Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/209/2016

PRADEEP SINGH - Complainant(s)

Versus

RUDRAKSH DEVELOPERS - Opp.Party(s)

Rajesh Kumar Gupta

19 Nov 2024

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/209/2016
( Date of Filing : 31 May 2016 )
 
1. PRADEEP SINGH
R/O VILLAGE,DARVESHPUR , POST JALALPUR
JAUNPUR
UTTAR PRADESH
...........Complainant(s)
Versus
1. RUDRAKSH DEVELOPERS
1/95 VINAY KHAND GOMTI NAGAR
LUCKNOW
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
 HON'BLE MRS. sonia Singh MEMBER
 HON'BLE MR. Kumar Raghvendra Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 19 Nov 2024
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या:-  209/2016    

उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

         श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।

         श्री कुमार राघवेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।         

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-31.05.2016

परिवाद के निर्णय की तारीख:-19.11.2024

Pradeep Singh S/o Sri Ghanshyam Singh R/o Village, Darvesh Pur, Post, Jalalpur, District. District-Jaunpur, U.P.

                                                 ..........Complainant.                                            

                             Versus

Rudraksh Developer’s Pvt. Ltd through its Managing Director, Sri Sanjai Jaiswal, Rudraksh House, 1/95, Vinay Khand, Gomti Nagar, Lucknow-10 .                              ...............Opposite Party.               .                       

परिवादी के अधिवक्‍ता का नाम:-श्री राजेश कुमार गुप्‍ता।

विपक्षी के अधिवक्‍ता का नाम:-कोई नहीं।

आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

                               निर्णय

1.   परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद अन्‍तर्गत धारा-12 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत प्‍लाट संख्‍या एस-612 का कब्‍जा दिलाये जाने, अगर वह प्‍लाट का कब्‍जा नहीं दे पाते हैं तो भुगतान की तिथि से लेकर भुगतान की तिथि तक ब्‍याज सहित धनराशि का भुगतान किये जाने और 5,00,000.00 रूपये मानसिक क्षति हेतु दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया गया है।

2.   संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने लखनऊ में आवासीय प्रयोजन हेतु मकान बनाने के लिये प्‍लाट हेतु आवेदन किया था। किसी ने परिवादी को बताया कि विपक्षी उपरोक्‍त कम्‍पनी के नाम से प्‍लाट बेच रहे हैं। परिवादी ने दिनॉंक 31.12.2009 को विपक्षी से संपर्क किया। तत्‍समय ही विपक्षी के प्रस्‍ताव के अनुसार परिवादी ने प्‍लाट संख्‍या एस-612 के आंशिक भुगतान के रूप में दिनॉंक 31.12.2009 को 50,000.00 रूपये की धनराशि जमा किया।

3.   उक्‍त प्‍लाट 1800 वर्गफिट के भूखण्‍ड की कुल कीमत 8,55,000.00 रूपये थी। परिवादी ने दिनॉंक 27.02.2010 तक कुल 6,55,000.00 रूपये जमा करा दी थी। परिवादी ने भूखण्‍ड की कुल राशि का लगभग 76.84 प्रतिशत जमा करा दिया था। परिवादी ने विकास के लिये बार-बार पूछा क्‍योंकि प्‍लाटिंग क्षेत्र में बिजली, और जल निकासी, सीवर आदि के लिये व्‍यवस्‍था नहीं थी। इन व्‍यवस्‍थाओं के लिये परिवादी से  विपक्षी द्वारा 4,99,660.00 रूपये की मनमाने तरीके से मॉंग की गयी। यह कहा गया कि ब्रोशर के तहत इन अन्‍य कार्यों के लिये 4,99,660.00 रूपये देना है। परिवादी ने उसके द्वारा जमा की गयी धनराशि 6,55,000.00 रूपये की वापसी के लिये विपक्षी को विधिक नोटिस भी भेजी गयी। उसके बाद इस आयोग में परिवाद दाखिल किया गया।

4.   परिवाद का नोटिस विपक्षी को भेजा गया, परन्‍तु विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ, अत: दिनॉंक 03.02.2017 को विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी।

5.   परिवादी ने अपने कथानक के समर्थन में मौखिक साक्ष्‍य के रूप में शपथ पत्र एवं दस्‍तावेजी साक्ष्‍य के रूप में रसीदें, लेजर, एवं विधिक नोटिस की छायाप्रतियॉं दाखिल की हैं।

6.   आयोग द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्कों को सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।

7.   परिवाद पत्र को साबित करने का भार परिवादी के ऊपर है।

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिये निम्‍नलिखित दो तथ्‍यों को साबित किया जाना आवश्‍यक है –

1-एक परिवादी का उपभोक्‍ता होना।

2-विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गयी हो।

1-परिवादी का उपभोक्‍ता होना:-परिवादी का कथानक है कि उसने प्‍लाट के लिये विपक्षी के यहॉं पैसा जमा किया गया है। अत: परिवादी उपभोक्‍ता है।

2-विपक्षी द्वारा सेवा में कमी:-परिवादी का कथानक है कि उसने मकान बनाने के लिये विपक्षी से प्‍लाट क्रय करने हेतु आवेदन किया था। इस संबंध में परिवादी को बताया गया था कि विपक्षी उपरोक्‍त कम्‍पनी के नाम से प्‍लाट बेच रहे है। परिवादी ने दिनॉंक 31.12.2009 को विपक्षी से संपर्क किया तथा प्‍लाट संख्‍या-एस-612 के आंशिक भुगतान के रूप में 50,000.00 रूपये जमा किया। परिवादी ने प्‍लाट की कुल कीमत का 76.84 प्रतिशत धनराशि के रूप में 6,55,000.00 रूपये जमा कर दिया था। विपक्षी द्वारा यह कहा गया कि ब्रोशर के तहत अन्‍य विकास कार्यों हेतु  4,99,660.00 रूपये अतिरिक्‍त देना है। परिवादी ने विपक्षी से एरिया के विकास के लिये बार-बार पूछा क्‍योंकि प्‍लाटिंग क्षेत्र में बिजली, जल निकासी एवं सीवर आदि की व्‍यवस्‍था नहीं थी। परिवादी  द्वारा दाखिल रसीदों के अवलोकन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा भिन्‍न-भिन्‍न तिथियों पर 6,55,000.00 रूपये जमा किया गया है। परिवादी ने अपने कथनों की पुष्टि अपने शपथ पत्र के माध्‍यम से किया है। विपक्षी द्वारा कोई भी ऐसा साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया है जिससे परिवादी के कथनों पर अविश्‍वास प्रकट किया जा सके।  

8.   जहॉं तक कब्‍जा दिये जाने का प्रश्‍न है, कब्‍जा तभी दिलाया जा सकता है जब उस पर विक्रय-विलेख किये जाने के संबंध में आदेश पारित किया गया हो। विक्रय विलेख का आदेश किये जाने के संबंध में क्षेत्राधिकार उपभोक्‍ता आयोग को नहीं है।  विक्रय विलेख के संबंध में क्षेत्राधिकार दीवानी न्‍यायालय को प्राप्‍त है।

9.   परिवादी ने प्‍लाट की कुल कीमत का लगभग 77 प्रतिशत धनराशि विपक्षी के यहॉं जमा कर दी थी फिर भी विपक्षी द्वारा प्‍लॉट को विकसित करके परिवादी को उपलब्‍ध नहीं कराया गया। इतना लम्‍बा समय बीत जाने के बाद भी प्‍लाट उपलब्‍ध न कराया जाना निश्चित रूप से सेवा में कमी को दर्शाता है। परिवादी को प्‍लॉट समय से उपलब्‍ध न कराकर विपक्षी ने सेवा में तो कमी की ही है उसने अनुचित व्‍यापार प्रक्रिया भी अपनायी है। अत: परिवादी द्वारा विपक्षी को दी गयी धनराशि वापस दिलाये जाने का औचित्‍य प्रतीत होता है। जहॉं तक प्‍लॉट पर कब्‍जा दिलाये जाने का प्रश्‍न है, इस आयोग का क्षेत्राधिकार नहीं है। अत: परिवादी का परिवाद इस सीमा तक स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                           आदेश

     परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा जमा की गयी कुल धनराशि मुबलिग 6,55,000.00 (छह लाख पचपन हजार रूपया मात्र) मय 09 प्रतिशत ब्‍याज के साथ धनराशि जमा किये जाने की तिथि से भुगतान की तिथि तक निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्‍दर अदा करेंगे। परिवादी को हुए मानसिक, आर्थिक शोषण के लिये मुबलिग 25,000.00 (पच्‍चीस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें, एवं वाद व्‍यय के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें। यदि आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भुगतेय होगा।

पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रार्थना पत्र निस्‍तारित किये जाते हैं।

     निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

 

(कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)        (सोनिया सिंह)                 (नीलकंठ सहाय)                    

         सदस्‍य                 सदस्‍य                            अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                                          लखनऊ।           

आज यह आदेश/निर्णय हस्‍ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।

                                                                

(कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)        (सोनिया सिंह)                 (नीलकंठ सहाय)                    

         सदस्‍य                 सदस्‍य                            अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                                          लखनऊ।           

दिनॉंक:-19.11.2024

 

 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MRS. sonia Singh]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Kumar Raghvendra Singh]
MEMBER
 

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