(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-135/2022
(जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्या-84/2019 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 11.08.2021 के विरूद्ध)
चोलामण्डलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, 2nd फ्लोर, डार हाउस, 2 एनएससी बोस रोड, चेन्नई।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2
बनाम
1. श्रीमती हसीन अख्तर पत्नी स्व0 मोहम्मद एजाज, निवासिनी ग्राम तातरपुर, पोस्ट गौरीकरन, जिला कानपुर देहात, वर्तमान पता ग्राम सराय, पोस्ट सराय, पुलिस थाना मूसा नगर, तहसील भोगनीपुर, जिला कानपुर देहात।
2. मैसर्स इंडसइंड बैंक लिमिटेड, यूएलके राजरतन काम्प्लेक्स, मोतीझील शिवाजी गेट के सामने, कानपुर देहात।
प्रत्यर्थीगण/परिवादिनी/विपक्षी सं0-1
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री महेन्द्र कुमार मिश्रा, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री ओसामा अहमद अब्बासी, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 13.12.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-84/2019, श्रीमती हसीन अख्तर बनाम इंडसइंड बैंक तथा एक अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर देहात द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 11.08.2021 के विरूद्ध यह अपील विपक्षी संख्या-2, बीमा कंपनी द्वारा प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमा कंपनी को निर्देशित किया है कि परिवादिनी के पति मोहम्मद एजाज की मृत्यु पर कुल बीमित धनराशि एवं स्वास्थ्य सुरक्षा बीमा की धनराशि मय 06 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करें तथा क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 05 हजार रूपये भी अदा करें।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार मोहम्मद एजाज ने ट्रक संख्या-यू.पी. 93 ए.टी. 1087 पर अंकन 9,992/- रूपये प्रीमियम जमा कर वार्षिक हेल्थ सुरक्षा पालिसी तथा ऋण की सुरक्षा के लिए ऋण सुरक्षा बीमा पालिसी प्राप्त की थी, जिसकी समयावधि दिनांक 07.02.2018 से 06.02.2022 तक वैध थी। मोहम्मद एजाज के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस था। पालिसी प्राप्त करते समय वह पूर्णत: स्वस्थ था। ऋण की अदायगी समय से की गई। दिनांक 11.05.2019 की सुबह 3-4 बजे घर में बनी पक्की सीढियों से नीचे उतरते समय अचानक पैर फिसल जाने से गिर गए, जिसके कारण मुँह एवं नाक से अत्यधिक रक्त स्राव होने लगा, उन्हें रामा हॉस्पिटल कानपुर में भर्ती कराया गया, जहां उन्हें आईसीयू में रखा गया और इलाज के दौरान दिनांक 12.05.2019 को रात्रि 6:45 बजे उनकी मृत्यु हो गई। परिवादिनी मृतक की पत्नी/नामिनी है, उनके द्वारा बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, जो निरस्त कर दिया गया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षी संख्या-1, बैंक का कथन है कि मृतक द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर अंकन 11 लाख रूपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई तथा हेल्थ पालिसी एवं जीपीए पालिसी विपक्षी विपक्षी संख्या-2 के माध्यम से ली गई। जून 2019 के उपरांत ऋण की किस्त जमा नहीं की गई।
4. विपक्षी संख्या-2, बीमा कंपनी का कथन है कि हॉस्पिटल में चोटों से संबंधित कोई इलाज नहीं हुआ, इसलिए दुर्घटना के कारण मृत्यु की कहानी संदिग्ध है। सही तथ्य प्रस्तुत नहीं किए गए और फर्जी दस्तावेज तैयार कर बीमा क्लेम प्राप्त करने का प्रयास किया गया। हेल्थ सुरक्षा पालिसी दिनांक 07.02.2018 से 06.02.2019 तक वैध थी। परिवादिनी के पति की मृत्यु दिनांक 12.05.2019 को हुई है। परिवादिनी के पति की मृत्यु कैन्सर रोग के कारण हुई है, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है।
5. सभी पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उपरोक्त वर्णित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया।
6. इस निर्णय एवं आदेश को बीमा कंपनी द्वारा इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत निर्णय एवं आदेश पारित किया है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने इस बिन्दु पर कोई विचार नहीं किया। बीमा कंपनी के स्तर से किसी भी प्रकार की सेवा में कमी के बिन्दु पर कोई निष्कर्ष दिए बिना आदेश पारित किया है, जो अपास्त होने योग्य है।
7. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री महेन्द्र कुमार मिश्रा तथा प्रत्यर्थी संख्या-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री ओसामा अहमद अब्बासी उपस्थित आए तथा रामा हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर की ओर से श्री मनोज कुमार उपस्थित आए। प्रत्यर्थी संख्या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी संख्या-1 के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
8. प्रस्तुत अपील के निस्तारण के लिए एक विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या परिवादिनी के पति की मृत्यु घर की सीढियों से गिरने के कारण दुर्घटनावश हुई है ?
9. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि यथार्थ में बीमाधारक को जिस प्रकार की चोटें आना बताई गई हैं, उस प्रकृति की चोटों का इलाज किसी अस्पताल में नहीं हुआ, इसलिए घर की सीढियों से गिरकर चोट लगने और उसके बाद मृत्यु होने की कहानी फर्जी एवं बनावटी है। बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार केवल दुर्घटना के कारण बीमा देय है। हॉस्पिटल द्वारा प्रदत्त मृत्यु प्रमाण पत्र के अवलोकन से जाहिर होता है कि मृतक का पोस्ट मार्टम नहीं किया गया तथा मुँह के कैन्सर के कारण मृत्यु कारित हुई है। मृत्यु प्रमाण पत्र में निम्न रूप से वास्तविक बीमारी का उल्लेख किया गया है :-
Buccal Mucosa
10. इस दस्तावेज के अवलोकन से जाहिर होता है कि मृतक की मृत्यु चोट लगने के कारण नहीं हुई है, अपितु कैन्सर के कारण मृत्यु कारित हुई है, इसलिए यह दस्तावेज सीढियों से गिरने के आधार पर चोटें कारित होने और तदनुसार मृत्यु कारित होने की कहानी को असत्य साबित करता है।
11. इन्वेस्टिगेटर द्वारा बीमाधारक के घर पर जाकर जांच की गई एवं पड़ोसियों से पूछताछ की गई। इस जांच से भी यह जाहिर होता है कि मृतक कैन्सर नामक बीमारी से पीडित था और उसके साथ घर के अंदर सीढियों से गिरने जैसी कोई घ्ाटना घटित नहीं हुई है।
12. दिनांक 11.05.2019 को जब बीमाधारक का इलाज प्रारम्भ किया गया तब बीमारी का नाम स्पष्ट रूप से Buccal Mucosa लिखा गया न कि गिरने के कारण दुघटना में आई चोट। दस्तावेज संख्या-33, 34 एवं 35 से इस तथ्य की पुष्टि होती है। मृत्यु का कारण दस्तावेज संख्या-37 पर मौजूद रिपोर्ट से स्पष्ट किया गया है। अत: बीमा कंपनी का यह तर्क साक्ष्य से साबित है कि बीमाधारक की मृत्यु का कारण सीढियों से गिरकर आई चोट नहीं, अपितु मुँह का कैन्सर है। अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा दिया गया निर्णय एवं आदेश साक्ष्य पर आधारित नहीं है, जो अपास्त होने और अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
13. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 11.08.2021 अपास्त किया जाता है।
पक्षकार अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करेंगे।
अपीलार्थी द्वारा अपील प्रस्तुत करते समय अपील में जमा धनाशि मय अर्जित ब्याज सहित विधि अनुसार एक माह में अपीलार्थी को वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-1
(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-107/2021
(जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्या-88/2019 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04.01.2021 के विरूद्ध)
एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, 3rd व 4th फ्लोर, लोटस आई टी पार्क, रोड नं0-16, प्लाट नं0-बी-18, 19, वगल इंडस्ट्रियल इस्टेट, थाने (डब्ल्यू) हेड एक्सीडेंटल एण्ड क्लेम्स हेड।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2
बनाम
1. रियाज अहमद पुत्र स्व0 निसार अहमद खान, निवासी ग्राम तातरपुर, पोस्ट गौरीकरन, तहसील भोगनीपुर, जिला कानपुर देहात।
2. ब्रांच मैनेजर, स्टेट बैंक आफ इंडिया, ब्रांच आफिस पखराया, जिला कानपुर देहात।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-1
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री महेन्द्र कुमार मिश्रा, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री ओसामा अहमद अब्बासी, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 13.12.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-88/2019, रियाज अहमद बनाम शाखा प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक तथा एक अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर देहात द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04.01.2021 के विरूद्ध यह अपील विपक्षी संख्या-2, बीमा कंपनी द्वारा प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया है कि परिवादी के पुत्र मोहम्मद एजाज की मृत्यु पर कुल बीमित धनराशि मय 07 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करें।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार मोहम्मद एजाज ने अंकन 20 लाख रूपये का बीमा कराया था, जिसकी समयावधि दिनांक 28.01.2019 से 27.01.2020 तक वैध है, जिसका प्रीमियम अंकन 1,000/- रूपये विपक्षी संख्या-2 बीमा कंपनी में जमा किया गया। परिवादी का पुत्र घर में बनी सीढियों से नीचे उतरते समय अचानक पैर फिसल जाने से गिर गया, जिसके कारण मुँह एवं नाक से अत्यधिक रक्त स्राव होने लगा, उसे रामा हॉस्पिटल कानपुर में भर्ती कराया गया, जहां उसे आईसीयू में रखा गया और इलाज के दौरान दिनांक 12.05.2019 को रात्रि 6:45 बजे उसकी मृत्यु हो गई। परिवादी मृतक का पिता/नामिनी है, उनके द्वारा बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, जो निरस्त कर दिया गया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षी संख्या-1, बैंक का कथन है कि मृतक द्वारा विपक्षी संख्या-2 से अपना दुर्घटना बीमा कराया गया था।
4. विपक्षी संख्या-2, बीमा कंपनी का कथन है कि हॉस्पिटल में चोटों से संबंधित कोई इलाज नहीं हुआ, इसलिए दुर्घटना के कारण मृत्यु की कहानी संदिग्ध है। सही तथ्य प्रस्तुत नहीं किए गए और फर्जी दस्तावेज तैयार कर बीमा क्लेम प्राप्त करने का प्रयास किया गया। परिवादी के पुत्र की मृत्यु दिनांक 12.05.2019 को कैन्सर रोग के कारण हुई है, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है।
5. सभी पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उपरोक्त वर्णित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया।
6. इस निर्णय एवं आदेश को बीमा कंपनी द्वारा इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत निर्णय एवं आदेश पारित किया है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने इस बिन्दु पर कोई विचार नहीं किया। बीमा कंपनी के स्तर से किसी भी प्रकार की सेवा में कमी के बिन्दु पर कोई निष्कर्ष दिए बिना आदेश पारित किया है, जो अपास्त होने योग्य है।
7. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री महेन्द्र कुमार मिश्रा तथा प्रत्यर्थी संख्या-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री ओसामा अहमद अब्बासी उपस्थित आए तथा रामा हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर की ओर से श्री मनोज कुमार उपस्थित आए। प्रत्यर्थी संख्या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी संख्या-1 के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
8. प्रस्तुत अपील के निस्तारण के लिए एक विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या परिवादी के पुत्र मृत्यु घर की सीढियों से गिरने के कारण दुर्घटनावश हुई है ?
9. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि यथार्थ में बीमाधारक को जिस प्रकार की चोटें आना बताई गई हैं, उस प्रकृति की चोटों का इलाज किसी अस्पताल में नहीं हुआ, इसलिए घर की सीढियों से गिरकर चोट लगने और उसके बाद मृत्यु होने की कहानी फर्जी एवं बनावटी है। बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार केवल दुर्घटना के कारण बीमा देय है। हॉस्पिटल द्वारा प्रदत्त मृत्यु प्रमाण पत्र के अवलोकन से जाहिर होता है कि मृतक का पोस्ट मार्टम नहीं किया गया तथा मुँह के कैन्सर के कारण मृत्यु कारित हुई है। मृत्यु प्रमाण पत्र में निम्न रूप से वास्तविक बीमारी का उल्लेख किया गया है :-
Buccal Mucosa
10. इस दस्तावेज के अवलोकन से जाहिर होता है कि मृतक की मृत्यु चोट लगने के कारण नहीं हुई है, अपितु कैन्सर के कारण मृत्यु कारित हुई है, इसलिए यह दस्तावेज सीढियों से गिरने के आधार पर चोटें कारित होने और तदनुसार मृत्यु कारित होने की कहानी को असत्य साबित करता है।
11. इन्वेस्टिगेटर द्वारा बीमाधारक के घर पर जाकर जांच की गई एवं पड़ोसियों से पूछताछ की गई। इस जांच से भी यह जाहिर होता है कि मृतक कैन्सर नामक बीमारी से पीडित था और उसके साथ घर के अंदर सीढियों से गिरने जैसी कोई घ्ाटना घटित नहीं हुई है।
12. दिनांक 11.05.2019 को जब बीमाधारक का इलाज प्रारम्भ किया गया तब बीमारी का नाम स्पष्ट रूप से Buccal Mucosa लिखा गया न कि गिरने के कारण दुघटना में आई चोट। मृत्यु का कारण दस्तावेज संख्या-39 पर मौजूद रिपोर्ट से स्पष्ट किया गया है। अत: बीमा कंपनी का यह तर्क साक्ष्य से साबित है कि बीमाधारक की मृत्यु का कारण सीढियों से गिरकर आई चोट नहीं, अपितु मुँह का कैन्सर है। अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा दिया गया निर्णय एवं आदेश साक्ष्य पर आधारित नहीं है, जो अपास्त होने और अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
13. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04.01.2021 अपास्त किया जाता है।
पक्षकार अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करेंगे।
अपीलार्थी द्वारा अपील प्रस्तुत करते समय अपील में जमा धनाशि मय अर्जित ब्याज सहित विधि अनुसार एक माह में अपीलार्थी को वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-1