सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्या 485/96 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.08.1997 के विरूद्ध)
अपील संख्या 1606 सन 1997
1. अंसल हाउसिंग एण्ड कन्स्ट्रक्शन लि0 28, सरोजनी नायडू रोड, इलाहाबाद।
2. अंसल हाउसिंग एण्ड कन्स्ट्रक्शन लि0 15 यू0जी0एफ0 इन्द्रप्रकाश 21, बाराखंभा रोड, नई दिल्ली -110001
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
रितेश कर्मचन्दानी द्वारा श्रीमती मोना सन्तानी, एस-103, प्रयागकुंज, 3, स्ट्रेची रोड, इलाहाबाद ।
. .........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री वी0एस0 बिसारिया।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं ।
दिनांक:- 31-12-2019
श्री गोवर्धन यादव, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्या 485/96 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.08.1997 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है ।
संक्षेप में, प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी की इलाहाबाद में प्रस्तावित आवासीय योजना प्रयाग क्रेज में फ्लैट नं0 जी-4, जो मूल रूप में नरेश सागर को आवंटित था, का हस्तांतरण अपेक्षित मूल्य अदा करके अपने नाम कराया और वर्तमान में वह उसका वैध आवंटी है। उक्त फ्लैट का मूल्य 3,78,950.25 रू0 प्रस्तावित था जिसका 95 प्रतिशत परिवादी को निर्माण के विभिन्न चरणों में अपीलार्थी/विपक्षी को अदा करना था शेष धनराशि कब्जे के समय अदा करनी थी। परिवादी ने दिनांक 07.11.92 तक कुल, 3,60,002.00 रू0 उक्त फ्लैट का मूल्य तथा एरिया चार्ज का 12,008.63.00 रू0 दिनांक 16.07.93 को अदा कर दिया शेष 18,947.00 रू0 कब्जे के समय अदा करना था लेकिन वाद दाखिल करने के दिनांक 22.04.96 तक फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया और उससे 1,47,750.49 रू0 विभिन्न मदों में अतिरिक्त धनराशि देने की मांग की जबकि समझौते के अनुसार वर्ष 1993 तक फ्लैट का कब्जा देना था जिससे क्षुब्ध होकर फ्लैट का कब्जा तथा क्षतिपूर्ति हेतु जिला मंच के समक्ष परिवाद योजित किया गया।
विपक्षी की ओर से जिला मंच के समक्ष अपना वादोत्तर प्रस्तुत कर उल्लिखित किया गया कि परिवादी दिनांक 22.03.1995 को आवंटी बना है अत: आवंटी बनने के पहले की शर्ते उस पर लागू नहीं होती हैं और वह उनका फायदा नहीं उठा सकता है। फ्लैट के पूर्व आवंटी ने शपथपत्र देकर कहा है कि प्रत्यर्थी/परिवादी सभी बकाया का भुगतान करेगा। फ्लैट 1994 में बनकर तैयार हो गया परन्तु पूर्व आवंटी ने अंतिम भुगतान करके कब्जा लेने के बजाए फ्लैट का हस्तांतरण कर दिया। वर्तमान आवंटी ने बकाया पैसे का भुगतान नहीं किया है, जिसके कारण फ्लैट का कब्जा नहीं दिया जा सका है।
जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्य एवं अभिवचनों के आधार पर निम्न आदेश पारित किया :-
'' प्रार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह विपक्षी को अंतिम भुगतान के रूप में अंतिम किस्त रू0 18,947.52 रू0 सेक्यूरिटी का रू0 4730.00 रू0 एक महीने का मेंटेनेंस का रू0 615.00 एवं इलेक्ट्रिसिटी का रू0 1902.00 रू0 (27,435.00 छूट का 30 प्रतिशत अर्थात 8230.00 रू0 = 19205.00 रू) और लॉन का रू0 4500.00 अर्थात कुल रू0 47,997.77 दें। निर्णय मिलने के एक माह तक इस धनराशि पर विपक्षी कोई बयाज नही लेंगे। बाद में भुगतान होने पर वे निर्णय की तिथि से 24 प्रतिशत ब्याज ले सकते हैं। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वे इस धनराशि स्वीकार करें और इस भुगतान के दो माह के अन्दर प्रार्थी को जी-04, फ्लैट का कब्जा बिजली, फिटिंग एवं सैनेटरी फिटिंग इत्यादि सम्पूर्ण करके देवे। विपक्षी यदि इस अवधि में फ्लैट का कब्जा नही देते हैं तो विपक्षी रू0 3,72,011.36.00 पर जून 1995 से कब्जा देने की तिथि तक प्रार्थी को 24 प्रतिशत ब्याज देंगे। यदि विपक्षी आदेशित धनराशि स्वीकार करने से इन्कार करते हैं तो प्रार्थी यह पैसा फोरम में जमा कर सकते हैं। ''
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील अंसल हाउसिंग एण्ड कन्स्ट्रकशन लि0 द्वारा योजित की गयी है।
अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय विधिपूर्ण नहीं है तथा सम्पूर्ण तथ्यों को संज्ञान में लिए बिना प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया है जो अपास्त किए जाने योग्य है।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री वी0एस0 बिसारिया के तर्क विस्तारपूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक अवलोकन किया।
बहस हेतु प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
पत्रावली का अवलोकन से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी की प्रयाग कुंज आवास योजना में फ्लैट नम्बर 04 पूर्व आवंटी से अपने नाम दिनांक 22.03.1995 को कराया। प्रत्यर्थी/परिवादी, रिश्ते में पूर्व आवंटी मोना सन्तानी का भाई है एवं प्रश्नगत फ्लैट आवंटन स्थानांतरण के उपरांत पूर्व में बकाया देयकों का भी उत्तरदायी है जैसा कि पूर्व आवंटनी मोना सन्तानी द्वारा दिए गए शपथपत्र दिनांकित 08.03.95, संलग्नक-6 में उल्लिखित है। परिवादी को प्रश्नगत फ्लैट का आवंटन पूर्व आवंटी मोना सन्तानी द्वारा दिए गए शपथपत्र दिनांक 08.03.95 के बाद ही दिनांक 22.03.95 को किया जाना परिलक्षित होता है। फ्लैट के पूर्व आवंटी ने शपथपत्र देकर कहा है कि प्रत्यर्थी/परिवादी सभी बकाया का भुगतान करेगा। विद्वान जिला मंच ने उक्त बिंदु पर समुचित ध्यान दिए बिना ही प्रत्यर्थी/परिवादी को 47,997.77 रू0 जमा करने का आदेश पारित किया है जो कि विधित: अवधारणीय नहीं है। हमारे विचार से प्रत्यर्थी/परिवादी आवंटन हस्तांतरण के पूर्व के नियम व शतों के अनुसार 1,04,008.17 रू0 अंतिम भुगतान के रूप में देने का उत्तरदायी है।
परिणामत:, प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्या 485/96 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.08.1997 अपास्त किया जाता है तथा प्रत्यर्थी/परिवादी को आदेशित किया जाता है कि वह अपीलार्थी को फ्लैट संख्या जी-04 के बावत 1,04,008.17 रू0 एक माह में अदा करे तदोपरांत अपीलार्थी उक्त फ्लैट का कब्जा सभी कार्यो को पूर्ण करके दो माह में प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रदान करे।
यदि प्रत्यर्थी/परिवादी उक्त धनराशि की अदायगी निर्धारित अवधि में नहीं करता है तो अपीलार्थी उक्त धनराशि पर 06 (छह) प्रतिशत साधारण ब्याज भी प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा इस निर्णय की प्रमाणित प्रति प्राप्त करने की तिथि से अदायगी तक प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
उभय पक्ष इस अपील का अपना अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट-2
(S.K.Srivastav,PA)