राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-407/2013
(जिला उपभोक्ता फोरम-द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 329/2012 में पारित आदेश दिनांक 11.02.2013 के विरूद्ध)
Rishi Samrat Srivastava, adult R/O: 12, Shah Mau Colony, Kundri Rakabganj, Lucknow. ....................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
TWA Internet Technologies Pvt. Ltd., Suite-403, Gulmarg Apartments, 5 Jopling Road, Lucknow, through its Director, Umang Bagla. ................प्रत्यर्थी/विपक्षी
एवं
अपील संख्या-2298/2015
(जिला उपभोक्ता फोरम-द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 329/2012 में पारित आदेश दिनांक 11.02.2013 के विरूद्ध)
TWA Internet Technologies PVT. Ltd., Suite-403, Gulmarg Apartment, 5 Jopling Road, Lucknow, Through its Director, Umang Bagla. ....................अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
Rishi Samrat Srivastava, Adult R/O 12, Shah Mau Colony, Kundri Rakabganj, Lucknow. ................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
परिवादी ऋषि सम्राट श्रीवास्तव की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
विपक्षी टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 की ओर से उपस्थित : श्री कुमार संभव, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 30-03-2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-329/2012 ऋषि सम्राट श्रीवास्तव बनाम टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 में जिला उपभोक्ता फोरम-द्वितीय, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 11.02.2013 के द्वारा जिला फोरम ने उपरोक्त परिवाद के
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विपक्षी को यह आदेशित किया है कि वह निर्णय के दो मास के अन्दर 50,000/-रू0 मानसिक क्षति, कार्य की क्षति एवं गुडविल की क्षति के मद में परिवादी को अदा करे। इसके साथ ही जिला फोरम ने 2000/-रू0 वाद व्यय भी विपक्षी को परिवादी को अदा करने हेतु आदेशित किया है।
जिला फोरम द्वारा पारित उपरोक्त निर्णय और आदेश से उभय पक्ष सन्तुष्ट नहीं रहे हैं। अत: परिवादी ऋषि सम्राट श्रीवास्तव की ओर से उपरोक्त अपील संख्या-407/2013 ऋषि सम्राट श्रीवास्तव बनाम टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 और विपक्षी टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 की ओर से उपरोक्त अपील संख्या-2298/2015 टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 बनाम ऋषि सम्राट श्रीवास्तव धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है। दोनों अपीलें एक ही निर्णय के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी हैं। अत: दोनों अपीलों का निस्तारण एक ही संयुक्त निर्णय के द्वारा किया जा रहा है।
उपरोक्त दोनों अपील की सुनवाई के समय परिवादी ऋषि सम्राट श्रीवास्तव, जो अपील संख्या-407/2013 में अपीलार्थी है और अपील संख्या-2298/2015 में प्रत्यर्थी है, अनुपस्थित रहा है और उसकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। उपरोक्त दोनों अपील में विपक्षी टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 के विद्वान अधिवक्ता श्री कुमार संभव उपस्थित रहे हैं, जो अपील
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संख्या-407/2013 में प्रत्यर्थी है और अपील संख्या-2298/2015 में अपीलार्थी है।
हमने विपक्षी टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
विपक्षी टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 के विद्वान अधिवक्ता, जो अपील संख्या-407/2013 का प्रत्यर्थी है और अपील संख्या-2298/2015 का अपीलार्थी है, का तर्क है कि परिवाद पत्र में कथित विवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता विवाद नहीं है। अत: परिवाद जिला फोरम के समक्ष ग्राह्य नहीं है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अधिकार रहित और विधि विरूद्ध है और अपास्त किए जाने योग्य है।
हमने विपक्षी टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ऋषि सम्राट श्रीवास्तव, जो अपील संख्या-407/2013 का अपीलार्थी है और अपील संख्या-2298/2015 का प्रत्यर्थी है, का कथन है कि वह स्वरोजगार के लिए TOPUPFILMS.COM के अन्तर्गत कार्य करता है और Music Album, Video Album, Movies Scripts, Tele Serials Scripts and Ad Films बनाकर ख्याति अर्जित किया है, जबकि विपक्षी टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 Web Designing & Hosting का कार्य करता है। परिवादी ने अपनी वेबसाइट की डिजाइनिंग के लिए विपक्षी से सम्पर्क किया, जिसके लिए विपक्षी ने एक साल का 2400/-रू0 प्राप्त किया और रसीद दी। तदोपरान्त परिवादी ने एक Sufiyana Song
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''हमारा इश्क मस्ताना’' के प्रमोशन के लिए विपक्षी की सहायता लिया और पूरा गाना विपक्षी को सुनने के लिए दे दिया। परिवादी ने उक्त गाने को कॉपी राइट एक्ट के अन्तर्गत पंजीकृत करा रखा था और उक्त गाने का प्रोमो वेबसाइट बनाकर वेबसाइट में डाला था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षी ने उसकी अनुमति के बिना Paypals से संविदा करके धन प्राप्त करना शुरू कर दिया, जिससे हजारों लोगों ने अपनी वेबसाइट से उपरोक्त गाना लोड किया। परिवादी को जब इस बात की जानकारी हुई तो उसने इसका विरोध किया और विपक्षी को नोटिस दिनांक 31.11.2012 को प्रेषित किया। तब विपक्षी ने दिनांक 01.02.2012 को नोटिस का जवाब दिया और कहा कि यदि परिवादी उसके विरूद्ध मुकदमा करता है तो वह लड़ लेगा। इसके साथ ही विपक्षी ने बिना किसी सूचना के परिवादी की वेबसाइट को दिनांक 18.02.2012 को सस्पेंड कर दिया, जबकि परिवादी ने दिनांक 26.09.2012 तक के लिए पैसा जमा कर रखा था। परिवादी ने विपक्षी से जब इस सम्बन्ध में पूंछताछ की तो उसने कहा कि जब तक परिवादी अपनी लीगल नोटिस वापस नहीं लेता है तब तक वह वेबसाइट नहीं खोलेगा। अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया।
विपक्षी की ओर से नोटिस के तामीला के बाद भी जिला फोरम के समक्ष कोई उपस्थित नहीं हुआ है और लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध नहीं किया गया है। अत: जिला फोरम ने परिवाद पत्र के कथन एवं परिवादी द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र पर विचार करते
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हुए आक्षेपित निर्णय और आदेश उपरोक्त प्रकार से विपक्षी के विरूद्ध पारित किया है।
परिवादी ने अपील प्रस्तुत कर जिला फोरम द्वारा प्रदान की गयी क्षतिपूर्ति की धनराशि बढ़ाये जाने की मांग की है, जबकि विपक्षी की ओर से अपील प्रस्तुत कर जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश को अपास्त किए जाने की मांग की गयी है।
हमने जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश पर विचार किया है।
परिवाद पत्र में यह कथन किया गया है कि परिवादी अपने स्वरोजगार के लिए TOPUPFILMS.COM के अन्तर्गत कार्य करता है और Music Album, Video Album, Movies Scripts, Tele Serials Scripts and Ad Films बनाकर ख्याति अर्जित किया है और विपक्षी Web Designing & Hosting का कार्य करता है। इसी क्रम में परिवादी ने अपनी वेबसाइट की डिजाइनिंग के लिए विपक्षी से सम्पर्क किया और विपक्षी ने एक साल का 2400/-रू0 प्राप्त किया। परिवाद पत्र के कथन से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने जब विपक्षी की सेवा प्राप्त की उसके पहले से वह व्यापाररत रहा है और व्यापार किया है। अत: ऐसी स्थिति में यह नहीं कहा जा सकता है कि परिवादी ने विपक्षी से स्वनियोजन हेतु यह सेवा प्राप्त की है। अत: परिवाद पत्र के कथन के आधार पर धारा-2 (1) (डी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत परिवादी उपभोक्ता नहीं है और उस पर धारा-2 (1) (डी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में जोड़ा गया स्पष्टीकरण लागू नहीं होता है। अत: हम इस मत के हैं कि परिवादी द्वारा परिवाद पत्र
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में कथित विवाद उपभोक्ता विवाद नहीं है। अत: जिला फोरम द्वारा परिवाद का संज्ञान लेकर जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया गया है, वह अधिकार रहित और विधि विरूद्ध है। अत: उसे अपास्त करते हुए परिवाद, परिवादी को इस छूट के साथ निरस्त किया जाना उचित है कि वह विधि के अनुसार सक्षम न्यायालय या अधिकारी के यहॉं अपना दावा प्रस्तुत करने हेतु स्वतंत्र है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर विपक्षी टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त अपील संख्या-2298/2015 टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 बनाम ऋषि सम्राट श्रीवास्तव स्वीकार किए जाने योग्य है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त करते हुए परिवाद, परिवादी को इस छूट के साथ निरस्त किया जाना उचित है कि वह विधि के अनुसार सक्षम न्यायालय या अधिकारी के समक्ष अपना दावा प्रस्तुत करने हेतु स्वतंत्र है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवादी ऋषि सम्राट श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त अपील संख्या-407/2013 ऋषि सम्राट श्रीवास्तव बनाम टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
विपक्षी टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त अपील संख्या-2298/2015 टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 बनाम ऋषि सम्राट श्रीवास्तव स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश
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अपास्त करते हुए परिवाद, परिवादी को इस छूट के साथ निरस्त किया जाता है कि वह विधि के अनुसार सक्षम न्यायालय या अधिकारी के समक्ष अपना दावा प्रस्तुत करने हेतु स्वतंत्र है।
परिवादी ऋषि सम्राट श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त अपील संख्या-407/2013 ऋषि सम्राट श्रीवास्तव बनाम टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 निरस्त की जाती है।
अपील संख्या-2298/2015 टी0डब्लू0ए0 इण्टरनेट टेक्नोलॉजीस प्रा0लि0 बनाम ऋषि सम्राट श्रीवास्तव में अपीलार्थी द्वारा धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत जमा की गयी धनराशि ब्याज सहित अपीलार्थी को नियमानुसार वापस कर दी जाएगी।
इस निर्णय की एक प्रति अपील संख्या-2298/2015 में भी रखी जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1