Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/2285

O I Co - Complainant(s)

Versus

S C Gupta - Opp.Party(s)

D Mehrotra

17 Oct 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/2285
( Date of Filing : 30 Dec 2005 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. O I Co
a
...........Appellant(s)
Versus
1. S C Gupta
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 17 Oct 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2285/2005

ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कंपनी बनाम सतीश चन्‍द्र गुप्‍ता (मृतक) तथा दो अन्‍य

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

दिनांक:  17.10.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.       परिवाद संख्‍या-147/2004, सतीश चन्‍द्र गुप्‍ता (मृतक) तथा एक अन्‍य बनाम दि ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कं0लि0 तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय मुरादाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.11.2005 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा तथा प्रत्‍यर्थी सं0-1 एवं 2 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी.पी. शर्मा के सहायक श्री सत्‍येन्‍द्र कुमार को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी सं0-3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

2.    विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए अंकन 53,285/-रू0 अदा करने का आदेश विपक्षीगण के विरूद्ध पारित किया है।

3.    परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनांक 14.4.2003 को डा0 राजेश कुमार से चेकअप कराया, जिनके द्वारा अनेक जांच करने की सलाह दी गई, इसी अनुक्रम मे अनेक जांच कराई गईं तथा विभिन्‍न डाक्‍टरों से चेकअप कराया गया, जिसमें लगभग अंकन 53,285/-रू0 खर्च हुए। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 से बीमा पालिसी प्राप्‍त की गई थी, इसलिए विपक्षी सं0-1 को क्‍लेम फार्म भरकर दिया गया तथा          विपक्षी  सं0-2  द्वारा परिवादी से प्रमाण पत्र की मांग की गई, जो दिनांक

 

-2-

5.8.2003 को डिसचार्ज टिकट की प्रति के रूप में प्रेषित किया गया और बीमा पालिसी का विवरण भी दिया गया। दिनांक 13.3.2004 को अंकन 8,813/-रू0 का चेक बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को प्रेषित किया गया, जो इस आधार पर वापस कर दिया गया कि सम्‍पूर्ण राशि प्रेषित नहीं की गई है। दिनांक 17.8.2005 को दोरान वाद सतीश चन्‍द्र गुप्‍ता की मृत्‍यु हो गई, इसी आधार पर अंकन 53,285/-रू0 की मांग की गई।

4.    इसी अवसर पर यह उल्‍लेख समीचीन होगा कि सतीश चन्‍द्र गुप्‍ता की मृत्‍यु दिनांक 17.8.2005 को हो चुकी है, उनकी पत्‍नी को प्रतिस्‍थापित किया गया है।

5.    विपक्षी सं0-2 का कथन है कि विपक्षी सं0-1 के निर्देशानुसार मेडिक्‍लेम पालिसी के अधीन क्‍लेम का निस्‍तारण का कार्य है। परिवादी का क्‍लेम निस्‍तारित किया जा चुका है, जिस बीमारी के लिए क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया था, वह बीमारी बीमा पालिसी लेने से पूर्व से विद्यमान थी। बीमाधारक ने बीमारी का वर्ष 2001 में इलाज कराया था, इसलिए बीमा पालिसी शर्त सं0-4.01 के अधीन प्रगतिशील नहीं है।

6.    विपक्षी सं0-1 का कथन भी इसी प्रकार है, इसके अलावा यह कथन किया गया कि बीमाधारक ने इसी बीमारी के इलाज के संबंध में क्षतिपूर्ति के लिए परिवाद सं0-65/2002 योजित किया था, जो परिवादी के पक्ष में निर्णीत हुआ। बीमाधारक ने मेडिक्‍लेम विपक्षी सं0-2 के कार्यालय में प्रस्‍तुत किया था, जिसका निस्‍तारण विपक्षी सं0-2 द्वारा कर दिया गया। पूर्व से बीमारी विद्यमान होने के कारण बीमा क्‍लेम निरस्‍त कर दिया गया, इसलिए परिवादी कोई अनुतोष प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत नहीं है।

7.    पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग ने निष्‍कर्ष दिया है कि विपक्षी सं0-2 ने दिनांक 13.3.2004 को अंकन 8,813/-रू0 का चेक भेजा है, जो उनके दायित्‍वों की स्‍वीकारोक्ति को

 

-3-

साबित करता है तथा किसी अन्‍य व्‍यक्ति को यह चेक भेजा गया हो, गलती से परिवादी को मिल गया हो, यह साबित नहीं है, इसी आधार पर इलाज में खर्च राशि अंकन 53,285/-रू0 अदा करने के लिए आदेश पारित किया गया।

8.    इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील केवल बीमा कंपनी की ओर से प्रस्‍तुत की गई है।

9.    अपील के ज्ञापन तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि विपक्षी सं0-2, अपीलार्थी की ओर से मेडिक्‍लेम के निस्‍तारण का कार्य करती है और उनके द्वारा मेडिक्‍लेम इस आधार पर निरस्‍त किया गया है कि बीमाधारक पूर्व से बीमार थे और इस तथ्‍य को छिपाया गया, इसलिए अपीलार्थी के विरूद्ध क्षतिपूर्ति का आदेश पारित नहीं किया जा सकता।

10.   प्रत्‍यर्थी सं0-1 एवं 2/परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता की ओर से यह बहस की गई कि बीमा पालिसी विपक्षी सं0-1, बीमा कंपनी से विपक्षी सं0-2 के माध्‍यम से ली गई है, इसलिए दोनों विपक्षीगण इलाज में खर्च राशि को अदा करने के लिए उत्‍तरदायी हैं।

11.   इस अपील के विनिश्‍चय के लिए महत्‍वपूर्ण विनिश्‍चायक बिन्‍दु यह उत्‍पन्‍न होता है कि क्‍या बीमाधारक बीमा पालिसी प्राप्‍त करने से पूर्व से ही किसी बीमारी से ग्रसित थे तथा उनके द्वारा इस बीमारी का इलाज कराया गया। तदनुसार बीमा पालिसी के क्‍लाउज सं0-4.01 से बीमा क्‍लेम अपवर्जित है ?

12.    बीमाधारक के पूर्व से बीमार होने या इलाज कराने का कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। बीमा प्रस्‍ताव भरने से पूर्व से ही बीमार होने और इलाज कराने के तथ्‍य को साबित करने का भार बीमा कंपनी पर है, परन्‍तु चूंकि इस तथ्‍य को साबित नहीं किया गया है, इसलिए बीमा क्‍लेम नकारने का आदेश प्रभावी नहीं माना जा सकता। इसी प्रकार विपक्षी सं0-2

 

-4-

द्वारा परिवादी के पक्ष में एक चेक अंकन 8,813/-रू0 का जारी किया गया है, इसका उल्‍लेख विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय/आदेश में भी किया है, इसलिए उत्‍तरदायित्‍व को स्‍वीकार किया गया है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील में कोई बल नहीं है, अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

13.   प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

     प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                        (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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