राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-३३५१/२००३
(जिला फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद सं0-२०५/२००१ में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक २७-०९-२००३ के विरूद्ध)
१. यूनियन आफ इण्डिया द्वारा सैक्रेटरी, मिनिस्ट्री आफ कम्युनिकेशन, नई दिल्ली।
२. सुपरिण्टेण्डेण्ट आफ पोस्ट आफिसेज, जौनपुर डिवीजन, जौनपुर।
३. पोस्ट मास्टर, पोस्ट आफिस, उमरपुर, जौनपुर एरिया।
..................... अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम्
शिवेन्द्र कुमार सिंह पुत्र डॉ0 कैलाश नाथ सिंह, रीडर हिन्दी डिपार्टमेण्ट, गॉंधी स्मारक, पी.जी. कालेज, पोस्ट समोधपुर, जिला जौनपुर।
...................... प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१- मा0 आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित :- डॉ0 उदयवीर सिंह विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : ०१-०५-२०१५
मा0 श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी डाक विभाग की ओर से यह अपील जिला फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद सं0-२०५/२००१ में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक २७-०९-२००३ के विरूद्ध योजित की गयी है।
दिनांक १६-०४-२०१५ को अपील सुनवाई हेतु ली गयी। उस दिन अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता डॉ0 उदयवीर सिंह उपस्थित आये परन्तु प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। प्रत्यर्थी को वर्ष २००३ के बाद एकाधिक बार आपत्ति दाखिल करने हेतु नोटिस भेजी गयी तथा इस आयोग के निबन्धक द्वारा भी उन्हें अलग से नोटिस भेजी गयी। फिर भी प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया और न ही कोई आपत्ति योजित की गयी। चूँकि यह यह अपील पिछले ०८ वर्ष से भी अधिक समय से निस्तारण हेतु सूचीबद्ध होती चली आ रही है अत: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६
(अधिनियम सं० ६८ सन् १९८६) की धारा-३० की उपधारा (२) के अन्तर्गत निर्मित उत्तर
-२-
प्रदेश उपभोक्ता संरक्षण नियमावली १९८७ के नियम ८ के उप नियम (६) में दिये गये प्राविधान को दृष्टिगत रखते हुए पीठ द्वारा यह समीचीन पाया गया कि पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य/अभिलेख के आधार पर इस अपील में न्यायोचित आदेश पारित किया जाय। अत: पीठ द्वारा दिनांक १६-०४-२०१५ को अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता को एकल रूप से सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेख/साक्ष्य का गहनता से परिशीलन किया गया।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी शिवेन्द्र कुमार सिंह का कहना है कि उसने माह जून २००१ में यू.जी.सी. द्वारा संचालित एन.ई.टी. परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय को अपना परीक्षा केन्द्र चुना था एवं इस हेतु उसने अपना आवेदन पत्र तथा सचिव, यू.जी.सी. के नाम ४,००/- रू० का बैंक ड्राफ्ट संख्या- एम.ओ. ५३४३९५८६७ बनवाकर उसे पंजीकृत डाक से कुल सचिव, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नाम भेजा था परन्तु यह पंजीकृत डाक सं0-२०३३ दिनांक १९-०३-२००१ समय से दिये गये पते पर न पहुँने के कारण उसे प्रवेश पत्र नहीं दिया गया और वह परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित रह गया। अपीलार्थी डाक विभाग के इसी कृत्य को सेवा में कमी मानते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद सं0-२०५/२००१ अधीनस्थ जिला फोरम, जौनपुर में संस्थित किया। अपीलार्थी डाक विभाग द्वारा यह बचाव लिया गया कि प्रश्नगत पंजीकृत डाक प्रधान डाकघर इलहाबाद में प्राप्त होने के सम्बन्ध में कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है। डाक विभाग द्वारा परिवादी को दी गयी सेवाओं में कोई जानबूझकर या गैर जिम्मेदारी के कारण लापरवाही नहीं की गयी है। प्रश्नगत परिवाद धारा-६ भारतीय डाक अधिनियम १८९८ से बाधित है एवं इसी कारण उभोक्ता फोरम में पोषणीय नहीं है। सभी पक्षों को सुनने के उपरान्त अधीनस्थ फोरम द्वारा परिवाद को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अपीलार्थीगण/विपक्षीगण को आदेशित किया गया कि वे प्रत्यर्थी/परिवादी को ४००/- रू० बैंक ड्राफ्ट की कीमत के अतिरिक्त २५/- रू० रजिस्ट्री की कीमत एवं ४००/- रू० प्रतिकारात्मक क्षतिपूर्ति स्वरूप इस प्रकार कुल ८२५/- रू० निर्णय की तिथि से ०२ माह के भीतर अदा करें। इसी आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थीगण द्वारा प्रस्तुत अपील दिनांक १७-१२-२००३ को योजित की गयी है।
-३-
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का कहना है कि प्रस्तुत अपील भारतीय डाक अधिनियम १८९८ की धारा-६ में दिये गये प्राविधान से बाधित है एवं इस परिवाद की सुनवाई करने का कोई क्षेत्राधिकार अधीनस्थ फोरम के पास नहीं था। फलस्वरूप क्षेत्राधिकार के अभाव में प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश विधि शून्य एवं निष्प्रभावी है। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता ने अपने कथन के समर्थन में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यूनियन आफ इण्डिया व अन्य बनाम एम0एल0 बोरा २०११(२) सीपीसी १७९ एवं (२०००) एनसीजे १४२ पोस्ट मास्टर इम्फाल बनाम जामिनी देवी सगोलबन्द में दिये गये विधिक सिद्धान्त की ओर पीठ का ध्यान आकृष्ट कराया जिनमें यह विधि व्यवस्था दी गयी है कि इस प्रकार के परिवाद भारतीय डाक अधिनियम १८९८ की धारा-६ की बाधित हैं। पीठ द्वारा उपरोक्त तर्क के परिप्रेक्ष्य में पत्रावली का परिशीलन किया गया। प्रस्तुत मामले में विभाग के किसी अधिकारी या कर्मचारी पर कोई व्यक्तिगत द्वेष अथवा भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है। अत: इस मामले में धारा-६ भारतीय डाक अधिनियम १८९८ में दिये गये प्राविधान लागू होते हैं। उल्लेखनीय है कि भारतीय डाक अधिनियम १८९८ (अधिनियम सं० ६ सन् १८९८) की धारा-६ में निम्नवत् प्राविधान है कि -
Section 6 of the Indian Post Office Act. 1898 reads as under :
“6. Exemption from liability for loss, misdelivery, delay or damage - The Government shall not incur any liability by reason of the loss, misdelivery or delay of, or damage to, any postal article in course of transmission by post, except insofar as such liability may in express terms be undertaken by the Central Government as hereinafter provided and no officer of the Post Office shall incur any liability by reason of any such loss, misdelivery, delay or damage, unless he has caused the same fraudulently or by his willful act or default.”
उपरोक्त प्राविधान तथा मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा टीकाराम बनाम इण्डियन पोस्टल डिपार्टमेण्ट IV (2007) CPJ 123 (NC) के अतिरिक्त माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा यूनियन आफ इण्डिया व अन्य बनाम एम0एल0 बोरा २०११(२) सीपीसी १७९ एवं (२०००) एनसीजे १४२ पोस्ट मास्टर इम्फाल बनाम जामिनी देवी सगोलबन्द में दिये गये विधिक सिद्धान्त को दृष्टिगत रखते हुए हमारे विचार से अधीनस्थ फोरम द्वारा पारित प्रश्नगत
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निर्णय एवं आदेश विधि अनुरूप नहीं है। विद्वान फोरम द्वारा तथ्यों एवं विधि के विरूद्ध आदेश पारित किया गया है जो किसी भी दृष्टिकोण से पोषणीय नहीं है। वर्णित परिस्थिति में अधीनस्थ फोरम द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथ्य एवं विधि के विपरीत होने के कारण अपास्त होने तथा अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद सं0-२०५/२००१ में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक २७-०९-२००३ अपास्त किया जाता है। पक्षकार अपीलीय व्यय-भार अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे। उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(आलोक कुमार बोस)
पीठासीन सदस्य
(संजय कुमार)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-४.