राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-1147/2005
(जिला उपभोक्ता आयोग, बुलन्दशहर द्वारा परिवाद सं0-578/2004 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 03-06-2005 के विरूद्ध)
मै0 एरबिस इंजीनियरिंग कं0लि0, झण्डेरवालान एक्टेंशन, नई दिल्ली-110055. ...........अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2.
बनाम
1. डॉ0 एस0के0 गर्ग, गर्ग हास्पिटल, बुलन्दशहर।
............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
2. मै0 यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0, इलैक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीबूशन डिवीजन द्वितीय, बुलन्दशहर। ............ प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1.
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री हेमराज मिश्रा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री मनु दीक्षित विद्वान अधिवक्ता के
कनिष्ठ सहायक अधिवक्ता श्री सौरभ सिंह। प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित: श्री इसार हुसैन विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 12-04-2024.
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता आयोग, बुलन्दशहर द्वारा परिवाद सं0-578/2004 डॉ0 एस0के0 गर्ग बनाम यू0पी0पावर कारपोरेशन लि0 व एक अन्य में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 03-06-2005 के विरूद्ध योजित की गई है।
परिवादी ने परिवाद के विपक्षी सं0-2/अपीलार्थी से एक अल्ट्रासाउण्ड मशीन अंकन 04.00 लाख रू0 में क्रय की थी। इस मशीन के अन्दर ही
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स्टेबलाइजर होने का आश्वासन दिया गया था ताकि विद्युत आपूर्ति के दौरान् वोल्टेज घटने व बढ़ने की प्रक्रिया को नियन्त्रित किया जा सके, परन्तु यह मशीन दिनांक 05-09-2004 को विद्युत आपूर्ति में उतार-चढ़ाव होने के कारण खराब हो गई और इसने काम करना बन्द कर दिया, जिसकी शिकायत अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 से की गई। अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 मशीन ठीक करने के लिए अपने यहॉं ले गए तथा मशीन ठीक करने के लिए 92,000/- रू0 की मांग की गई और यह धनराशि परिवादी द्वारा विपक्षी को देनी पड़ी, जबकि विपक्षी सं0-2 द्वारा दिए गए आश्वासन पर ही यह मशीन क्रय की गई थी कि मशीन के अन्दर ही स्टेबलाइजर स्थापित है।
विद्वान जिला आयोग ने यह माना कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 द्वारा मशीन विक्रय करते समय स्टेबलाइजर मशीन के अन्दर ही होने की बात कही गई तथा मशीन के रख-रखाव के लिए परिवादी से 12,960/- रू0 प्राप्त किए गए, इसलिए विद्वान जिला आयोग ने उक्त धनराशि वापस करने का आदेश पारित किया।
हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस विस्तार से सुनी गयी तथा पत्रावली का सम्यक रूप से परिशीलन किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने प्रथमत: यह तर्क किया कि परिवादी व्यापारिक उद्देश्य के लिए कार्य करता है, इसलिए उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है। परिवादी ने परिवाद पत्र में यह उल्लेख किया है कि जीविकोपार्जन के लिए यह मशीन क्रय की गई थी। मशीन क्रय करने के पश्चात् किसी अन्य को विक्रय करने का कोई औचित्य नहीं था। ऐसी स्थिति में मशीन को व्यापारिक उद्देश्य के लिए क्रय किया जाना नहीं माना जा सकता और इस मामले में उपभोक्ता वाद संधारणीय है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह भी बहस की गई कि अंकन 92,000/- रू0 का मरम्मत कार्य मशीन में हुआ, जबकि अपीलार्थी द्वारा
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मशीन के रख-रखाव से सम्बन्धित मात्र 12,960/- रू0 प्राप्त किए गए थे।
मशीन के अन्दर स्टेबलाइजर स्थापित न होने के कारण विद्युत आपूर्ति के उतार-चढ़ाव के दौरान् मशीन खराब हो गई और उसने काम करना बन्द कर दिया। ऐसी स्थिति में इस मशीन की पूर्णत: मरम्मत करने का दायित्व अपीलार्थी का ही है। विद्वान जिला आयोग ने इन समस्त तथ्यों पर विचार करने के पश्चात् ही प्रश्नगत निर्णय पारित किया है, जो विधि सम्मत है और उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
तदनुसार वर्तमान अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील निरस्त की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
अपीलार्थी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उस धनराशि को अर्जित ब्याज सहित विधि अनुसार एक माह में सम्बन्धित जिला आयोग को भेजा दिया जाए ताकि विद्वान जिला आयोग द्वारा विधि अनुसार इसका निस्तारण किया जा सके।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक : 12-04-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.