Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/1001

Ram Bahadur Katiyar - Complainant(s)

Versus

Roshan Freight Carrier - Opp.Party(s)

Arun Tandan

21 Apr 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/1001
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Ram Bahadur Katiyar
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Roshan Freight Carrier
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
  Mr. Mohd. Rais Siddaqui PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-1001/2006

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, फर्रूखाबाद, द्वारा परिवाद संख्‍या- 403/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01-04-2006 के विरूद्ध)        

राम बहादुर कटियार पुत्र श्री सुखवारी लाल कटियार, निवासी- नेकपुर कलां, पोस्‍ट- फतेहगढ़, जिला- फर्रूखाबाद।             ..अपीलार्थी/परिवादी              

  बनाम

1-रोशन फ्रेट कोरियर, 20/10, जमुना किनारा, आगरा, द्वारा मैनेजर।

2-रोशन फ्रेट कोरियर, गुरूसदन, 26/78, ईसाजी, स्‍ट्रीट मुम्‍बई मुख्‍य कार्यालय द्वारा  मुख्‍य प्रबन्‍धक, पिन कोड नं0- 400003

3- फर्रूखाबाद- आगरा ट्रांसपोर्ट कम्‍पनी, स्थित लाल सराय, फर्रूखाबाद, द्वारा प्रबन्‍धक।                          ..प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-

1-माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2-माननीय श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री अरूण टण्‍डन, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित  : कोई नहीं।

दिनांक- 10-07-2015

माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य, द्वारा उदघोषित

निर्णय

     अपीलकर्ता ने यह अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम, फर्रूखाबाद, द्वारा परिवाद संख्‍या- 403/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01-04-2006 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है, जिसके द्वारा परिवादी का परिवाद खारिज किया गया है।  

     संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से है कि परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण को निर्देशित करने कि वे दिमानों सिल्‍क  मिल, मुम्‍बई से बिल नम्‍बर-66 से 76 तथा 78 से 90 द्वारा खरीदे गये माल (कपड़ा) कीमत लगभग 2,58,922-00 रूपये विपक्षी सं0-2 द्वारा कन्‍साइनमेंट नम्‍बर ए-606175 से 606184 एवं 606186 से 606199 तक विपक्षी सं0-1 के माध्‍यम से आगरा भेजे गये माल को डिलेवरी मंच द्वारा निर्धारित समय के अन्‍दर मूल रूप  में सही हालत में करें, अन्‍यथा 2,58,922-00 रूपये बुकिंग

(2)

दिनांक से अदायगी की दिनांक तक 24 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित भुगतान कराने, मानसिक कष्‍ट, आवागमन, भागदौड़ में हुए कष्‍ट, आर्थिक व्‍यय एवं व्‍यवसायिक क्षति के रूप में 1,50,000-00 रूपये दिलाये जाने एवं परिवाद व्‍यय के रूप में 3,000-00 रूपये दिलाये जाने हेतु संस्थित किया गया है।

     जिला उपभोक्‍ता फोरम के समक्ष विपक्षी सं0-1 व 2 द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत करते हुए कहा गया है कि परिवाद कानूनी रूप से पोषणीय नहीं है, परिवादी विपक्षी सं0-1 व 2 का उपभोक्‍ता नहीं है। परिवादी ने विपक्षी के यहॉ कोई माल बुक नहीं कराया। माननीय मंच को प्रस्‍तुत परिवाद को श्रवण करने का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है। दि मानो सिल्‍क मिल ने विपक्षी सं0-2 के यहॉ माल सेल्‍फ के नाम से बुक कराया था और माल विपक्षी सं0-2 के द्वारा अपनी ब्रान्‍च आगरा भेज दिया गया। दि मानो सिल्‍क मिल ने अपने पत्र दिनांक 09-04-1999 द्वारा विपक्षी सं0-1 को सूचित किया कि उनके पास से माल की जी0आर0 नं0 606/75 से 606199 और एस0आर0 नं0 606483 से 455 खो गई है तथा इसकी बावत वे बाण्‍ड भरकर भेज रहे हैं। यह माल बाबूलाल बागड़ी को देना तथा इसकी जवाबदेही हमारी है। परिवादी ने कोई नोटिस विपक्षी को नहीं दिया। परिवादी विपक्षी का उपभोक्‍ता नहीं है और विपक्षी ने सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवाद असत्‍य कथन पर आधारित है और सही तथ्‍यों को छिपाकर प्रस्‍तुत किया गया है। विपक्षी सं0-1 व 2 को अनावश्‍यक रूप से पक्षकार बनाया गया है। परिवाद सव्‍यय निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     विपक्षी सं0-3 द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत करते हुए यह अभिकथित किया गया है कि विपक्षीसं0-3 के ट्रांसपोर्ट में फर्रूखाबाद आगरा के मध्‍य सामान लाने व ले जाने का कार्य होता है। दावा वादी पक्षकारों के कुसंयोजन

(3)

 से दूषित है, उपरोक्‍त दावा में मुझ विपक्षी सं0-3 को गलत तथ्‍य दर्शाकर पक्षकार बनाया गया है। दावा वादी की माल कन्‍साइनमेंट नोट के मुताबिक माल मुम्‍बई से आगरा के लिये बुक किया गया था। माननीय न्‍यायालय को उक्‍त वाद श्रवण व निस्‍तारण करने का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है। दावा वादी ने माल कन्‍साइनमेंट नोट संख्‍या-606175 से  606184 तक एवं 606186 से 606199 तक मुझ विपक्षी सं0-3 के माल सराय स्थित कार्यालय आकर इस आशय से दी थी कि आपकी आगरा ब्रांच है। मैनें बम्‍बई से आगरा तक के लिये माल बुक कराया था। आप मेरी उपरोक्‍त कन्‍साइनमेंट नोट अपने आगरा कार्यालय भेजकर विपक्षी सं0-1 के ट्रांसपोर्ट से यह पता लगवा दें कि क्‍या मेरा माल आ गया है, यदि आ गया होगा तो मैं आगरा जाकर विपक्षी सं0-1 से माल डिलेवरी कराकर फर्रूखाबाद लाने के लिए आपके कार्यालय में बुक कराऊंगा। विपक्षी सं0-3 को अनावश्‍यक पक्षकार बनाया गया है।

     अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अरूण टण्‍डन उपस्थित है। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की बहस सुनी गई। पत्रावली एवं अपील के आधार का अवलोकन किया गया।

     जिला उपभोक्‍ता फोरम ने अपने निर्णय में यह कहा है कि परिवादी की ही साक्ष्‍य से यह साबित नहीं होता है कि उसने विपक्षीगण को वाहक अधिनियम कैरियर एक्‍ट की धारा-10 के अर्न्‍तगत माल के परिदान के सम्‍बन्‍ध में अभिकथित नोटिस भेजा। चूंकि वाहक अधिनियम के अर्न्‍तगत परिवाद प्रस्‍तुत करने से पूर्व नोटिस भेजना अनिवार्य है। अत: परिवादी द्वारा नोटिस न भेजने के कारण परिवाद इसी आधार पर खारिज किये जाने योग्‍य है।

 

(4)

     मौजूदा केस में अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कहा गया कि नोटिस के अभाव में जिला उपभोक्‍ता फोरम के द्वारा परिवाद खारिज किया गया है, जबकि पृष्‍ठ सं0-26,27 पर नोटिस की प्रति दाखिल की गई है, जो पत्रावली में शामिल है। यह भी कहा गया है कि उक्‍त नोटिस को विपक्षीगण को डाक के द्वारा भेजा गया, जैसा कि कागज सं0-30,31 से स्‍पष्‍ट है, जो रसीदों की फोटो कापी है और इस सम्‍बन्‍ध में कहा गया है कि इस प्रकार से जो परिवादी का परिवाद नोटिस न भेजने के अभाव में खारिज किया गया है, वह उचित नहीं है और यह भी कहा गया है कि कंज्‍यूमर प्रोटेक्‍शन एक्‍ट में नोटिस भेजना जरूरी नहीं था और यदि विवाद उपभोक्‍ता फोरम में चल रहा है तो उससे पूर्व नोटिस भेजने की आवश्‍यकता नहीं थी। इस सम्‍बन्‍ध में प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। इस सम्‍बन्‍ध में अपील के आधार का भी अवलोकन किया गया।  

     केस के तथ्‍यों परिस्थितियों को देखते हुए हम यह पाते है कि इस केस को गुणदोष के आधार पर पुन: सुनवाई हेतु रिमाण्‍ड किया जाना उचित प्रतीत होता है। अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

     अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम, फर्रूखाबाद, द्वारा परिवाद संख्‍या- 403/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01-04-2006 को निरस्‍त करते हुए उक्‍त केस को रिमाण्‍ड किया जाता है और जिला उपभोक्‍ता फोरम, फर्रूखाबाद को निर्देशित किया जाता है कि उक्‍त प्रकरण में उभय पक्ष को पुन: साक्ष्‍य/सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए केस का निस्‍तारण गुणदोष के आधार पर यथाशीघ्र करना सुनिश्चित करें।

     उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वयं वहन करें।

 

 

 

 (राम चरन चौधरी)                      ( राज कमल गुप्‍ता )

  पीठासीन सदस्‍य                            सदस्‍य

आर.सी. वर्मा, आशु.

कोर्ट नं0-5

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[ Mr. Mohd. Rais Siddaqui]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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