए.के. मिश्रा।

प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित   : श्री आर.के. गुप्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित   : श्री अंशुमाली सूद।

दिनांक : 10.04.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-08/2012, राजदेवी तथा एक अन्‍य बनाम शाखा प्रबंधक पूर्वांचल ग्रामीण बैंक तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, बस्‍ती द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.6.2013 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री ए.के. मिश्रा एवं प्रत्‍यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर.के. गुप्‍ता तथा प्रत्‍यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अंशुमाली सूद को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

 

 

-2-

2.        विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद इस आधार पर खारिज किया गया कि विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।

3.        अपीला‍र्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि बैंक से उनका समझौता हो चुका है, परन्‍तु डीलर द्वारा समय पर विक्रय पत्र तथा आर.सी. उपलब्‍ध नहीं करायी गयी, जिसके कारण ट्रैक्‍टर का प्रयोग नहीं किया जा सका तथा उन्‍हें आर्थिक क्षति कारित हुई। विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय में यह अंकित किया है कि पंजीकरण प्रमाण पत्र की प्रति अभिलेख संख्‍या-43 एस.पी. आटोमोबाइल द्वारा प्राप्‍त करायी गयी है, इसलिए सेवा में कमी नहीं की गयी है।

4.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि इस निर्णय में केवल यह अंकित किया गया है कि पंजीकरण हो चुका है, परन्‍तु विद्वान जिला आयोग ने यह निष्‍कर्ष नहीं दिया कि क्‍या डीलर द्वारा विक्रय प्रमाण पत्र एवं पंजीकरण दस्‍तावेज परिवादी को वाहन विक्रय करने के पश्‍चात उपलब्‍ध कराये गये या नहीं। परिवादी ने सशपथ कथन किया है कि विक्रय प्रमाण पत्र तथा पंजीकण प्रमाण पत्र कभी भी परिवादी को उपलब्‍ध नहीं कराये गये। यह दस्‍तावेज परिवादी के पास उपलब्‍ध नहीं हुए, इसलिए परिवादी इन दस्‍तावेजों के साथ ट्रैक्‍टर का संचालन सड़क पर नहीं कर सका। इन बिन्‍दुओं पर विद्वान जिला आयोग ने कोई विचार नहीं किया है, केवल पंजीकरण होने के आधार पर यह निष्‍कर्ष दे दिया गया कि विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी, जबकि विवाद का विषय यह था कि

 

-3-

पंजीयन प्रमाण पत्र डीलर द्वारा ट्रैक्‍टर क्रेता को उपलब्‍ध नहीं कराया गया। यहां इस बिन्‍दु पर कोई निष्‍कर्ष मौजूद नहीं है। अत: इस पीठ द्वारा अपीलीय शक्तियों के तहत इस बिन्‍दु पर अपना निष्‍कर्ष जारी किया जा रहा है कि दिनांक 28.12.2011 को बैंक द्वारा एक पत्र एस.पी. आटोमोबाइल को जारी किया गया है, जिसमें यह उल्‍लेख है कि आपने ट्रैक्‍टर का बिल, रसीद, रजिस्‍ट्रेशन व बीमा प्रपत्र ट्रेक्‍टर क्रेता को उपलब्‍ध नहीं कराये हैं, जो नियमों के विपरीत है। इस संबंध में अधिवक्‍ता श्री सुभाष चन्‍द्र द्विवेदी द्वारा दिये गये नोटिस की चर्चा भी की गयी है, इस दस्‍तावेज से साबित होता है कि परिवादी बैंक से भी इस आशय की शिकायत करता रहा कि डीलर द्वारा पंजीयन तथा विक्रय प्रमाण पत्र की प्रति उपलब्‍ध नहीं करायी गयी है, जिसका उल्‍लेख इस पत्र में किया गया है। प्रत्‍यर्थी की ओर से यह दस्‍तावेज उपलब्‍ध कराने के संबंध में डाक से प्रेषित डाक रसीद प्रस्‍तुत करने या व्‍यक्तिगत रूप से उपलब्‍ध कराने की रसीद प्राप्‍त करते हुए ऐसा कोई दस्‍तावेज विद्वान जिला आयोग के समक्ष या इस पीठ के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। अत: उपरोक्‍त पत्र के आलोक में विपक्षी डीलर द्वारा इस संबंध में कोई सबूत प्रस्‍तुत न किये जाने के कारण यह तथ्‍य स्‍थापित होता है कि डीलर द्वारा परिवाद पत्र में वर्णित दस्‍तावेज उपलब्‍ध नहीं कराये गये, जिसके कारण सड़क पर ट्रैक्‍टर का संचालन नियमानुसार नहीं हो सका। अत: परिवादी इस मद में क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है।

5.        अब इस बिन्‍दु पर विचार किया जाता है कि क्षतिपूर्ति की राशि कितनी होनी चाहिए। यद्यपि परिवादी द्वारा इस मद में अंकन

 

-4-

2.5 लाख रूपये की मांग की गयी है, परन्‍तु इसका कोई विवरण प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। अत: इस मद में केवल अनुमानित क्षतिपूर्ति का आदेश ही दिया जा सकता है, जो इस पीठ के मत में  अंकन 50,000/-रू0 है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

6.        प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.6.2013 अपास्‍त करते हुए परिवाद इस प्रकार स्‍वीकार किया जाता है कि परिवादी को अंकन 50,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति विपक्षीगण द्वारा एक माह के अन्‍दर अदा की जाय।

          प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

लक्ष्‍मन, आशु0, 

    कोर्ट-3

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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