/जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर छ.ग./
प्रकरण क्रमांक :- CC/230/2014
प्रस्तुति दिनांक :- 13/11/2014
अभिषेक वर्मा पिता स्व. श्री एच के वर्मा
उम्र 37 वर्ष निवासी प्लान नंबर 185
राज किशोर नगर बिलासपुर छ.ग. ..........आवेदक/परिवादी
(विरूद्ध)
1. रोशन जयसवाल पिता श्री सरदार जयसवाल,
संचालक- फैंड कंप्यूटर बी डी ए चौक
राज किशोर नगर बिलासपुर छ.ग.
पिन कोड 495006
2. सैमसंग सर्विस सेंटर, द्वारा ब्रांच हेड,
बशीर अहमद काम्प्लेक्स लिंक रोड
बिलासपुर छ.ग. 495001
वर्तमान पता लैंड मार्क काम्प्लेक्स
सूर्या होटल के पीछे पुराना बस स्टैण्ड के पास
कर्बला रोड बिलासपुर छ.ग. 495001
3. सैमसंग इंडिया इलेक्ट्रॉनिक प्राइवेट लिमिटेड (हेड ऑफिस),
द्वारा ब्रांच हेड, 2,3,4,तल,
टावर सी विपुल टेक स्क्वयेर, गोल्फ कोर्स रोड गुडगॉव,
गुडगॉव सेक्टर 43, गुडगॉव 122002 ............अनावेदकगण/विरोधी पक्षकारगण
///आदेश///
(आज दिनांक 06.04.2015 को पारित)
1 . आवेदक अभिषेक वर्मा ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदकगण से त्रुटियुक्त मोबाईल के बदले नई मोबाईल अथ्ावा उसकी कीमत क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक दिनांक 10.02.2014 को अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा निर्मित सैमसंग गैलेक्सी मोबाईल अनावेदक क्रमांक 1 के पास से 5,100/-रू. में क्रय किया, जिस पर उसे कंपनी द्वारा एक वर्ष की वारंटी प्रदान की गई थी । यह कहा गया है कि उक्त मोबाईल क्रय करने के पश्चात से ही हैंग होने लगा, जिसकी शिकायत आवेदक द्वारा अनावेदक क्रमांक 1 से की गई, जहॉं उसे कंपनी के सर्विस सेंटर अनावेदक क्रमांक 2 के पास जाने को कहा गया, तब आवेदक दिनांक 21.08.2014 को मोबाईल अनावेदक क्रमांक 2 को दिखाया जिसने लगभग एक माह बाद दिनांक 26.11.2014 को मोबाईल वापस किया और बताया कि उसका मदर बोर्ड खराब हो गया था । उसके 4 दिन पश्चात मोबाईल में फिर यांत्रिक खराबी आ गई और उसका स्क्रीन खराब हो गया । आवेदक पुन: दिनांक 01.10.2014 को अनावेदक क्रमांक 2 के पास जाकर मोबाईल दिखाया जहॉं मोबाईल के स्क्रीन को खराब हो जाना बताया गया। आवेदक मोबाईल के बार-बार बिगडने के कारण उसे बदलकर दूसरा मोबाईल दिए जाने का निवेदन किया, किंतु अनावेदकगण द्वारा इंकार कर दिया गया, तब आवेदक उन्हें अधिवक्ता के जरिए सूचना पत्र भेजा, किंतु अनावेदकगण द्वारा न तो कोई जवाब दिया गया और न ही मोबाईल बदलकर दिया गया । अत: उसने यह परिवाद प्रश करना बताया है और अनावेदकगण से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
3. अनावेदक क्रमांक 1 मामले में एकपक्षीय रहा । उसके द्वारा कोई जवाबदावा दाखिल नहीं किया गया है ।
4. अनावेदक क्रमांक 2 व 3 द्वारा संयुक्त जवाब पेश कर यह तो स्वीकार किया गया कि आवेदक की मोबाईल में प्रथम बार शिकायत आने पर उसका मदर बोर्ड बदला गया था, किंतु कहा गया है कि दूसरी बार उसके मोबाईल में टच स्क्रीन की शिकायत आने पर वे आवेदक को उसी मॉडल का दूसरा सेट अथवा मोबाईल के क्रय मूल्य को वापस करने का प्रस्ताव रखे तब आवेदक उनसे अनुचित रूप से 10,000/-रू. क्षतिपूर्ति की मांग किया और उनके द्वारा नहीं देने पर झूठा आरोप लगाते हुए यह परिवाद पेश कर दिया गया है, जबकि उनके द्वारा किसी प्रकार की कोई सेवा में नहीं की गई है । उक्त आधार पर उन्होंने आवेदक का परिवाद निरस्त किए जानेका निवेदन किया ।
5. उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया।
6. देखना यह है कि क्या आवेदक, अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है \
सकारण निष्कर्ष
7. आवेदक द्वारा एक वर्ष की गारंटी के अधीन अनावेदक क्रमांक 1 की पास से अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा निर्मित सैमसंग गैलेक्सी मोबाईल दिनांक 10.02.2014 को दिनांक 5,100/-रू. में क्रय किए जाने का तथ्य मामले में विवादित नहीं है । यह भी विवादित नहीं है कि वारंटी अवधि में उक्त मोबाईल का पहले मदर बोर्ड खराब हुआ और बाद में उसका स्क्रीन खराब हो गया ।
8. आवेदक के अनुसार मोबाईल के बार-बार बिगडने पर उसने अनावेदकगण से नई मोबाईल बदलकर दिए जाने का निवेदन किया, किंतु अनावेदकगण द्वारा उसे स्पष्ट मना कर दिया गया, फलस्वरूप उसने अपने अधिवक्ता जरिए विधिक नोटिस भेजा, जिसका भी अनावेदकगण द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया और न ही मोबाईल बदलकर दिया गया, फलस्वरूप अनावेदकगण के इस सेवा में कमी के लिए उसने यह परिवाद पेश करना बताया है ।
9. इसके विपरीत अनावेदक क्रमांक 2 व 3 की ओर से आवेदक के कथन का विरोध करते हुए यह कहा गया है कि वारंटी अवधि में जब आवेदक का मोबाईल दोबारा खराब हुआ और उसका स्क्रीन काम करना बंद कर दिया तब उन्होंने आवेदक से नये सेट बदलने अथवा उसका क्रय मूल्य वापस करने का प्रस्ताव रखा था, किंतु आवेदक उनसे अनुचित रूप से 10,000/-रू. क्षतिपूर्ति मांग किया, जो उनके द्वारा मना करने पर झूठे आधार पर यह परिवाद पेश कर दिया गया है, जबकि उनके द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई ।
10. आवेदक अपने पक्ष कथन के समर्थन में अनावेदकगण को भेजे गए विधिक नोटिस की कॉपी संलग्न किया है, जिसका कोई विरोध अनावेदकगण की ओर से नहीं किया गया है और न ही उनका ऐसा कथन है कि उनके द्वारा आवेदक को उसके नोटिस का जवाब भेजा गया था । यह समझ से परे है कि जब अनावेदकगण स्वयं होकर आवेदक को मोबाईल को बदलने अथवा उसका क्रय मूल्य वापस करने को तैयार थे, तब उनके द्वारा क्योंकर भेजे गए विधिक नोटिस का जवाब नहीं दिया गया, जो मामले में इस बात को जाहिर करता है कि वास्तव में अनावेदकगण द्वारा पूर्व में ऐसा कोई प्रस्ताव आवेदक के समक्ष नहीं रखा गया था अन्यथा कोई कारण नहीं था कि आवेदक को अनावेदकगण के विरूद्ध यह परिवाद पेश करने का अवसर आता ।
11. उपरोक्त कारणों से हम इस निष्कर्ष पर पहुचते हैं कि वास्तव में मामला सेवा में कमी का है, जिसके कारण आवेदक को अनावेदकगण के विरूद्ध यह परिवाद प्रस्तुत करने का अवसर आया । अत: हम आवेदक के पक्ष में अनावेदकगण के विरूद्ध निम्न आदेश पारित करते है:-
अ. अनावेदकगण, आवेदक को आदेश दिनांक के एक माह के भीतर त्रुटियुक्त मोबाईल के स्थान पर उसी मॉडल का नया मोबाईल प्रदान करेंगे और यदि ऐसा संभव न हो तो उसे मोबाईल की कीमत 5,100/रू. (पॉच हजार एक सौ रूपये) अदा करेंगे ।
ब. अनावेदकगण, आवेदक को क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/-रू. (पाच हजार रूपये) की राशि भी अदा करेंगे ।
स. अनावेदकगण, आवेदक को वादव्यय के रूप में 1,000/-रू. (एक हजार रूपये) की राशि अदा करेंगे ।
आदेश पारित
(अशोक कुमार पाठक) ( प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य