Rajasthan

Ajmer

CC/62/2014

BHAGWAN DEVI - Complainant(s)

Versus

S B I - Opp.Party(s)

ADV RAMESH CHAND

02 Aug 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/62/2014
 
1. BHAGWAN DEVI
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. S B I
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 02 Aug 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्रीमति भगवान देवी  पत्नि स्व. श्री देवीसिंह, आयु- 78 वर्ष, मकान नंम्बर 680/37, रामलीला का बाड़ा, नगरा,अजमेर । 

                                                 -         प्रार्थिया
                            बनाम

1. ष्षाखा प्रबन्धक, भारतीय स्टेट बैंक, लोको कारखाना ब्रांच, अजन्ता सिनेमा के पास, अजमेर । 
2. सहायक महाप्रबन्धक, केन्द्रीयकृत पेंषर प्रक्रिया केन्द्र, चांदनी चैक, दिल्ली । 

                                                    -      अप्रार्थीगण
                    परिवाद संख्या 62/2014

                            समक्ष
                   1.  विनय कुमार गोस्वामी     अध्यक्ष
            2. श्रीमती ज्योति डोसी      सदस्या
                    3.नवीन कुमार             सदस्य
                           उपस्थिति
                  1.श्री रमेष चन्द, अधिवक्ता, प्रार्थिया
                  2.श्री जी.एल.अग्रवाल, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1 

मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः-   05.08.2016

1.          प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि
उसका पति श्री देवीसिंह भाटी  रेल्वे का पेंषनधारी था और वह अप्रार्थी संख्या 1 के यहां से खाता संख्या 1012044767576 से मासिक पेंषन प्राप्त करता था । उसके पति का दिनांक 22.2.2013 को निधन हो जाने के पष्चात् उसने नियमानुसार पारिवारिक पेंषन प्राप्ति हेतु  पत्र दिनंाक 10.4.2013 के द्वारा  अपने पति का मृत्यु प्रमाण पत्र संलग्न करते हुए  अप्रार्थी संख्या 1 को निवेदन किया । तत्पष्चात् उसने अप्रार्थी संख्या 1 के यहां नया खाता संख्या 20154542438 भी खुलवाया  किन्तु बावजूद स्मरण पत्र दिनंाक 26.4.2013 व नोटिस दिनंाक 
21.09.2013 के भी अप्रार्थी बैंक ने पारिवारिक पेंषन का भुगतान नहीं किया । प्रार्थिया ने अप्रार्थीगण के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    अप्रार्थी संख्या 1 बैंक ने  जवाब प्रस्तुत करते हुए  कथन किया है कि प्रार्थिया ने अपने पत्र दिनंाक 10.4.2013 के द्वारा केवल अपने पति का मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था। जिसे उत्तरदाता  ने अप्रार्थी संख्या 2 को प्रेषित कर दिया । तत्पष्चात् अप्रार्थी संख्या 2 ने पत्र दिनंाक 21.9.2013 के द्वारा प्रार्थिया से जीवित होने का प्रमाण पत्र व वचन पत्र की मांग  की । वांछित प्रमाण पत्र प्राप्त होने पर अप्रार्थी संख्या 2 ने सितम्बर, 2013 से प्रार्थिया की पेंषन स्वीकृत कर दी ।  जो प्रार्थिया के बैंक खाते में  उसके बाद निरन्तर जमा हो रही है ।  इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना के साथ जवाब के समर्थन में श्री राजेन्द्र कुमार माथुर, कार्यकारी षाखा प्रबन्धक का षपथपत्र पेष किया है । 
3.    अप्रार्थी  संख्या 2 बावजूद नोटिस तामील न तो मंच में उपस्थित हुआ और ना ही परिवाद का कोई जवाब ही पेष किया । अतः अप्रार्थी  संख्या 2 के विरूद्व दिनांक 17.10.2014  को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई । 
4.    प्रार्थिया की ओर से  तर्क प्रस्तुत किया गया कि उसके पति की दिनांक 22.2.2013 को मृत्यु हो जाने के बाद उसने अप्रार्थी बैंक में अपने पति का  मृृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत करते हुए पारिवारक पेंषन दिलवाने की प्रार्थना की थी । अप्रार्थी के दिषा निर्देषोें के बाद अपना खाता भी खुलवाया ।  किन्तु बार बार निवेदन किए जाने के बावजूद भी न तो पारिवारिक पेंषन का भुगतान किया गया और ना ही कोई उत्तर दिया गया ।  उसके द्वारा उक्त पेंषन की प्रक्रिया प्रारम्भ करने के लिए समस्त दस्तावेजात भी अप्रार्थी बैंक को दिनंाक 10.4.2013 के पत्र द्वारा भेजे जा चुके थे ।  किन्तु इसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं कर सेवा में कमी का परिचय दिया गया है ।  यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि सितम्बर, 2012 से पारिवारिक पेंषन चालू की गई है जबकि मार्च 13 से अगस्त तक की पेंषन का भुगतान नहीं किया गया है ।  इस प्रकार सेवा में दोष कारित करते हुए वंाछित अनुतोष दिलवाया जावें । 
5.    अप्रार्थी संख्या 1 ने खण्डन में तर्क प्रस्तुत किया है कि उनके द्वारा  मात्र संबंधित विभाग से पेंषन के कागजात आने पर भुगतान किया जाता है । चूंकि समय पर उक्त पत्र आदि  प्राप्त नहीं हुए थे । अतः पेंषन का भुगतान नहीं किया गया । उनके द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गई है । 
6.    हमने परस्पर तर्क सुने हंै एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी अवलोकन कर लिया है । स्वीकृत स्थिति के अनुसार प्रार्थिया की पेंषन चालू हो चुकी है ।  उसने मात्र अपने पति के मृत्यु के बाद आवेदन किए जाने के बाद भी पेंषन का भुगतान  समय पर नहीं किए जाने पर  हुई असुविधा पर अप्रार्थी बैंक को सेवा में कमी का  दोषी करार  दिए जाने का प्रयास किया है ।  पत्रावली में प्रार्थिया का सर्वप्रथम दिनंाक 10.4.2013 को वह पत्र उपलब्ध है जो उसके द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 बैंक को लिखा गया है । अप्रार्थी बैंक का कथन है कि प्रार्थिया द्वारा उसके पति की मृत्यु के बाद पारिवारिक पेंषन प्रारम्भ करने के लिए आवेदन पत्र,  जीवित होने का प्रमाण पत्र तथा वचन पत्र प्राप्त नहीं होने के अभाव में पारिवारिक पेंषन को प्रारम्भ नहीं हो सकना बताया है । हालांकि  प्रार्थिया की ओर से इन प्रलेखों  के संबंध में जवाबुल जवाब में इस बात का उल्लेख किया है कि उसके द्वारा उक्त दस्तावेजात उसके पत्र दिनंाक 10.4.2013 के द्वारा सर्वप्रथम बैंक को दे दिए गए थे । किन्तु यदि हम इस दिनांक 10.4.2013 के पत्र का अवलोकन करें तो इसमें प्रार्थिया ने मात्र अपने पति का मूल मृत्यु प्रमाण पत्र संलग्न किया है, न कि अन्य दस्तावेज यथा पेंषन हेतु उसका आवेदन पत्र, जीवित होने का प्रमाण पत्र व वचन पत्र  इत्यादि । इस प्रकार यह नहीं माना जा सकता कि उसने अपने इस पत्र के माध्यम से ये सभी दस्तावेजात पेंषन प्रक्रिया प्रारम्भ करने हेतु बैंक में प्रस्तुत कर दिए थे । इस प्रकार जब उसने स्वयं की ओर से पारिवारिक पेंषन प्राप्त करने हेतु वांछित दस्तावेजात ही ीबैंक में प्रस्तुत नहीं किए है तो इनके अभाव में यदि समय पर उक्त पेंषन चालू नहीं हुई तो इसमें अप्रार्थी बैंक का किसी प्रकार का कोई दोष अथवा  सेवा में कमी रही हो, नहीं माना जा सकता । 
7.    सार यह है कि  इन हालात में मंच की राय में प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है एवं आदेष है कि 
                         -ःः आदेष:ः-
8.        प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक 05.08.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
           

 
 

 

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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