जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री निजामुद्दीन पुत्र श्री बषीर खां, जाति- मुसलमान, निवासी- कायड, पुलिस थाना सिविल लाईन्स, तहसील व जिला-अजमेर । ़
- प्रार्थी
बनाम
1. प्रबन्धक, राॅयल सुन्दरम् एलांयज इंष्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, 607-61
6जी थ्सववतए ज्तपउनतजप ट. श्रंपए ब्पजल च्वपदजए क्.52, अंहिसां सर्किल, अषोक मार्ग, सर-स्कीम,जयपुर- 302001
2. कोटक महेन्द्रा बैंक लिमिटेड, जयपुर जरिए प्रबन्धक, कोटेेेेेेेक महेन्द्रा बैंक लि.,तृतीय फलोर, कृष्णा टाॅवर, 57, सरदार पटेल मार्ग, सी- स्कीम,जयपुर- 302001
3. नेषनल ट्रेक्टर्स एण्ड मोटर्स जरिए प्रबन्धक, नेषनल ट्रेक्टर्स एण्ड मोटर्स, परबतपुरा बाईपास रोड, अजमेर -305002
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 384/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री भंवर सिंह गौड़, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री गणेषी लाल अग्रवाल ,अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1
3.श्री अवतार सिंह उप्पल,अधिवक्ता अप्रार्थी सं.2
4.श्री अरूण षर्मा,अधिवक्ता अप्रार्थी सं.3
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 08.07.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसका ट्रेक्टर संख्या आर.जे.01 आर.ए. 4801 जो अप्रार्थी संख्या - 2 से क्रय किया हुआ व अप्रार्थी संख्या - 3 के यहां हाईपोथिकेटेड है, दिनंाक 14.10.2011 को रात्रि करीब 8.30 बजे से 10.00 रात्रि के मध्य कायड़ तिरोह से चोरी हो गया । जिसकी उसने पुलिस थाना सिविल लाईन्स, अजमेर में प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 288/2011 दिनंाक 18.10.2011 को दर्ज करवाई । जिसमें बाद अनुसंधान पुलिस द्वारा एफ.आर संबंधित न्यायालय में प्रस्तुत कर दी । उसने प्रष्नगत वाहन के चोरी चले जाने की सूचना अप्रार्थी संख्या 1 व 2 को देते हुए समस्त औपचारिकताएं पूर्ण कर बीमा क्लेम पेष किया । किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने दिनंाक 31.1.2013 को नोटिस दिए जाने के बावजूद भी क्लेम राषि अदा नहीं कर सेवा में कमी की है। प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 ने जवाब प्रस्तुत करते हुए दर्षाया है कि परिवाद समय अवधि बाहर प्रस्तुत किया गया है । उत्तरदाता को वाहन चोरी की सूचना नहीं दी गई । पुलिस में भी चोरी की रिपोर्ट 4 दिन देरी से दर्ज करवाई गई है तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भी वाहन चोरी की सूचना 5 दिन देरी से दी गई है । अन्त में परिवाद विभिन्न न्यायिक दृष्टान्तों का हवाला देते हुए निरस्त होने योग्य बताया । जवाब के समर्थन में श्री जी.विनय प्रकाष का षपथपत्र पेष किया है ।
3. अप्रार्थी संख्या - 2 ने जवाब प्रस्तुत करते हुए कथन किया है कि प्रार्थी को ऋण अनुबन्ध संख्या ज्थ्म्1170550 के अन्तर्गत प्रष्नगत वाहन पेटे रू. 4,18,509/- का ऋण स्वीकृत किया गया था और प्रार्थी को यह ऋण ब्याज सहित रू. 6,96,000/- 58001/- 12 मासिक किष्तों में चुकाना था । किन्तु प्रार्थी ने एक ही किष्त का भुगतान कर ऋण अनुबन्ध कर षर्तांे का उल्लंघन किए जाने के कारण ऋण की वसूली हेतु आर्बिट्रेटर के समक्ष अपना क्लेम प्रस्तुत किया और आर्बिट्रेटर ने प्रार्थी के विरूद्व अवार्ड पारित कर दिया । जिसके क्रियान्वयन के लिए सक्षम न्यायालय में उत्तरदाता ने इजराय प्रस्तुत कर रखी है । प्रार्थी पर रू0 7,08,294/- ऋण पेटे बकाया हंै । अपने अतिरिक्त कथनों में भी इन्हीं तथ्यों को दोहराया है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में श्री षक्तिसिंह ष्षेखावत, लीगल मैनेजर का षपथपत्र पेष किया है ।
4. अप्रार्थी संख्या - 3 ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रष्नगत वाहन प्रार्थी को विक्रय करना स्वीकार करते हुए परिवाद में अंकित ष्षेष कथनों को जानकारी के अभाव में अस्वीकार होना कथन किया है । अन्त में परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की है ।
5. प्रार्थी का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि प्रष्नगत बीमित वाहन जो अप्रार्थी बैंक के यहां हाईपोथिकेटेड था, दिनांक 14.10.2011 को रात्रि को चोरी हुआ था । जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनंाक 18.10.2011 को काफी तलाष किए जाने व आस पास के लोगों से पूछताछ करने के बाद तथा कोई पता नहीं चलने के बाद दर्ज करवाई गई थी । पुलिस द्वारा अनुसंधान कर एफ.आर प्रस्तुत की गई, जिसे न्यायालय द्वारा स्वीकार भी कर लिया गया है । प्रार्थी ने उक्त वाहन चोरी हो जाने की सूचना अप्रार्थी संख्या 1 व 2 को भी दी तथा अप्रार्थी को चोरी से संबंधी समस्त दस्तावेजात उपलब्ध करावा दिए गए किन्तु उक्त बीमा कम्पनी ने बीमित राषि का अब तक भुगतान नहीं किया है । ऐसी अवस्था में प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 2 बैंक को ऋण की अदायगी करने में असमर्थ है । अप्रार्थी को विधिक सूचना भी प्रेषित कर दी गई थी । किन्तु अब तक बीमा क्लेम राषि का भुगतान नहीं किए जाने से उसे षारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति पहुंची है तथा उनका यह कृत्य सेवा में कमी का परिचायक है । उसे वांछित अनुतोष दिलाया जावें ।
6. अप्रार्थी संख्या -1 की ओर से पुरजोर दलीलों में तर्क प्रस्तुत किया गया है कि परिवाद अवधि बाधित होने के कारण खारिज होने योग्य है । उन्हें चोरी की सूचना नहीं दी गई । चोरी की रिपोर्ट 4 दिन देरी से दर्ज करवाई गई है । अपने तर्को के समर्थन में निम्नलिखित न्यायिक दृष्टान्त प्रस्तुत करते हुए तर्क दिया है कि प्रस्तुत विनिष्चयों के प्रकाष में प्रार्थी किसी प्रकार का कोई क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । परिवाद खारिज किया जाना चाहिए ।
1ण् 2015 क्छश्र ;ब्ब्द्ध 113 त्ंउमेी ब्ींदकतं टे व्तपमदजंस प्देनतंदबम बव स्जक
2. 2015 क्छश्र ;ब्ब्द्ध 7 भ्क्थ्ब् म्तहव ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्व स्जे टे ठींहबींदक ैंपदपए
3. थ्पतेज ।चचमंस छव 321ध्15 छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्वण् स्जक टे ज्तपसवबींद श्रंदम व्तकमत क्ंजम 9ण्12ण्2009
7. अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से तर्क प्रस्तुत हुआ है कि प्रार्थी ने उनके पक्षकार बैंक से ऋण अनुबन्ध के आधार पर टैªक्टर खरीदा तथा ऋण प्राप्त कर तयषुदा किष्तों के भुगतान का भी अनुबन्ध किया है । परिवाद स्वीकार किए जाने की स्थिति में अनुतोष का पहले अधिकार उनका बनता है ।
8. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
9. परिवाद मंच के समक्ष दिनांक 30.7.2013 को प्रस्तुत हुआ है व वाहन दिनांक 14.10.2011 को चोरी होना अभिकथित है । इस प्रकार परिवाद 2 वर्ष की समयावधि में प्रस्तुत हुआ है व इस बाबत् उठाई गई आपत्ति सारहीन होने के कारण निरस्त की जाती है ।
10. यह स्वीकृति तथ्य है कि दिनंाक 14.10.2011 को प्रष्नगत वाहन चोरी हुआ व इसकी रिपोर्ट दिनांक 18.10.2011 को पुलिस में प्रार्थी द्वारा दर्ज करवाई गई है । बीमा कम्पनी के पत्राचार से यह भी सिद्व रूप से प्रकट हुआ है कि उक्त चोरी की सूचना उनके समक्ष दिनांक 19.10.2011 अर्थात चोरी की घटना के 5 दिन बाद दी गई है । हालांकि प्रार्थी की ओर से चोरी के संबंध में कोई स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है । अपितु वाहन चोरी के बाद काफी तलाष करने व नहीं मिलने के बाद घटना की रिपोर्ट थाने में देना बताया गया है ।
11. अब प्रष्न मात्र यह है कि क्या उक्त देरी बीमा षर्तो का उल्लंघन है ?
12. माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 2015 क्छश्र;ब्ब्द्ध113 त्ंउमेी ब्ींदकतं टे व्तपमदजंस प्देनतंदबम बव स्जकए 2015 क्छश्र;ब्ब्द्ध7 भ्क्थ्ब् म्तहव ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्व स्जे टे ठींहबींदक ैंपदपए थ्पतेज ।चचमंस छव 321ध्15 छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्वण् स्जक टे ज्तपसवबींद श्रंदम व्तकमत क्ंजम 9ण्12ण्2009 में क्रमषः 48 घण्टे, 98 दिन और ’’तत्काल सूचना ’’ को ध्यान में रखते हुए प्रार्थी को क्लेम का हकदार नहीं पाया । हस्तगत मामले में भी 5 दिन की देरी रही है तथा इसका कोई समुचित स्पष्टीकरण नहीं है । प्रस्तुत नजीरों में प्रतिपादित सिद्वान्तों के प्रकाष में प्रार्थी का बीमा क्लेम बीमा ष्षर्तो के उल्लंघन के कारण स्वीकार किए जाने येाग्य नहीं है । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
13. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 08.07.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष