Rajasthan

Ajmer

CC 127/2012

YASH PRAKESH - Complainant(s)

Versus

S B I - Opp.Party(s)

VIBHAUR GAUR

25 Nov 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC 127/2012
 
1. YASH PRAKESH
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. S B I
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 25 Nov 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

यष प्रकाष पुत्र श्री बंषी लाल, उम्र-54 वर्ष, जाति- जांगिड ब्राह्मण, निवासी- 654 ए/28, श्रृंगार चवरी, अजमेर । 
                                                -         प्रार्थी


                            बनाम

1. भारतीय स्टेट बैंक जरिए प्रबन्धक, षाखा लोको वर्कषाप, अजन्ता सिनेमा के सामने, नसीराबाद रोड़, अजमेर -305001 ।
2. भारतीय स्टेट बैंक, मुख्य षाखा कलेक्ट्रेट के सामने, अजमेर -305001
3. चीफ मैनेजर, एटीएम आॅपरेषन स्विच सेन्टर, जीआईटीसी, बेलापुर, मुम्बई

                                                -       अप्रार्थीगण
                 परिवाद संख्या 127/2012 

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री विभोर गौड़, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री  गणेषी लाल अग्रवाल,  अधिवक्ता अप्रार्थी बैंक

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 02.12.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसका अप्रार्थी बैंक के यहां परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित बचत खाता संख्या संघारित होने और इस बचत खाते के पेटे अप्रार्थी बैंक द्वारा उसे जो एटीएम कार्ड जारी हुआ है, से दिनंाक 15.01.2012 की रात्रि को 23.36 बजे एटीएम मषीन से रू. 15,000/- की निकासी की गई  । तत्पष्चात् दूसरी बार 23.37 बजे जब उसने पुनः रू. 15,000/- की निकासी करने के लिए कार्ड का प्रयोग किया तो  उसे उक्त राषि प्राप्त न होकर एडवाईस स्लिप प्राप्त हुई  जिसमें उसके खाते से उक्त राषि डेबिट किए जाने का अंकन था । पुनः तीसरी बार 23.38 बजे  उक्त राषि प्राप्त करने का प्रयास किया गया किन्तु उसे जो  एडवाईस स्लिप प्राप्त हुई उसमें परिवाद की चरण संख्या 3 में वर्णित अनुसार  अंकन किया गया था ।  व्यथित होकर उसने चैथी बार एटीएम कार्ड के जरिए रू. 10,000/- की राषि  के लिए आवेदन किया  तो उसे उक्त राषि प्राप्त हो गई । उसे जो रू. 15,000/- की राषि प्राप्त नहीं हुई इसकी षिकायत दिनंाक 26.1.2012 को लिखित में अप्रार्थी बैंक को किए जाने पर  कोई ध्यान नहीं दिया गया । तत्पष्चात् उसने अप्रार्थी बैंक के कस्टमर केयर व एटीएम  आॅपरेट करने वाले अधिकारियों को दिनंाक 16.1.2012, 26.2.2012,
 27.2.2012 को पत्र  व ई-मेल भी किए ।  किन्तु कोई ध्यान नहीं दिए जाने पर उसने परिवाद प्रस्तुत कर  अप्रार्थी बैंक की सेवा में कमी बताते हुए  उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद  के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।  
2.       अप्रार्थी बैंक की ओर से जवाब प्रस्तुत करते हुए  प्रार्थी का प्रष्नगत बचत खाता उनके यहां संघारित होने व इस बचत खाते के पेटे एटीएम मकार्ड जारी किए जाने  व दिनंाक 15.1.2012 को 23.36 बजे एटीएम मषीन से रू. 15,000/- की राषि की निकासी के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे कथन किया है कि उसी दिनंाक को 23.37बजे प्रार्थी को प्राप्त हुई एडवाईस स्लिप के अनुसार  उसे रू. 15,000/- की राषि भी प्राप्त हुई है । इसी प्रकार 23.38 बजे जब उसने पुनः रू. 15,000/- की राषि आहरित करनी चाही तो  एक दिन की अधिकतम लिमिट रू. 40,000/- होने के कारण  उसे उक्त राषि प्राप्त नहीं हुई और उसे प्राप्त एडवाईस स्लिप में ैवततल  नदंइसम जव चतवबमेे    का अंकन इसी कारण हुआ था । पुनः चैथी बार जब प्रार्थी ने 23.39 बजे रू. 10,000/- की राषि का आहरण किया तो उसे उक्त राषि प्राप्त हो गई जो उसकी एक दिन की रू. 40,000/- की अधिकतम लिमिट के अन्दर ही थी ।  अप्रार्थी बैंक का कथन है कि दिनांक 15.01.2012  व 16.1.2012 की कैष वैरीफिकेषन रिपोर्ट के अनुसार भी उक्त एटीएम में कोई एक्सेज  कैष नहीं पाया गया  और ना ही एटीएम मषीन में कोई तकनीकी गडबड़ थी । अप्रार्थी बैंक की ओर से कोई सेवा में कमी नहीं की गई ।  अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में  श्री बिरदीचंद राठौड़, मुख्य  प्रबन्धक का ष्षपथपत्र पेष हुआ है । 
3.       प्रार्थी का तर्क है कि उसका बचत खाता अप्रार्थी बैंक के  अधीन होकर जारी एटीएम कार्ड से उसने दिनंाक 15.2.2012 को अद्र्व रात्रि के लगभग  एटीएम मषीन में कार्ड डालकर रू. 15,000/-  निकाले। तत्काल दोबारा कार्ड डालकर रू. 15,000/-  राषि के भुगतान हेतु आवेदन किया। किन्तु उक्त राषि प्राप्त नहीं हुई अपितु एडवाईस स्लिप प्राप्त हुई जिसमें रू. 15,000/- डेबिट किए जाने का अंकन था । उसके द्वारा पुनः तीसरी बार उक्त राषि प्राप्त करने हेतु एटीएम कार्ड के जरिए आवेदन किया गया ।  किन्तु उक्त आवेदित राषि प्राप्त नहीं हुई । चैथी बार पुनः उसके द्वारा एटीएम कार्ड डालकर रू. 10,000/- की राषि प्राप्त करने का आवेदन किया गया जो उसे प्राप्त हो गई ।  तर्क प्रस्तुत किया गया  कि उक्त एटीएम से राषि प्राप्त करने हेतु किए गए संव्यवहार में वांछित राषि  उसे प्राप्त नहीं हुई  है। इस बाबत् उसके द्वारा षिकायत भी की गई है । अप्रार्थी बैंक  द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया  है ।  अपनी पुरजोर दलील में उनका तर्क रहा है कि अप्रार्थी बैंक का उक्त आचरण उपभोक्ता  के प्रति सेवा में कमी का परिचायक है जिससे उसे गम्भीर मानसिक व आर्थिक क्षति वहन करनी पड़ी है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए । 
4.    अप्रार्थी बैंक की ओर से खण्डन में प्रार्थी का बैंक में बचत खाता होना व उसे एटीएम कार्ड जारी किया  जाना स्वीकार किया गया । यह भी स्वीकार किया गया है कि दिनंाक 15.1.2012 को प्रार्थी द्वारा 23.36 बजे एटीएम मषीन पर अपने एटीएम कार्ड के जरिए उसके द्वारा रू. 15,000/-  निकाले गए थे । इस बात को गलत बताया कि प्रार्थी द्वारा दोबारा एटीएम कार्ड डालकर  रू. 15,000/-  की राषि उसे प्राप्त नहीं हुई हो । बताया गया कि उक्त राषि उसे प्राप्त हुई है तथा इस आषय का स्लिप में रेस्पोंस कोर्ड संख्या 000 आया है जो इस बात को प्रमाणित करता है कि प्रार्थी को उक्त राषि प्राप्त हुई थी । उसका एटीएम कार्ड सफलतापूर्वक  आपॅरेट हुआ था । प्रार्थी द्वारा तीसरी बार रू. 15,000/-  की राषि निकालने हेतु एटीएम मषीन को आपरेट किए जाने पर रेस्पोंस कोड 0161  आया था । इससे यह स्पष्ट है कि उसकी लिमिट एक्सपायर(अधिकतक रू.40,000/-)हो चुकी थी । एटीएम कार्ड की  एक दिन की रकम आहरण की अधिकतम सीमा रू. 40,000/-  हुई थी ।  पहले दो एटीएम आॅपरेषन के जरिए प्रार्थी रू. 30,000/-  निकाल चुका था इसलिए तीसरी बार उक्त एटीएम कार्ड के जरिए रू. 15,000/- की निकासी सीमा रू. 40,000/- से अधिक हो रही थी फलस्वरूप  रेस्पोंस कोर्ड 0161 आया । प्रार्थी ने उसके बाद अपने एटीएम कार्ड से रू. 10,000/- की राषि निकाली है जो उसे प्राप्त हुई है । इस प्रकार प्रमाणित है कि उसे पहली बार एटीएम कार्ड से रू. 15,000/-  प्राप्त हुए,  दूसरी बार  भी उसे रू. 15,000/- प्राप्त हुए । किन्तु तीसरी बार रू. 15,000/-  निकासी राषि रू. 40,000/- से कुल निकासी की सीमा रू. 45,000/- होने के कारण उसे यह राषि प्राप्त नहीं हुई तथा चैथी बार उसे रू. 10,000/- निकाले जाने पर उसे रू. 10,000/- प्राप्त हुए  हंै। इस प्रकार उसे रू. 40,000/- प्राप्त हो चुके थे । राषि प्राप्त होने के संदर्भ में खाते की प्रमाणित प्रति तथा एटीएम कार्ड से राषि निकाले जाने  के संदर्भ में कवाई गई जांच बाबत् आई रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि जिस ट्रांजेक्षन  से अभिकथित राषि प्राप्त नहीं हुई थी, वह राषि उसे प्राप्त हो चुकी थी । इस प्रकार उनकी  दलील रही है कि उनकी ओर से सेवा में किसी प्रकार से कोई  सेवा में कमी का परिचय नहीं दिया गया है । अपने तर्को के समर्थन में विनिष्चय 2011 ब्ज्श्रण् 623  ैठप् टे  ज्ञण्ज्ञण् ठींससं    प्रस्तुत हुए हैं जबकि प्रार्थी पक्ष की ओर से प्रस्तुत विनिष्चयों के संदर्भ में  उनका तर्क रहा है कि चूंकि सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं करवाए गए है तथा इस बाबत् उनका प्रतिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है । 
5.    हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चयों में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्तों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.    प्रार्थी का अप्रार्थी बैंक में बचत खाता होने व उसे एटीएम कार्ड जारी होना विवादित नहीं है । उसके द्वारा  दिनंाक 15.2.2012 को  23.36 बजे  एटीएम मषीन से रू. 15,000/-  निकाला जाना भी विवादित नहीं है । क्योंकि इस संदर्भ में विथड्राल स्लिप व अप्रार्थी बैंक की स्वीकारोक्ति रही हेै। मुख्य विवाद  प्रार्थी का दूसरी बार 23.37 बजे पुनः एटीएक कार्ड डालकर रू. 15,000/-  की राषि प्राप्त नहीं होने का है । जिसके अन्तर्गत उसने उक्त राषि प्राप्त नहीं की, व प्राप्त स्लिप में ट्रांजेक्षन को  सफलतापूर्वक  आपरेषन बताते हुए उसके खाते से यह राषि डेबिट की गई है । अप्रार्थी बैंक ने इस दूसरी बार किए गए ट्रांजेक्षन के संबंध में ंबैक खाते की प्रति प्रस्तुत की है जिसके अनुसार प्रार्थी के खाते में उक्त रू. 15,000/- की राषि डेबिट की गई है जबकि  प्रार्थी के अनुसार यह राषि उसे प्राप्त ही नहीं हुई हेै। प्रार्थी का इस संबंध में अप्रार्थी बैंक को षिकायत के रूप में किया गया मूल पत्रव्यवहार  रहा है । तीसरी बार ट्रांजेक्षन  में प्रार्थी ने पुनः रू. 15,000/-  की राषि प्राप्त नहीं होना बताया है व चैथी  बार किए गए ट्रांजेक्षन  के अनुसार उसने रू. 10,000/- की राषि  प्राप्त होना बताया है । बैंक की ओर से  तर्क प्रस्तुत हुआ है कि चूंकि प्रार्थी द्वारा प्रथम व द्वितीय ट्रांजेक्षन  के जरिए रू. 30,000/-  की राषि प्राप्त करली गई थी तथा तीसरी बार के ट्रांजेक्षन में उसके द्वारा रू. 15,000/-  की राषि बाबत् आवेदन करने के कारण आहरण की सीमा रू. 40,000/-   से अधिक होती थी तथा उक्त राषि आहरित नहीं हुई है व प्रार्थी द्वारा रू. 40,000/- की सीमा को ध्यान में रखते हुए चैथी बार के ट्रांजेक्षन में रू. 10,000/- की राषि आहरित की गई है । उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार प्रार्थी के खाते से दिनंाक 16.2.2012 की तिथि को एटीएम के जरिए रू. 15,000/-, रू. 15,000/-  रू. 10,000/- कुल रू. 40,000/-  आहरित किए गए हेै। जहां तक बैंक की ओर से आहरण के संबंध में प्रस्तुत किए गए प्रलेखों का प्रष्न हेै, प्रार्थी द्वारा दूसरी बार ट्रांजेक्षन  के अन्तर्गत तथाकथित आहरित रू. 15,000/- की राषि  बाबत् जांच किए जाने के बाद उन्हें दिनंाक 4.9.2012 के पत्र के अन्तर्गत एटीएम मषीन में रिकार्ड वेरीफिकेषन के अन्तर्गत एक्सेस एमाउण्ट  नहीं पाया गया हे । अतः ऐसा प्रकट होता है कि उक्त राषि आहरित हो चुकी थी । यदि ऐसी स्थिति थी तो बैंक के लिए यह अपेक्षित था कि वे इस संबंध में षिकायत किए जाने पर एटीएम फुटेज की प्रति या तो प्रार्थी को उपलब्ध करवाते अथवा मंच के समक्ष प्रस्तुत करते क्योंकि इस संबंध में प्रार्थी पक्ष की ओर से मंच के समक्ष दिनंाक 16.7.2013 को प्रार्थना पत्र  प्रस्तुत हुआ है व इसकी प्रति भी  बैंक के प्रतिनिधि द्वारा प्राप्त की गई है। माननीय  राष्ट्रीय आयेाग  ने अपने विनिष्चिय प्प्प्;2015द्ध ब्च्श्रण्छब्ण्ण् ैठप् टे ैंदेंत ब्ींदक ज्ञंचववत में यह अभिनिर्धारित किया है कि  बैंक को सीसीटीवी फुटेज की प्रति प्रार्थी को उपलब्ध करवानी चाहिए थी जो कि उनकी ओर से उपलब्ध नहीं करवाई गई है  । ऐसी स्थिति में बैंक को प्राथी्र्रके प्रति सेवा में कमी का दोषी ठहराया गया है । इसके विपरीत जो विनिष्चय 2011 ब्ज्श्रण् 623  ैठप् टे  ज्ञण्ज्ञण् ठींससं  का अप्रार्थी बैंक द्वारा प्रस्तुत हुआ है, के तथ्य भिन्न  रहे थे  व उक्त प्रकरण में एटीएम कार्डधारक के पास कार्ड उपलब्ध होने व इसका प्रयोग नहीं करने के बावजूद राषि निकले जाने  से संबंधित तथ्य विद्यमान थे । फलतः यह विनिष्चय उनके लिए सहायक नहीं है ।  हालांकि अप्रार्थी बैंक ने एटीएम मषीन से आहरित की गई राषि बाबत्  बैंक खाते की प्रति प्रस्तुत कर अपना पक्ष सिद्व करने का प्रयास किया है ।  किन्तु सीसीटीवी फुटेज की प्रति उपलब्ध नहीं करवाए जाने  की दषा में उनका यह प्रतिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है तथा  उनका  यह कृत्य अपने खाताधारक के प्रति सेवा में कमी का परिचायक है । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी बैंक के  विरूद्व  स्वीकार  किए जाने योग्य हैं  एवं आदेष है कि  
                                :ः- आदेष:ः-  
7.    (1)    प्रार्थी अप्रार्थी बैंक से  रू. 15,000/- की राषि प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
          (2)             प्रार्थी अप्रार्थी बैंक  से मानसिक क्षतिपूर्ति पेटे रू. 5000/- व  परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000 /-भी  प्राप्त करने के  अधिकारी होगा ।               
              (3)      क्रम संख्या 1 लगायत 2    में वर्णित राषि अप्रार्थी  बैंक प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 02.12.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

.

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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