Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/141/2017

RAM NAWAL MAURYA - Complainant(s)

Versus

RIYA AUTO SALES - Opp.Party(s)

AKHILESH KUMAR RAI

28 Jan 2021

ORDER

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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 141 सन् 2017

                                                                                                                                                                             प्रस्तुति दिनांक 08.09.2017

                                                                                             निर्णय दिनांक 28.01.2021    

रामनवल मौर्य आयु लगभग 25 वर्ष पुत्र स्वo प्यारेलाल मौर्य, निवासी ग्राम- नरायनपुर नेवादा, पोस्ट- कटौली कला, थाना- देवगांव, तहसील- लालगंज, जनपद- आजमगढ़।

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. रिया आटो सेल्स चन्दवक जौनपुर द्वारा प्राo प्रदीप कुमार सिंह पुत्र शिवपूजन सिंह, निवासी ग्राम- चिउटहरा, पोस्ट- बेला कलीचपुर, थाना- मेंहनाजपुर, तहसील- लालगंज, जनपद- आजमगढ़।
  2. स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया शाखा देवगांव आजमगढ़ द्वारा शाखा प्रबन्धक।
  3. बजाज आटो लिमिटेड (आटो रिक्शा मेगा मैक्स) टी.डी.एस. नं. 51ए मुम्बई पुणे रोड आकुर्दी पुणे 411035 द्वारा प्रबन्ध निदेशक/प्रबन्धक    
  4.  

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह अपने जीविकोपार्जन हेतु ड्राइविंग लाइसेन्स बनवाया था तथा तिपहिया वाहन के क्रय हेतु अपने सगे सम्बन्धी से चर्चा किया कि विपक्षी संख्या 01 प्रदीप कुमार पुत्र शिवपूजन सिंह ने परिवादी से अपने को रिया आटो सेल्स जो तिपहिया वाहन की बिक्री करती थी, का प्रोपराइटर होने का कथन करते हुए परिवादी के निवास स्थान पर सम्पर्क किया और सरलता से बिना भाग-दौड़ के अतिशीघ्र विपक्षी संख्या 02 से तिपहिया वाहन के लिए स्वरोजगार योजना में ऋण अविलम्ब उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। परिवादी के यहाँ विपक्षी संख्या 01 बार-बार सम्पर्क करते रहे और अपने विश्वास में लेकर परिवादी से ऋण स्वीकृत कराने एवं आटो रिक्शा उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक प्रपत्र परिवादी से ले लिया। विपक्षी संख्या 01 व 02 ने परस्पर दुरभि सन्धि करके दिनांक 14.11.2014 को विपक्षी संख्या 02 की शाखा पर बुलाया और कुछ सादे एवं लिखे हुए प्रपत्रों एवं स्टाम्प पेपर पर हस्ताक्षर बनवाया और कहा कि अब आपका ऋण शीघ्र ही स्वीकृत हो जाएगा और आपको ऋण स्वीकृत होते ही आटो रिक्शा एवं उससे सम्बन्धित प्रपत्रों सहित बैंक के ऋण सम्बन्धी प्रपत्र भी प्रदान कर दिया

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जाएगा। इस प्रकार छल-छद्म एवं धोखा विश्वासघात पूर्ण व्यवहार के आधार पर ऋण स्वीकृत करके धन आहरित कर लिया। पुनः माह जनवरी वर्ष 2015 के दूसरे सप्ताह में एक दिन विपक्षीगण परिवादी के घर आए और परिवादी का ऋण अतिशीघ्र स्वीकृत कराकर आटो रिक्शा देने का कथन किया और परिवादी से ऋण भुगतान हेतु अग्रिम सुरक्षित धनराशि 60,000/- रुपए जमा करने के लिए देने की बात कही। परिवादी ने तत्काल उक्त धनराशि देने में असमर्थता व्यक्त करते हुए अगले सप्ताह के अन्त में प्रबन्ध करने की बात कही। पुनः विपक्षीगण परिवादी के घर जनवरी वर्ष 2015 के अन्तिम सप्ताह में एक दिन शाम को याची के घर आए और याची से मुo 60,000/- रुपए ले लिया और दो चार दिन में ऋण स्वीकृत कराकर आटो रिक्शा प्रदान करने की बात कही। विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने कर्मचारियों के माध्यम से मार्च सन् 2017 के प्रथम सप्ताह में बजाज कम्पनी का आटो रिक्शा परिवादी के घर भेजवा दिया गया तथा सम्बन्धित प्रपत्रों को देने के लिए बाइस हजार रुपए रजिस्ट्रेशन आदि के नाम पर परिवादी से मांग किया और 4000/- रुपए विपक्षी संख्या 02 की शाखा में ऋण खाते में जमा करने की हिदायत विपक्षी संख्या 01 के उक्त कथित कर्मचारी द्वारा कही गयी। दिनांक 14.03.2017 को परिवादी द्वारा 4000/- रुपए अपने ऋण खाता में जमा करने के लिए विपक्षी संख्या 02 एवं 22000/- रुपया रजिस्ट्रेशन, बीमा, फिटनेश, प्रदूषण आदि प्रपत्रों के सम्बन्ध में विपक्षी संख्या 01 को प्रदान किया गया। किन्तु काफी समय व्यतीत हो जाने के उपरान्त भी विपक्षी संख्या 01 द्वारा उक्त टैम्पो के सम्बन्ध में कोई प्रपत्र परिवादी को नहीं दिया गया। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 01 से प्रपत्रों की मांग लगातार की जाती रही किन्तु विपक्षी संख्या 01 परिवादी को अनावश्यक रूप से तंग एवं परेशान करने के गलत मन्तव्य से परिवादी को टाल-मटोल करते हुए दौड़ाता रहा। परिवादी इसी कारण अपने आटो रिक्शा का संचालन भी सुचारू रूप से नहीं कर पा रहा था। अन्ततः परिवादी का उक्त आटो रिक्शा देवगांव पुलिस द्वारा जब्त कर लिया गया और परिवादी की रोजी-रोटी में बाधा उत्पन्न हो गयी। विपक्षी संख्या 01 द्वारा याची को सेल सर्टिफिकेट उदय आटो सेल्स की दी गयी जिसमें वाहन निर्माण की तिथि जून 2017 अंकित है। विपक्षीगण द्वारा किया गया धोखा विश्वासघात एवं जाली फर्जी प्रपत्र प्रदान किए जाने से परिवादी को उपरोक्त वाहन का पंजीकरण सम्भव नहीं हो पा रहा है। जिससे परिवादी पुनः बेरोजगार हो गया है और उसकी आजीविका समाप्त हो गयी है। फलस्वरूप परिवादी व उसका परिवार भुखमरी की कगार पर है। विपक्षीगण ने परिवादी के साथ व्यापार व्यवहार के विपरीत घोर उपेक्षा पूर्ण अनुचित व्यापार व्यवहार सेवा में कमी किया है जिससे परिवादी की लगभग 4,90,000/- रुपए की आर्थिक व शारीरिक क्षति हुई है।

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अतः यह धनराशि विपक्षीगण से दिलवाया जाए।

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने नोटिस की छायाप्रति, ऋण के एकाउन्ट के विवरण की छायाप्रति, सेल सर्टिफिकेट की छायाप्रति, उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अभियोग चलाने अथवा साक्ष्य देने का बन्ध पत्र की छायाप्रति तथा प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।  

विपक्षी संख्या 02 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादी का परिवाद जाली, फर्जी एवं बेबुनियाद है। विपक्षी के बैंक परिसर में उपस्थित होकर सभी आवश्यक एवं सुसंगत प्रपत्रों पर दिनांक 14.11.2014 को टैम्पो क्रय करने हेतु आवेदन पत्र पर अपनी फोटो लगाकर अपने हस्ताक्षर बनाए तथा उनके प्रार्थना पत्र पर विपक्षी संख्या 02 द्वारा दिनांक 14.11.2014 को खाता संख्या 34386491280 के माध्यम से मुo 1,60,000/- का ऋण स्वीकार किया गया, जिससे वादी ने एक अदद टैम्पो प्राप्त कर उसका सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी, आजमगढ़ के समक्ष पंजीयन कराया। परिवादी ने उपरोक्त बैंक में अपने द्वारा इस आशय का शपथ पत्र दिनांक 14.11.2014 को प्रस्तुत किया कि वह किश्तों का नियमित भुगतान करता रहेगा, लेकिन उनके द्वारा ऋणराशि का भुगतान नहीं किया गया। जिससे उनके विरुद्ध वसूली प्रचलित है। परिविदी की सूचना पर थाना देवगांव में विपक्षी संख्या 01 के प्रोपराइटर श्री प्रदीप कुमार सिंह के विरुद्ध एफ.आई.आर. दर्ज करायी गयी है जो जेरेविवेचना है। उक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट के अवलोकन से स्पष्ट है कि बैंक से कोई मतलब नहीं है। अतः परिवाद पत्र खारिज किया जाए।  

विपक्षी संख्या 02 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षी संख्या 02 द्वारा प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 13/1 लेटर ऑफ अरेन्जमेन्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 13/10 आर.टी.ओ. के समक्ष रजिस्ट्रेशन हेतु प्रस्तुत प्रार्थना पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 13/11 एग्रीमेन्ट ऑफ लोन कम-हाइपोथिकेशन की छायाप्रति, कागज संख्या 13/13ता 13/29 एकाउन्ट का विवरण प्रस्तुत किया गया है।

सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी संख्या 01 द्वारा जो प्रलेखीय साक्ष्य की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है उसके अवलोकन से यह स्पष्ट है कि परिवादी का हस्ताक्षर है। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय करिश्मा इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड एवं अन्य बनाम अग्रवाल स्टील सी.ए. नं. 7477

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सुप्रीम कोर्ट 2004 का अवलोकन करें तो इन न्याय निर्णय में माo उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि यदि किसी प्रलेख पर कोई व्यक्ति हस्ताक्षर करता है तो यह माना जाएगा कि उसने उसे पढ़कर व समझकर अपना हस्ताक्षर किया है और वह उससे इन्कार नहीं कर सकता है। परिवाद पत्र के पैरा 3 में परिवादी ने यह कथन किया है कि विपक्षी संख्या 01 व 02 ने परस्पर दुरभि सन्धि करके दिनांक 14.11.2014 को विपक्षी संख्या 02 के शाखा पर बुलाया और उससे कुछ सादे कागजात पर दस्तखत बनवाया। इस प्रकार छद्म-छल एवं धोखा विश्वासघात पूर्ण व्यवहार के आधार पर ऋण स्वीकृत करके धन आहरित कर दिया गया। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “देवाराज कासी दास बनाम रिलायन्स इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड 3 (2018) सी.पी.जे.(एन.सी.)” का यदि अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माo राष्ट्रीय आयोग ने यह अभिनिर्धारित किया है कि जहाँ फ्रॉड, छल, फर्जी तथा कपट की बात की गयी है वहाँ कन्ज्यूमर फोरम को परिवाद के निस्तारण का अधिकार नहीं है। उपरोक्त कारणों से हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है। 

आदेश

                                                      परिवाद- पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

                                                                  गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण  कुमार सिंह

                                                  (सदस्य)                         (अध्यक्ष)

 

                    दिनांक 28.01.2021

 

                                                      यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

                                         गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                            (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

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