( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :93/2021
डा0 वीरेन्द्र स्वरूप एजूकेशन सेंटर अवधपुरी, जी0टी0 रोड, कानपुर नगर द्वारा प्रधानाचार्य मि. उर्वशी बाजपेयी।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
रिया द्धिवेदी उम्र लगभग 14 वर्ष पुत्री दीपक द्धिवेदी तथा माधुरी द्धिवेदी निवासिनी मकान नम्बर 70 मिनी एच0आई0जी0 दयानंद विहार फेस-2, कल्यानपुर कानपुर नगर द्वारा विधिक एवं प्राकृतिक संरक्षक माधुरी द्धिवेदी।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2-मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्रीमती माधुरी द्धिवेदी (माता)।
दिनांक : 23-12-2022
मा0 श्री सुशील कुमार,सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-427/2018 रिया द्धिवेदी बनाम प्रबन्धक/प्रधानाचार्या वीरेन्द्र स्वरूप एजूकेशन सेंटर में जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 11-01-2021 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
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विद्धान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया है कि वह निर्णय के 30 दिन के अंदर परिवादिनी को जमा फीस व अन्य मदों में जमा रकम रू0 25060/- मय 08 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की दर से ब्याज सहित अदा करें तथा वाद व्यय के रूप में रू0 3,000/- अदा करें।
इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गयी है कि अपीलार्थी एजूकेशन सेंटर एक गैर अनुदान प्राप्त शैक्षिक संस्थान है जिसमें रिया द्धिवेदी द्वारा कक्षा-8 में दाखिला लेने का आवेदन दिया गया और रू0 17075/- की धनराशि जमा की गयी परन्तु रिया द्धिवेदी द्वारा केवल 03 एवं 04 अप्रैल-2018 को स्कूल में उपस्थिति दर्ज करायी और खुद ही दाखिले का त्याग कर दिया गया। जिला आयोग द्वारा इन सब तथ्यों पर विचार न करते हुए फीस अदा करने का आदेश दिया गया है।
अपील के समर्थन में बहस के समय अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। प्रत्यर्थी की माता व्यक्तिगत रूप से उपस्थित आईं उन्हें सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया गया।
प्रस्तुत केस में परिवादिनी द्वारा सशपथ साबित किया गया है कि परिवादिनी की पुत्री को मानसिक तौर पर उत्पीड़न किया गया और यह कहा गया कि आपको कक्षा में सबसे पीछे बैठना होगा तथा कक्षा में अपमानित भी किया गया। प्रधानाचार्या महोदय जी से भी सम्पर्क किया गया परन्तु उनके द्वारा भी कोई ध्यान नहीं दिया गया। इन तथ्यों का कोई खण्डन अपीलार्थी द्वारा नहीं किया गया है। अत: चूंकि परिवादिनी का यह कथन अखण्डनीय है
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कि परिवादिनी की पुत्री को स्कूल द्वारा प्रताडि़त किया गया है तथा अपमानित भी किया गया है और कक्षा में पीछे बैठने के लिए कहा गया है, ऐसी स्थिति में परिवादिनी की पुत्री अपने आप को इस स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने के लिए पूर्णतया तैयार नहीं कर पायी क्यों कि स्कूल के शिक्षकों द्वारा उसके साथ सामान्य व्यवहार नहीं किया गया।
अत: समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए इस पीठ का मत है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। विद्धान जिला आयोग के निर्णय की पुष्टि की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट न0-1