Rajasthan

Churu

21/2012

SMT VIMLA DEVI - Complainant(s)

Versus

ROYAL SUNDARAM ALLIANJ INS. CO. LTD. - Opp.Party(s)

Dhanna Ram saini

01 Sep 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 21/2012
 
1. SMT VIMLA DEVI
WARD NO 17 ROADWAYS BUS STAND KE PAS SARDARSHAR CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू

अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
 
परिवाद संख्या-  21/2012
श्रीमति विमला देवी पत्नी श्री पवन कुमार सहारण जाति राजपूत निवासी वार्ड नम्बर 17, रोड़वेज बस स्टेण्ड के पास सरदारशहर जिला चूरू (राजस्थान)
......प्रार्थीया
बनाम
 
1.    राॅयल सुंदरम एलाईज इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, सुन्दरम टावर्स 45 एण्ड 46 व्हाईटस् रोड़ चैन्नई जरिए प्रबन्धक निदेशक
2.    राॅयल सुंदरम एलाईज इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, मीणा के कुए के पास व एल.आई.सी. के पास सरदारशहर जरिये शाखा प्रतिनिधि मुकेश मीमाणी
                                                 ......अप्रार्थीगण
दिनांक-    03.03.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1.    श्री धन्नाराम सैनी एडवोकेट - प्रार्थीया की ओर से
2.    श्री धीरेन्द्र सिंह एडवोकेट   - अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से
3.    अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से - एक पक्षीय
 
 
1.    प्रार्थीया ने अपना परिवाद पेष कर बताया कि प्रार्थीनी ने महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाईनेन्स कम्पनी से फाईनेन्स करवाकर एक बोलेरो एम.डी.आई.-बी-52 खरीद की थी। जिसका पंजीयन परिवहन अधिकारी चूरू से करवाया था जिसके रजिस्ट्रेशन संख्या आर.जे. 10 यू.ए. 0361 है। उक्त वाहन का बीमा अप्रार्थी संख्या 2 के माध्यम से दिनांक 20.09.2008 को अप्रार्थी संख्या 1 से करवाया गया था। बीमित राशि 3,50,000 रूपये है तथा बीमा प्रीमियम 10838 रूपये है तथा बीमा अवधि 21.09.2008 से 20.09.2009 है। बीमित अवधि में किसी प्रकार की दुर्घटना हो जाने या वाहन चोरी हो जाने पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी उतरदायी है। प्रार्थीनी का ड्राईवर अपने पिता का चैकअप कराने हेतु अपेक्स अस्पताल जयपुर दिनांक 13.04.2009 को गया था। बोलेरो गाड़ी को अपेक्स अस्पताल गेट के बाहर लोक करके खड़ी की थी और उसके बाद प्रार्थीनी का ड्राईवर अपने पिता का चैकअप कराने अपेक्स अस्पताल के अन्दर चला गया। अस्पताल के आगे करीब 4.00 बजे गाड़ी खड़ी की थी और चैकअप कराने के पश्चात 5.00 बजे प्रार्थीनी का ड्राईवर वापस आया तो देखा की उक्त बोलेरो वहां पर नहीं मिली। इधर उधर तलाश की लेकिन नहीं मिली, कोई अज्ञात चोर बोलेरो को चुराकर ले गया। उक्त वाहन की पंजीकृत मालिक विमला देवी है। जिसकी सूचना थाने पर दिनांक 13.04.2009 को ही शाम को दे दी गई। उक्त गाड़ी में ही उक्त वाहन के कागजात थे। प्रार्थीनी के ड्राईवर ने थानाधिकारी मालवीय नगर जयपुर शहर (पूर्व) को प्राथमिकी दर्ज करने हेतु निवेदन किया तो उन्होंने कहा कि मालिक को लेकर आओ वरना मुकदमा दर्ज नहीं होगा। प्रार्थीनी के ड्राईवर ने निवेदन किया कि उक्त वाहन की मालिक विमला देवी है जो सरदारशहर में है, जो इस समय जयपुर नहीं पहुंच सकती है। जिस पर थानाधिकारी ने कहा कि अपने आप को मालिक बताकर दुसरी अर्जी लिखकर लाओ। जिस पर प्रार्थीनी के ड्राईवर ने थाने में दी गई अर्जी वापस ले ली तथा थानाधिकारी के कहे अनुसार दुसरी अर्जी देकर प्राथमिकी दर्ज करवा दी। उक्त वाहन की वास्तविक मालिक प्रार्थीनी ही है। उक्त वाहन का प्रार्थीनी ने सीताराम या अन्य किसी व्यक्ति को कभी विक्रय नहीं किया, न ही विक्रय के सम्बन्ध में किसी प्रकार के दस्तावेजात तहरीर एवं तकमील किये। उक्त वाहन की आर.सी. में आज भी प्रार्थीनी का नाम ही अंकित चला आ रहा है। क्लेम हेतु भी प्रार्थीनी ने आवेदन किया है तथा उक्त दुर्घटना की सूचना जिला परिवहन अधिकारी चूरू को भी  दी गई है तथा अप्रार्थीगण द्वारा चाहने पर शपथ पत्र भी प्रार्थीनी द्वारा ही बीमा कम्पनी को पेश किया गया है।

2.    आगे प्रार्थीया ने बताया कि मुकदमा दर्ज होने के पष्चात प्रार्थीनी द्वारा बोलेरो की तलाष की गई लेकिन उक्त बोलेरो नहीं मिली। पुलिस को बोलेरो के कागजात की प्रतियां प्रार्थीनी द्वारा उपलब्ध करवाई गई थी। पुलिस द्वारा उक्त बोलेरो चोरी होने की जांच की गई। पुलिस द्वारा भी जगह-जगह उक्त बोलेरो की चोरी के सम्बन्ध में सूचना दी गई तथा जगह-जगह तलाष की गई लेकिन उक्त बोलेरो का पता नही चला। अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा समस्त प्रकार की जांच कर ली गई है लेकिन आज तक प्रार्थीनी को उक्त बीमा क्लेम का भुगतान नही किया गया है और न ही गुणावगुण पर उक्त बीमा क्लेम का निस्तारण किया गया है। प्रार्थीनी द्वारा जब भी उक्त बीमा क्लेम के सम्बन्ध में पूछताछ की जाती है तो कहा जाता है कि जांच चल रही है। अब प्रार्थीनी को मौखिक कहा जा रहा है कि उक्त वाहन प्रार्थीनी द्वारा प्राथमिकी के मुताबिक सीताराम को विक्रय कर दिया था। इस कारण बीमा क्लेम का भुगतान नहीं किया जा सकता। अप्रार्थीगण द्वारा क्लेम के भुगतान से इन्कार करना अप्रार्थीगण का सेवादोष व अस्वच्छ व्यापारिक गतिविधि है। इसलिए प्रार्थीया ने अपने वाहन की कीम्मत 3,50,000 रूपये मय ब्याज, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की है।

3.    अप्रार्थी संख्या 1 ने प्रार्थीया के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश कर बताया कि प्ज पे ेनइउपजजमक जींज पदेजंदज बवउचसंपदज पे दवज उंपदजंपदंइसम इमवितम जीपे भ्वदश्इसम वितनउ ेपदबम जीपे भ्वदश्इसम थ्वतनउ संबो जमततपजवतपंस रनतपेकपबजपवद जव मदजमतजंपद जीपे उंजजमत ंे जीम बवउचसंपदंदज ींक जंामद ं उवजवत चवसपबल तिवउ जीम श्रंपचनत वििपबम व िजीम वचचवेपजम चंतजलए नितजीमत जीम अमीपबसम पद ुनमेजपवद ूंे ेजवसमद ंज श्रंपचनत ंदक जीम बवउचसंपदंदज उंकम ं बसंपउ ूपजी जीम ळनतहंवद वििपबम व िजीम वचचवेपजम चंतजलए जीमतमवितम जीपे बवउचसंपदज पे दवज उंपदजंपदंइसम ंे चमत जीम कपबजनउ ीमसक इल जीम भ्वदश्इसम ैनचतमउम ब्वनतज ींे ीमसक पद ैवदपब ैनतहपबंस टे छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्व सजक ; प्ट;2009द्ध ब्च्श्र 40 ;ैब्द्ध जींज जीम मगचतमेेपवद ष्इतंदबी वििपबमश् पद जीम ंउमदकमक ैमबजपवद 17;2द्ध ूवनसक उमंद जीम इतंदबी वििपबम ूीमतम जीम बंनेम व िंबजपवद ींे ंतपेमद जीमतमवितमए ेपदबम जीमतम पे दव बंनेम व िंबजपवद ंतवेम पद जीम कपेजतपबज व िब्ीनतन जीपे पदेजंदज बवउचसंपदज पे सपंइसम जव इम कपेउपेेमक ंे जीम ेंउम पे दवज उंपदजंपदंइसम वित ूंदज व िजमततपजवतपंस रनतपेकपबजपवदण् प्ज पे ेनइउपजजमक जींज जीपे बवउचसंपदज पे सपंइसम जव इम कपेउपेेमक वित ूंदज व िजमततपजवतपंस रनतपेकपबजपवद ंे चमत जीम कपबजनउ ीमसक इल जीम ंचमग बवनतज पद त्म ैवदपब ैनतहपबंस बंेमण् प्ज पे ेनइउपजजमक जींज जीम बवउचसंपदंदज पे दवज ं ष्बवदेनउमतष् ंे चमत जीम ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद ।बज ंे जीम बवउचसंपदंदज पे दवज जीम वूदमत व िजीम अमीपबसम पद ुनमेजपवद छवण्त्श्र10न्।0361 ंे जीम बवउचसंपदंदज ींक ेवसक जीम अमीपबसम जव वदम डतण्ैपजंतंउ ेपग उवदजीे चतपवत जव ंससमहमक जीमजि व िजीम अमीपबसमण् प्ज पे नितजीमत ेनइउपजजमक जींज जीम बवउचसंपदंदज ीपउेमस िहंअम पद ूतपजपदह जींज जीम ंसस जीम तपहीजे ंदक वइसपहंजपवद ूपजी तमेचमबज जव जीम अमीपबसम पद ुनमेजपवद ेींसस सपम ूपजी डतण्ैपजंतंउ वदसल पद ूीवेम बनेजवकल जीम अमीपबसम ूंे सवेजण् ज्ीमतमवितम जीपे पदेजंदज बसंपउ इल जीम बवउचसंपदंदज पे दवज उंपदजंपदंइसम ंदक जीम बवउचसंपदज पे सपंइसम जव इम कपेउपेेमकण् प्ज पे ेनइउपजजमक जींज जीम बवउचसंपदंदज ींे दव पदेनतंइसम पदजमतमेज पद जीम ेनइरमबज उंजजमत अमीपबसम छवण्त्श्र10न्।0361ए ंे जीम ेंउम ूंे ेवसक जव डतण्ैपजंतंउ चतपवत जव जीमजिण् थ्नतजीमत जीम ेंउम ींे इममद बवदपितउमक पद ूतपजपदह इल डतण्ैपजंतंउ ंे चमत जीम पदअमेजपहंजपवद कवदम इल जीम पदकमचमदकमदज पदअमेजपहंजवत ंदक जीम बवउचसंपदंदजए ूीमतमइल ींक जतंदेमिततमक ंसस तपहीजे ंदक वइसपहंजपवदे चमतजंपदपदह जव जीम अमीपबसमण् प्ज पे ेनइउपजजमक जींज जीम बवउचसंपदंदज ीमतमपद ींे दव पदेनतंइसम पदजमतमेज पद जीम अमीपबसम जीमतमवितम जीपे बवउचसंपदंदज कमेमतअमे जव इम कपेउपेेमकण् । बवचल व िजीम पदअमेजपहंजपवद तमचवतज व िप्त्क्। सपबमदेमक पदअमेजपहंजवत डतण्म्त्ण्ैनतंर डंप डममस ंदक ेजंजमउमदज हपअमद इल बवउचसंपदंदज वद ेमससपदह जीम अमीपबसम जव डतण्ैपजंतंउ इमवितम ेपग उवदजीे व िजीमजि पे उंतामक ंे म्गीपइपज.2ण् ॅपजीवनज चतमरनकपबम जव ंइवअम ेंपक ;ेनचतंद्ध पज पे ेनइउपजजमक जींज जीम बवउचसंपदंदज पदवितउमक ंइवनज जीम सवेे ंजिमत ं कमसंल व ि3 कंले जव जीम वचचवेपजम चंतजल ूीमद जीम चवसपबल जमतउे मगचतमेेसल ेजंजमे जींज दवजपबम व िसवेे वत कंउंहम ेींसस इम हपअमद जव जीम बवउचंदल पउउमकपंजमसल नचवद ींचचमदपदह व िंदल सवेेए ीवूमअमत पद जीपे पदेजंदज बंेम जीम बवउचसंपदंदज पदवितउमक ंइवनज जीम जीमजि व िजीम अमीपबसम वद 16ण्04ण्2009 वदसल जीमतमवितम ंजिमत ं कमसंल व ि3 कंले तिवउ जीम कंजम व िसवेे पण्मण् 13ण्04ण्2009ण् प्ज ेनइउपजजमक जींज जीम चवसपबल जमतउ ेजतपबजसल चतवअपकमे जींज ंसस सवेे वत कंउंहमे ेींसस इम पदजपउंजमक पउउमकपंजमसलण् प्ज पे ंसेव ेनइउपजजमक जींज जीम बवउचसंपदंदज इमसंजमकसल पदवितउमक ंइवनज जीम जीमजि व िजीम अमीपबसमण् ज्ीम तमसमअंदज जमतउे व िजीम चवसपबल पे तमचतवकनबमक इमसवू वित जीम ापदक तममितमदबम व िजीम भ्वदश्इसम थ्वनतउण् उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने की मांग की।

4.    अप्रार्थी संख्या 2 बावजूद तामिल इस मंच में उपस्थित नहीं होने पर दिनांक 03.05.2012 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लायी गयी।

5.    प्रार्थीया ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वंय के शपथ-पत्र के अतिरिक्त सीताराम का शपथ-पत्र, खण्डन शपथ-पत्र, आर.सी. डी.एल., बीमा कवरनोट, डी.टी.ओ. पत्र, एस.एच.ओ. पत्र, शपथ-पत्र, एफ.आई.आर. दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अप्रार्थीगण की ओर से विनय प्रकाश का शपथ-पत्र, बीमा पोलिसी, सर्वेयर की रिपोर्ट, बयान विमला देवी, सीताराम, मोटर क्लेम फार्म, पत्र दिनांक 29.03.2010 दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है।

6.    पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।

7.    प्रार्थीया अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थीया ने अपने वाहन बोलेरो संख्या आर.जे. 10 यू. ए. 0361 का बीमा अप्रार्थी संख्या 2 से करवाया था। प्रार्थीया अधिवक्ता ने तर्क दिया कि बीमित अवधि में ही प्रार्थीया का ड्राईवर अपने पिता का चैकअप करवाने हेतु अपेक्स अस्पताल जयपुर दिनांक 13.04.2009 को गया और अपेक्स हाॅस्पिटल के गेट के बाहर अपनी गाड़ी को लोक करके पिता को चैक करवाने हेतु अस्पताल के अन्दर चला गया करीब 1 घण्टे बाद जब उक्त ड्राईवर वापस आया तो गाड़ी नहीं मिली। प्रार्थीया के ड्राईवर ने काफी देर तक उक्त गाड़ी को ढुढ़ने का प्रयास किया गया। जब नहीं मिली तो उसके द्वारा दिनांक 13.04.2009 को ही पुलिस थाना मालवीय नगर जयपुर में वाहन के सम्बंध प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 193/2009 दर्ज करवायी। प्रार्थीया अधिवक्ता ने तर्क दिय कि चूंकि पुलिस थाना अधिकारी ने प्रार्थीया के ड्राईवर को अपने स्वंय की गाड़ी होने के कथन के साथ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने की सलाह दी जिस पर प्रार्थीया के ड्राईवर ने प्रथम सूचना रिपोर्ट में पुलिस अधिकारी की सलाह से अपने आप को प्रश्नगत गाड़ी का मालिक बताया जबकि वास्तव में प्रार्थीया ने प्रश्नगत गाड़ी कभी भी सीताराम को नहीं बेची। प्रार्थीया प्रश्नगत वाहन की पंजिकृत स्वामी है व बीमा भी प्रार्थीया के नाम से है। प्रार्थीया अधिवक्ता ने आगे तर्क दिया कि प्रार्थीया ने अपनी गाड़ी की चोरी होने की सूचना जिला परिवहन अधिकारी चूरू व अप्रार्थीगण को दी। परन्तु अप्रार्थीगण ने प्रार्थीया के क्लेम को गुणावगुण पर निस्तारण नहीं किया और ना ही प्रार्थीया को उसके वाहन के चोरी होने पर क्लेम दिया। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादोष है। उक्त आधारों पर प्रार्थीया अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया।

8.    अप्रार्थी संख्या 1 बीमा कम्पनी अधिवक्ता ने अपनी बहस में प्रार्थीया अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए प्रथम तर्क यह दिया कि प्रश्नगत पोलिसी जयपुर कार्यालय से क्रय की गयी थी और वाहन भी जयपुर में चोरी हुआ तथा क्लेम हेतु प्रार्थीया ने प्रार्थना-पत्र अप्रार्थी बीमा कम्पनी के गुड़गांव आॅफिस में दिया इसलिए परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। अप्रार्थी बीमा कम्पनी अधिवक्ता ने द्वितीय तर्क यह दिया कि प्रार्थीया ने प्रश्नगत वाहन चोरी की घटना से 6 माह पूर्व सीताराम को बेचान कर दिया था। इसलिए प्रश्नगत वाहन में प्रार्थीया का कोई बीमाहित नहीं रहा। अप्रार्थी अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि प्रार्थीया ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को वाहन के चोरी होने की सूचना घटना के 3 दिन बाद दी जबकि पोलिसी की शर्त के अनुसार चोरी होने की सूचना तुरन्त दी जानी आवश्यक है। प्रार्थीया ने जानबूझ कर पोलिसी की शर्त संख्या 1 का उल्लंघन किया है। उक्त आधारों पर अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।

9.    हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में प्रश्नगत वाहन संख्या आर.जे. 10 यू. ए. 0361 अप्रार्थीगण से बीमित होना व बीमित अवधि में ही दिनांक 13.04.2009 को जयपुर के मालवीय नगर थाने क्षैत्र से चोरी होना, जिस पर पुलिस थाना मालवीय नगर में प्रथम सूचना रिपोर्ट 193/2009 दर्ज होना, अप्रार्थीगण द्वारा दिनांक 29.03.2010 के पत्र द्वारा प्रार्थीया के प्रश्नगत वाहन का क्लेम खारिज करना स्वीकृत तथ्य है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में प्रथम तर्क यह दिया कि यह परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है क्योंकि प्रश्नगत वाहन का बीमा जयपुर आॅफिस से करवाया गया था। चोरी भी जयपुर में हुई इसलिए यह परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। प्रार्थीया अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि प्रश्गत वाहन का बीमा कवर नोट अप्रार्थी संख्या 2 के द्वारा जारी किया गया था। अप्रार्थी संख्या 2 का कार्यालय सरदारशहर में है। प्रार्थीया ने प्रीमियम भी अप्रार्थी संख्या 2 के शाखा प्रतिनिधि मुकेश मीमाणी को सौंपा था जो इस मंच के क्षैत्राधिकार में निवास करता है। हम प्रार्थीया अधिवक्ता के उक्त तर्कों से सहमत है क्योंकि प्रार्थीया सरदारशहर की निवासी है और अप्रार्थी बीमा कम्पनी का आॅफिस सरदारशहर में स्थित होते हुए भी प्रार्थीया द्वारा जयपुर से बीमा करवाना किसी भी रूप से तर्क संगत नहीं कहा जा सकता। प्रार्थीया द्वारा अपने वाहन का बीमा सरदारशहर से ही करवाया गया था। परन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी के द्वारा बीमा कवरनोट में जारी आॅफिस का नाम नहीं है ना ही अप्रार्थी बीमा कम्पनी के काउन्टर हस्ताक्षर करने वाले ने अपने हस्ताक्षर के साथ स्थान अंकित किया। व्यवहार में भी यह सम्भव नहीं है कि कोई भी व्यक्ति अपने निवास स्थान में बीमा की सुविधा उपलब्ध होते हुए भी 300 किलोमीटर दूर जाकर किसी आॅफिस से बीमा करवायेगा। अप्रार्थीगण ने अपने जवाब में यह कथन नहीं किया कि उसका सरदारशहर में कोई आॅफिस नहीं है व मुकेश मीमाणी उसके यहां एजेन्ट के रूप में कार्य नहीं करता। इसके अतिरिक्त अप्रार्थी संख्या 2 के विरूद्ध एक पक्षीय होने से प्रार्थीया की साक्ष्य व अभिवचन अप्रार्थी संख्या 2 के विरूद्ध अखण्डनीय रही है। इसलिए अप्रार्थी बीमा कम्पनी अधिवक्ता का यह तर्क मान्य नहीं है कि परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत न्यायिक दृष्टान्त सोनिक सर्जिकल बनाम नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि. (4) 2009 सी.पी.जे. पेज 40 सुप्रीम कोर्ट के तथ्य वर्तमान प्रकरण के तथ्यों से भिन्न होने के कारण अप्रार्थीगण कोई लाभ प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।

10. अप्रार्थी बीमा कम्पनी अधिवक्ता ने अपनी बहस में द्वितीय तर्क यह दिया कि प्रार्थीया का प्रश्नगत वाहन में कोई बीमाहित नहीं है क्योंकि प्रार्थीया ने प्रश्नगत वाहन को चोरी होने से करीब 6 माह पूर्व किसी सीताराम को विक्रय कर दिया था और वाहन सीताराम के कब्जे से ही चोरी हुआ है। अपनी बहस के समर्थन में अप्रार्थी अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान सर्वेयर द्वारा लिये गये बयानों की ओर ध्यान दिलाया। जिनका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। सर्वेयर के समक्ष प्रार्थीया ने जो बयान दिये उनमें यह तथ्य आया है कि ‘‘गाड़ी करीब 6 माह पूर्व सीताराम को बेच दी थी लेकिन पेमेन्ट नहीं आया और फायनेन्स बाकी था इसलिए मैंने गाड़ी का पाॅवर आॅफ अटर्नी नहीं दिया।‘‘ इसी प्रकार सीताराम ने अपने बयानों में अंकित है कि ‘‘बोलेरो को मैंने श्रीमति विमला देवी से करीबन 6 माह पूर्व खरीदी थी लेकिन पेमेन्ट नहीं दे सका और गाड़ी फायनेन्स पर थी इसलिए मुझे पाॅवर आॅफ अटर्नी नहीं दी। गाड़ी अभी भी विमला देवी के नाम पर है। ‘‘ बहस के दौरान अप्रार्थी बीमा कम्पनी अधिवक्ता ने प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 193 दिनांक 13.04.2009 की ओर ध्यान दिलाया। उक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट में जो कि सीताराम के द्वारा पुलिस थाना मालविय नगर जयपुर में लिखवाई गयी है। उक्त रिपोर्ट में सीताराम ने यह अंकित करवाया है कि गाड़ी श्रीमति विमला देवी पत्नि श्री पवन कुमार सहारण मेरे गांव के पास सरदारशहर की है, के नाम से थी जो 6 माह पहले खरीदी थी जो मैंने अभी तक मेरे नाम नहीं करवायी। अप्रार्थी अधिवक्ता ने उपरोक्त दस्तावेज के आधार पर तर्क दिया कि वास्तव में प्रश्नगत वाहन प्रार्थीया ने सीताराम को बेचान कर दिया था इसलिए प्रार्थीया का प्रश्नगत वाहन में कोई बीमाहित शेष नहीं रहा उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया। अपनी बहस के दौरान अप्रार्थी बीमा कम्पनी अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान त्पअपेपवद च्मजपजपवद दव 1227ध्2012 क्ींतउअममत टै छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्जकण् क्मबपेपवद क्ंजम 01.11.2012 की ओर दिलाया जिसका सम्मानपूर्वक अवलोकन किया उक्त न्यायिक दृष्टान्त में पेटीशनर धर्मवीर ने प्रश्नगत कार दिलप्रित सिंह को बेचान कर दी थी इसलिए राज्य आयोग के निर्णय के बहाल रखते हुए पेटीशनर की रिवीजन चोरी हुई कार में बीमा हित नही होने के आधार पर खारिज कर दी।

11. प्रार्थीया अधिवक्ता ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के उक्त तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि वास्तव में प्रार्थीया ने प्रश्नगत वाहन कभी भी सीताराम को बेचान नहीं किया। यदि बेचान किया होता तो बेचान के सम्बंध में अवश्य वाहन अन्तरण के सम्बंध में दस्तावेज निस्पादित किये जाते परन्तु ऐसा कोई दस्तावेज अप्रार्थीगण के द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया। इससे यह साबित है कि प्रश्नगत वाहन प्रार्थीया ने कभी भी सीताराम को बेचान नहीं किया। प्रार्थीया अधिवक्ता के उक्त तर्क विश्वसनीय है क्योंकि अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थीया का प्रश्नगत वाहन में केाई बीमाहित नहीं होने का जो आधार लिया है वह प्रार्थीया व सीताराम के बयानों का लिया है। परन्तु उक्त बयान कब और किस के द्वारा लिये गये ऐसा कोई अंकन बयानों में नहीं है। विधि अनुसार अप्रार्थी बीमा कम्पनी के किसी भी सर्वेयर को बयान लेने की कोई अधिकारीता नहीं है। यदि सर्वेयर के समक्ष दिये गये बयानों का विश्वास करें तो उक्त सम्बंध में सर्वेयर द्वारा प्रश्नगत वाहन के अन्तरण के सम्बंध में कोई भी दस्तावेज प्रार्थीया व सीताराम से प्राप्त नहीं किया जिससे यह साबित हो कि प्रश्नगत वाहन प्रार्थीया द्वारा सीताराम को बेचान कर दिया गया हो फिर स्वंय प्रार्थीया व सीताराम ने प्रश्नगत वाहन के सम्बंध में कोई भी राशि/प्रतिफल प्राप्त होना अंकित नहीं किया और जंहा प्रतिफल नहीं हो वहां विक्रय नहीं माना जा सकता। हमने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर इंजिनियर सूरजमल मील की रिपोर्ट का अवलोकन किया। सर्वेयर ने अपनी रिपेार्ट में क्रम संख्या 17 में अपने राय में यह स्पष्ट मत अंकित किया है कि चेारी की घटना सत्य है। इसलिए क्लेम अपरूवल के सम्बंध में विचार किया जावे। अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा लिये गये बयान इस आधार पर भी विश्वसनीय प्रतीत नहीं होते क्योंकि प्रार्थीया व स्वंय सीताराम ने इस मंच के समक्ष अपने-अपने शपथ-पत्र प्रस्तुत कर इस तथ्य को बताया है कि प्रश्नगत वाहन का बेचान उनके द्वारा नहीं किया गया। अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा अपने जवाब व तर्कों के सम्बंध में ऐसा कोई दस्तावेज व साक्ष्य पेश नहीं की गयी हो जिससे यह साबित हो कि वास्तव में प्रार्थीया ने प्रश्नगत वाहन का बेचान कर दिया था और प्रार्थीया का वर्तमान में कोई बीमाहित शेष नहीं रहा। यह स्वीकृत तथ्य है कि चोरी की घटना के समय प्रश्नगत वाहन प्रार्थीया के नाम से था व बीमा भी प्रार्थीया के नाम से था, क्लेम हेतु आवेदन भी प्रार्थीया द्वारा किया गया। जिससे स्पष्ट है कि प्रश्नगत वाहन में प्रार्थीया का बीमाहित है। ऐसा ही मत माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने अपने नवीनतम (4) 2014 सी.पी.जे. पेज 275 एन.सी. एम. गोपाल बनाम नेशनल इ0 क0 लि0 में धारा 50 मोटर व्हीकल एक्ट 1988 का हवाला देते हुए यह मत दिया कि यदि दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन व बीमा जिसके नाम से है उसका ऐसे वाहन में बीमाहित होता है जबतक कि प्रश्नगत वाहन के अन्तरण के सम्बंध में कोई दस्तावेज न हो। प्रार्थीया अधिवक्ता ने बहस के दौरान इस मंच का ध्यान 2007 सी.पी.जे. 2 पेज 1 एन.सी., 2007 सी.पी.जे. 1 पेज 150 पी.बी., 2007 सी.पी.जे. 2 पेज 334 पी.बी., 2007 सी.पी.जे. 1 पेज 349 पी.बी., 2000 सी.पी.जे. 1 पेज 1 एस.सी. की ओर दिलाया जिसका सम्मान पूर्वक अवलोकन किया गया। 2007 सी.पी.जे. 2 पेज 1 एन.सी. कोमल टेक्सटाईल एण्ड प्रीटिंग इन्डस्ट्रीज बनाम नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि. में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने पैरा संख्या 9 में यह निर्धारित किया कि केवल कब्जा लेने से स्वामित्व प्राप्त होना नहीं माना जा सकता। प्रार्थीया अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत अन्य न्यायिक दृष्टान्तों का भी सम्मान पूर्वक अवलोकन किया जिनमें माननीय राज्य आयोग पंजाब ने यह अभिनिर्धारित किया कि वाहन के अन्तरण के सम्बंध में कोई दस्तावेज नहीं है तो यह नहीं माना जा सकता कि वाहन का अन्तरण कर दिया गया है। वर्तमान प्रकरण में उपरोक्त न्यायिक दृष्टान्त के तथ्य पूर्णत चस्पा होते है क्योंकि वर्तमान प्रकरण में अप्रार्थीगण के द्वारा ऐसा कोई दस्तावेज या साक्ष्य पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं किया जिससे यह साबित हो कि प्रार्थीया ने प्रश्नगत वाहन का ट्रांसफर सीताराम को कर दिया हो इसलिए प्रार्थीया का प्रश्नगत वाहन में बीमाहित शेष न हो।

12. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपनी बहस में यह भी तर्क दिया कि प्रार्थीया ने प्रश्नगत वाहन के चोरी होने की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को 3 दिन के बाद दी है। जो कि पोलिसी की शर्त संख्या 1 का उल्लंघन है। प्रार्थीया अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि प्रार्थीया के ड्राईवर ने प्रथम सूचना रिपेार्ट दिनांक 13.04.2009 को दर्ज करवा दी थी व उसी समय अप्रार्थी बीमा कम्पनी को चोरी होने की घटना की सूचना दे दी थी। हम प्रार्थीया अधिवक्ता के उक्त तर्कों से सहमत है क्येांकि स्वंय अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने अपनी सर्वेयर रिपोर्ट के क्रम संख्या 13 में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि प्रार्थीया के द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाने और अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां क्लेम के सम्बंध में कोई देरी नहीं की गयी। अप्रार्थी बीमा कम्पनी के स्वंय के सर्वेयर रिपोर्ट के दस्तावेज के परीपेक्ष में अप्रार्थी बीमा कम्पनी का यह तर्क मानने योग्य नहीं है कि प्रार्थीया ने चोरी होने की घटना की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी केा देने में देरी की हो। प्रार्थीया अधिवक्ता द्वारा दिये गये तर्क व अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों से स्पष्ट है कि प्रार्थीया का वाहन बोलेरो संख्या आर.जे. 10 यू. ए. 0361 दिनांक 13.04.2009 को चोरी हो गया था जो काफी तलाश करने पर भी नहीं मिला। अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा उक्त वाहन बीमित होते हुए भी प्रार्थीया के क्लेम को अस्वीकार करना मंच की राय में स्पष्ट रूप से सेवादोष है। इसलिए प्रार्थीया का परिवाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।

             अतः प्रार्थीया का परिवाद अप्रार्थी संख्या 1 के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाकर उसे इस मंच द्वारा निम्न अनुतोष दिया जा रहा है।
(क.) अप्रार्थी बीमा कम्पनी को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थीया को बोलेरो संख्या आर.जे. 10 यू.ए. 0361 की आई. डी. वी. किम्मत 3,37,000 रूपये अदा करेगा।
(ख.) अप्रार्थी बीमा कम्पनी को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थीया को उपरेाक्त राशि पर माननीय राष्ट्रीय आयोग के निर्णय 2011 एन0सी0जे0 524 (एनसी) मैसर्स मूमल गैस एजेन्सी बनाम ओरियन्टल इन्शोरेन्स कम्पनी की रोशनी में घटना की दिनांक 13.04.2009 से तीन माह बाद से अर्थात दिनांक 12.07.2009 से ताअदायगी तक 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्याज अदा करेगा तथा परिवाद व्यय के रूप में 5,000 रूपये भी प्रार्थीया को अदा करेगा।
             प्रार्थीया राशि प्राप्त करते समय अपने वाहन बोलेरो का रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्र अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सौंपेगी व बोण्ड भी निष्पादित करेगी कि यदि उसका वाहन बोलेरो मिल जाता है तो उसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सुपुर्द करेगी। अप्रार्थी संख्या 2 की हद तक परिवाद अस्वीकार कर खारिज किया जाता है।
               अप्रार्थी संख्या 1 को आदेष दिया जाता है कि वह उक्त आदेष की पालना आदेष कि दिनांक से 2 माह के अन्दर-अन्दर करेंगा।
 
 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
  सदस्य                 सदस्या                     अध्यक्ष                         
    निर्णय आज दिनांक  03.03.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
    
 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
     सदस्य                सदस्या                     अध्यक्ष     

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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