(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-180/2013
श्रीमती निर्मला सिंह पत्नी श्री सुरेश चन्द्र वर्मा, निवासिनी 19, चेतना विहार कालोनी, निकट सेक्टर-14 पावर हाउस, इन्दिरा नगर, लखनऊ 226016 ।
परिवादिनी
बनाम
1. श्री रियाज अहमद, एम.डी., हिमसिटी प्रापर्टीज प्रा0लि0, 344/120, भवानीगंज, लखनऊ।
2. श्री रवि अरोड़ा, एम.डी., हिमसिटी प्रापर्टीज प्रा0लि0, 344/120, भवानीगंज, लखनऊ।
3. श्री गयास अहमद पुत्र रियाज अहमद उर्फ सोना, अधिकृत हस्ताक्षरी, हिमसिटी प्रापर्टीज प्रा0लि0, 344/120, भवानीगंज, लखनऊ।
4. श्री राजू यादव, अधिकृत हस्ताक्षरी, हिमसिटी प्रापर्टीज प्रा0लि0, निकट पेट्रोल पम्प, सफेदाबाद, फैजाबाद राड, जनपद बाराबंकी।
विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
परिवादिनी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं। विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 27.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. दिनांक 13.08.2024 को यह परिवाद पीठ के समक्ष सुनवाई हेतु प्रस्तुत हुआ, परन्तु उभय पक्ष की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। अत: पीठ द्वारा स्वंय परिवाद में मांगे गऐ अनुतोषों का अवलोकन किया गया।
2. परिवादिनी का कथन है कि भूखण्ड का समस्त मूल्य वसूल लेने के बाद भी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गईं, इसलिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने या सुविधाएं उपलब्ध न कराने की स्थिति में जमा राशि वापस लौटाने तथा मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 5,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति दिलाने का अनुरोध किया गया।
3. विपक्षीगण ने लिखित कथन में स्वीकार किया है कि परिवादिनी के पक्ष में भूखण्ड संख्या-51 तथा 52 का विक्रय पत्र दिनांक 10.1.2012 को निष्पादित कर दिया गया है। यह भी स्वीकार किया गया कि योजना के फेल हो जाने के कारण लगभग दो गुना धनराशि वापस कर दी गई है।
4. अत: यह स्वीकृति स्पष्ट करती है कि मौके पर विकास कार्य सम्पादित नहीं हुए, जबकि परिवादिनी से धनराशि प्राप्त कर ली गई। सशपथ इन कथनों को साबित किया गया है कि मौके पर कोई विकास कार्य नहीं हुए हैं और चूंकि विपक्षीगण द्वारा यह योजना विफल होने पर सम्पत्ति किसी अन्य व्यक्ति को विक्रय कर दी गई है, इसलिए विकास कार्य मौके पर होना संभव नहीं है। अत: परिवादिनी वैकल्पिक अनुतोष यानी अपने द्वारा जमा राशि 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज के साथ वापस प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। इसी प्रकार चूंकि परिवादिनी द्वारा धनराशि वर्ष 2009 से जमा करना शुरू की गई है और अब वर्ष 2024 समाप्त होने को है। अत: इतनी लम्बी अवधि के पश्चात भी आवंटित भूखण्ड निवास योग्य न होने के कारण मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना कारित हुई है, अत: परिवादिनी इस मद में अंकन 5,00,000/-रू0 तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 25,000/-रू0 प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। तदनुसार प्रस्तुत परिवाद इस सीमा तक स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत परिवाद इस सीमा तक स्वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण परिवादिनी को जमा धनराशि अंकन 18,30,000/-रू0 (अठ्ठारह लाख तीस हजार रूपये) का भुगतान तीन माह की अवधि में जमा करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज के साथ किया जाए।
मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 05 लाख रूपये का भुगतान भी तीन माह की अवधि में किया जाए, यदि तीन माह की अवधि में भुगतान नहीं किया जाता है तब इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज देय होगा।
विपक्षीगण परिवादिनी को परिवाद व्यय की मद में अंकन 25 हजार रूपये भी उपरोक्त अवधि में अदा करें, इस राशि पर कोई ब्याज देय नहीं होगा।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2