जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री भारत भूषण बंसल, निवासी- गली नं.3, न्यू कायस्थ काॅलोनी, लोहागल रोड़, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. रूप वाच एण्ड मोबाईल्स जरिए प्रोपराईटर, मोईनिया इस्लामिया स्कूल के सामने, स्टेषन रोड, अजमेर ।
2. प्रबन्धक, स्पाईस सर्विस सेन्टर, बजाज टेलीकाॅम, 181/23, आर्यसमाज रोड़, केसरगंज, अजमेर ।
3. प्रबन्धक, सिमट्रोनिक्स सेमीकण्डक्टर्स लिमिटेड, सी-41, ओखला फेज-1, नई दिल्ली-1100201
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 82/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री विकास सांखला, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री अनिल तोलानी, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1
3.श्री ओम नारायण पालड़िया, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.2
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-30.01.2017
1. संक्षिप्त तथ्यानुसार प्रार्थी द्वारा परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित अनुसार एक टैबलेट अप्रार्थी संख्या 1 से दिनंाक 16.4.2013 को क्रए किए जाने के बाद दिनंाक 26.6.2013 को उसके टच स्क्रीन में आए क्रेक की दुरूस्ती के लिए अप्रार्थी संख्या 1 की सलाहनुसार अप्रार्थी संख्या 2 को दिए जाने के उपरान्त अप्रार्थी संख्या 2 ने दुरूस्ती हेतु रू. 1200/- का खर्चा बताया । प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी संख्या 2 से प्रष्नगत टैबलेट को दुरूस्त कर वापस लौटाए जाने हेतु बार बार सम्पर्क किया गया । किन्तु अप्रार्थी संख्या 2 ने उक्त टैबलेट दुरूस्त कर नहीं लौटाया । अन्ततः टैबलेट लौटाने से साफ इन्कार कर दिए जाने पर उसने दिनंाक 27.1.2014 को अधिवक्ता के जरिए नोटिस भी दिया । बावजूद नोटिस प्राप्ति के अप्रार्थीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई । प्रार्थी ने इसे अप्रार्थीगण की सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 ने जवाब प्रस्तुत कर प्रार्थी को नया पेटी पैक मोबाईल परफेक्ट कंडीषन में विक्रय किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे कथन किया है कि प्रार्थी द्वारा दिए गए नोटिस दिनंाक 27.1.2014 को दिनांक 7.2.2014 को उनके अधिवक्ता द्वारा प्रतिउत्तर दिया गया था । प्रार्थी ने बिल पर अंकित टम्र्स एण्ड कंडीषन पर हस्ताक्षर कर प्रष्नगत उत्पाद क्रय किया था । प्रष्नगत उत्पाद की एक वर्ष की वारण्टी उत्तरदाता द्वारा नहीं दी जाकर कम्पनी द्वारा दी जाती है । उत्पाद में खराबी आने पर कम्पनी के अधिकृत सर्विस सेन्टर जो बने हुए है, में दिखाया जाना होता है। इसी क्रम में प्रार्थी को कम्पनी के अधिकृत सर्विस पर प्रष्नगत टैबलेट दिखाए जाने की सलाह दी गई थी । प्रार्थी ने उत्तरदाता को मात्र क्षेत्राधिकार निर्मित करने के लिए पक्षकार बनाया गया है । प्रार्थी ने परिवाद के साथ किसी विषेषज्ञ की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है । उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में श्री हरीष भगवानी का षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. अप्रार्थी संख्या 2 ने जवाब पेष करते हुए विधिक आपत्तियों में दर्षाया है कि प्रार्थी ने मंच के समक्ष झूठा व मनगढन्त परिवाद पेष करने के अतिरिक्त समान तथ्यों पर एक इस्तगामासा प्रष्नगत टैबलेट की कीमत/अनुतोष प्राप्त करने के लिए मूुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अजमेर के समक्ष प्रस्तुत कर रखा है और प्रार्थी ने इस तथ्य को छिपाते हुए यह परिवाद पेष किया है । प्रार्थी की लापरवाही और असावधानी के कारण टैबलेट की टच स्क्रीन में क्रेक आए थे जो निर्माता कम्पनी के द्वारा निर्धारित वारण्टी की ष्षर्तो से बाहर है जिसका उल्लेख प्रार्थी को दिए गए जाॅब ष्षीट के वारण्टी स्टेट्स के काॅलम में किया गया है । टच स्क्रीन में आए क्रेक की दुरूस्ती हेतु प्रार्थी ने दिनंाक 26.6.2013 को अप्रार्थी संख्या 2 को दिया था और उत्तरदाता द्वारा जांच करने पर रू. 1200/- का खर्चा आना बताया था । प्रार्थी को यह भी बताया गया था कि टैबलेट की गहन जांच करने के बाद आई खराबी की दुरूस्त के लिए अप्रार्थी संख्या 3 के पास भेजा जावेगा । इस पर प्रार्थी ने उक्त उत्पाद को अप्रार्थी संख्या 3 के पास भेजने की बात कहते हुए जाॅबषीट लेकर चला गया । इसके बाद प्रार्थी ने कभी भी सम्पर्क नहीं किया । प्रार्थी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(1)(डी) के अन्तर्गत उत्तरदाता का उपभोक्ता नहीं है । उत्तरदाता को कार्य केवल निषुल्क सेवा करने के कारण भी प्रार्थी उनका उपभोक्ता नहीं है । आगे मदवार जवाब में इन्हीं तथ्यों को दोहराते हुए परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में श्री हर्ष कुमार जैन, प्रोपराईटर का षपथपत्र पेष किया है ।
4. अप्रार्थी संख्या 3 बावजूद नोटिस तामील न तो मंच में उपस्थित हुआ और ना ही परिवाद का कोई जवाब ही पेष किया । अतः अप्रार्थी संख्या 3 के विरूद्व दिनांक 16.10.2014 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई ।
5. पक्षकारों ने अपने अपने पक्षकथन में उन्हीं तथ्यों को तर्क के रूप में दोहराया है जिनका उन्होने अपने अपने अभिवचनों में उल्लेख किया है । प्रार्थी पक्ष ने लिखित बहस भी पेष की है ।
6. प्रार्थी का प्रमुख तर्क रहा है कि उसके द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 से क्रय किए गए टेबलेट पर कम्पनी ने एक वर्ष की वारण्टी दी थी तथा दिनंाक
26.6.2013 को इसकी टच स्क्रीन में क्रेक होने पर उसने अप्रार्थी संख्या 1 को रिपेयर हेतु दिखाया था तथा उसे अप्रार्थी संख्या 3 का अधिकृत सर्विस सेन्टर बताते हुए, जाने का निर्देष देने पर वह अप्रार्थी संख्या 2 के पास गया था । अप्रार्थी संख्या 2 ने दिनांक 26.6.2013 को जाॅबकार्ड देकर उक्त टेबलेट रिपेयर हेतु अपने पास रख लिया था तथा रू. 1200/- रिपेयर हेतु एस्टीमेट बताया था । तर्क प्रस्तुत किया कि उसने अप्रार्थी संख्या 2 को बार बार उक्त टेबलेट रिपेयर कर लौटाए जाने के बावजूद दिनंाक 26.8.13 व 26.10.2013 को ई-मेल द्वारा भी निवेदन किया था । किन्तु मात्र आष्वासन दिया व बाद में स्पष्ट रूप से इन्कार करते हुए अभद्र व्यवहार भी किया गया । उसने अपने वकील के जरिए नोटिस भी दिया किन्तु न तो टेबलेट लौटाया गया न ही क्षतिपूर्ति अदा की गई है । इस प्रकार अप्रार्थी का यह कृत्य सेवा में कमी है । परिवाद स्वीकार की जानी चाहिए ।
7. अप्रार्थी संख्या 1 व 2 की ओर से उपरोक्त तर्को का खण्डन करते हुए तर्क प्रस्तुत किया गया है कि प्रार्थी ने झूठा परिवाद पेष किया है । उसने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में भी उक्त टैबलेट की कीमत/अनुतोष प्राप्त करने के लिए धोखाधड़ी से संबंधित एक इस्तगासा पेष किया है और पुलिस में दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट में पुलिस ने संबंधित न्यायालय में एफआर भी पेष कर दी है इस तथ्य को प्रार्थी ने छिपाया है । स्वयं प्रार्थी की असावधानी व लापरवाही से टेबलेट की टच स्क्रीन में क्रेक आए थे, जो निर्माता कम्पनी द्वारा निर्धारित वारण्टी की ष्षर्तो से बाहर है । इसका उल्लेख भी जाॅबषीट में अवष्य रूप से कर दिया गया था तथा इस तथ्य को भी प्रार्थी ने अपने परिवाद में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है । वास्तव में प्रार्थी रिपेयरष्षुल्क देना नहीं चाहता था इसी कारण उसने यह झूठा परिवाद पेष किया है । टैबलेट में कोई निर्माणीय दोष नहीं है । प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 2 को उपभोक्ता भी नहीं है । स्वयं प्रार्थी द्वारा उक्त टैबलेट को अप्रार्थी संख्या 3 को भेजने का आग्रह किया था तथा जाबषीट लेकर जाने के बाद उसने कभी भी टैबलेट वापस लेने के लिए सम्पर्क नहीं किया ।
8. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हंै तथा रिकार्ड के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत टैबलेट अप्रार्थी संख्या 1 संस्थान से दिनंाक 16.4.2013 को क्रय किया गया था जैसा कि खरीद के बिल से स्पष्ट है । प्रार्थी ने उक्त टेबलेट के टच स्कीन में क्रेक आने पर रिपेयर हेतु अप्रार्थी संख्या 1 से सम्पर्क किया तथा उसके कहने पर उसने इसे अप्रार्थी संख्या 2 को दिया है तथा तत्समय पक्षकारों से इस बात पर सहमति बनी कि उक्त टेबलेट की टच स्क्रीन में क्रेक आने पर इसका एस्टीमेटेड खर्चा रू. 1200/- बताया गया है तथा प्रार्थी ने उक्त टेबलेट अप्रार्थी संख्या 2 के यहां जाॅबषीट प्राप्त करते हुए रिपेयर हेतु छोड़ा है । टैबलेट की खरीद बिल दिनंाक 16.4.2013 से स्पष्ट है कि उक्त प्रष्नगत उत्पाद 6 माह की वारण्टी अवधि से परिपूर्ण था तथा वारण्टी कम्पनी की तरफ से देय होगी व डिस्प्ले(स्क्रीन) का टूटना वारण्टी में नहीं आता है, जैसा कि बिल की षर्त संख्या 7 में स्पष्ट है । कहां जा सकता है कि उक्त प्रष्नगत टेबलेट वारण्टी अवधि के अन्तर्गत वारण्टी में कवर्ड नहीं था तथा ऐसी किसी खराबी के लिए वह स्वयं उत्तरदायी था । इसके आलवा दी गई जाॅबषीट से भी स्पष्ट है कि उक्त टच स्क्रीन में आई खराबी के लिए रफ एस्टीमेट रू. 1200/- बताया गया था तथा प्रार्थी ने प्रष्नगत टेबलेट अप्रार्थी संख्या 2 के पास अपनी स्वीकृति सहित छोड़ दिया था ।
9. प्रार्थी का कथन है कि वह उक्त टेबलेट लेने के 7 माह में कई बार अप्रार्थी संख्या 2 के पास गया किन्तु उसे रिपेयर कर नहीं लौटाया गया अपितु दुव्र्यवहार किया गया । जबकि अप्रार्थी का कथन है कि प्रार्थी आया ही नहीं । यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रार्थी उक्त टैबलेट को लेने के लिए वापस अप्रार्थी संख्या 2 के पास कब गया? इसका उसने कोई खुलासा नहीं किया है । यहां तक कि उसका इस बिन्दु पर भी कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि वह उक्त रू. 1200/- देने को तैयार रहा था । ऐसा प्रतीत होता है कि प्रार्थी उक्त रिपेयर के पेटे रू. 1200/- देने को तैयार हीं नहीं था, जैसा कि अप्रार्थी संख्या 2 का तर्क कथन है । यदि वह तैयार होता तो वह अप्रार्थी संख्या 2 से तुरन्त सम्पर्क करता । इस बाबत् वह स्थिति स्पष्ट कर कह भी सकता था कि उसने अमुक तिथि को अप्रार्थी से सम्पर्क किया तथा रू. 1200/- का भुगतान करने के लिए तैयार है । यहां तक कि उसने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 27.1.2014 को यानि की लगभग 7 माह बाद नोटिस दिया है । हम प्रार्थी के इन तर्को से सहमत है कि वह अपने अधिकारों के लिए संबंधित फौजदारी न्यायालय में चाराजोही करने के लिए स्वतन्त्र है । किन्तु उसके लिए कम से कम यह अपेक्षित था कि वह इन तथ्यों का अपने परिवाद में खुलासा करता जो कि उसने नहीं किया है । चूंकि उसने कीमत अदा कर टैबलेट प्राप्त किया है , अतः इसमें आई खराबी के लिए यदि वह विक्रेता के साथ साथ सर्विस सेन्टर पर सम्पर्क करता तो ऐसी स्थिति में यह नहीं माना जा सकता कि प्रार्थी, अप्रार्थी संख्या 2 का उपभोक्ता ही नहीं है । हम इस बाबत् अप्रार्थी संख्या 2 की आपत्ति पर कोई दम नहीं पाते है ।
10. कुल मिलाकर सार यह है कि प्रष्नगत टेबलेट जो वारण्टी की परिधि से बाहर था, के रिपेयर हेतु दिए जाने के बाद प्रार्थी ने अप्रार्थीगण से कोई सम्पर्क किया हो अथवा उनके द्वारा कोई दुव्र्यवहार किया गया हो, यह न तो सिद्व हो पाया है और ना ही ऐसी स्थिति सिद्व रूप से प्रकट हुई है । मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद अस्वीकार किया जाकर खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
11. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 30.1.2017 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष