जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
प्रकाष जैन, एडवोकेट पुत्र श्री रघुवर दयाल जैन, निवासी- मकान नं. 26/24, षम्भू सदन के पीछे, बाबू मौहल्ला, केसरगंज, अजमेर ।
प्रार्थी
बनाम
लोक सूचना अधिकारी, स्टेंट बैंक आॅफ बीकानेर एण्ड जयपुर, तिलक मार्ग, सी-स्कीम,जयपुर-302005
अप्रार्थी
परिवाद संख्या 201/2013
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. विजेन्द्र कुमार मेहता सदस्य
3. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1. प्रार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं
2.श्री षेखर सेन, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः-12.02.2015
1. प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर दर्षाया है कि उसने सूचना के अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत अप्रार्थी बैंक से सूचना चाहने हेतु निर्धारित षुल्क सहित दिनांक 03.10.2012 को अप्रार्थी बैंक के यहां आवेदन किया । जिस पर अप्रार्थी बैंक ने अपने पत्र दिनंाक 15.10.2012 के द्वारा प्रार्थी से अन्य कर्मचारियों की जानकारी संबंधी तथ्यों को स्पष्ट करने हेतु कहा जिसका जवाब प्रार्थी ने दिनंाक 30.10.2012 को दे दिया इसके उपरान्त भी अप्रार्थी बैंक ने सूचना के अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत नियत समय में उसे वांछित सूचना उपलब्ध नहीं कराई । प्रार्थी ने सूचना प्राप्त नही ंहोने पर अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक
19.12.2012 को नोटिस भी दिया । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. प्रकरण में अप्रार्थी की तामिल हो जाने के उपरान्त भी उसके नहीं आने से दिनंाक 3.6.2013 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल मेें लाई गई । तत्पष्चात् अप्रार्थी की ओर से एक आवेदन उक्त एक पक्षीय कार्यवाही को अपास्त किए जाने हेतुं पेष किया । प्रकरण में प्रार्थी की आर से कोई उपस्थित नहीं हो रहा है । दिनंाक 25.3.2014 को प्रार्थी की ओर से श्री कुलदीप सिंह , अधिवक्ता उपस्थित आए । उसके उपरान्त उन्होने भी उपस्थित होना बन्द कर दिया । दिनंाक 19.1.2015 को अप्रार्थी के आवेदन पर अधिवक्ता अप्रार्थी की बहस सुनी एवं उस उसी रोज अप्रार्थी के आवेदन को स्वीकार किया एवं अप्रार्थी का जवाब जो पहले से ही एक पक्षीय कार्यवाही हो जाने के साथ प्रस्तुत हुआ , को रिकार्ड पर लिया गया । जिसमें अप्रार्थी ने दर्षाया है कि प्रार्थी का आवेदन उनकें यहां दिनांक 5.10.2012 को प्राप्त हुआ और प्रार्थी से यह जानकारी चाही गई कि वह केवल मात्र कर्मचारियों के पेंषन के संबंध में जानकारी चाहता है या अप्रार्थी बैंक के समस्त कर्मचारियों के संबंध में जानकारी चाहता है । प्रार्थी के आवेदन की क्रम संख्या 4 जो 15 पेज की थी जिसकी राषिरू. 30/- जमा कराने हेतु भी प्रार्थी को पत्र दिनंाक 2.11.2012 के द्वारा सूचित किया गया किन्तु प्रार्थी ने वांछित राषि जमा नहीं कराई । अन्त में परिवाद निरस्त होना दर्षाया
3. दिनंाक 28.1.2015 को भी प्रार्थी अथवा उसके अधिवक्ता उपस्थित नहीं आए । अतः अप्रार्थी अधिवकता की बहस सुनी गई ।
4. सर्वप्रथम हमारे समक्ष निर्णय हेतु यहीं बिन्दु है कि क्या प्रार्थी ने इस परिवाद से सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत अप्राथी्र से सूचना मांगी एवं इस हेतु निर्धारित फीस भी उसके द्वारा दी गई एवं परिवाद में वण्रित अनुसार अप्रार्थी ने प्रार्थी को सूचनाएं उपलब्ध नहीं करवाई । अतः क्या प्रार्थी उपभोक्ता की श्रेणी में आता है ?
5. इस संबंध में माननीय राष्ट्रीय आयेाग के विभिन्न निर्णयों यथा त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 4061ध्2010;छब्द्ध ज्ण् च्नदकंसपां टे त्ममिदनम क्मचंतजउमदज व्तकमत क्ंजमक 31ण्3ण्2011ए 2014 क्छश्र ;ब्ब्द्ध;छब्द्ध12 ज्ञंसप त्ंउ टे ैजंजम च्नइसपब प्दवितउंजपवद व्ििपबम ब्नउ च्मचनजल म्गबपेम - त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 2846ध्2013;छब्द्ध च्नइसपब प्दवितउंजपवद व्ििपबमत न्प्ज् टे ज्ंतनद ।हंतूंस व्तकमत क्ंजमक 16ण्12ण्2013 में प्रतिपिादित किया है कि किसी सूचना प्राप्तकर्ता द्वारा धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत यदि परिवाद लाया जाता है तो इस विवाद हेतु वह उपभोक्ता नहीं माना जा सकता भले ही उसके द्वारा ऐसी सूचना प्राप्त करने हेतु संबंधित लोक सूचना अधिकारी के समक्ष फीस जमा कराई हो । माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उपरोक्त सभी निर्णयों में माना कि इस हेतु प्राथी्र के समक्ष सूचना अधिकार अधिनियम के प्रावधान अनुसार प्रथम अपील व द्वितीय अपील के प्रावधान अनुसार वैकल्पिक उपचार प्राप्त है । इस तरह से सूचना अधिकार अधिनियम एक पूर्ण अधिनियम है तथा धारा 23 में अन्य न्यायालयों के क्षेत्राधिकार को वर्जित किया गया है ।
6. उपरोक्त विवेचन से हमारा निष्कर्ष है कि हस्तगत प्रकरण में प्रार्थी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है । अतः प्रार्थी के उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आने से उसका परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं से अस्वीकार किए जाने योग्य है । अतः आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
7. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । प्रार्थी चाहे तो इस हेतु सक्षम न्यायालय/मंच अथवा सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत कार्यवाही करें खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
(विजेन्द्र कुमार मेहता) (श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
8. आदेष दिनांक 12.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
प्रकाष जैन, एडवोकेट पुत्र श्री रघुवर दयाल जैन, निवासी- मकान नं. 26/24, षम्भू सदन के पीछे, बाबू मौहल्ला, केसरगंज, अजमेर ।
प्रार्थी
बनाम
लोक सूचना अधिकारी, स्टेंट बैंक आॅफ बीकानेर एण्ड जयपुर, तिलक मार्ग, सी-स्कीम,जयपुर-302005
अप्रार्थी
परिवाद संख्या 201/2013
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. विजेन्द्र कुमार मेहता सदस्य
3. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1. प्रार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं
2.श्री षेखर सेन, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः-12.02.2015
1. प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर दर्षाया है कि उसने सूचना के अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत अप्रार्थी बैंक से सूचना चाहने हेतु निर्धारित षुल्क सहित दिनांक 03.10.2012 को अप्रार्थी बैंक के यहां आवेदन किया । जिस पर अप्रार्थी बैंक ने अपने पत्र दिनंाक 15.10.2012 के द्वारा प्रार्थी से अन्य कर्मचारियों की जानकारी संबंधी तथ्यों को स्पष्ट करने हेतु कहा जिसका जवाब प्रार्थी ने दिनंाक 30.10.2012 को दे दिया इसके उपरान्त भी अप्रार्थी बैंक ने सूचना के अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत नियत समय में उसे वांछित सूचना उपलब्ध नहीं कराई । प्रार्थी ने सूचना प्राप्त नही ंहोने पर अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक
19.12.2012 को नोटिस भी दिया । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. प्रकरण में अप्रार्थी की तामिल हो जाने के उपरान्त भी उसके नहीं आने से दिनंाक 3.6.2013 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल मेें लाई गई । तत्पष्चात् अप्रार्थी की ओर से एक आवेदन उक्त एक पक्षीय कार्यवाही को अपास्त किए जाने हेतुं पेष किया । प्रकरण में प्रार्थी की आर से कोई उपस्थित नहीं हो रहा है । दिनंाक 25.3.2014 को प्रार्थी की ओर से श्री कुलदीप सिंह , अधिवक्ता उपस्थित आए । उसके उपरान्त उन्होने भी उपस्थित होना बन्द कर दिया । दिनंाक 19.1.2015 को अप्रार्थी के आवेदन पर अधिवक्ता अप्रार्थी की बहस सुनी एवं उस उसी रोज अप्रार्थी के आवेदन को स्वीकार किया एवं अप्रार्थी का जवाब जो पहले से ही एक पक्षीय कार्यवाही हो जाने के साथ प्रस्तुत हुआ , को रिकार्ड पर लिया गया । जिसमें अप्रार्थी ने दर्षाया है कि प्रार्थी का आवेदन उनकें यहां दिनांक 5.10.2012 को प्राप्त हुआ और प्रार्थी से यह जानकारी चाही गई कि वह केवल मात्र कर्मचारियों के पेंषन के संबंध में जानकारी चाहता है या अप्रार्थी बैंक के समस्त कर्मचारियों के संबंध में जानकारी चाहता है । प्रार्थी के आवेदन की क्रम संख्या 4 जो 15 पेज की थी जिसकी राषिरू. 30/- जमा कराने हेतु भी प्रार्थी को पत्र दिनंाक 2.11.2012 के द्वारा सूचित किया गया किन्तु प्रार्थी ने वांछित राषि जमा नहीं कराई । अन्त में परिवाद निरस्त होना दर्षाया
3. दिनंाक 28.1.2015 को भी प्रार्थी अथवा उसके अधिवक्ता उपस्थित नहीं आए । अतः अप्रार्थी अधिवकता की बहस सुनी गई ।
4. सर्वप्रथम हमारे समक्ष निर्णय हेतु यहीं बिन्दु है कि क्या प्रार्थी ने इस परिवाद से सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत अप्राथी्र से सूचना मांगी एवं इस हेतु निर्धारित फीस भी उसके द्वारा दी गई एवं परिवाद में वण्रित अनुसार अप्रार्थी ने प्रार्थी को सूचनाएं उपलब्ध नहीं करवाई । अतः क्या प्रार्थी उपभोक्ता की श्रेणी में आता है ?
5. इस संबंध में माननीय राष्ट्रीय आयेाग के विभिन्न निर्णयों यथा त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 4061ध्2010;छब्द्ध ज्ण् च्नदकंसपां टे त्ममिदनम क्मचंतजउमदज व्तकमत क्ंजमक 31ण्3ण्2011ए 2014 क्छश्र ;ब्ब्द्ध;छब्द्ध12 ज्ञंसप त्ंउ टे ैजंजम च्नइसपब प्दवितउंजपवद व्ििपबम ब्नउ च्मचनजल म्गबपेम - त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 2846ध्2013;छब्द्ध च्नइसपब प्दवितउंजपवद व्ििपबमत न्प्ज् टे ज्ंतनद ।हंतूंस व्तकमत क्ंजमक 16ण्12ण्2013 में प्रतिपिादित किया है कि किसी सूचना प्राप्तकर्ता द्वारा धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत यदि परिवाद लाया जाता है तो इस विवाद हेतु वह उपभोक्ता नहीं माना जा सकता भले ही उसके द्वारा ऐसी सूचना प्राप्त करने हेतु संबंधित लोक सूचना अधिकारी के समक्ष फीस जमा कराई हो । माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उपरोक्त सभी निर्णयों में माना कि इस हेतु प्राथी्र के समक्ष सूचना अधिकार अधिनियम के प्रावधान अनुसार प्रथम अपील व द्वितीय अपील के प्रावधान अनुसार वैकल्पिक उपचार प्राप्त है । इस तरह से सूचना अधिकार अधिनियम एक पूर्ण अधिनियम है तथा धारा 23 में अन्य न्यायालयों के क्षेत्राधिकार को वर्जित किया गया है ।
6. उपरोक्त विवेचन से हमारा निष्कर्ष है कि हस्तगत प्रकरण में प्रार्थी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है । अतः प्रार्थी के उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आने से उसका परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं से अस्वीकार किए जाने योग्य है । अतः आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
7. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । प्रार्थी चाहे तो इस हेतु सक्षम न्यायालय/मंच अथवा सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत कार्यवाही करें खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
(विजेन्द्र कुमार मेहता) (श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
8. आदेष दिनांक 12.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्य सदस्या अध्यक्ष