Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/134/2015

KOMAL YADAV - Complainant(s)

Versus

RIYA AUTOMOBILES - Opp.Party(s)

BHILENDRA UPADHYAY

03 Jul 2021

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 134 सन् 2015

प्रस्तुति दिनांक 03.08.2015

                                                                                               निर्णय दिनांक 03.07.2021

कोमल यादव पुत्र स्वo बाबूराम यादव साकिन- चेवार कलिचाबाद, थाना- देवगांव, तहसील- लालगंज, जनपद- आजमगढ़।

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

     रिया आटो सेल्स द्वारा मैनेजर/सेल्स एक्जीक्यूटिव/मालिक प्रदीप कुमार सिंह पुत्र शिव पूजन सिंह, साकिन- चिउटहरा, थाना- मेहनाजपुर, पोस्ट-    कलीचपुर, तहसील- लालगंज, जनपद- आजमगढ़।      

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उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि उसने अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए आटो रिक्शा लेने के लिए विपक्षी से सम्पर्क किया। विपक्षी आटो बेचने का काम करता है। परिवादी गरीब होने के कारण वह नकद आटो नहीं ले सकता था। विपक्षी ने भारतीय स्टेट बैंक, मेहनाजपुर जिला आजमगढ़ से 1,40,000/- रुपए का फाइनेन्स कराकर परिवादी को दिया। चूंकि विपक्षी की हर प्रक्रिया से जानकार था इसलिए परिवादी विपक्षी प्रदीप कुमार पर पूर्ण विश्वास करके परिवादी ने 1,40,000/- रुपए में आटो रिक्शा लिया। कोटेशन के मुताबिक परिवादी को आटो रिक्शा का मूल्य 2,04,800/- रुपए जिसमें रजिस्ट्रेशन चार्ज 22,000/- रुपए व इन्श्योरेन्स चार्ज 5,800/- रुपए सम्मिलित था, देना था। परिवादी ने अपने भारतीय स्टेट बैंक मेहनाजपुर की बचत खाता से शेष रकम मुo 64,800/- निकाल कर विपक्षी को पुनः दिया। इस प्रकार विपक्षी ने कुल 2,04,800/- रुपए आटो रिक्शा की कीमत प्राप्त कर लिया, लेकिन वह तत्काल गाड़ी का कागजात नहीं दिए और कहा कि पांच-छः दिन बाद गाड़ी का आर.सी. व इन्श्योरेन्स का पेपर आकर ले जाना। परिवादी बार-बार गाड़ी के कागजात लेने के लिए विपक्षी के पास जाता रहा। इसके पश्चात् उसने 4,000/- रुपए और लिया, लेकिन वह कागजात देने से इन्कार कर दिया। अतः विपक्षी से परिवादी को गाड़ी के रजिस्ट्रेशन व बीमा के कागजात तथा क्षतिपूर्ति 4,00,000/- रुपए दिलवाया जाए।  

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/1 चालान/ट्रान्सफर इनवायस की छायाप्रति, कागज संख्या 6/2 कोमल यादव द्वारा विपक्षी को उसके कोटेशन का भुगतान देने के पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3ता6/4 भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी प्रपत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 7 नोटिस की छायाप्रति प्रस्तुत किया है। 

विपक्षी द्वारा कागज संख्या 16क जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने यह कहा है कि दावा पोषणीय नहीं है। विपक्षी ने परिवादी से आटो लेने के लिए बात-चीत किया और भागदौड़ करके सारी औपचारिकताए पूर्ण कर परिवादी के नाम एस.बी.आई. मेहनाजपुर से लोन पास कराया जिसकी मार्जिन मनी 65,000/- रुपए थी जिसे परिवादी को अपने खाते में जमा करना था परन्तु परिवादी द्वारा उक्त धनराशि इकट्ठा जमा करने हेतु निवेदन किया और बाद में उसे विपक्षी को वापस करने के लिए कहा। विपक्षी द्वारा 65,000/- रुपए जमा कर लोन स्वीकृत कराया गया। दिनांक 31.07.2013 को वाहन परिवादी को हस्तान्तरित कर दिया गया। परिवादी द्वारा विपक्षी को 65,000/- रुपए बकाया में से 43,000/- रुपया दिनांक 13.07.2013 को अदा किया शेष 22,000/- बकाया रह गया था जिसके बाबत परिवादी द्वारा सहमति पत्र भी दिया गया था। विपक्षी ने परिवादी को चालान की रसीद इन्श्योरेन्स और अस्थाई पंजीकरण की प्रति भी प्रदान किया तथा बकाया 22,000/- रुपया परिवादी द्वारा अदा किए जाने पर पंजीकरण कराकर कागजात देने की बात हुई जो परिवादी की स्वीकार थी। काफी समय बीत जाने के बाद भी परिवादी द्वारा न तो विपक्षी का बकाया 22,000/- रुपया अदा किया और न ही अपना कागजात लिया। परिवादी से कई बार बकाया अदा कर कागजात बनवाने हेतु निवेदन किया गया, लेकिन परिवादी नहीं आया। अतः परिवाद पत्र खारिज किया जाए। 

विपक्षी द्वारा प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 18ग सहमति पत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 18/2 मुo 43,000/- रुपए जमा व 22,000/- रुपए बकाया की रसीद प्रस्तुत किया गया है।

परिवादी की अनुपस्थिति में विपक्षी को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी ने अपने प्रतिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने अपनी तरफ से 65,000/- रुपए की मार्जिन मनी जमा किया था, जिसमें से 43,000/- रुपए परिवादी ने अदा कर दिया, लेकन शेष 22,000/- रुपया परिवादी द्वारा अदा नहीं किया गया। कागज संख्या 18ग सहमति पत्र है जो कोमल यादव द्वारा जारी की गयी थी और कागज संख्या 18/2 कोमल यादव द्वारा जो 43,000/- रुपया नकद दिया व 22,000/- रुपया बकाया दिखाया गया है वह रसीद प्रस्तुत की गयी है। इसके विरुद्ध परिवादी द्वारा कोई भी न तो प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है और न ही कोई आपत्ति की गयी है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।

आदेश

                                                          परिवाद- पत्र निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

                                                                        गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह  

                                                      (सदस्य)                           (अध्यक्ष)

 

            दिनांक 03.07.2021

                                                 यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

                                            गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण कुमार सिंह

                                                              (सदस्य)                              (अध्यक्ष)

 

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