Uttar Pradesh

StateCommission

A/1999/3434

Ansal Housing - Complainant(s)

Versus

S K Lakhtakia - Opp.Party(s)

V.S. Bisaria

15 Mar 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1999/3434
( Date of Filing : 02 Dec 1999 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Ansal Housing
Allahabad
...........Appellant(s)
Versus
1. S K Lakhtakia
Allahabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 15 Mar 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                     

अपील सं0 :- 3434/1999

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, इलाहाबाद द्वारा परिवाद सं0- 1492/1996 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14/10/1999 के विरूद्ध)

 

  1. Ansal Housing & Construction Ltd Priyadarshini Scheme, 28 Sarojini Naidu Marg, Allahabad.
  2. Ansal Housing & Construction Ltd, 15 MGF Indra Prakash, 21 Barakhambha road, new delhi 110001

 

 

  •                                                                            

 

  •  

 

 S.K. Lakhtakia, S/O Shri Chhail Bihari Lal, 204 Prayag Kunj, 3 Stnechy Road Allahabad. 

  •                                                                                      

समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री वी0एस0 बिसारिया, अधिवक्‍ता           

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-   कोई नहीं

दिनांक:-15.03.2022   

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.         जिला उपभोक्‍ता आयोग, इलाहाबाद द्वारा परिवाद सं0- 1492/1996, ए‍स‍0के0 लखटकिया बनाम मेसर्स अंसल हाउसिंग एण्‍ड कंस्‍ट्रक्‍शन लिमि‍टेड  में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14/10/1999 के विरूद्ध यह अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गयी है कि जिला उपभोक्‍ता मंच ने उस अनुतोष से बाहर जाकर अनुतोष जारी किया है, जिसकी मांग नहीं की गयी थी।
  2.         अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी ने अंकन 96,943/- रूपये ब्‍याज सहित प्राप्‍त करने के लिए परिवाद इस आधार पर प्रस्‍तुत था कि बढ़ा हुआ शुल्‍क तथा विद्युत कनेक्‍शन शुल्‍क वसूली योग्‍य नहीं है, परंतु भवन निर्माता द्वारा दबाव बनाकर 96,943/- रूपये वसूल कर लिये गये हैं, जबकि जिला उपभोक्‍ता मंच ने निष्‍कर्ष में यह उल्‍लेख किया है कि वाद से संबंधित समस्‍त अभिलेखों, साक्ष्‍यों तथा लिखित कथन से स्‍पष्‍ट है कि शर्तनामे के अनुसार जो कुछ भी प्रतिवादी द्वारा मूल्‍य लिया गया है, वह इस न्‍यायालय की परिधि में नहीं आता है और सिविल न्‍यायालय द्वारा इस पर निर्णय लिया जा सकता है, परंतु इसके बाद भवन समय पर आवंटी को सुपुर्द न करने के आधार पर परिवादी/आवंटी द्वारा जमा की गयी राशि पर 24 प्रतिशत ब्‍याज अदा करने का आदेश पारित किया है। परिवाद पत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि यर्थाथ में परिवादी द्वारा इस अनुतोष की कोई मांग नहीं की गयी है और केवल अंकन 96,943/- रूपये ब्‍याज सहित वापस प्राप्‍त करने की मांग की गयी, जो अग्रेतर शुल्‍क एवं विद्युत कनेक्‍शन शुल्‍क के संबंध में दबाव बनाकर प्राप्‍त कर लिये गये। इस राशि को लौटाने के संबंध में इंकार कर दिया गया, परंतु एक नया आधार बनाते हुए परिवादी द्वारा जमा राशि पर देरी से कब्‍जा देने के आधार पर सेवा में कमी मानते हुए भिन्‍न-भिन्‍न समय पर जमा की गयी राशि पर 24 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज अदा करने का आदेश कर दिया गया है। परिवादी ने अपीलकर्ता द्वारा ली गयी अतिरिक्‍त धनराशि एवं प्रश्‍नगत भवन के बढ़े हुये मूल्‍य को वापस किये जाने और इस पर लिये गये ब्‍याज को वापस किये जाने के अनुतोष की प्रार्थना की है। दिनांक 04.12.1993 से दिनांक 12.08.1994 तक ली गयी धनराशि तथा दिनांक 12.08.1994 से दिनांक 12.01.1995 तक ली गयी धनराशि पर ब्‍याज दिलवाये जाने का अनुतोष विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा दिया गया है स्‍वयं विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने निर्णय हाउसिंग बोर्ड हरियाणा बनाम करतार सिंह वाद सं0 287 से 371 सन 1992 निर्णय ति‍थि 08.11.1994 एवं कमिश्‍नर गुजरात हाउसिंग बोर्ड बनाम ठक्‍कर सोमालाई वाद सं0 602 निर्णय तिथि दिनांक 06.05.1996 में दिये गये निर्देशन पर आधारित किया है कि बढ़े हुए मूल्‍य निर्धारण को एलॉटी द्वारा भवन का कब्‍जा प्राप्‍त करने के बाद चुनौती नहीं दी जा सकती है। उक्‍त निर्णय जो माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पारित किये गये हैं, का संदर्भ देते हुए भी विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने बढ़े हुए मूल्‍य पर ली गयी धनराशि में अतिरिक्‍त ब्‍याज 24 प्रतिशत दिलवाये जाने का आदेश पारित किये गये हैं जो स्‍वयं उक्‍त निर्णयों से एवं विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा दिये गये तर्क के विपरीत है।
  3.          इस संबंध में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित निर्णय बैंगलोर डेवलपमेंट अथारिटी प्रति सिंडीकेट बैंक प्रकाशित II (2007) CPJ PAGE 17 सुप्रीम कोर्ट (एस.सी) उल्‍लेखनीय है, जिसमें यह निर्णीत किया गया है कि यदि भवन के एलॉटी द्वारा भवन का कब्‍जा प्राप्‍त कर लिया गया है तो उसके उपरान्‍त भवन के बढ़े हुए मूल्‍य के संबंध में ली गयी धनराशि पर कोई ब्‍याज एलॉटी को देय नहीं होगा।
  4.         उक्‍त निर्णय को माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा निर्णय टी0के0ए0 पदुमनाभन प्रति अभियान सीजीएचएस लिमिटेड अपील सं0 680/2009 निर्णय तिथि 04.01.2016 में अनुश्ररित किया गया है। इस निर्णय में भी माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि यदि प्रश्‍नगत भवन का कब्‍जा एलॉटी द्वारा ले लिया गया है तो इसके उपरान्‍त बढ़ी हुई धनराशि जो उसके द्वारा अदा कर दी गयी है। ब्‍याज पाने का अधिकारी नहीं रह जाता है।
  5.        माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय एवं राष्‍ट्रीय आयोग के उपरोक्‍त निर्णयों को दृष्टिगत करते हुए विद्धान जिला फोरम ने प्रस्‍तुत मामले में जो एलॉटी उपभोक्‍ता द्वारा दी गयी धनराशि पर अतिरिक्‍त ब्‍याज लिये जाने का निर्णय दिया है, वह उचित नहीं कहा जा सकता है। अत: निर्णय अपास्‍त होने योग्‍य है।  

 

  •  

अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किया जाता है।

अपील में उभय पक्ष वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

              आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

 

(विकास सक्‍सेना)(सुशील कुमार)

  •  

 

     संदीप आशु0कोर्ट नं0 2

 

 

 

 

   

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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