Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/178/2017

RAVINDRA WISHWAKARMA - Complainant(s)

Versus

ROYAL SUNDARMA - Opp.Party(s)

S.N.RAI

08 Feb 2019

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum
Azamgarh(U.P.)
 
Complaint Case No. CC/178/2017
( Date of Filing : 07 Nov 2017 )
 
1. RAVINDRA WISHWAKARMA
AZAMGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. ROYAL SUNDARMA
AZAMGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 08 Feb 2019
Final Order / Judgement

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 178 सन् 2017

   प्रस्तुति दिनांक 07.11.2017

                                     निर्णय दिनांक 08.02.2019

  1. रविन्द्र विश्वकर्मा पुत्र स्वo राम जतन विश्वकर्मा निवासी 569/Cha/154, प्रेमनगर, आलमबाग, लखनऊ हाल मोकाम ग्राम कोल पाण्डेय पोस्ट भवरनाथ थाना कोतवाली तहसील सदर, जिला- आजमगढ़ उत्तर प्रदेश.
  2.  

 

बनाम

  1. रायल सुन्दरम् जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड पंजीकृत कार्यालय 21, Patullos Road, चेन्नई-600002 जरिये प्रबन्धक निदेशक/महाप्रबन्धक,
  2. रायल सुन्दरम् जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा कार्यालय लखनऊ उoप्रo स्थित यूनिट नम्बर 19/100, UGF 2, Ground Floor, Riz Building, 05, पार्क रोड, लखनऊ- 226001 उoप्रo जरिये शाखा प्रबन्धक,

............................................................. विपक्षीगण प्रथम पक्ष।

  1. शाखा प्रबन्धक, यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा कार्यालय हीरापट्टी पोस्ट- सदर, जिला- आजमगढ़।

................................................................विपक्षी द्वितीय पक्ष।

उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव

 

  •  

अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने अपने व्यक्तिगत इस्तेमाल हेतु यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा हीरापट्टी आजमगढ़ से वित्तीय सहायता प्राप्त कर एक इर्टिगा वी.डी.आई. कार खरीदा, जिसका रजिस्ट्रेशन संख्या यू.पी.32/एच.सी.-7352 माडल 2016 है। विपक्षी संख्या 02 द्वारा प्रीमियम प्राप्त कर कार का बीमा मुo 8,10,978/- रुपये के लिए साधारण व्यापक बीमा दिया गया जो दिनांक 29.06.2016 से दिनांक 28.06.2017 तक वैध व प्रभावी था। दिनांक 10.03.2017 को सायं याची अपने मित्र जय प्रकाश यादव जो वैध ड्राइविंग लाइसेंस धारक हैं और वह अन्य दो मित्रों के साथ रानी

2

की सरांय में स्थित ढाबा पर खाना खाने गये थे और लौटते वक्त रात हो गयी थी। वापस लौटने पर उसके मित्र जय प्रकाश यादव ने बताया कि उनके गांव में एक अभिन्न मित्र के बारात में जाना है और वे बारात में शामिल होने के लिए उक्त वाहन लेने के लिए अनुमति चाही। क्योंकि जय प्रकाश यादव हमारे वाहन को चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस के धारक हैं। अतः उन्हें वाहन ले जाने के लिए अनुमति दे दिया। दिनांक 10.03.2017 को बारात से लौटते समय बारातियों में से अमरजीत सिंह, दिव्यांशु सिंह व अमरजीत के भतीजा सुधांशु सिंह ने भी वाहन के साथ चलने का अनुरोध किया और उन्होंने उन्हें बैठा लिया। दिनांक 10.03.2017 को जय प्रकाश यादव वाहन को धीमी गति से चला रहे थे कि रात 11.45 बजे स्थान चुनहवा बाजार चौक थाना जीयनपुर पर एक पिक-अप बोलेरो गुड्स कैरियर वाहन के चालक द्वारा तेजी से व लापरवाही से वाहन चलाते हुए उसके कार में टक्कर मार दिया दिया और व पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। अमरजीत सिंह ने उक्त घटना की प्रथम सूचना थाना जीयनपुर में करायी। सूचना मिलने पर याची तुरन्त दुर्घटना स्थल पर पहुंचा और गाड़ी को टोचन कराकर थाना परिसर में पहुंचाया जहां से टेक्निकल परीक्षण के उपरान्त वाहन प्रदान किया गया और उसे पुनः विपक्षी संख्या 02 से मोबाइल पर बात करके उनके निर्देशानुसार टोचन के द्वारा ही क्षतिग्रस्त वाहन को एक रजिस्टर्ड गैरेज मेसर्स मारूति केयर, करतारपुर आजमगढ़ को पहुंचाया जिसमें 5,000/- रुपये का खर्चा आया। सूचना मिलने पर विपक्षी प्रथम पक्ष ने उसे क्लेम का फार्म दिया जिसे भरकर उसे विपक्षी संख्या 02 को प्रदान किया। सर्वेयर ने वाहन का सर्वे भी किया और विपक्षीगण प्रथम पक्ष के यहां उसका बीमा दावा पंजीकृत हुआ। विपक्षीगण प्रथम पक्ष ने आश्वासन दिया कि वह अपने वाहन की मरम्मत अपने खर्च पर करा लें उसे पूरा भुगतान कर दिया जाएगा। उसने विपक्षी संख्या 02 से मोबाइल पर दावा का निस्तारण हेतु अनुरोध किया और मेसर्स मारूति केयर, करतारपुर आजमगढ़ में अपने वाहन की मरम्मत कराया और उसे 2,67,972/- रुपये भी दिया गया। बार-बार अनुरोध करने के बावजूद भी जब क्लेम का निस्तारण नहीं हुआ तो याची ने दिनांक 04.09.2017 को विपक्षीगण प्रथम पक्ष को नोटिस दिया, जो उन पर तामील हुआ। उक्त कानूनी नोटिस के उत्तर में विपक्षी प्रथम पक्ष ने अपने पत्र दिनांक 09.10.2017के जरिये अवगत कराया कि उन्होंने अपने पत्र दिनांक 25.09.2017 के जरिये उसका बीमा दावा Being

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used for hire and reward purposes के कारण पॉलिसी के शर्तों के उल्लंघन मानते हुए निरस्त कर दिया, परन्तु बीमा दावा निरस्तीकरण सम्बन्धी मूल पत्र दिनांक 25.09.2017 हमारे लखनऊ या आजमगढ़ के किसी भी विपक्षी को प्राप्त नहीं हुआ। याची दिनांक 25.09.2017 को प्रतिलिपि मांगा तो श्री राहुल श्रीवास्तव नामक विपक्षीगण प्रथम पक्ष के एक अधिकारी ने उसके अधिवक्ता श्री श्याम नरायन राय, एडवोकेट को ई-मेल पर दिनांक 27.10.2017 को पत्र दिनांक 25.09.2017 की प्रतिलिपि प्रेषित किया, जिसके अवलोकन से ज्ञात हुआ। जिसमें यह पाया गया कि विपक्षीगण प्रथम पक्ष ने वाहन प्राइवेट वाहन होते हुए भी किराये पर चलाए जाने का आरोप लगाते हुए एवं पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन मानते हुए उसका बीमा दावा निरस्त कर दिया है। विपक्षी का क्लेम अवैध ढंग से खारिज किया गया है। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को 4,47,972/- रुपये मय 18% वार्षिक ब्याज की दर से अदा करें और उसे मुनासिब हर्जा भी अदा करें।

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में याची ने कागज संख्या 7/1 रजिस्ट्रेशन का प्रमाण पत्र, कागज संख्या 7/2 इन्श्योरेन्स, 7/3 जय प्रकाश का ड्राइविंग लाइसेंस, 7/4 एफ.आई.आर. की छायाप्रति, 7/6 नोटिस की छायाप्रति, 7/8 पंजीकृत डॉक की रसीद, 7/9 नोटिस का जवाब, 7/12 बीमा कम्पनी द्वारा भेजे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/13 रायल सुन्दरम द्वारा भेजे गए सूचना की छायाप्रति, 7/14 ता 7/17 मारूति केयर द्वारा वाहन के मरम्मत में किए गए निर्माण की खर्च की छायाप्रति, 7/18 मतदान प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षी संख्या 01 व 02 द्वारा 11क जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें यह कहा गया है कि परिवाद गलत तथ्यों के आधार पर दाखिल किया गया है। याची ने बीमा के शर्तों का उल्लंघन किया है। परिवादी ने प्राइवेट कार पैकेज की पॉलिसी करवाया था, जो दिनांक 29.06.2016 से दिनांक 28.06.2017 तक वैध थी। परिवादी दिनांक 18.03.2017 को परिवाद प्रस्तुत किया है और यह कहा है कि वाहन का इन्श्योरेन्स 10.03.2017 तथा उसके आठ दिन बाद परिवाद प्रस्तुत किया गया। सर्वेयर नियुक्त किया गया। उसने सर्वे किया और 1,92,481/- रुपये की क्षतिपूर्ति बताया। बीमा कम्पनी से   विवेचन

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हेतु एक स्वतंत्र क्लेम इन्वेस्टीगर नियुक्त किया जिसने अपनी रिपोर्ट दिनांक 05.07.2017 में यह कहा कि याची ने सही तथ्य प्रस्तुत नहीं किए हैं और वाहन का उपयोग कॉमर्शियल उद्देश्य के लिए किया जा रहा था। एक्सीडेन्ट के समय गाड़ी चला रहा ड्राइवर ने तीन यात्रियों को गाड़ी में बैठाना कहा है। जबकि शेषमणि ने सात व्यक्तियों को वाहन में बैठाना कहा है। नौ व्यक्तियों को बैठाए जाने के कारण माइलेज 33916 था। अमरजीत के बयान के अनुसार कार को विवाह में बुक कराया गया था। परिवादी ने कार को ड्राइवर वेहिकिल कि रूप में बीमा करवाया था और उसकी कार hire and reward purposes के लिए उपयोग की जा रही थी। जो कि बीमा पॉलिसी का उल्लंघन है। बीमा में hire and reward purposes कार का कोई भी उपयोग शामिल था। जवाबदावा मैं न्याय निर्णय “यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बनाम हरचन्द राय चन्दन लाल” में यह कहा गया है कि पॉलिसी की शर्तें दोनों पर समान रूप से लागू होती हैं। न्याय निर्णय “ओरिएण्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बनाम सोनी चेरियान (1999) 6 एस.सी.सी. 451” में यह कहा है कि इन्श्योरर और इन्श्योर्ड के बीच जो संविदा होती है। वह मात्र दोनों पक्ष के बीच होती है। शर्तों में जो विहित है उसके विपरीत कोई भी कार्य अवैध होता है। न्याय निर्णय “जनरल इन्श्योरेन्स सोसाइटी लिमिटेड बनाम चान्दुमल जैन एवं अन्य (1966) 3 एस.सी.आर. 500” जो एक संवैधानिक पीठ है उसमें यह कहा है कि इन्श्योरेन्स की संविदा को पढ़ते वक्त उसमें लिखित सारे बातों का ध्यान देना आवश्यक है। चूंकि कार hire and reward purposes उद्देश्य के लिए उपयोग की जा रही थी। अतः दिनांक 25.09.2017 को क्लेम खारिज कर दिया गया। विपक्षीगण ने की भी अपनी सेवाओं में कमी नहीं किया है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी संख्या 01 व 02 ने 13ग प्राइवेट कार पैकेज पॉलिसी की शर्तों के क्लेम फार्म के पॉलिसी सर्वे एण्ड लॉस एसेसमेन्ट रिपोर्ट ,इनवेस्टीगेशन रिपोर्ट, अमरजीत सिंह के बयान की छायाप्रति, शेषमणि सिंह के बयान की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।

विपक्षी संख्या 01 व 02 ने अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया है।

शेषमणि सिंह का शपथ पत्र, रविन्द्र कुमार वर्मा का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

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उभय पक्षों को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसका वाहन का बीमा दिनांक 29.06.2016 से दिनांक 28.06.2017 तक वैध व प्रभावी था। परिवादी द्वारा जो बीमा पॉलिसी प्रस्तुत की गयी है उसके अवलोकन से यह स्पष्ट है कि वाहन का बीमा 29.06.2016 से 28.06.2017 तक वैध था। विपक्षी संख्या 01 व 02 ने अपने जवाबदावा के पैरा 04 में यह कहा है कि दुर्घटना दिनांक 10.03.2017 को हुई थी और क्लेम दिनांक 18.03.2017 को प्रस्तुत किया गया था। इस प्रकार दुर्घटना के आठ दिन बाद दावा प्रस्तुत किया गया था। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “ओम प्रकाश बनाम जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी एवं अन्य IV(2017) सी.पी.जे. 10 एस.सी.” का अवलोकन करने तो इस न्याय निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि केवल क्लेम देरी से प्रस्तुत किए जाने के आधार पर क्लेम निरस्त नहीं किया जा सकता है। अतः इस न्याय निर्णय के आलोक में विपक्षी गण द्वारा कहा गया कथन गलत है। विपक्षी संख्या 01 व 02 के अनुसार सर्वेयर नियुक्त किया गया था, जिसने क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण किया और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और उसमें क्षति का मूल्य भी दिया है। विपक्षीगण ने अपने जवाबादावा में यह भी कहा है कि अमरजीत सिंह के बयान के अनुसार वाहन में कुल सात व्यक्ति बैठे थे। अमरजीत सिंह के बयान से यह परिलक्षित होता है कि वाहन का उपयोग कॉमर्शियल उद्देश्य के लिए किया जा रहा था। इस प्रकार याची ने बीमा के शर्तों का उल्लंघन किया है। विपक्षीगण ने अमरजीत सिंह के बयान की छायाप्रति को पत्रावली के साथ संलग्न किया है। अमरजीत सिंह का बयान कहाँ हुआ था और किसके समक्ष हुआ था इसके बारे में कोई भी विवरण इस पर नहीं है। अतः ऐसी स्थिति में अमरजीत सिंह का यह बयान पठनीय नहीं है। यद्यपि सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में क्षतिपूर्ति 1,92,481/- रुपये लिखाया है। विधि का यह सुस्थापित सिद्धान्त है कि सर्वेयर की रिपोर्ट एक विश्वसनीय साक्ष्य है। जबतक कि उसके विपरीत कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर दिया जाता है। चूंक याची ने वाहन निर्माण में जो खर्चा हुआ है उसकी धनराशि 2,67,992/- रुपये दिखलाया गया है और टोचन में चो खर्चा हुआ है वह 5,000/- रुपया है। इस प्रकार मुo 2,72,992/- रुपये वाहन पर कुल खर्चा हुआ है और इतनी ही धनराशि परिवादी प्राप्त

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करने के लिए अधिकृत है। उपरोक्त विवेचन से हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।

आदेश

परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह वाहन पर कुल खर्च मुo 2,72,992/-(दो लाख बहत्तर हजार नौ सौ बानवे रुपया) रुपया तथा परिवाद दाखिला की तिथि से उपरोक्त धनराशि पर 09% वार्षिक साधारण ब्याज की दर से तीस दिन के अन्दर परिवादी को अदा करें तथा शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु विपक्षीगण परिवादी को मुo 20,000/- (बीस हजार रुपये) रुपये भी अदा करें।

 

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                      (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

दिनांक 08.02.2019

यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                                       (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE KRISHNA KUMAR SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. RAM CHANDRA YADAV]
MEMBER

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