सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
परिवाद संख्या-141/2011
M/s. Aditya Cold Storage, situated at Pure Shiva Vaishya Rampur Bawli Lalganj, through its partner Lal Deo Singh aged about 60 years son of Late Jagdish Bahadur Singh resident of Kalakankar Road, Lalganj (Ajhara), District Pratapgarh, (U.P.), Pratapgarh (U.P.)
परिवादी
बनाम्
Rishipooja Energy and Engineering Company, M.G. College Road, Gorakhpur, U.P.
विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
परिवादी की ओर से : कोई नहीं।
विपक्षी की ओर से : श्री अम्बरीश कौशल श्रीवास्तव, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 03.01.2020
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद, परिवादी ने प्रश्नगत गैसी फायर के मूल्य के भुगतान तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु योजित किया है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी के कथनानुसार परिवादी फर्म का प्रबन्ध श्री लाल देव सिंह द्वारा किया जाता है, जबकि इसमें कुल 04 भागीदार हैं। विपक्षी कम्पनी द्वारा बायोमास गैसी फायर का निर्माण किया जाता है। परिवादी फर्म ने विपक्षी गैसी फायर कम्पनी से 200 किलोवाट गैसी फायर प्लांट के निर्माण हेतु कोटेशन मांगे। विपक्षी द्वारा 14.25 लाख तक का कोटेशन दिया गया। परिवादी गैसी फायर प्लांट निर्माण के लिए सहमत हो गया और उसने विपक्षी कम्पनी को कुल 14.82 लाख का भुगतान कोटेशन में दर्शित दर के अनुसार किया। गैसी फायर प्लांट के निर्माण में परिवादी द्वारा 03 लाख रूपये का व्यय भी इस आशा के साथ किया गया कि गैसी फायर प्लांट के निर्माण के उपरांत कोल्डस्टोरेज का संचालन व्यय कम हो जाएगा, जिससे परिवादी का व्यापार में लाभ बाद में बढ़ जाएगा। बायोमास गैसी फायर फरवरी 2009 तक स्थापित किया जाना था। फरवरी के अंतिम सप्ताह में आलू का भण्डारण प्रारम्भ हो जाता है जो पूरी मार्च तक जारी रहता है। विपक्षी द्वारा इस अवधि में गैसी फायर प्लांट स्थापित नहीं किया गया, बल्कि अप्रैल 2009 में स्थापित किया गया, जिससे परिवादी को भारी नुकसान हुआ। अप्रैल 2009 के आखिरी सप्ताह में स्थापित गैसी फायर प्लांट लगाये जाने पर यह ज्ञात हुआ कि उसको चलाने पर चारकोल उत्सर्जित होता है तथा इस इस अनावश्यक उत्सर्जन के कारण परिवादी का जनरेटर खराब हो गया। परिवादी ने 200 केवीए का जनरेटर मार्च 2009 में कुल 11.45 लाख रूपये में क्रय करके लगाया था और यह पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो गया। जनरेटर के खराब हो जाने से परिवादी की राईस मिल भी बंद हो गयी, जो परिवादी के कोल्डस्टोरेज के समीप स्थित थी। विद्युत आपूर्ति की समस्या के कारण परिवादी की राईस मिल का कार्य भी अत्यधिक प्रभावित हुआ। परिवादी द्वारा विपक्षी से लगातार कहने के बावजूद विपक्षी द्वारा जनरेटर न ठीक करने पर परिवादी ने 60,000/- रूपये मासिक किराये पर 200 केवीए का जनरेटर लगवाया और जनरेटर के संचालन में परिवादी को डीजल का व्यय भी वहन करना पड़ा। जनरेटर विक्रेता कम्पनी ने जनरेटर की मरम्मत से भी इस आधार पर इंकार कर दिया कि जनरेटर में चारकोल पाया गया, जबकि उसे डीजल से चलाया जाना था। विपक्षी कम्पनी द्वारा गैसी फायर प्लांट को ठीक नहीं कराया गया। विपक्षी कम्पनी द्वारा गैसी फायर प्लांट विलम्ब से स्थापित करने तथा उसका कार्य न करने के कारण परिवादी को लगभग 50 लाख रूपये का नुकसान हुआ। अत: क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद योजित किया गया।
विपक्षी की ओर से मुख्य आपत्ति की गयी कि प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (1) (डी) के अन्तर्गत परिवादी उपभोक्ता नहीं माना जा सकता। अत: परिवाद इस आयोग के समक्ष पोषणीय नहीं है।
परिवादी की ओर से पूर्व नियत कई तिथियों से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ। हमने विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता श्री अम्बरीश कौशल श्रीवास्तव के तर्क सुने तथा विपक्षी द्वारा प्रस्तुत किये गये लिखित तर्क का अवलोकन किया।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (1) (डी) के अन्तर्गत उपभोक्ता को परिभाषित किया है :-
"(i) buys any goods for a consideration which has been paid or promised or partly paid and partly promised, or under any system of deferred payment and includes any user of such goods other than the person who buys such goods for consideration paid or promised or partly paid or partly promised, or under any system of deferred payment, when such use is made with the approval of such person, but does not include a person who obtains such goods for resale or for any commercial purpose; or
(ii) [hires or avails of] any services for a consideration which has been paid or promised or partly paid and partly promised, or under any system of deferred payment and includes any beneficiary of such services other than the person who [hires or avails of] the services for consideration paid or promised, or partly paid and partly promised, or under any system of deferred payment, when such services are availed of with the approval of the first mentioned person [but does not include a person who avails of such services for any commercial purpose;]
परिवाद के अभिकथनों के अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवादी का यह कथन नहीं है कि परिवादी ने प्रश्नगत गैसी फायर प्लांट अपने स्व:रोजगार हेतु जीविकोपॉर्जन हेतु क्रय किया है। यह तथ्य निर्विवाद है कि परिवादी फर्म एक पार्टनरशिप फर्म है, जिसके कई पार्टनर हैं। परिवाद के अभिकथनों से यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत गैसी फायर प्लांट परिवादी ने व्यावसायिक प्रयोजन हेतु क्रय किया। परिवाद के अभिकथनों में यह अभिकथित नहीं है कि परिवादी ने प्रश्नगत गैसी फायर प्लांट अपने जीविकोपॉर्जन हेतु तथा स्व:रोजगार हेतु क्रय किया। ऐसी परिस्थिति में परिवादी को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत परिभाषित उपभोक्ता नहीं माना जा सकता। तदनुसार प्रश्नगत विवाद उपभोक्ता विवाद माने जाने योग्य नहीं है तथा प्रस्तुत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार आयोग को प्राप्त नहीं है। अत: क्षेत्राधिकार के अभाव में परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत परिवाद क्षेत्राधिकार के अभाव में निरस्त किया जाता है। परिवादी सक्षम मंच के समक्ष नियमानुसार परिवाद योजित करने के लिए स्वतंत्र होगा।
उभय पक्ष प्रस्तुत परिवाद का व्यय स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय एवं आदेश की सत्यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2