Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/285/2018

AVINASH CHNADRA KHARE - Complainant(s)

Versus

ROHTAJ PROJECT - Opp.Party(s)

24 Mar 2021

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/285/2018
( Date of Filing : 25 Jul 2018 )
 
1. AVINASH CHNADRA KHARE
.
...........Complainant(s)
Versus
1. ROHTAJ PROJECT
.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  ARVIND KUMAR PRESIDENT
  Ashok Kumar Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 24 Mar 2021
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या-285/2018      

   उपस्थित:-श्री अरविन्‍द कुमार, अध्‍यक्ष।   

          श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्‍य।                                          

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-25.07.2018

   परिवाद के निर्णय की तारीख:-24.03.2021

Avinash Chandra Khare, aged about 62 years, son of Triloki Nath Khare, resident of 737 A Phase XI Sector-65 S.A.S. Nagar Mohali (P.B.) Pin-160062.

                                                                                   ............Complainant.

                                                 Versus

 

Director, Rohtas Project Limited, 27/18, Raja Rammohan Rai Marg, Lucknow-226001.                                                   ...............Opp. Party.     

                                                                                  

      आदेश द्वारा- श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्‍य।

                           निर्णय                                          

    परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद मार्च 2016 से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ 12,48,000.00 रूपये वापस करने, मानसिक उत्‍पीड़न एवं कष्‍ट के संदर्भ में क्षतिपूर्ति के रूप में 40,000.00 रूपये एवं वाद व्‍यय हेतु 35,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

    संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा एक प्‍लाट नम्‍बर-38,   240 स्‍क्‍वायर गज सेक्‍टर-1 क्रीसेन्‍ट फार्म सुल्‍तानपुर रोड लखनऊ जो रोहताज प्रोजेक्‍ट के अन्‍तर्गत था माह दिसम्‍बर 2015 में अपने रहने के उद्देश्‍य से लिया जिसके लिये प्रारम्भिक भुगतान 12,48,000.00 रूपये किया गया। प्‍लाट का कुल मूल्‍य 35,66,000.00 रूपये था। परिवादी द्वारा दिनॉंक 09.12.2015 को 1,00,000.00 रूपये नेफ्ट के माध्‍यम से दिनॉंक 06.12.2015 को 10,00,000.00 रूपये चेक के माध्‍यम से तथा दिनॉंक 21.12.2015 को 1,48,000.00 रूपये पुन: नेफ्ट के माध्‍यम से विपक्षी को भुगतान किया जो दिनॉंक 22.12.2015 को उसकी पुष्टि की गयी। परन्‍तु आवंटन के विषय में कोई स्‍पष्‍ट आश्‍वासन नहीं दिया गया। उक्‍त प्रारम्‍भिक भुगतान के समय आश्‍वासन दिया गया था कि मार्च 16 तक प्‍लाट को विपक्षी को हस्‍तांतरित कर दिया जायेगा परन्‍तु अभी तक कोई समझौता नहीं किया गया है और न ही प्‍लाट की बुकिंग की कोई पुष्टि की गयी। कई बार दूरभाष पर तथा ई-मेल के माध्‍यम से विपक्षी को अवगत कराया गया और अनुरोध किया गया परन्‍तु कोई अनुकूल प्रतिक्रिया विपक्षी द्वारा नहीं दी गयी। पुन: दिनॉंक 11.05.2017 को परिवादी द्वारा बुकिंग भुगतान को वापस करने हेतु एक पत्र लिखा गया क्‍योंकि अब वह उक्‍त प्‍लाट लेने का इच्‍छुक नहीं रह गया था और अवशेष धनराशि का भुगतान भी नहीं करना चाहता है।  पुन: दिनॉंक 24.10.2017 को परिवादी द्वारा एक अनुस्‍मारक पत्र भेजकर बुकिंग भुगतान वापस पाने हेतु अनुरोध किया गया,  परन्‍तु विपक्षी द्वारा कोई अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं दी गयी और न ही कोई कार्यवाही की गयी जिससे परिवादी को मानसिक उत्‍पीड़न झेलना पड़ा है।

    परिवादी द्वारा अपने कथन एवं साक्ष्‍य में शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है।

    विपक्षी के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय चल रही है।

    पत्रावली के अवलोकन से प्रतीत होता है कि परिवादी द्वारा एक प्‍लाट की बुकिंग करायी गयी थी जिसके लिये मॉंगी गयी प्रारम्भिक किस्‍त का विभिन्‍न तिथियों में भुगतान किया गया था। परन्‍तु विपक्षी द्वारा न तो भुगतान की पुष्टि की गयी न ही कोई समझौता पत्र जारी किया गया और विभिन्‍न पत्र एवं अनुस्‍मारक पत्र भेजने पर भी कोई अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं दी गयी न ही कोई कार्यवाही की गयी। उपरोक्‍त से ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षी एक भूमि का विकासक बिल्‍डर कम्‍पनी है जो उपभोक्‍तओं से प्‍लाट बुकिंग के आधार पर अत्‍यधिक धनराशि प्राप्‍त कर न तो उसके संबंध में कोई कार्यवाही करता है और न उपभोक्‍ता को प्‍लाट उपलब्‍ध कराता है। विपक्षी विकासक एवं बिल्‍डर रोहताश कम्‍पनी उपरोक्‍त आचरण से एक डिफाल्‍टर कम्‍पनी प्रतीत होती है जो उपभोक्‍ता से भारी मात्रा में धनराशि प्राप्‍त कर उसे डायवर्ट किया जाता है तथा अन्‍य व्‍यापार में लगाकर उससे मुनाफा कमाया जाता है। माननीय उच्‍च न्‍यायालय तथा उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा भी विभिन्‍न मामलो में इस आशय की टिप्‍पणी की गयी है कि विकासक एवं बिल्‍डर द्वारा बिना भूमि अर्जित किये ही उपभोक्‍ता को लुभावने आश्‍वासन देकर उनका पैसा ऐंठ लेते हैं तथा उन पैसों को अन्‍य व्‍यापार में लगाकर उससे लाभ अर्जित करते हैं। परन्‍तु प्‍लाट आवंटन के लिये इच्‍छुक उपभोक्‍ता को न तो कोई राहत देते हैं और न ही उन्‍हें प्‍लाट उपलब्‍ध कराते हैं। रोहताश कम्‍पनी के उक्‍त आचरण से उपभोक्‍ता को नुकसान होना स्‍वाभाविक है तथा उनकी गाढ़ी कमाई को कम्‍पनी की फर्जी आवंटन के माध्‍यम से खो देना पड़ता है। विपक्षी का उपरोक्‍त कृत्‍य धोखा-धड़ी एवं उपभोक्‍ताओं का शोषण कर लाभ कमाने की श्रेणी में आता है जिससे उपभोक्‍ताओं को मानसिक, शारीरिक तथा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है जो विपक्षी के स्‍तर पर एक आपराधिक कृत्‍य है। ऐसी परिस्थिति में परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य प्रतीत होता है।

                          आदेश

    परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी के भुगतान किये गये मुबलिग 12,48,000.00 (बारह लाख अड़तालिस हजार रूपया मात्र) की धनराशि भुगतान किये जाने की तिथि से एवं भुगतान करने की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ अदा करना सुनिश्चित करें तथा उपरोक्‍त धनराशि के साथ परिवादी को हुए मानसिक कष्‍ट एवं पीड़ा के संबंध में क्षतिपूर्ति के रूप में मुबलिग 30,000.00 (तीस हजार रूपया मात्र) तथा वाद व्‍यय के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) वाद के निर्णय के 45 दिन के अन्‍दर अदा किया जाना सुनिश्चित करें। यदि आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भुगतेय होगा। विपक्षी द्वारा की गयी धोखाधड़ी,  शोषण एवं मानसिक उत्‍पीड़न जैसे आपराधिक कृत्‍य के संबंध में परिवादी को यह विकल्‍प दिया जाता है कि वह उक्‍त आपराधिक कृत्‍य के संबंध में विपक्षी के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराते हुए विधिक कार्यवाही कर सकते हैं।

    

   (अशोक कुमार सिंह)                                             (अरविन्‍द कुमार)      

                   सदस्‍य                                                                अध्‍यक्ष              

                                                             जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                                                                           लखनऊ।

 

 
 
[ ARVIND KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[ Ashok Kumar Singh]
MEMBER
 

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