Uttar Pradesh

StateCommission

A/1522/2018

Canara Bank - Complainant(s)

Versus

Rupali Jha - Opp.Party(s)

Nitin Khanna

29 Apr 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1522/2018
( Date of Filing : 21 Aug 2018 )
(Arisen out of Order Dated 01/06/2017 in Case No. C/337/2014 of District Varanasi)
 
1. Canara Bank
Bangluru
...........Appellant(s)
Versus
1. Rupali Jha
Varanasi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 29 Apr 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1522/2018

केनरा बैंक, हेड आफिस 112, जे.सी. रोड, बंगलूरू 56002 तथा तीन अन्‍य

 

बनाम

 

रूपाली झा पत्‍नी अंजनी कुमार, निवासिनी 41/4, कबीर नगर, दुर्गाकुण्‍ड, वाराणसी तथा एक अन्‍य

समक्ष:-                                                  

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित      : श्री नितिन खन्‍ना।

प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित   : सुश्री जागृति वशिष्‍ठ।

प्रत्‍यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित   : श्री साकेत श्रीवास्‍तव।

दिनांक : 29.04.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-337/2004, रूपाली झा बनाम केनरा बैंक तथा चार अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 1.6.2017 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री नितिन खन्‍ना तथा प्रत्‍यर्थी सं0-1 की विद्वान अधिवक्‍ता सुश्री जागृति वशिष्‍ठ तथा प्रत्‍यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री साकेत श्रीवास्‍तव को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.        विद्वान जिला आयोग ने परिवादिनी द्वारा अपीलार्थी बैंक में जमा दो चेक की धनराशि मु0 1,39,616/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।

 

-2-

3.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादिनी द्वारा दो एनएससी क्रय की गयी थीं, जिनके परिपक्‍व होने पर डाक घर विशेश्‍वरगंज वाराणसी द्वारा दो चेक क्रमश: 69,808/-रू0 एवं अंकन 69,808/-रू0 दिनांक 13.4.2007 एवं दिनांक 23.5.2007 को जारी किए गए, जो कैनरा बैंक स्‍िथत खाता संख्‍या QDSB000012037 में क्रमश: दिनांक 20.4.2007 एवं दिनांक 30.5.2007 को समाशोधन के लिए प्रस्‍तुत किए गए, परन्‍तु यह राशि परिवादिनी के खाते में जमा नहीं हुई। बाद में ज्ञात हुआ कि चेक गुम हो गए हैं, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

4.        केवल विपक्षी सं0-5 की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया, जिसमें उल्‍लेख किया गया कि परिवादिनी द्वारा जो चेक केनरा बैंक में जमा किए गए थे, दोनों क्‍लीयरेंस कराने के पश्‍चात भेज दिए गए थे। विपक्षी सं0-5 द्वारा अपने कर्तव्‍यों का निर्वहन कर दिया गया है। विपक्षी सं0-1 त 4 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई आपत्ति प्रस्‍तुत की गयी। अत: विद्वान जिला आयोग ने साक्ष्‍यों पर विचार करने के पश्‍चात विपक्षी सं0-1 त 4 को उत्‍तरदायी मानते हुए इस धनराशि को अदा करने का आदेश पारित किया है।

5.        इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गयी है कि विद्वान जिला आयोग के समक्ष परिवाद के लम्बित होने की कोई जानकारी प्राप्‍त नहीं हुई। विद्वान जिला आयोग ने पंजीकृत डाक से शमन नहीं भेजे और नोटिस तामील पर्याप्‍त मानने की अवैध उपधारणा कर ली गयी और एकतरफा निर्णय पारित कर दिया गया। यह भी  कहा  गया  कि  यह  परिवाद 7 वर्ष पश्‍चात दायर किया गया था,

 

-3-

क्‍योंकि चेक दिनांक 20.4.2007 एवं दिनांक 30.5.2007 को जमा किए गए, जबकि परिवाद वर्ष 2014 में प्रस्‍तुत किया गया, जो समयावधि से बाधित है।

6.        प्रस्‍तुत केस के तथ्‍यों के अनुसार परिवादिनी द्वारा दो चेक क्रमश: 20.4.2007 एवं दिनांक 30.5.2007 को प्रस्‍तुत किए गए, परन्‍तु इन चेकों में वर्णित राशि परिवादिनी के खाते में जमा नहीं हुई और यह परिवाद अगस्‍त 2014 में प्रस्‍तुत किया गया। दिनांक 20.4.2007 एवं दिनांक 30.5.2007 के पश्‍चात इस धनराशि के बारे में जानकारी प्राप्‍त नहीं की गई और इस संबंध में बैंक में कोई लिखित शिकायत क्‍यों नहीं की गई, इसका कोई विवरण पत्रावली में मौजूद नहीं है। यद्यपि पैरा सं0-5 में यह उल्‍लेख है कि परिवादिनी ने पत्र लिखे, परन्‍तु पत्रों की तिथि का कोई उल्‍लेख अंकित नहीं किया, इसलिए वास्‍तविक वादकारण का खुलासा स्‍वंय परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में नहीं किया। अत: इस स्थिति में माना जाना चाहिए कि दिनांक 20.4.2007 एवं दिनांक 30.5.2007 को चेक जमा करने के पश्‍चात ही वादकारण उत्‍पन्‍न हो चुका था। यद्यपि वादकारण तब उत्‍पन्‍न होना चाहिए तब परिवादिनी को इस तथ्‍य की जानकारी हुई कि यह धनराशि उसके खाते में जमा नहीं हुई और यह जानकारी निश्चित रूप से यथाशीघ्र होनी चाहिए थी, परन्‍तु इन सभी तथ्‍यों का कोई हवाला परिवाद पत्र में अंकित नहीं किया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि चेक में वर्णित राशि के खाते में जमा न होने की जानकारी किस दिन हुई, इस बिन्‍दु को आश्‍यपूर्वक छिपाया गया तथा पत्रों के आदान-प्रदान की तिथि को भी छिपाया गया। संभवत: ऐसा समयावधि  से बचने के उद्देश्‍य से किया गया, परन्‍तु यह प्रसास सफल

 

-4-

नहीं हुआ। निश्चित रूप से परिवाद समयावधि से बाधित था। अत: इसी आधार पर यह परिवाद खारिज होने योग्‍य था, परन्‍तु विद्वान जिला आयोग द्वारा दिनांक 29.8.2011 तथा दिनांक 21.11.2011 को प्रेषित पत्रों का उल्‍लेख किया है और इस आधार पर परिवाद समयावधि के अंतर्गत माना है। दिनांक 21.11.2011 के पत्राचार के बावजूद भी समयावधि के अंतर्गत परिवाद योजित नहीं किया गया और न ही देरी माफ करने का कोई प्रयास विद्वान जिला आयोग के समक्ष किया गया। अत: यह तथ्‍य स्‍थापित है कि‍ यह परिवाद समयावधि से बाधित था, जो धारा 24 क उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 का उल्‍लंघन है। अत: समयावधि से बाधित परिवाद पर निर्णय पारित किया गया है, जो अपास्‍त होने और प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

7.        प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 01.06.2017 अपास्‍त किया जाता है तथा समयावधि से बाधित परिवाद खारिज किया जाता है।

          प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाय।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

लक्ष्‍मन, आशु0, 

    कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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