Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/2199

UPPCL - Complainant(s)

Versus

S B Pandey - Opp.Party(s)

DEEPak Mehrotra

16 Aug 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/2199
( Date of Filing : 28 Sep 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. UPPCL
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. S B Pandey
Jounpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 16 Aug 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-2199/2007

अधिशासी अभियंता, इलैक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन व अन्‍य

बनाम

श्‍याम बिहारी पाण्‍डेय आदि

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य                       

अपीलार्थीगण के अधिवक्‍ता      : श्री दीपक मेहरोत्रा के सहयोगी

  श्री मनोज कुमार

प्रत्‍यर्थीगण के अधिवक्‍ता        : कोई नहीं।

दिनांक :- 16.8.2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ विद्युत विभाग की ओर से इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, जौनपुर द्वारा परिवाद सं0-108/2000 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20.8.2007 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा एक पम्पिंग सेट हेतु अपीलार्थी/विपक्षी से विद्युत कनेक्‍शन लिया गया था, जिसे आवश्‍यकता शेष धनराशि न होने के कारण दिनांक 20.02.1981 को नियमानुसार स्‍थाई रूप से विच्‍छेदित करा दिया था परन्‍तु इसके बावजूद अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 व 2 द्वारा रू0 72,274.58 पैसे के बकाया की वसूली विपक्षी सं0-3 ता 7 से प्रारम्‍भ कराई गई। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जिसकी शिकायत जिलाधिकारी से की गई कि मात्र 3,260.00 रू0 ही देय है एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा संग्रह राशि रू0 3,885.00 जमा भी कर दी गई, परन्‍तु विरोध के बावजूद भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी से रू0 6,901.00 रू0 जमा करा लिए गये।

-2-

अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 के पत्र दिनांकित 29.01.1998 एवं कार्यालय आदेश दिनांक 27.02.1998 से स्‍पष्‍ट है कि रू0 99,062.55 पैसे व रू0 96,613.55 पैसे का गलत एवं अधिक उल्‍लेख पाया गया। मात्र 3,260.00 रू0 की देयता प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विरूद्ध पाई गई। अपीलार्थी/विपक्षीगण के अनाधिकृत अपकृत्‍य के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी की प्रतिष्‍ठा को घोर अघात पहुंचा है एवं देय धनराशि से अधिक धनराशि अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा जमा करायी गई है, जिस कारण परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 व 2 द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र के कथनों को अस्‍वीकार किया गया तथा यह कथन किया कि परिवाद संधारणीय नहीं है और निरस्‍त होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को अंशत: स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवाद सं0-108/2000 अंशत: विपक्षी सं0-1 व 2 के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण 1 व 2 को निर्देशित किया जाता है कि वे रू0 7233.50 परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि 17.7.2000 से 06 प्रतिशत ब्‍याज के साथ एवं तीन हजार रूपये मानसिक व मानहानि क्षति निर्णय पारित होने के दो माह के अन्‍दर परिवादी को अदा करें। पक्षकार वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।''

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

 

-3-

प्रस्‍तुत अपील विगत 16 वर्षों से लम्बित है एवं पूर्व में अनेकों तिथियों पर अधिवक्‍तागण की अनुपस्थिति के कारण स्‍थगित की जाती रही है अत्एव हमारे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि सम्‍मत है, परन्‍तु जहॉ तक विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत आदेश में अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध मानसिक व मानहानि क्षति के मद में रू0 3,000.00 (तीन हजार रू0) की देयता निर्धारित की गई है, वह वाद के सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए अनुचित प्रतीत हो रही है, तद्नुसार उसे समाप्‍त किया जाना उचित पाया जाता है अत्एव प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।

अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित

 

-4-

ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

      (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                 (सुशील कुमार)                  

               अध्‍यक्ष                                           सदस्‍य                                                                                       

 

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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